(पीछले भाग मे दास्तान-ए-अश्क मे हमने देखा की क्रिसमस के दिन बच्ची का जन्म होता है! पूरा परिवार खुशियां मनाता है.. अब आगे)
वह शुरू से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थी.!
पढ़ाई में सबसे अव्वल रहना जैसे उसका जूनून था!
पढ़ाई के अलावा उसको कविताएं लिखने में दिलचस्पी थी!
छोटी छोटी असरकारक कविताएं..!
लेकिन वह थोड़ी शर्मीली थी!
अपने आप में रहने वाली लड़की !
इसी वजह से जो भी काम करती अच्छा हो या बुरा सब से छुपा कर करती!
मासूम बच्ची थी बुरा तो क्या करेगी! मगर उसको भूख बहुत लगती थी तो मम्मी की डांट की वजहसे वह कुछ चीजें चुराकर खा लिया करती थी!
उसको अपनी प्लस साइज का कुछ भी दुख नहीं था!
क्योंकि दिल के जज्बात क्या होते हैं ? अरमान क्या होते हैं ? वो कभी रियलाइज ही नहीं किया था उसने!
उसके लिए मायने रखता था !सिर्फ उसका मन ! मन में उठते भाव !
छोटा सा भी कहीं दुख देखती , छोटी सी भी डांट पड़ती ,कुछ भी मन को ठेस पहुंचाने वाला होता, वो कागज कलम लेकर बैठ जाती थी!
अपने मन की तड़प को कागज में उतारती ! कभी-कभी वह कागज अश्कों से भीग जाता तो उसे अपने ही हाथों फाड देती थी !
वो डरती थी की कहीं कोई अपने मन में उठने वाले भावों को पढ़ ना ले!
वक्त गुजर रहा था !
दिल को कचोट ने वाले विचारो को कागज में उतार के और उन अरमानों के टुकड़ें कूड़े के ढेर में छोड़ देती. !
इसी रफ्तार में वो दसवीं क्लास में आ गई!
अब उसके अंदर लिखने की जो आग थी, वह ज्वाला बन चुकी थी!
छोटी सी उम्र में वह दिमाग से काफी बड़ी हो गई थी!
पंजाब के एक अग्रिम अखबार का संपादकीय लेख वो अक्सर पढ़ती थी !
और उस कॉलम लिखने वाले को वह मन ही मन अपना गुरु मान चुकी थी!
उसकी तरह लिखने की वह हमेशा कोशिश करती !
एक दिन हौसला करके उसने एक आर्टिकल लिखा!
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प्रीती ओ प्रीति... कहा मर गई "
"क्या दीदी...? "
मेरा एक काम करदे प्लीज!
यह लिफाफा डाकखाने में जाकर पोस्ट कर आना..!
इसमें क्या है दीदी..?"
"अरे तुझे उस से क्या लेना देना! तू जा और तुझे वह इंग्लिश नहीं सीखनी ? ए.बी.सी?
वो किताब कल ले आऊंगी तेरे लिए में !
"क्या दीदी ! अब आप ये किसको चिट्ठियां लिखने लगी हो ? किसी लड़के को ? मुझे मरवाओगी ! बाबाजी तो मुझे गोली मार देंगे!
"अरे नहीं मारेंगे बाबा ! क्योंकि ये चिट्ठी में किसी लड़के को नहीं लिख रही हूं !
"नहीं.. नहीं आप मुझे सच बताओ ! आज आपको बताना ही पड़ेगा..! आप मेरे से चिट्ठी डलवाती हो, फसूगीं तो मैं ही फसूंगीना..?"
"अच्छा सून ! ये चिट्ठियां में अखबार में लिखती हूं! घरवाले लिखने नहीं देते इसलिए चोरी-चोरी लिखकर तुझसे पोस्ट करवाती हुं !
तुझे कोई कुछ नहीं कहेगा! अगर तुझे किसी ने पकड़ा तो तू बेझिझक मेरा नाम ले लेना! अगर नहीं पकड़ा तो तुझे मेरी कसम तु कभी किसी को कुछ नहीं बताएगी!"
"ठीक है दीदी आप मेरा इतना ख्याल रखती हो तो मैं आपकी बात कभी नहीं टालूंगी!"
"आपने मेरा बहोत साथ दिया दीदी! मेरे मम्मी पापा को समजाया मेरी शादी रोकने के लिए!"
"शादी? तेरी शादी ?अभी तो तू बच्ची है! यार तेरी शादी तो मैं दूल्हा देख कर खुद करवाऊंगी !
हा , पर तेरी शादी तो मुजसे पहेले हो जायेगी ना? क्योकि मुजे तो शादी करनी नही है!"
"एसा क्यो दीदी? क्यो नही करनी आपको शादी? "
अरे भाई मैं अपने पापा के पास रहूंगी अगर मेरी शादी हो गई तो पापा को इंजेक्शन कौन लगाएगा ? दादाजी को दवाई कौन देगा? और जो इतने सारे काम में करती हूं वह कौन करेगा? मम्मी से तो इतना कुछ हो नहीं पाएगा! बाकी छोटे वह सब लापरवाह है !"
"अरे दीदी ऐसा मत बोलो! तुम्हारे लिये तो लडका ढूंढ रहे है सब... मेरे को मेरी मम्मी ने बताया था !
"अच्छा..? "
एक तरफ उस की शादी की बात सूनकर हैरान थी !दुसरी तरफ उसकी कलम की आग तेज हो गई थी..!
सब घर वालों से छुपा कर उसने अपने दोस्त को बुलाया ! और आर्टिकल वाला लेटर उसके हाथों में थमा कर पोस्ट करवा दिया!
