इश्क एक अधूरे शब्द की कहानी - 1 Author Pawan Singh द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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इश्क एक अधूरे शब्द की कहानी - 1

इश्क एक अधूरे शब्द की कहानी

पवन सिंह सिकरवार

  • 1 - अध्याय – प्रथम भेंट
  • मेरा नाम आलोक कुमार तिवारी है और मै इलाहाबाद का रहने वाला हु। जो मै आपको बताने जा रहा हु यह एक सच्ची घटना है यकीन ना हो तो मत करो यकीन। मेरा क्या जाता है। जादू टोना हमारे समाज का एक बदसूरत सच है जो कई लोगो की जिंदगी बदल कर रख देता है। ऐसे ही एक काले जादू ने मेरी जिंदगी बदल कर रख दी। मेरे परिवार में सिर्फ मेरी माँ है। पिता जी के बारे फिर कभी बताऊंगा। हमारे गांव में एक स्कूल भी है जो कि मेरी माँ चलाती है मेरा सिर्फ एक ही सपना था कि मेरे स्कूल को CBSE बोर्ड की मान्यता प्रपात करवाना। इसी बीच तुम्हारा इलाहाबादी दोस्त ये आलोक कुमार तिवारी एक लड़की से प्यार कर बैठा। खैर यह बात तब की है जब मैं इलाहाबाद से दिल्ली उच्च स्नातक की डिग्री के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने आया था। जब मेने कॉलेज को अपने दर्शन दिए उसी दिन एक विश्व सुंदरी ने मुझे दर्शन दे दिए उसका नाम था साकी वो किसी परी से कम नही लग रही थी आप उसकी खूबसूरती का अंदाजा इस बात से लगा सकते हो कि जिस लड़के के पीछे पूरा इलाहाबाद पागल हो

    वो उससे एक नजर में प्यार कर बैठा मानो भगवान ने सारी खूबसूरती एक लड़की को ही दे डाली हो वैसे अब तुम लोग ज्यादा उसके बारे में मत सोचो कमीनो भाभी है तुम्हारी और अगर इस कहानी को पढ़ने वाली एक लड़की है तो भी मै यही कहूंगा कि भाभी है तुम्हारी भी। मेने सुना है आज कल जनानियो वाले प्यार की लहर चल रही है चलिए कहानी को आगे बढ़ाते है हम दोनों ही मास्टर इन एडुकेशन की पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन यह सच है कि हर खूबसूरत चीज़ में एक बोहोत बड़ी कमी जरूर होती है साकी के अंदर कमी थीं उसका गुरुर उसका घमण्ड पैसों को लेकर जी हां बहोत बड़े बाप की औलाद थी वो। एक दिन हमने ठान लिया कि हम साकी से बात करेंगे। लेकिन उससे पहले हम पहुंच गए अपने दोस्त पवन से इस बारे में राय लेने

    नोट - ये ही है कमीना इस कहानी का लेखक

    पवन और मै एक ही कमरे में रहते थे होस्टल के।

    पवन यार मै क्या करूँ अब तो तीन महीने हो चुके है सिर्फ उसको देखते देखते और एक वो है जिसे अभी तक यह नही पता कि उसकी क्लास में एक लड़का ऐसा भी है जो उसके चक्कर मे क्लास से 6 बार बाहर निकाला जा चुका है दो लड़कों को सिर्फ इसलिए कूट दिया क्योंकि वो उसको घुर रहे थे एक सेमेस्टर के दो पेपरो में बैक आ चुकी है। और उसको तो मेरा नाम भी नही पता

    तो उसको बोल दे भाई ये दिल्ली है यंहा तू किसी से भी बात कर सकता है वैसे भी वो तेरे ही क्लास की है किताब या नोट्स के बहाने बात करले।

    सही कहा कल मै उससे जरूर बात करूंगा।

    अगले दिन मै और पवन तैयार हो कर कॉलेज में पहुँच गये और साकी का इंतज़ार करने लगे

    वो सामने से अपने कुछ दोस्तों के साथ आ रही थी हमे यही मौका अच्छा लगा इसलिए हम पहुँच गए साकी के सामने

