बाल गीत - Series 3 Tara Gupta द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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बाल गीत - Series 3

                                 बाल गीत   

चिड़िया रानी 
 देखो चिड़िया डाल पे बैठी, चूं चूं गान सुनाती।
 बाबी,आशू पालू शैलू,रोज डालते दाना दीपू ,
 है चालाक बहुत ये चिड़िया,नीचे नहीं है आती।
 पर पा मौका दानों को, है चुपके से चुग जाती।।
 अगर पकड़ने जाओ तो,फुर्र से है उड जाती।
 हाथ मिलाकर चिड़िया ,करती नही दोस्तीसबसे,
 रोज सबेरे आकर है , हमें जगाती जाने कबसे ।
 सोना जल्दी जगना, जीवन की सीख सिखाती ।
 अगर पकड़ने जाओ तो फुर्र से है उड जाती ।
एक डाल पर बैठी चिड़ियां, राग अनोखा गातीं ,
 हम सब बच्चों को ये, हैं प्रेम का पाठ पढ़ाती।
 मेहनत है ये अपना नारा, हमको ये बतलाती ।
 अगर पकड़ने इसको जाओ,फुर्र से है उड जाती।।
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पानी तेरा रंग अनोखा
 पानी तेरा रंग अनोखा
 तेरे बिन जीवन है सूखा
 मानव की औकात है क्या
 सारे पशु और पक्षी
 तेरे बिन मुरझाए सब
 क्या पत्ता क्या डाली
 बिन तेरे हो जाता सबका
 जीवन रुखा रुखा।।
 घन उमड़े गरजे पर न बरसे
 होती हाहा कार है,
 सारे जीव जगत पर तब
 दुख का न पारावार है।
 मृगतृष्णा सा जीवन होता
 सबका प्यासा रूखा भूखा।‌।
 
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नन्ही बूदें 
 नन्ही नन्ही बूंदें आयीं 
 दौड गगन से धरा पे छायीं।
 कुछ बूंदें सागर पर टपकी,
 कुछ जाकर पत्तों पर अटकी।
 कुछ बूंदें जा खेतों में हैं सोई,
 कुछ आकर धरती पर खोई।
 कुछ चमकी हैं कमल पत्र पर,
 कुछ मोती बनकर निखरी हैं।
 कुछ ने चातक की प्यास बुझाई,
 कुछ ने धरती की ताप मिटाई।
 नन्ही नन्ही बूंदें आयीं।
 नन्ही नन्ही बूंदें आयीं।।
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मेरा छाता 
मेरा रंग बिरंगा छाता, 
 सबके मन को है भाता।
 दादी के हम प्यारे हैं, 
 उनकी आंखों के तारे हैं।
 देखा मुझे धूप में जाता,
 लायी रंग बिरंगा छाता।
 मेरा रंग बिरगां छाता ।।
 रिमझिम रिमझिम बरखा आई,
 मुझको कभी भिगो न पाई।
 तपता सूरज बहुत सताता ,
 धूप ताप से मुझे बचाता।
 मेरा रंग बिरंगा छाता ।।
 चुन्नू मुन्नू दौड के आते ,
 छाता देख सभी हर्षाते।
 जहां कहीं भी आता जाता,
 कभी न भूला अपना छाता।
 मेरा रंग बिरंगा छाता ।।
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चींटी रानी 
 चींटी रानी बड़ी सयानी,
 श्रम में इसका कोई न सानी।
 खाना दाना जो भी पाती,
 झट अपने बिल में ले जाती।
 जी तोड़ मेहनत हैं करती,
 कठिनाई से कभी न डरती।
 बिना रूके करती हैं काम,
 नहीं बीच करती विश्राम ।
 मेल जोल का नियम निभातीं,
 अपना काम स्वयं ही करती ।
 समय कभी अपना न खोती
 भोजन अपना रहती ढोती।
 जीवों का श्रम ही जीवन है, 
 हमको ऐसी सीख सिखाती।
 होता सरस प्रेम से जीवन
 मेल जोल का पाठ पढ़ाती।।

