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नूरी


दुल्हन के लिबास में चमकती नूरी ,लाल जोडें मे जन्नत की हुर लग रही थी ।जिसकी निगाह उठी वो वहीं थम गई।दमकता रंग नशीली काली आँखे,उफ अल्लाह क्या कयामत है ।
साहिल तो जैसे दुनिया का सबसे दौलत मंद आदमी बन गया,निगाहों में जैसे बंद कर लेना चहाता था, कि कहीं कोई देख ना ले।
हसीन सपने लिए नूरी अपने शौहर के साथ मुंबई पहुंच गई ।जिंदगी खुशगवार सी चलने लगी ।बड़ो  की दुआओं के साथ वो अपने घर में रम गई ।साहिल का साथ जैसे जन्नत में ले आया ।
शादी की दावत के लिए साहिल के आफिस के साथी जोर दे रहे थे भाभी से भी मिलना था ।आखिर साहिल ने दिन तय कर दिया।
बडे प्यार से नूरी ने दावत का इंतजाम किया ।
तैयार हो बडी बेसब्री से सबका इंतज़ार करने लगी ।
साहिल की निगाह नूरी पर पड़ी  तो देखता ही रह गया ,हरे सुट मे मदहोश कर रही थी काले घने बाल कमर पर लहरा रहे थे औऱ बालों में लगा गुलाब का फूल ।
"तौबा ये क्या किसको मारोगी ?"साहिल ने मस्ती की ...।
"अल्लाह कुछ तो शर्म करो।"नूरी हया से लाल हो गई।

वक्त पर मेहमान आ गए, मेहमानवाजी दिल से की नूरी ने। उसके हुस्न को देख कर फैशन की मारी लडकियाँ जलभुन गई।नूरी सबसे अदब से पेश आ रही थी।लजीज पकवान का आनंद ले रहे थे सब तभी रेशमा बोली..
"नूरी आज के टाईम मे भी तुम ये दुपट्टा सर पे लिए हो !साहिल क्या अनपढ़ है नूरी?"इस तरह के सवाल पर नूरी हैरान हो गई।
"फाईनेंस से एम बी ए हूँ मैं।" नूरी ने कहा।
"तो कोई जॉब क्यों नहीं?"रोशनी बोली।
"जरूरत नहीं है ,अभी सिर्फ अपने शौहर के साथ रहना चहाती हूँ।"
खिलखिला के हंस पड़े सब मासूमियत पर नूरी की ।
पर साहिल को तो ये अपनी बेज्जती लगी ,औरो की बीवियों के आगे नूरी पिछड़ी  हुई लगी ।
दवात के खाने की तारीफों को करके सब चले गए लेकिन साहिल के दिल में आग लगा गए।उसे नूरी अपने रूतबे से नीचे नजर आने लगी ।अब तो इसको नूरी के पहनावे मे जाहिलता लगने लगी ,उसकी अदायें भी पंसद ना आती इश्क उसकी आँखों में ना दिखता।
"नूरी तुम अपना पहनावा बदलती क्यों नहीं.....साहिल ने कहा।"
"मतलब? "नूरी ने पूछा।
"मतलब मेरी सारी कलीग तुमको ओल्ड फैशन बोलती हैं औऱ ये भी कि तुम मेरी सोसायटी के नहीं बनी।"
"देखो साहिल अगर जिस्म की नुमाइश मार्डन होना है तो मै मार्डन नही बनना चाहती।मै ऐसी ही ठीक हूँ, नूरी ने साफ कहा।"
"पर आज कोई नहीं रहता ऐसे, तुम मेरी बेज्जती कराती हो ,औऱ सुनो कल आफिस में पार्टी है फैमिली के साथ जाना है तुम अपने लिए कुछ अच्छा पहनने के लिए खरीद लेना मैं साथ नहीं जा पाऊंगा ।"
"लेकिन साहिल मैं कम्फर्टेबल नहीं महसूस करती ऐसे पहनावे में।मैं यह नहीं कहती कि ऐसा पहनावा बुरा है लेकिन मुझे कम्फर्टेबल नहीं लगता समझा करों!"जोर देकर नूरी ने कहा।
"मुझे कुछ नहीं सुनना और यह जाहिलों वाली बात न किया करों। शाम को जल्दी तैयार हो जाना औऱ पहले मार्केट चली जाना ,मै पाँच बजे आ जाऊंगा।"
"ठीक है परेशान ना हो आप ,नूरी ने कहा।"

ठीक समय से नूरी तैयार थी सफेद साडी उस पर झिलमिलाते सितारे ,कजरारी आँखें सुर्ख होंठ कौन पागल होगा जो नूरी का दिवाना ना बन जाय ,खुद को आईने में देख कर दिवानी हो गई ।
"अल्लाह ,साहिल आ जाय बस एक बार बोल दे मै कैसी लग रही हूं ।"
साड़ी  मे नूरी को देख साहिल का तो दिमाग खराब हो गया।चिल्लाते हुए नूरी को बोला...
"तुमको बोला था कि कोई अच्छी पोशाक पहनना पर तुम जाहिल ..!उतारो इसको औऱ साड़ी  खींच दी ।
"साहिल.!"...नूरी चिल्लाई। 
"अपनी हद मे रहे ,बीवी हूँ गुलाम नहीं जो ऐसी हरकत करो ।नहीं बनना मुझको तुम्हारी उन जैसी बेहया दोस्तों की तरह ,औऱ ये मैं आखिर बार बोल रही हूं।"

चटाक ......एक चाँटा नूरी के नाजूक गाल पर पडा।

तभी एक आवाज़ औऱ आई 
चटाक चटाक...।।.ये नूरी थी जिसनें साहिल के गाल पर निशान बना दिया .....
साहिल की आंखों में तो खून उतर  आया । "हिम्मतकैसे हुई जाहिल औरत शौहर पर हाथ उठाती हैं अब नहीं रहेगी तु यहां मै तुझको तलाक देता हूँ ।"
एक चाँटा औऱ साहिल के गाल पर पड़ा ..."तुम क्या मुझे तलाक दोगे मै तुमको खुला देती हूं, अल्लाह ने औरत औऱ मर्द को बराबरी का दर्जा दिया है मै जानती हूं मुझको क्या करना है तुम रहो अपनी मार्डन सोच के साथ मै जा रही हूं ,काजी खुले का नोटिस तुम तक पहुंचा देंगे।"

"बर्खुदार पहनावे से मार्डन नहीं बनते सोच से बनतें हैं।तुम जैसा जाहिल जो दिमाग से बीवी को गुलाम समझता है और पहनावे में आधुनिकता दिखाता है।लानत है तुम्हारी सोच पर ।"
देखता रह गया साहिल।

दिव्या राकेश शर्मा
देहरादून।

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