#my dost gnesha
मेरा दोस्त गणेशा – बाल कहानी
शीर्षक- सच्ची श्रद्धा
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“रिया” पांच वर्ष की थी जब उसके माता पिता दोनों एक कार दुर्घटना का शिकार हो गये थे और उसी समय उनकी मृत्यु हो गयी थी ! उनके जाने के बाद रिया को उसके चाचा अपने साथ अपने घर ले गये ! और रिया के चाचा चाची ने ही उसका पालन पोषण किया! रिया अकेली सन्तान थी अपने माँ बाप की, कोई बहन भाई नहीं था उसका ! रिया के चाचा तो बहुत अच्छे थे, पर चाची उतनी ही निर्दयी! उसका व्यवहार रिया के प्रति बिलकुल अच्छा न था और वह रिया पर बहुत ज़ुल्म भी ढाती थी! अपने माँ बाप के होते हुए रिया स्कूल में पढ़ने भी जाती थी, उसके कईं ख़्वाब थे, कि बड़ी होकर यह करेगी, वह करेगी; पर अफ़सोस होनी को कुछ और ही मंजूर था शायद! रिया की चाची ने स्कूल से उसका दाखिला हटा दिया और उसको घर के काम काज में लगा दिया ! झाड़ू पोचे से लेकर खाना बनाने का सारा काम रिया ही करती थी, न ही किसी सहेली के साथ उसको खेलने बाहर भेजा जाता था, न ही वह किसी से बात कर सकती थी, न ही टेलीविज़न भी देख सकती थी! बंद कमरे में रिया अपनी खिड़की से बाहर बच्चों को देखती रहती थी, कैसे सब बच्चे स्कूल में बस्ता लेकर हँसते मुस्कुराते हुए जाते हैं, कैसे शाम को सभी मस्ती में खेलते हैं, यह सब देखकर बिचारी कईं बार रो भी पड़ती थी, अपने माँ पा को यद् करके, परन्तु क्या करती, कोई उसकी विवशता को नहीं समझता था !रिया बचपन से ही गणपति जी की आराधना करती थी, और उन्हीं से अपनी विनय कहती थी, उनके समक्ष सब कुछ रख देती थी, रिया के पास उनकी एक छोटी सी मूर्ति थी, जिसको वो हमेशा अपने संग रखती थी!
एक दिन रिया को बहुत तेज़ बुखार हो गया, और उसको चक्कर भी आ रहे थे, जिस वजह से वह सुबह समय पर नहीं उठ सकी, रिया को काम करते हुए न पाकर उसकी चाची का पारा चढ़ गया और वो जोर से चिल्लाने लगी “कहाँ मर गयी री, सारा काम पड़ा है और महारानी चैन से सो रही है, उठ जल्दी आ बाहर” ! जब रिया नहीं आई, तो चाची उसके कमरे में गयी और उसके बाल खींचने लगी, और उसको नींद से जगा दिया, जबकि उसको पता चल गया था कि रिया को तेज़ बुखार है! रिया धीमी सी आवाज़ में बोली, “चाची आज तबियत ख़राब है, थोड़ा सा आराम कर लूँ? थोड़ी देर में सारा काम कर दूंगी” ! चाची ने रिया के गाल पर दो थप्पड़ लगाए और बोली, “चल चल बड़ी आई यहाँ महारानी, तेरे माँ बाप ने क्या मुझे सोने की अशर्फियाँ दी थी जिससे मैं तुझे खिला पिला सकती, अरे खुद तो चले गये और मेरे सर यह आफत मढ़ गये, उठकर काम कर सारा, मुझे आज शहर जाना है तेरे चाचा के साथ, आते आते शाम हो जाएगी, तब तक सारा काम किया होना चाहिए”! कहकर चाची चली गयी!
रिया उठकर काम करने लगी, पर उसको फिर से चक्कर आने लगे, और वह गिर पड़ी, बेहोश हो गयी, बस उसके मुंह से एक ही लफ्ज़ निकला- “गणपति” ! शाम होने को आ रही थी, रिया को होश आया, उसका सर दर्द के मारे चकरा रहा था, उसको एक दम याद आया कि सारा काम बाक़ी पड़ा है, कैसे करेगी वो, चाची भी डांटेगी आकर! धीरे से रिया उठी, और कपड़े धोने के लिए आंगन में गयी, पर वह अचम्भित रह गयी एक दृश्य देखकर, आंगन में तो कपड़े तार पर सूख रहे थे, हवा के साथ लहरा रहे थे! रिया ने सोचा कि मैनें तो कुछ काम किया ही नहीं, फिर यह सब कैसे? फिर रिया रसोई में खाना बनाने गयी तो वहाँ भी सारा खाना बना पड़ा था, घर की सफाई करने लगी तो देखा सारा घर चमचमा रहा था ! रिया को कुछ समझ नहीं आ रहा था ! उधर से रिया की चाची भी आ गयी और पूछने लगी “क्यूँ री महारानी, काम हुआ या नहीं. कि सारा दिन आराम ही फरमाती रही”? रिया कुछ नहीं बोली! चाची खुद ही रसोई में गयी, देखकर हैरान हो गयी कि इतने बुखार में भी रिया ने कैसे सारा काम कर दिया ! घर की इतनी साफ़ स्थिति देख भी उसको अचम्भा हो रहा था, कपड़े देखे वे भी सूखे थे ! फिर भी चाची ने दो लफ्ज़ प्यार के नहीं बोले रिया से ! और आँखें दिखाकर चली गयी!
