"जी क्या आप रवि है ?" - पत्रकार ने रवि से पूछा। रवि के कुछ जवाब न देते देख पत्रकार ने फिर सवाल किया - "जी क्या आप ही रवि है, जिन्होंने तीन रोज़ पहले रात को चुड़ैल को देखा था ?" । चुड़ैल शब्द सुनकर रवि के कान खड़े हो गए । उसने पत्रकार की ओर देखते हुए कहा - " मैं ही रवि हूँ, कहिए क्या काम है " ।
" जी मैं एक साप्ताहिक का पत्रकार हूँ, और आपकी कहानी को अपने अखबार में छापना चाहता हूँ । इसी सिलसिले में आपसे चंद सवालात करना चाहूँगा अगर आपको कोई ऐतराज़ न हो तो । " - पत्रकार ने वॉइस रिकॉर्डर को ऑन करते हुए कहा । रवि ने कुछ सोचकर हामी भर दी। पत्रकार ने फिर पहला सवाल पूछा।
पत्रकार - " क्या यह सच है की आपने चुड़ैल देखी है ?"
रवि - " हाँ, बिल्कुल सच है, मैं ने चुड़ैल देखी है ।"
पत्रकार - " क्या आप इन सब बातों को मानते है ।"
रवि - " इस घटना के बाद तो बिल्कुल ।"
पत्रकार - " थोड़ा विस्तार से बताइये घटना के बारे में कि क्या हुआ था उस रात ।"
रवि - " हुआ यूं था की उस रोज़ यहाँ शहर में मेला लगा था, तो मैं भी मेला देखने चला गया। वहाँ से निकलते निकलते निकलते मुझे ग्यारह बजे गए थे। मेरे गाँव और शहर के बीच का रास्ता थोड़ा जंगल जैसा है। बस में उधर से गुज़र रहा था की तभी मेरी बाइक का आगे का टायर फटा और मैं बाइक से गिर गया। मैं जैसे ही उठा मुझे वहाँ एक सूखे पीपल के पेड़ पर तीन चादर जैसे बड़े कपड़े टंगे दिखे। मैं अभी पेड़ को देखने ही लगा था की एक चादर पेड़ से उड़कर हवा में एक जगह जाकर रुक गया और फिर उस कपड़े में से दो हाथ और काला स्याह चेहरा निकला और एक शरीर का रूप ले लिया। मैं यह सब देखकर सुन्न सा पड़ गया और वही पसीना पसीना होकर खड़ा रहा। वो प्रेत जैसे ही जमीन पर आया पायल की आवाज़ आई। मैं ने नीचे देखा तो पाया कि उसके पैर उल्टे थे। मैं अब कापने लगा था। मैं ने देखा कि वो साया मेरी तरफ बढ़ रहा है। धीरे धीरे वो साया मेरे एक दम करीब आ गया और मेरी गर्दन को जकड़ लिया। मैं चिल्ला उठा और फिर कब मैं बेहोश हुआ मुझे कुछ नहीं पता। अगली सुबह मुझे यहाँ एक लड़की ने जगाया। जब मैं ने उसे सारी बात बताई तो उसने मुझे बताया कि इस पेड़ पर एक लड़की को फाँसी देकर मार दिया था और तभी से वो लड़की चुड़ैल बन सबको डरा रही है।"
पत्रकार ने भौंए तानकर कुछ चिंतन किया और फिर रवि से बोला - " रवि जी क्या आप हमें उस जगह ले जा सकते है ?"
रवि ने कहा - " आज तो नहीं, अब शाम हो चुकी है, सो बेहतर है कि मैं भी अंधेरे से पहले गाँव पहुँच जाऊ।
हाँ पर कल सुबह हम चल सकते है।"
अगले दिन सुबह सुबह रवि और पत्रकार उसी पेड़ के पास पहुंचे। पत्रकार महोदय उस जगह की तस्वीर ले ही रहे थे कि तभी पायल की झंकार हुई। रवि और पत्रकार सहम गए। डरते हुए दोनों ने पेड़ के पीछे देखा तो एक लड़की बैठी हुई थी। उसे देखकर दोनों की सासों में सास आई।
उसे देखकर रवि ने पत्रकार से कहा - " यह तो वही लड़की है जो मुझे घटना के अगली सुबह मिली थी "। पत्रकार ने लड़की को देखा। लड़की बहुत ही सुंदर थी, उसके केश खुले थे , सिर पर केतकी के फूलों का जुड़ा था जो हवा को सुरभित कर रहा था, ललाट पर एक छोटी हरे रंग की बिंदी थी। लड़की की उम्र अंदाज़न बीस वर्ष होगी। पत्रकार ने लड़की से पूछा - "तुम यहाँ अकेली क्या कर रही हो इस जंगली इलाके में, क्या तुम्हें उस चुड़ैल से डर नही लगता ?" । तब लड़की ने मंद मुस्कान के साथ कहा - " डर किस बात का डर, वो चुड़ैल कुछ नही करती, वो बेचारी रातों को बस लोगों को डराती है आज तक किसीको मारा नहीं। साहब वो तो खुद ही इतनी मासूम थी कि लोगों ने उसे इसी पेड़ पर फाँसी देकर मार डाला। "
पत्रकर ने व्यंग के साथ हस्ते हुए कहा - " अच्छा, तुम्हे कैसे पता इतना उस चुड़ैल के बारे में ?" । लड़की ने कहा कि यह बात मेरे ही सामने की है साहब।
पत्रकार ने फिर पूछा - " क्या तुम इन सब बातों को मानती हो ? "। तब लड़की ने पत्रकार से ही पूछा - " क्या आप नही मानते ? "। पत्रकार ने कहा कि यह सब तो सिर्फ अफवाहे है जो यहाँ के लोगो ने ही फैलाई होगी प्रचलित होने के लिए। तब लड़की ने पूछा - "तो आप इतनी छान बिन क्यों कर है इस घटना की ?"।
पत्रकार ने लड़की से कहा - " यह सब तो मेरा काम है। अच्छा क्या मैं तुम्हारी भी एक तस्वीर ले सकता हूँ ?" ।
लड़की ने हामी भरी तो पत्रकार लड़की की उस पेड़ के साथ कुछ तसवीरें ली और फिर रवि और पत्रकार वहाँ से चले गए।
अगले दिन जब रवि ने अखबार लिया तो देखा कि अखबार में तीसरे पेज पर एक बड़ी खबर छपी थी - "चुड़ैल है - एक सत्य घटना" । उसने मन में सोचा की पत्रकार तो नहीं मानते थे इन बातों में , फिर भी इसे एक सत्य घटना कह रहे है आखिर क्यों।
दरअसल अगले दिन जब पत्रकार ने फोटो को प्रिंट करवाया तो उसने पाया कि उन सभी फोटो में लड़की के पैर उल्टे थे और लड़की की आँखे पूरी काली। पत्रकार के माथे पर पसीना आ गया तसवीरें देखकर उसने मन में सोचा कि सच में मैं एक चुड़ैल से मिला हूँ, यानी कि यह सब बातें सच होती है। ये भूत, प्रेत, चुड़ैल, पिशाच, सब असलियत है और मैं इन सब पर विश्ववास नहीं करता था और तभी उसने खबर का शीर्षक "चुड़ैल एक मिथ्या" से बदलकर "चुड़ैल है - एक सत्य घटना" रखने का निर्णय लिए।