इश्क एक अधूरे शब्द की कहानी - 3 Author Pawan Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क एक अधूरे शब्द की कहानी - 3

इश्क एक अधूरे शब्द की कहानी

पवन सिंह सिकरवार

  • 3 - अध्याय – बिछड़न
  • आलोक साकी के आँशु पोछता है और कान पकड़ कर बड़े मासूमियत से सॉरी बोलता है जिसपर साकी मुस्करा देती है और धकेल देती है।

    तुम अब भी सुसमता के बॉयफ्रेंड तो नही

    नही उसने उसी दिन वो तो थपड़ मार कर सब ख़त्म कर दिया। और सुसमता नही सुसमता मेम बोलो

    सुसमता मेम! कम बोलो तुम कल से तुम्हारा ट्यूशन जाना बंद हम दूसरा टयूशन ढूंढ़एँगे।

    लेकिन यार एग्जाम में सिर्फ एक महीना बाकी है और मुझे कुछ आता भी नही है मै फेल हो जाऊंगा।

    तो मै पढ़ाऊंगी तुम्हे लेकिन उस ट्यूशन में तो सोचना भी मत

    आलोक हँसते हुए साकी को गले लगा लेता है। साकी फिर आलोक को धकेल देती है।

    मुझे जाने दो मुझे लेट हो रहा है। और तुम भी घर जाओ अब

    आलोक नाचते हुए घर जाता है उसकी खुशी का ठिकाना नही रहा। मानो उसको ऑस्कर दे दिया हो।

    अब आलोक और साकी दोनों रोज़ मिलने लगे। उन दोनों की जोड़ी काफी अच्छी लगती थी क्योंकि एक गोरी दिल्ली की दूसरा देशी इलाहाबाद का। दोनों ही एक दूसरे के बारे में अब सभी कुछ जानते थे जैसे आलोक का सपना है कि वह अपने माँ के स्कूल को CBSE की मान्यता दिलवाना चाहता है। साकी काफी खुश थी उसने आलोक को अपने पापा से भी मिलवा दिया था और उसके पापा भी आलोक कुमार तिवारी से खुश ही थे। मेरा मतलब है कि नजर तो खुश ही आ रहे थे। साकी और आलोक काफी अलग जोड़ी थे। मतलब उनको लड़ाइयां भी मजाक से शुरू होती थी और एक मजाक से ही खत्म।

    वैसे आलोक तुम्हारा कोई निक नेम नही है क्या?

    हे ना ! पूरा इलाहाबाद हमे प्यार से बेटू बुलाती है।

    इतना सुनते ही साकी जोर जोर से हँसने लगती है

    तुम हँस क्यो रही हो? तुम्हारा कोई निक नेम नही है क्या?

    है ना लेकिन वह इतना मजाकिया नही है मेरे बेटू।

    यार बस भी करो बचपन मे मम्मी बोलने लगी थी तो सब बोलने लगे इसमें हँसने वाली तो कोई बात नही है ओर तुम्हारा फिर क्या नाम था?

    मै तो नही बताऊंगी

    ये गलत बात है साकी

    हां गलत है।

    आलोक साकी को अपनी बांहो में उठा लेता है।

    आलोक नीचे उतारो मुझे मै गिर जाऊंगी

    साकी मुझे कुछ कहना था तुमसे

    बोलो बेटू?

    यार मुझे इलाहाबाद जाना पड़ेगा क्योंकि चाचा वैगरह ने स्कूल की जमीन पर अपना दावा थोक दिया है तो वंहा जाकर देखना पड़ेगा।

    तो चले जाओ। स्कूल तुम्हारा सपना है लेकिन जल्दी आ जाना।

    अगले दिन आलोक अपने इलाहाबाद चला जाता है। जंहा पर उसके चाचा ने जमीन पर केस कर चुका होता है। धीरे धीरे आलोक जमीन के सिलसिले में व्यस्त होता जाता है। लेकिन केस आलोक और उसकी मम्मी ही जीत रही होती है। जिससे आलोक खुश था। उसके चाचा बदला लेने के लिए एक तांत्रिक से मिलते है और आलोक पर टोटका करवा देते है।