रात होने पर जब रिया सोने लगी, उसका बुखार और बढ़ गया, उसके चाचा ने दवाई लाने के लिए उसकी चाची से बात की, तो उसने फटकार कर कहा “कोई जरूरत नहीं इसपर इतना रुपया खर्चने की, पहले क्या कम खर्चा करा रही है यह कम्जली” ! चाचा बिचारा अपने कमरे में गया और लेट गया ! थोड़ी देर बाद सभी सो गये, रिया दर्द में तड़प रही थी, तभी उसने महसूस किया जैसे कि कोई उसके माथे पर हाथ रखकर उसको सहला रहा था, उसके माथे पर ठंडी पट्टियाँ रख रहा था, उसको लगा जैसे कि उसकी माँ आ गयी हो, रिया को इतना आराम मिला कि वह चैन की नींद सो गयी! सुबह उठते ही रिया के बिस्तर के पास चाय का एक कप पड़ा था, रिया ने सोचा शायद चाची ने आज उसके लिए चाय बनाई थी, पर नहीं ! चाची तो अभी सो रही थी ! चाचा भी सैर को गये थे! रिया फिर हैरान, आखिर हो क्या रहा था ! उसने चाय पी और फटाफट रसोई में चाय बनाने गयी चाचा चाची के लिए, पर देखा की चाय तो बनी पड़ी थी ! रिया अपने कमरे में गयी और अपनी गणपति की मूर्ति के सामने बैठ गयी और बोली “गणेशा, यह सब क्या हो रहा है. कुछ समझ नहीं आ रहा” ! कोई भूत है यहाँ या कुछ और?
रिया का बुखार अभी खत्म नहीं हुआ था ! रात को फिर उसने महसूस किया कि उसके पास कोई बैठा है और उसको आराम दे रहा है ! एक दम रिया उठी और उसकी आँखें एक अनोखा सा प्रकाश देखकर विस्मयचकित रह गयी ! सारे कमरे में एक अद्भुत सा प्रकाश, उसने धीमे से आँखें खोली तो देखा, एक सुंदर से मुख वाला नन्हा सा बालक जिसका मुख हाथी की सूंढ़ जैसा था, वह उसके पास बैठा था, जिसके हाथ में एक पानी का कटोरा और पट्टियाँ थी, और वही उसके सर पर पट्टियाँ रख रहा था ! रिया को देखकर वह मुस्कुराने लगा और बोला “ हैरान मत हो, मैं तुम्हारा दोस्त हूँ, आओ तुम अभी लेट जाओ, तुम्हें आराम की जरूरत है! पर रिया बोली कि नहीं पहले यह बताओ कि तुम हो कौन और क्यूँ आये हो यहाँ ? “अरे मैंने बोला न मैं तुम्हारा दोस्त हूँ”.........वह बोला ! मुझे तुम्हारे गणपति ने भेजा है तुम्हारी रक्षा करने के लिए ! आज से मैं तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हारी हर चीज़ में मदद करूँगा ! पर रिया चाची के डर से घबरा रही थी, “नहीं नहीं तुम यहाँ नहीं रह सकते दोस्त, अगर चाची ने देख लिया तो वो तुमको भी डांटेगी”,!
नहीं डांटती...तुम चिंता न करो ! मुझपर छोड़ दो ! चलो आओ, सो जाओ ! रिया उसकी बाजू पर सर रखकर सो गयी ! सुबह उठी तो बड़ी खुश थी रिया और उसका बुखार भी उतर चूका था अब ! आज फिर रिया के बिस्तर के पास चाय का कप था, रिया ने चाय पी और बोली “ थंक्यु गणेशा “!
थोड़ी देर बाद रिया की चाची मन्दिर के लिए गयी! रिया घर का काम करने लगी ! तभी उसका दोस्त आ गया और उसके साथ सारा काम करवा दिया, झट से सब कम हो गया ! फिर दोनों एक दूसरे के साथ खेले ! रिया को जैसे एक सच्चा दोस्त मिल गया हो ! रिया ने उसका नाम ‘भोला’ रख दिया ! ‘भोला अब तुम जाओ,चाची आने वाली है’, उसने तुम्हें देख लिया तो अनर्थ हो जाएगा... रिया बोली ! अरे रिया तुम फ़िक्र मत करो, चाची मुझे नहीं देख सकती, मुझे सिर्फ मेरे ख़ास मित्र ही देख सकते हैं ! रिया मुस्कुराने लगी और ख़ुशी के मारे नाचने लगी ! जब रिया की चाची आई तो देखा सारा काम फिर से रिया ने किया हुआ था ! फिर से वह हैरान थी !
