लघुकथा - कॉन्ट्रैक्ट मैरिज
काॅफी हाउस में बैठी नव्या कॉफी का ऑर्डर कर किसी के आने का इंतजार कर रही थी। परेशान थी रह रह कर घर की समस्याएं ही जेहन में दस्तक दे रही थी। गिरवी पडा घर ..... बीमार पिता का अच्छे अस्पताल में इलाज ..... छोटे भाई का कॉलेज में एडमिशन ...और बहन के लिए दहेज की व्यवस्था ...। और भी कितनी ही जरूरतें , और अकेली वह कमाने वाली।और आज अचानक बाॅस का ये प्रस्ताव…
" हेलो मिस नव्या"
"आप ही है न मेरे डैड की सेक्रेटरी?"-हाथ बढाकर एक विदेशी वेशभूषा पहने युवक बोला।
जी .... मैं ही हूं" - सकुचाकर वह खड़े होते हुए बोली।
" जी बैठिए, मेरा नाम अर्जुन है और मैं आपके बाॅस का बेटा हूं, और अभी हाल ही में अमेरिका से वापस लौटा हूँ"
"आपको तो पता ही है, कि हम यहां पर क्यों मिल रहे हैं?"
बिना कुछ कहे नव्या ने नजरें झुका ली।
"देखिए मुझे घुमा फिरा कर बात करने की आदत नहीं है, तो मैं सीधे मुद्दे पर आता हूं । मैं एक आजाद खयालों का वाला मार्डन लड़का हूँ, मैं शादी जैसे बंधन में बंधकर नहीं रह सकता, जीवन मौज मस्ती से जीने पर विश्वास रखता हूँ, यू आर गेटिंग, वाट आई एम टेलिंग यू. ".
"बट क्या करूं? डैड से भी बहुत प्यार करता हूँ"
" उन्होंने तो मेरी शादी को दिल की बीमारी ही बना लिया है"
" इसलिए उन्हीं के कहने पर मैं यहां आपसे मिलने आया हूँ"
वैसे मुझे पता चला है कि, आप घर की अकेली कमाने वाली सदस्य हैं, और काफी आर्थिक परेशानियों से जूझ रही हैं"
"अगर आप मदद करें तो मेरे पास हम दोनों की समस्याओं का हल है"- नव्या की आंखों में आंखें डालते हुए अर्जुन बोला।
"जी मैं कुछ समझी नहीं "- नव्या ने हैरानी से पूछा।
मेरे डैड की इच्छा के अनुसार हम शादी जरूर करेंगे, पर .. होगी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज और ये बात सिर्फ हम दोनों के बीच राज रहेगी "- एक कागज का टुकडा दिखाते हुए अर्जुन बोला।
" कॉन्ट्रैक्ट मैरिज???..... वह क्या होती है? "
" मतलब हम शादी तो करेगें ,सभी रस्मों के साथ करेंगे, पर ... सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट के तहत, जिसकी अवधि एक साल....और उसके बाद.... , मैं और तुम आजाद"
इसके बदले में, मैं आपके परिवार की सारी जरूरतें एक पल में ही पूरी कर दूँगा"
" तो मिस नव्या आपका ..... क्या विचार है?"- अर्जुन सिगरेट का धुआं उडाते हुए बोला।
सुनकर नव्या एकदम से सन्न रह गई।
" देखिए मिस्टर अर्जुन, आपका तो पता नहीं पर मैं भारतीय संस्कारों वाली लड़की हूँ। हमारे यहां शादी कोई खेल नहीं बल्कि, एक वचन होता है... जो जीवन भर निभाया जाता हैं"- स्वर को तेज करते हुए नव्या बोली।
"हां मुझे पैसों चाहिये हैं ,और परिवार की जरूरतों को भी पूरा करना चाहती हूँ, पर अपनी मेहनत और ईमानदारी से काम करके, न कि इस तरह, .... स्वाभिमान को बेचकर"- कहती हुई नव्या बाहर निकल गई।
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2 - लघु कथा - हीरोइन
"रोल,.... कैमरा....., एण्ड एक्शन...!!!"
" एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू...!!
दूसरा डायलॉग बोलें- " अपने स्वाभिमान की रक्षा की खातिर, औरत अगर अपनी पर आ जाए तो वह रणचंडी भी बन सकती है"
"कट..... कट..... कट.... बहुत बढ़िया, आपने यह ऑडिशन भी पिछले दो ऑडिशन जितना ही बहुत अच्छा किया है, अब आपका फाइनल ऑडिशन फिल्म के डायरेक्टर घोष जी ही लेंगे, तो अभी आप बैठिए, फिर हम आपको बुलाते हैं "-असिस्टेंट डायरेक्टर कह कर चला गया।
सिमरन बाहर बैठ कर इंतजार करने लगी, उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था, आखिरकार उसका वह सपना जो सोते-जगते, खाते-पीते हर समय देखा था आज पूरा होने वाला था।
बचपन से ही उसे अभिनय और डांस करना पसंद था ,अपने स्कूल के दिनों नाटक और डांस आदि में भाग लेती थी, सभी उसकी बहुत प्रशंसा करते, और फिल्मी दुनिया की हीरोइन बनना उसका सपना कब बन गया, उसे पता ही न चला, अपना सपना पूरा करने में उसने खूब मेहनत की ..... डांस क्लास, एक्टिंग क्लास, ग्रूमिंग क्लास ,.... और आज उसी मेहनत का परिणाम था, कि वह अपने सपने से सिर्फ एक कदम दूर थी।
" मिस सिमरन चलिए डायरेक्टर साहब आप को अंदर बुला रहे हैं"-असिस्टेंट डायरेक्टर
" सर, मे आई कम इन"- सिमरन ने दरवाजा खोलते हुए कहा।
"ओ... मिस सिमरन , कम इन"
"मैंने तुम्हारे सारे ऑडिशन देखे हैं वेलडन यू आर गुड फॉर एक्टिंग, डांसिंग, लुकिंग ....बट- कम्प्यूटर पर देखते हुए घोष जी बोले।
"बट.... क्या सर" ?
"हमारी फिल्म की हीरोइन के कैरेक्टर में तुम फिट बैठती हो या नहीं यह देखना बाकी है, अगर तुमने सब कुछ ठीक किया तो निश्चित तौर पर तुम हमारी फिल्म की हीरोइन होगी और हमारे साथ काम करने वाला निश्चित ही फेमस हो जाता है, यह तो तुम जानती हो"-सिमरन को नजदीक बिठाते मिस्टर घोष ने कहा।
" जी सर... बताइए मुझे क्या करना होगा"?- सिमरन उत्साहित होकर बोली।
"हमारी हीरोइन मॉडर्न, आजाद खयालों की लड़की है, और सफल होना उसका पैशन है जिस के लिए वो कोई भी कीमत दे सकती है, ...अगर तुम यह किरदार अदा कर दिखाओ तो!!.....- सिमरन की कमर पर हाथ फेरते हुए घोष ने कहा।
" तुम्हारा सफल हीरोइन बनने का सपना, यकीन मानो मैं जरूर पूरा कर दूंगा, अगर तुम मुझे खुश कर दो, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा......"!! -सिमरन को पकडते हुए घोष ने कहा।
क्या??!!- झटके से दूर हटते हुए सिमरन बोली।
और एक झन्नाटेदार तमाचे की आवाज से कमरा गूंज गया।
" सर मैं हीरोइन तो जरूर बनूंगी, और सफल भी होऊंगी, पर अपनी काबिलियत, ईमानदारी और स्वाभिमान के साथ, सिर उठाकर, अपनी ही नजरों में गिरकर नहीं"- कहकर सिमरन आत्म विश्वास के साथ वहां से निकल गई।
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3 - लघुकथा कथा - वर्जिनिटी टेस्ट
" समीर, आज मैं बहुत खुश हूँ, आखिरकार हमारे बचपन के प्यार को मंजिल मिल ही गई"- समुन्दर किनारे बैठी गरिमा समीर के कंधे पर सिर टिकाते हुए बोली।
