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वकील

१.ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा

ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा:
हास्य व्ययंग:

कविता:

अजय अमिताभ सुमन


जो कर न सके कोई वो काम कर जाएगा,
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा।


फेकेगा दाना , फैलाएगा जाल,
सोचे कि करे कैसे मुर्गे हलाल।
आये समझ में ना , शकुनी को जो भी,
चाल शतरंजी तमाम चल जायेगा .
ये वकील दुनिया में नाम कर जायेगा।


चक्कर कटवाएगा धंधे के नाम पे,
सालो लगवाएगा महीनों के काम पे।
ना हो ख़तम केस कि लगाके पेटिशन,
एडजर्नमेंट के सारे इन्तजाम कर जाएगा।
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा।


एडजर्नमेंट पेटिसन कि मांगेगा फीस,
क्लाएंट का लोन से , टूटे भले ही शीश।
होने पे डिसमिस एडजर्नमेंट पेटिसन के,
अपील के प्रबंध ये तमाम कर जाएगा।
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा।


ना हो दम केस में , फिर भी लड़वाएगा
जेब भारी क्लाएंट की खाली करवाएगा।
बिकेगा क्लाएंट का नाम ग्राम धाम तब,
सबकुछ नीलाम ये तमाम कर जाएगा .
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा।


मच्छड़ के माफिक , खून को चूस ,
बैठ के सिने पे , निकलेगा जूस।
क्लाएंट के सर पे , रख भारी पत्थर,
गंगाजी में राम नाम कर जाएगा।
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा।


प्रोफेसनल एथीक्स है क्या जनता नहीं ,
रेसपानसीबीलीटी क्लाएंट की, पहचानता नहीं।
कि अपोसिट पार्टी से , खाके पैसे भाई,
केस क्लाएंट का गुम नाम कर जाएगा।
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा।


प्रक्टिस चली तो बन जाएगा सीनियर,
नहीं तो जज , सेटिंग से डीअर।
नहीं गली दाल तो , पोलिटिक्स में भाई,
साफ आपने हाथ खुलेआम कर जाएगा।
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा.


जजों को रिशवत खिलाएगा भाई,
ना माने तो जिस्म भेजवाएगा भाई।
हर कीमत पे केस में जीत चाहिए,
कि कत्ले- कानून सरेआम कर जाएगा।
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा।


सच में बंधी है पट्टी ,
कानून कि आँखों पे,रोती है
जनता अदालत के कामों से।
ऐसे भी बची कहाँ है , इज्जत अब कोर्ट कि,
बची खुची है जो भी , नीलाम कर जाएगा।
ये वकील दुनिया में नाम कर जाएगा।


अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित

२.वकील होने का मतलब:अजय अमिताभ सुमन

व्ययंग कविता

वो वकील हैं
इसलिए
यदि लाइब्रेरी के पानी के नल की टुटी खुली है
तो इस बात को लिब्ररियन के पास ले जाएँगे
आपनी फरियाद सुनाएँगे
अनसुनी होने पे अपनी बात
छात्रों में आवाज फैलंगे
कौमी अवाम जगाएंगे
थाने में रपट लिखाएँगे
सब कुछ करेंगे
नल में लकड़ी ठुसने के सिवा.


अजय अमिताभ सुमन

३. सक्सेसफुल एडवोकेट:अजय अमिताभ सुमन

व्ययंग कविता

सक्सेसफुल एडवोकेट कौन?


वो जिनका,

कोई ईमान नहीं,
कोई सिद्धांत नहीं,
कोई दोस्त नहीं,
कोई दुश्मन नहीं,
कोई जुबान नहीं,
कोई स्वाभिमान नहीं,
कोई धर्म नहीं,
कोई राष्ट्र नहीं,


सिवाय पैसे के,


जो होती है.
चिड़िया की आंख.


जिसके लिए.


वो तोड़ देते हैं,
मरोड़ देते हैं,

अपनी ईमानदारी ,
अपने सिद्धांत,
अपने दोस्त,
अपने दुश्मन ,
अपनी जुबान ,
अपना स्वाभिमान,
अपना धर्म ,
अपनी राष्ट्र भक्ति,


पानी की तरह.

अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित

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