भोला रिया को हर ख़ुशी देता, हर मदद करता ! अपने ऊपर बिठाकर घोड़ा बनकर सवारी दिलाता, कभी कुत्ता, कभी बन्दर, कभी बिल्ली बनता और रिया के साथ हँसता खेलता ! रिया अपने सारे दुःख भूल गयी ! एक दिन रिया की चाची ने बोला “आज घर पर बहुत से महमान आएँगे, तुझे कईं तरह के व्यंजन बनाकर रखने होंगे, कोई कमी हुई तो देख लियो,,,,,,,,,
रिया घबरा गयी, तभी उसका दोस्त भोला आया और बोला “ फ़िक्र नोट लीटल एंजेल, व्हेन आई ऍम देयेर” ! फिर क्या था, भोला ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों की लाइन लगा दी ! रिया भी खुश और उसकी चाची हैरान ! महमानों में रिया को ढेर प्यार दिया और कईं तोहफ़े ! इससे पहले कि रिया की चाची सारे तोहफ़े उठा लेती, भोला ने सब तोहफ़े कहीं छिपा दिए ! रात को भोला ने रिया को राजकुमारी की परी वाली ड्रेस दी पहनने को जो कि किसी महमान ने तोहफ़े में दी होगी ! रिया उसको पहनकर बहुत खुश हुई ! रिया ने अपने दोस्त से बोला “आज मुझे बाहर की दुनिया देखनी है, तुम मुझे ले चलोगे दोस्त?” भोला तभी बोला “हाँ हाँ क्यूँ नहीं, बैठो मेरी पीठ पर और चलो” ! भोला रिया को बाहर ले गया ! अँधेरी रात में चमचमाता चाँद और टिमटिमाते सितारे, मंद मंद चलती पवन, खिलखिलाते पुष्प, और सुंदर प्रकृति देखकर रिया का मन मोहित हो गया ! ऐसा लगा मानों कितने समय बाद रिया ने बाहर की दुनिया में कदम रखा था ! रिया ने अपने दोस्त को जोर से जफ्फी डाली और बोला “ठ्न्क्यु दोस्त, आई लव यु” ! और अपनी मूर्ति को हाथ में पकड़े बोली “ठ्न्क्यु गणेशा”, यह जरुर तुम्हारा ही भेजा कोई दूत है जो मेरी वीरानी दुनिया में रंग भरने आया है !
ऐसे ही रिया की जिंदगी धीरे धीरे बदलने लगी ! रिया को उसका दोस्त भोला पढाने भी लगा, और नाईट स्कूल में रिया का दाखिला भी करवा दिया ! रिया को स्कूल ले जाना और छोड़कर आना सब उसकी जिम्मेवारी थी ! आज रिया काफी प्रसन्न रहती है ! रिया की चाची भी अब थोड़ी बदलने लगी, और रिया को थोड़ा प्यार करने लगी ! यह सब किया उसके दोस्त भोला ने!
बच्चे बहुत भोले होते हैं, भगवान का रूप, निर्मल मन, छल कपट से परे! उनको जो कह दिया वे वही मानने लगते हैं ! रिया को कभी पता ही नहीं लगा कि स्वयं गणपति बाल रूप में आकर उसकी सहायता कर रहे थे! कहते हैं प्रभु हमेशा अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं और चले आते हैं, फिर चाहे वह किसी भी रूप में आएं, बस भक्त की भावना सच्ची होनी चाहिए ! रिया हमेशा से ही बप्पा में विश्वास करती आई थी! नियति ने ऐसी विडम्बना रची कि इतनी छोटी उम्र में ही एक बच्ची से उसके माता पिता का साया छीन लिया, फिर भी वह हमेशा अपने साथ अपने गणेशा की मूर्ति रखती थी, उसको विश्वास था कि बप्पा उसकी पीड़ा अवश्य सुनेंगे ! और वही हुआ भी, प्रभु खुद धरती पर अवतरित हुए रिया के दोस्त बनकर, उसके साथ बच्चे बनकर खेले, हर मोड़ पर उसका साथ दिया, मानों रिया को फिर से उसके माँ बाप मिल गये हों ! यही है सच्चे भक्त की भक्ति का फल, जब भगवान भी झुक जाते हैं स्वयं !
गणपति किसी भी पात्र के रूप में आएं, बच्चों के सर्वप्रिय होते हैं ! इन्हीं गणपति ने बाल रूप में आकर रिया की निर्दयी चाची के हृदय में भी रिया के प्रति प्रेम भाव उत्पन्न कर दिया! रिया की अँधेरी दुनिया में आशा का दीपक जगाकर खुशियों का उजाला ही उजाला कर दिया ! आज रिया १२ बरस की हो गयी है, उसके चाचा चाची रिया को अपनी औलाद से भी ज्यादा प्यार करते हैं! उनके घर में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापना की गयी और श्रद्धा से वे सभी मिलकर गणपति को पूजते हैं !
जय हो गणपति बप्पा मोरया !!!!!!!!!!
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डॉ सोनिया गुप्ता / स्वरचित/ सर्वाधिकार सुरक्षित
चित्र- स्वरचित !