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अकेला

अधुरा

ग्यारह बजने को आये थे लेकीन अभी तक अपर्णा का बँक मे पता ही नही था |

सुदीप बार बार उसके कौंटर की तरफ देख रहा था ..

अभी सिपाही मेन दरवाजा खोलने वाला ही था ,की पिछेके दरवाजे से अपर्णा अंदर दाखील हुवी | उसने सुदीप की तरफ हसकर देखा और” गुड मोर्निंग सर” बोलकर कौंटर की तरफ बढ गयी | उसका हसता हुआ चेहेरा देखकर सुदीप खुश हुआ |अब तो बाते करने का टाईम नही था,|बँक मे लोगो की भीड बढ गयी और स्टाफ अपने अपने काम मे जूट गया | वैसे इस बँक मे आकर सुदीप को एक साल ही हुआ था | सुदीप मुंबई से था | जब प्रोबेशनरी ऑफिसर की पोस्ट के लीये वो चुना गया , तो उसका पोस्टिंग सांगली मे हो गया | उसने एक घर किराये पर लीया था और वो एक एक दोस्त के साथ वहा रहने लगा | सांगली तो एक बहोत ही छोटा और शांत गाव था | मुंबई के माहौल मे रेहेने वाले सुदीप को पहले पहले तो बहोत अजीब लगा था |मुंबई की बहोत याद आती थी | बहोत मिस करता था वो मुंबैय्या “जीवन “| मगर बाद मे उसे आदत पड गयी और वो गाव अच्छा भी लगने लगा था , इसकी और एक “वजह “ थी और वो थी अपर्णा ..| छ महिने पेहेले अपर्णा यहा क्लार्क की पोस्ट पर जॉईन हुवी थी | वो सांगली की ही रहने वाली थी | एकदम खुबसुरत और उत्साहित लडकी थी वो | हर एक के साथ खुलके बात करनेवाली और हसमुख | सुदीप वैसे तो बातुनी था नही मगर एक दो महिने के बाद वो भी उससें घुलमील गया |धीरे धीरे एक “पेहेचान “दोस्ती की तरफ बढने लगी | अब बँक के बाहर भी वो दोनो मिलने लगे ,कभी मंदिर मे तो कभी बागमे तो कभी हॉटेल मे मुलाकाते होने लगी | कभी ऑफिस स्टाफ, कभी एक दुसरे के दोस्तो के साथ या कभी दोनो अकेले भी मिलकर एन्जोय करने लगे | इन मुलाकातोसे एक दुसरे के ज्यादा करीब आना “संभव “ ही था | अपर्णा उसके आई बाबा की इकलौती थी | उसके बाबा एक सरकारी कर्मचारी थे और मा एक छोटे स्कुल मे टीचर थी, घरमे दादी थी... यही एक छोटी फ्यामिली थी उनकी | इकलौती होने के कारन घरमे उसकी कोई बात टाली नही जाती थी | एक दिन आ गया जब अपर्णा ने उसे एक शानिचर को अपने घर खाने पर बुलाया | उसने अपने आई बाबा को सुदीप के बारेमे बता दिया था ,अगर उनकी हाँ हो जाए तो वो सुदीप के साथ जिंदगी बिताना चाहती थी | सुदीप बहोत ही खुश हुआ .| वे दोनो अब एक दुसरे को अच्छी तरह जानने लगे थे और पसंद भी करने लगे थे | अपर्णा ने उसे किसी बात का जिक्र नही किया था ,मगर सुदीप मन ही मन जान गया था की उसका घर बुलाना उनके “रिश्ते “के बढने की तरफ इशारा है |उसने भी अपने माँ, बाबुजी को अपर्णा उसे पसंद है ये बोल दिया था | और मौका पाकर वो उन दोनोको अपर्णा से मिलाने वाला भी था | सुदीप की आंख उस शनिचर को जल्दी ही खुल गयी | कब दुपहर हो और कब वो अपर्णा के घर जाये ऐसा हुआ था उसको |आखिर बारा बज ही गये और सुदीप अपर्णा के घर की तरफ निकल गया |आज उसने नये कपडे पेहेने थे ,सुदीप वैसे भी दिखने मे अच्छा खासा और “स्मार्ट “था | आज तो वो बहोत ही कमाल लग रहा था | अपर्णा के घर वालो ने उसका बहोत अच्छा स्वागत कीया |जाते ही पेहेले उसने एक मिठाई का बक्सा अपर्णा की दादी की हाथ मे दिया और उनको झुक कर प्रणाम किया | बादमे उसकी आई बाबा के भी “आशीर्वाद “ लिये | अपर्णा के घरवाले बहोत खुश हुवे |बहोत ही “सुसंस्कारी “ लडका लगा उनको सुदीप | अपर्णा भी खुश थी ,पेहेली मुलाकात मे सुदीप ने उसके घरवालोको “इम्प्रेस “कीया था ,अब आगेका सफर शायद आसान हो ..| अपर्णा के आई ने खाना बहोत ही टेस्टी बनाया था | उसने पेहेले ही बताया अपर्णा इकलौती होने के कारन उसने अपर्णा को रसोई का कोई काम नहीं सिखाया था .