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मेरे दादी बाबा 
हमको तो अच्छे लगते हैं मेरे दादी बाबा।।
 मन की बात समझ लेते हैं,
 उलझन सब सुलझा देते हैं,
 बिठा गोद में अपने मुझको,
 बातों बातों में ही बहला लेते हैं।
 मेरे दादी बाबा।
 हमको तो अच्छे लगते हैं मेरे दादी बाबा।।
 करूं शैतानी या करूं लडाई,
 हल्की चपत मुझे लगा देते हैं,
 जब हो जाऊं नाराज़ कभी तो,
 दे उपहार पल में मुझे मना लेते हैं
 मेरे दादी बाबा ।।
 हमको तो अच्छे लगते हैं,मेरे दादी बाबा।।
 हंसी ठिठोली की खोल पोटली,
 सदा हंसते और हंसाते रहते,
 छोटी छोटी सुना कहानी
 हमें अपने पास सुला लेते हैं
 मेरे दादी बाबा ।।  हमको तो अच्छे लगते हैं, मेरे दादी बाबा ।। ………………………….
नन्हे बालक 
 हम बालक नन्हे तारें हैं,
 नव जीवन के उजियारे हैं,
 पर्वत जैसा शीश उठाते ,
 हम सागर जैसे लहराते।
 उड़ते पंछी नील गगन के
 उनके जैसे ही प्यारे हैं।।
 ना हम में है भेद भाव,
 न हम में है छुआ -छूत
 बदले चाहे कितने मौसम
 न बदले मन के दया भाव,
 हम बादल जैसे मतवाले।
 मां की आंखों के तारें हैं।।
 फूलों जैसा जीवन अपना
 बढ़ चढ कर देखें न सपना,
 हम नही अक्ल के कच्चे हैं
 मन के बिल्कुल सच्चे हैं
 हम एक डाल के पंछी बन
 गाते प्रेमगीत हम प्यारे हैं।।……………………..
सच्ची बातें 
तोल मोल के बोलो बच्चों,
 बोलो सच्ची,अच्छी बात ।
 बातों में ही तो छुपी हुई है
 जीवन की हर मुस्कान
झूठी सच्ची, खरी खोटी
 जाने कितनी होती हैं बातें।
 बात बात में हो जाती है,
 मानव की भी पहचान।।
 उलझी हुई पहेली सुलझे
 सोची,समझी बातों से।
 जो पहचानें सच्ची बातें
 वो होता चतुर सुजान।।
 बात बात में बढ जाती हैं,
 कितनी ही वाद विवादें।
 बात कहो जब भी अपनी, 
 तुम रखो बोली पर ध्यान।।
 बात बात में बन जाती है,
 कोई भी अद्ध भु‌त बात।  न समझे जो सच्ची बातें, कहलाये वो मुर्ख महान।।…………………………….
 काले बादल ।
 काले काले बादल आये,वर्षा का संदेशा लाये ,
 सन सन कर हवा चली,झूम उठी पत्ती डाली।
 बंद हुई सूरज कीपलकें,छिपा के अपनी लाली। 
 पंचम स्वर मे पंक्षी गाये,काले काले बादल आये।
 नभ है प्यासा धरती प्यासी
 प्यासे पशु पक्षी और मानव
 तप्त धरा का ताप मिटाने
 जन कण की प्यास बुझाने 
 जल की गागर भर भर लाए
 काले काले बादल आए ‌।।
 नभ से बूंदे उतर रही हैं
 धरती पर सिमट रही हैं 
 कहीं नदी कहीं नालों में
 झरने से ले परनालों में
 पल में धरती गगन मिलाए 
 काले काले बादल आए।।

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वृक्ष हमारे
 दिया प्रकृति ने ये वरदान
 वृक्ष करें है पुण्य महान।
 करते हर्षित तन औ मन
 देते सबकोको जीवन दान ।
 पंक्षी डालें इन पर डेरा
 उछले फुदके गाये गान ।
 पंथी को छाया देते हैैं
 हमसे कुछ नहीं लेतें हैं।
 इनसे लाभ अनेकों भाई
 देते हमको ये दवाई ।
 फल फूल हमको ये देते 
 लकड़ी से काम चलाते।
 करते रहते ये उपकार
 वर्षा का देते उपहार।
 आओ बच्चों वृक्ष लगाए
 प्रदूषण को दूर भगाएं ।
 हरा भरा हम देश बनाएं
 हिल मिल हम हर्ष मनाएं।।………………………….

तितली रानी
सबको बहुत लुभाने वाली।
 मन को भी है हर्षाने वाली ।
 सुंदंर रंग बिरंगे पंखों वाली ।
 तितली रानी, तितली रानी ।
डाल डाल फूलों कलियों पर, 
 बैठ बैठ बहुत इतराती हो ।
 कभी झाड में छुप जाती हो,
 कभी इधर उधर मडराती हो।
 छिपे प्रकृति में रंग अनोखे,
 यह बात हमें समझाती हो।
 अगर पकड़ने तुमको जांऊ,
 झट दूर बहुत उड जाती हो।
 हमें यही सदा बताया करती,
 छेड नहीं प्रकृति से अच्छी।
 छेड़ करोगे जब तुम इससे ।
 रंग हीन धरा हो जायेगी।।
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 तनिक विचार करो।
 सोच समझकर देखो बच्चों,
 सुख भी अच्छा दुख भी अच्छा।
 पर लोगों के आगे रोने से तो
 अपना दुख छुपाना अच्छा।।
 सोना चांदी, हीरे मोती , पैसा
 कितनी चाहे सम्पदा लेलो।
 गर सब पर प्रेम लुटाओ तो
 यही खजाना सबसे अच्छा ।।
 दुनिया की आपाधापी में
 आगे ही आगे बढ़ते जाना।
 अक्षर ज्ञान अगर बांट दो
 पढ़ना और पढ़ाना अच्छा।।
 भखे नंगो को मिले सहारा,
 दर्द बांट लो उनका आधा।
 रूठे रोते को अगर हंसा दो,
 हंसना और हंसाना अच्छा ।।
 गंदी आदतों से दूर ही रहना,
 साथी से झगडा मत करना  मिले सभी का आशीर्वाद,  शुभ कर्म करना ही अच्छा।।…………………………………

चंदामामा
आओ बच्चों ! बूझो।
 बूझो एक पहेली?
 कौन है वो जो शीतल किरणों संग
 आसमान में आता ।
 काली अंधियारी रातों में
 नहीं किसी से डरता ।
 बादल संग अठखेलियां करता
 घटता बढ़ता जो है रहता ।
 हाथ उठाकर बच्चा बोला--
 सूरज के जाने पर जो आता ,
 बादल में है छिपता फिरता ।
 गोल गोल रोटी सा लगता,
 रातों को है जगमग करता।
 टिम टिम तारें उसके साथी
 जिसे देख मां लो री गाती।
 सबके मन को जो भाता है,
 चंदामामा वो कहलाता है।।
……………………….