    हेलो साकी

    हेलो ! साकी ने अजीब नजरो से देखते हुए कहा

    हमने सीना चौड़ा करते हुए बड़े अदब के साथ कहा मेरा नाम आलोक कुमार तिवारी है

    तभी उसका एक दोस्त बीच मे बोल उठा तो भाई इतना गर्व से क्यों बता रहा है

    सभी लोग इतना सुनकर हँसने लगते है लेकिन साकी अभी भी मुझे अजीब नजरो से देख रही थी

    उसने धीरे स्वर में बोला मेरा नाम ......

    साकी है! मेने उसको बीच मे काटते हुए बोला

    वैसे अगर आपको कोई महत्वपूर्ण बात नही करनी तो मै जाऊ हमें क्लास के लिए देर हो रही है। साकी ने मुझसे कहा

    दरअसल हम आपको पसंद करते है और आपसे दोस्ती करना चाहते है क्या आप हमारी दोस्त बनयेगी

    इतना सुनते ही उनमे से एक लड़का साकी के आगे खड़ा हो होकर बोला

    ओह हेलो साले जितने तेरे पूरे बदन पर कपड़े है ना उतनी कीमत के साकी की जुत्ती है समझा तो अपनी औकात में रह। इतना कह कर वो साकी के साथ क्लास में चला गया पवन भाग कर आलोक के पास आता है।

    अरे ये तो बहोत बड़ी बेज़्ज़ती हो गई तुम्हारी आलोक कुमार तिवारी

    अरे रहनेदो अगर साकी ना होती ना तब बताते इस नोपोरे जैसी शक्ल वाले को और इसको तो हम बाद में जरूर कुटएँगे वो भी साकी के ही सामने ही वरना हमारा नाम भी आलोक कुमार तिवारी नही।

    लेकिन यार साकी ने कुछ क्यो नही बोला हमारे लिए! आलोक ने दुखी होते हुए कहा

    अरे कँहा से बोलएगी शक्ल और कपड़े देखो अरे धारी वाले शर्ट कौन पहनता है बे आजकल

    अरे लेकिन हमारे इलाहाबाद में तो लडकिया मर मिटती थी जब हम ये शर्ट पहनकर निकलते थे तब

    अरे छोड़ो तुम्हारी इलाहाबादी किस्से ये दिल्ली है मेरे भाई यंहा लड़के को अगर लड़की चाहिए तो चमक दमक दिखाने पड़ेगी अरे तुम अपने आप को बदलो बे

    बदले? वाह साला दुनिया मे लडकिया रिश्ते में आने के बाद लड़के को बदलती है लेकिन दिल्ली की लड़कियां पहले ही लड़के को बदल देती है अरे नही चाहिये फिर ऐसी लड़की हमे भइया इतना कह कर हम क्लास में चले गए

    लेकिन उस बात का हमारे दिल और दिमाग दोनों पर काफी गहरा असर हुआ था हम साकी को हमेशा फॉलो करते थे जिससे हम एक चीज़ समझते थे कि वह वैसी नही है जैसा लोग सोचते थे लेकिन शायद हम गलत थे वरना जब हमारी बेज़्ज़ती हो रही थी तो वह चुप क्यों थी।

    हम यही सोचते हुए क्लास में बैठे थे और हमे पता ही नही चला कि कब क्लास खत्म हो गई और सभी लोग जा चुके थे हमे तभी होश आया कि हम कई घण्टों से एक ही कमरे में बैठे थे और कॉलेज की सारी क्लासेज भी खत्म हो चुकी थी इसलिए हमने भी बस्ता ताँगा ओर क्लास से बाहर जाने लगे तभी साकी हमारे सामने खड़ी हो गई हम एक दम से चोंक गए