मगर धीरे धीरे वो सिख जायेगी |अपर्णा के बाबा ने और दादी ने सुदीप के और उसके घर के बारे मे जानकारी पूछी |अब वो सब सुदीप के घर वालो को मिलना चाहते थे | सुदीप ने भी बताया अगले महीने वो उसके घर वालोको साथ राजस्थान टूर पर जा रहा है ,आते ही वो मा बाबुजी को सांगली ले आयेगा ,दो तीन दिन रेहेने के लिये तब ही सबकी मुलाकात होगी | अपर्णा के घर वालो को सुदीप पसंद आ गयां | अपर्णा तो बस खुश ही खुश हुवी | फिर दोनो मिलकर शाम को गणपती मंदिर भी चले गये और भगवान का आशीर्वाद लिया | अब तो जैसे सब “लाईन” क्लियर हो गयी |बँक के सहकारी भी ये जान चुके थे | उसके बाद उन दोनोके दिन मानो “दौडने” लगे | घुमना फिरना ,मूवी देखनां , हॉटेल और बाग के चक्कर ये सब बढ गया |अब छुटी के दिन तो उसका खाना पिना भी अपर्णा के घर ही होने लगा |अपर्णा के घरवालो ने एक बार सुदीप के मा बाबुजी के साथ बात भी की और उन्हे कभी सांगली आ जाने का न्योता भी दिया |विडिओ चाटिंग पर अपर्णा को देखकर सुदीप घर वालोने उसे “पसंद “किया | और दो महिने के बाद सुदीप पंद्रह दिन की छुट्टी लेकर मुंबई चला गया | उसके चाचा की फ्यामिली कुछ घरके लोग और मा बाबुजी मिल कर आठ दिनके राजस्थान टूर पर जा रहे थे |टूर हो जाने के बाद प्लान के मुताबिक उसके चाचा ,मा बाबुजी के साथ दो चार दिन सांगली आनेवाले थे |जाने से पेहेले अपर्णा के घर जाकर उसके मा बाप से विदा लिया और आगेका प्लान फ़िक्स किया |अपर्णा अब थोडे दिन की जुदाई के कारण थोडी नाराज थी .मगर बादमे तो सब अच्छा होने वाला है ऐसे केहेकर सुदीप ने उसको समझा लिया ..| मुंबई जाकर फोन पर भी वो अपर्णा के टच मे था |और फोन रोमिंग होने के कारन सफर के दौरान भी उनका मेसेज “सिल्सिला “ जारी रेहेने वाला था | आखिर उनकी राजस्थान टूर निकल पडी |पेहेले चार पाच दिन सब मस्त चल रहा था ..मगर आखिरी दिनोमे उसका संपर्क अपर्णा से छुट गया |शायद उसके फोन का रोमिंग खत्म हुआ होगा |जैसे ही टूर खतम करके वो मुंबई वापस आ गया ,उसने अपर्णा से फोन पर बात करनेकी कोशिश की मगर फोन बंद था |दो दिन छुट्टी थी तो वो भी शायद उसकी मौसी के पास निकल गयी होगी ऐसे सुदीप ने सोच लिया | उसी दिन रातकी गाडी से मा बाबुजी और चाचा के साथ वो सांगली निकल पडा |जैसे ही सुबह वे लोग सांगली पहुच गये , |सुदीप ने एक बार ट्राय किया अपर्णा का फोन ,मगर अब भी नही लग रहा था | उसने सोचा चलो अब बँक मे मिलेंगे | मा ,बाबुजी, चाचा की सब नाश्ता ,भोजन की तय्यारी करते करते उसको बँक जाने के लिये दर हो गयी | शाम को अपर्णा के घर जाना भी तय था | जल्दी जल्दी मे वो बँक चला गया |बँक गया तो बहोत ही भीड थी |म्यानेजर से मिलने वो गया तो उनके साथ कुछ खास बात नही हो पायी | कौंटर पर देखा तो अपर्णा भी नही दिखी |कुछ किसीको पुछ्ने का समय नही था ,सब काम मे जुटे थे | चायके टाईम पर स्टाफ ने उसका टूर कैसा हुआ ये पुछां , मगर उसने एकदम अपर्णा के बारे मे पूछना उचित नही समझा | लंच के टाईम सब एक साथ बैठे | आज उसका डिब्बा नही था तो वो घर जाने के लिये निकला ,मगर सब ने बोला आज वो उनके डीब्बे मे खाये | उसने वही ठीक समझा |जैसे ही खाना खतम हुआ ,उसने अपर्णा के बारे मे पुछां ,और सुनकर उसके पैरो तले मानो जमीन खिसक गयी |लास्ट वीक बँक आते वक्त एक ट्रक ने उसे पीछेसे कुचल दिया था ,और वही पर उसकी मौत हुई थी येबहोत ही बडी दुर्घटना हुई थी ,मगर वो टूर पर था तो किसीने उसको ये बुरी खबर बताना उचित नही समझा था | सुदीप ये सुन कर “सुन्न “सा रह गया | अब उसके समझ आया …अपर्णा का फोन क्यो नही लग रहा था ... और उसके आई बाबा का भी फोन आनेवाला था सुदीप के माँ बाबुजी को सांगली आने का न्योता देने के लिये वो भी क्यो नही आया था |सबने अब उसे घर जाने की सलाह दि,क्योंकी ये ‘सदमा “ उसके लिये सहना बहोत ही मुश्कील था |सुदीप घर के लिये निकल पडा ,किसीने उसे घर पहुचानेकी तय्यारी दिखाई ,मगर वो अकेले ही चल पडा |रस्तेमे मनमे था ..क्या क्या सपने देखे थे और ये क्या हुआ ?क्यो थी ऐसी भगवान की मर्जी ?वो तो खुल कर रो भी नही पा रहा था |जैसे ही घर पहुचा सबको लगा अपर्णा के घर जाने के लिये ही वो जल्दी आया है |मा बोली इतनी जल्दी क्यो आया ?अभी तो सब तय्यारी अधुरी है |क्या बताता वो उन लोगोको ?..वो तो अब खुद ही “अधुरा “ रहा था ,अपर्णा के बीना ...

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