"हमारे सच्चे प्रेम को सरहदों की दूरियां भी नहीं मिटा पाई, और कल हम सगाई कर एक दूसरे के हो जाएंगे, हमारे परिवारों ने भी हमारा पूरा साथ दिया "
पर समीर बिना कुछ कहे झुझलाता हुआ मोबाईल देखने में लगा रहा।
"तुम्हें याद है न? समीर हमारा स्कूल का पहला दिन, हम अपने पेरेंट्स के साथ आए थे और एक दूसरे को देखते ही मुस्कुराने लगे थे, फिर दोस्ती, ... पढना, ....,खेलना... खाना कितना कुछ था, जो हमने साथ किया, हमारी पसंद भी कितनी मिलती जुलती है, खाने में आलू का परांठा...., फिल्में देखना,. ... घूमना. ..और शापिंग भी"-खिलखिलाते हुए गरिमा बोले जा रही है।
"और तो और हमारे सपने भी एक जैसे, दूर आसमान में उड़ना, तुम पायलट, ..मैं एयर होस्टेस बनना चाहती थी, अपने सपने पूरे करने में हमने साथ मेहनत की और सफलता पाई,फिर वह दिन जब मैं एयर होस्टेस की ट्रेनिंग के लिए सिंगापुर और तुम पायलट की ट्रेनिंग के लिए लंदन जा रहा थे, एकदूसरे से दूर होते हुए ऐसा लगा शरीर का कोई हिस्सा छूट रहा हो, फिर वो घंटो चिट्ठी लिखना. ...फोन पर बातें..... दूर होकर भी एक दूसरे के पास..."
"अरे. .... तुम चुप क्यों हो? ,मैं ही कितनी देर से बोले जा रही हूं, और तुम तो बस चुपचाप बैठे हो, तुम्हें देखकर तो लग रहा है, जैसे तुम्हें कोई खुशी ही नहीं है। हमारा रिश्ता होने की"
"नहीं ऐसी कोई बात नहीं है"- समीर लापरवाही से बोला।
" तो फिर तुम्हारे चेहरे से खुशी. ... क्यों नहीं झलक रही?, कहीं तुम ..?
"नहीं मैं तुमसे ही प्यार करता हूँ, और शादी भी करना चाहता हूँ, पर......."
"पर क्या समीर?"- गरिमा अधीर होते हुए बोली।
दो साल तक घर और हम से दूर सिंगापुर में रही हो, वहां का विदेशी रहन-सहन, सोच में खुलापन. ... ही ऐसा कुछ है कि, आने वाला इसके रंग में रंग ही जाता है, और भटक .!!!....इसलिए तुम सिर्फ एक टेस्ट...... वर्जिनिटी.!!...
"क्या ??? क्या ?कहा तुमने"
वर्जिनिटी? ??..
" मुझे यकीन नहीं हो रहा, तुम ने ऐसा सोचा मेरे बारे में..."-गरिमा की आखों से आसूं बहने लगे।
"तुम भी तो इतने ही साल लंदन में रहे, कितनी लडकियां तुम्हारी दोस्त हैं, जिनसे साथ कभी बीच पर नहाते, कभी डिस्को में साथ डांस करते.... तुमने मुझे फोटो भेजी थी, पर मैंने कभी शक नहीं किया, मुझे मेरे प्यार पर विश्वास था, और तुम मुझ पर.... शक??- रुंधे गले से गरिमा बोली।
देखो मुझे समझने की कोशिश करो, मैं अपनी नई जिंदगी की शुरुआत, आश्वस्त होकर करना चाहता हूँ, - ..समीर बोला।
ये सब करवाकर तुम आश्वस्त हो न हो, पर मैं जरूर आत्मग्लानि में जिऊँगी सारी जिंदगी, तुम मेरे बचपन के प्यार हो और तुमसे शादी करना मेरा सपना था, पर .... अपने स्वाभिमान की कीमत पर नहीं"
अच्छा हुआ जो समय रहते तुम्हारा असली चेहरा सामने आ गया, आज के बाद मुझसे मिलने की कोशिश मत करना"- कहकर गरिमा घर की ओर चल पडी।
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नाम - अर्चना राय