    सॉरी ! साकी ने कहा

    अरे सॉरी किस बात के लिए

    हमारे दोस्तो ने तुम्हारी इनसल्ट की इसलिए

    अरे कोई नही।

    चलो अच्छी बात है तुम्हे बुरा नही लगा इतना कह कर साकी जाने लगती है

    अच्छा सुनो

    क्या

    बताया नही आपने की हमारी दोस्त बनयेगी या नही

    दोस्त ही ना कुछ और तो नही

    अरे दोस्त ही सिर्फ कुछ और का बाद में देखएँगे

    साकी हँसने लगती है अगर सिर्फ दोस्त बनने की बात है तो ठीक है आलोक कुमार तिवारी जी

    इस दिन के बाद हमारी ओर साकी की काफी गहरी दोस्ती हो गई लेकिन ये बात बताने से साकी ने मना किया था। खासतौर पर साकी के दोस्तो को।

    इसलिए हम ना क्लास में बात करते थे और ना उसके दोस्तों के सामने दोस्ती सिर्फ फ़ोन पर मैसेज और कॉल पर ही थी।

    एक रात हम अपने रूम में लेटे हुए थे और रोज़ की तरह हमारे पवन सिकरवार जी लगे पड़े थे कुछ लिखने में। हमे फ़ोन पर बिजी देखकर उनसे भी रहा न गया और पूछने लगे। क्योंकि साकी और हमारी दोस्ती के बारे में पवन को भी नही पता था।

    अबे किस से बात कर रहे हो

    साकी से

    साकी?

    चार महीने से बात हो रही है और अब वो हमारी दोस्त भी है गहरी वाली

    अच्छा जी वाह मेरे शेर तो कंही रेस्टोरेंट में गया उसे लेकर डेट पर

    अरे कँहा यार कॉलेज में तो उसने बात करने को मना किया है।

    बाहर मिलने को बोलता हूं तो वो आनाकानी करती है इसलिए बस फ़ोन पर ही बाते होती है।

    भाई जितना मै समझता हूं ये तेरा बेबकुफ़ बना रही है। वो बस तेरा प्रयोग कर रही है। जैसे सर्कस में जोकर होते है वैसे ही तुझे वो अपनी जिंदगी में समझने लगी है।

    क्या बकवास कर रहा है यार वो ऐसी नही है।

    अच्छा तो चल एक टेस्ट करके देखते है। तू उसके दोस्तो के सामने जाकर उसे बात कर और पूछ की तू उसका दोस्त है या नही

    देखना फिर उसका असली चेहरा

    चल बे कुछ भी बोलता है अगर ये ही बात है तो कल मै उससे उसके दोस्तों के सामने ही बात करूंगा और पूछूंगा भी।

    अगले दिन मै तैयार हो गया और रोज़ की तरह जल्दी पहुंच गया कॉलेज तभी सामने से साकी अपने दोस्तों के साथ आती हुई दिखी। मै तुरन्त साकी के सामने खड़ा हो गया।

    अबे तू फिर आ गया। उसी लड़के ने कहा

    साकी मेरी दोस्त है मै उससे बात करने आया हु

    ये बात सुनकर साकी के दोस्त हँसने लगते है साकी ओर तू दोस्त

    साकी बहुत मासूमियत से आलोक की तरफ देख रही थी जैसे कुछ कहना चाहती हो।

    साकी बता दो इन सब को की हम दोनों दोस्त है।

    इतने में साकी एक दम से गुस्से से बोली दोस्त कौन दोस्त अपनी औकात में रहो पिछली बार सुना नही था जो मेरे दोस्त ने कहा था इतना कह कर साकी चली जाती है। और उसके दोस्त भी बड़बड़ाते हुए चले जाते है कि अमीर लड़की देखी नही। आ जाते है साले कंही से भी।

    आलोक की आंखों में आँशु आ जाते है वह चुप चाप एक खाली कमरे में जाकर बैठ जाता है। इलाहाबादी लड़के की सिर्फ एक ही कमजोरी होती है जैसा आलोक ने मुझे बताया!

    वो था इश्क़।

    लेकिन यह शब्द अधूरा है और इस अधूरे शब्द की वजह से कई कहानियां अधूरी रह जाती है।

    ***