    जिससे भी आलोक सबसे ज्यादा प्यार करता होगा उसकी तबियत खराब होने लगेगी।

    उसको चाचा को लगता था कि आलोक अपनी माँ को सबसे ज्यादा प्यार करता है इसलिये उसकी माँ की तबियत खराब होने के बाद वो उसे लेकर दिल्ली चला जायेगा और जमीन उनकी हो जाएगी।

    लेकिन आलोक तो सबसे ज्यादा अब साकी को पसंद करता था। आलोक के आखिरी साल के एग्जाम होने के कारण उसकी मां ने उसे दिल्ली भेज दिया।

    साकी की तबियत खराब होने लगती है।

    दिल्ली आकर वह साकी को मिलता है और उसे गले लगा लेता है। साकी उससे अपनी तबियत के बारे में छुपा लेती है। और दोनों एग्जाम में एक साथ पढ़ाई करते है और एग्जाम देते है।

    लेकिन एग्जाम खत्म होते होते साकी की तबियत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी थी इतनी की वह अब ICU में थी। उसके पिता ने कई जतन करके देख लिये लेकिन वह ठीक ही नही हो रही थी।

    साकी के लिए उसके पिता ने घर मे हवन भी रखवाया तो वंहा आये एक पंडित ने आलोक को देखते ही उसके पिता को आलोक के ऊपर हुए जादू टोने के बारे में बताया।

    अब आलोक को उसके पिता ने अपने पास बुला कहा

    मेरी बेटी आज सिर्फ तुम्हारी वजह से इस हालत में है

    यह क्या कह रहे है आप अंकल

    तुम्हारे ऊपर किसी ने जादू टोना किया हुआ जिसका परिणाम मेरी बेटी भुगत रही है।

    आलोक के पास तभी उसकी मां का फोन आता है कि बेटा हम केस जीत गए है। और तुम्हारे चाचा ने तुम पर टोटका किया था तो तू ठीक तो है ना मेरे बच्चे?

    हाँ माँ मै ठीक हु।

    अब आलोक जोर जोर से रोने लगा।

    अंकल आप दिक्कत मत लीजिए अगर साकी की तबियत मेरी वजह से खराब हुई है तो मै वापस इलाहाबाद चला जाता हूं। और कभी उसे वापस नही मिलूँगा।

    बस उसको इतना कह देना की मै उसे सच्चा प्यार करता हु और हमेशा करूँगा।

    इतना कह कर आलोक अगले दिन साकी से बिना मिले ही इलाहाबाद चला जाता है।

    अगले दिन ही साकी को होश आ जाता है उसकी आंखें अब आलोक को ढूंढ रही थी।

    तभी उसकी पिता कमरे में प्रवेश करते है।

    कैसा है अब मेरा बच्चा?

    ठीक हु पापा

    तुम आराम करो

    पापा आलोक कँहा है?

    बेटा वो तो! इतना कह कर उसके पिता रुक जाते है।

    साकी चिल्लाकर पूछती पापा आलोक कँहा है?

    बेटा वो तो वापस इलाहाबाद चला गया

    इलहाबाद चला गया बिना मुझसे मिले? वापस कब आएगा फिर वो?

    कभी नही। वह हमेशा के लिए चला गया है

    वो कुछ तो बोलकर गया होगा मेरे लिए या कोई मैसेज?

    उसके पिता सोचने लगते है कि अगर मेने उसको आलोक का मैसेज बता दिया तो फिर कभी आलोक को नही भूल पाएगी इसलिए वह ना में सिर हिला देता है।

    साकी फुट फुटकर रोने लगती है चिल्लाने लगती है। उसके पिता उसको चुप करवाने की नकयाब कोशिश करते रहते है।

    ***