और उसकी किस्मत से वह आर्टिकल छप गया ! बेनाम आर्टिकल ! क्योंकि वह अपना नाम जाहिर करना नहीं चाहती थी!
आर्टिकल को पब्लिश कर उसके संपादकीय ने उसके नीचे लिखा था की आप जो भी कोई हो कृपया सामने आए ! क्योंकि हमारे समाज को आज आप जैसे लोगों की जरूरत है!
तब पंजाब में आतंकवाद का दौर था!
ऐसा काला दौर था , जो कभी ना भूलने वाला जख्म दे गया था पंजाब को!
उस दौर ने पंजाब की कमर तोड़ दी! और छोटा सा पंजाब राज्य पूरे देश में सबसे पीछे चला गया!
बेगुनाह लोग मारे जाते थे! निर्दोष लड़कियों को उठाया जाता था!
बेबस लोगों को लूटा जाता !
5:00 बजे के बाद सारा पंजाब वीरान हो जाता था !
कोई अपने घर से बाहर नहीं निकलता था! सब अपने घरों में केद रहते !
ऐसे समय में कोई आवाज उठाता तो उस आवाज को पहले ही कुचल दिया जाता !
बेगुनाह लोगों को बस्ती से उठाकर लाइन में खड़ा करके गोली मार दी जाती थी!
वह समय ही ऐसा था कि कोई कुछ भी नहीं कर पा रहा था!
जिन लोगों ने उस दौर को झेला है , सहा है , उनके लिए वह दौर बंटवारे से कम नहीं था!
उस समय उन हालातों के बारे में लिखने का मतलब था जानबूझकर अपनी मौत को दावत देना!
पर वह लड़की पीछे नहीं हटी ! एक दिन उसने अपनी आंखों से ऐसा कुछ देखा जो उसके बाल ह्रदय पर चोट कर गया!
उसके कुछ अपने ही इस दौर की भेंट चढ़ गए !
कुछ दोस्त घर से पार्टी करने निकले थे ! सब इकट्ठे होकर पार्टी में बैठे थे ,उसमें उसके पापा भी बैठे थे! अचानक उन्हें पेट में कुछ चूभा वह भाग कर घर आ गए!
घर आने के 10 मिनट पश्चात ही उनके सारे दोस्त वह उनके सब अपने सब मारे गए ! कुछ अनजान लोगों ने आकर उन्हें गोलियों से भून दिया!
इस घटना ने उस लड़की के हृदय को झकझोर के रख दिया! वो अपनी कलम को रोक नहीं पाई!
उसने उस समय धर्म के बारे में बहोत कुछ ऐसा लिख दिया जो धर्म के चूस्त अनुयायियों को चुभना था !उनको नागवार गुजरने वाला था!
आर्टिकल लिखकर आखिर में उसने संपादक को लिखा की 'भैया अगर आप मेरी बाते आपको जायज लगे तो इस आर्टिकल को जरूर छाप देना!
वो संपादक भी निडर था!
उन्होंने उस आर्टिकल को न सिर्फ छापा बल्कि उसकी समीक्षा भी की!
एक आर्टिकल की वजह से उन्हें बहोत सी धमकियां मिली! वह प्रॉब्लम में आए ! लेकिन वह जरा भी डरे नहीं !एक दिन उन्होंने अपने संपादकीय लेख में लिखा!
जिस किसीने भी वह आर्टिकल लिखा है!
उस व्यक्तिको मैं शत-शत नमन करके उससे एक बार जरूर मिलना चाहूंगा!
अब उस लड़के ने हौसला करके एक चिट्ठी उस संपादक के नाम लिखी!
भैया मैं 10 स्टैंडर्ड में पढ़ती हूं! लिखना मेरा शौक ही नहीं जनून हैं !और मैं आगे भी आपके अखबार में लिखना चाहूंगी! संपादक ने जब उसकी उम्र और स्टैंडर्ड के बारे में जाना तो वह हैरान रह गया !
उन्होंने जवाबी पत्र में लिखा!
"बेटा तेरी उम्र बहुत ही छोटी है, मगर तेरे जैसे लोगों की समाज को बहुत जरूरत है !
मुझे कुछ भी हो जाए मेरी परवाह नहीं है !
मगर ईतनी छोटी सी उम्र में तुम्हारी कलम जो आग उगलती है ! उसकी आंच तुम्हें और तुम्हारे परिवार तक भी जरूर छू सकती है!
और मैं बिल्कुल भी ऐसा नहीं चाहता कि तुझे कोई जरा आंच भी आए इसलिए मेरी तुझ से रिक्वेस्ट है के आगे से ऐसा कुछ भी तुम नहीं लिखोगी ! तुम मुझसे वादा करो क्योंकि इस आग में मैंने अपने पिताजी भाई और दादा जी को खोया है !
तूने मुझे भैया बोला है इस रिश्ते से तू मेरी बहन हुई! और मैं अपनी बहन को नहीं खोना चाहता!
संपादक की बातों से उस लड़की के दिल पर गहरा असर हुआ.!
उसने लिखना बंद कर दिया!
वह जब भी कदम उठाती जैसे उसे कोई पीछे खींच रहा था! उसने सोचा कि वह तब तक नहीं लीखेगी जब तक उसका मन उसकी आत्मा उसका साथ नहीं देती!
उसके बाद काफी समय तक कत्लेआम का जोर चला!
बाद में पंजाब में इमरजेंसी लागू की गई !
ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ! और धीरे-धीरे हालात सामान्य होते गए!
समय अपने गति से चलता रहा कहते हैं अच्छा समय नहीं रहता तो बुरा भी नहीं रहता! समय का चक्र अपनी गति से घूमता रहता है!
(क्रमश:)