संधि MB (Official) द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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१. महातप नामक सन्यासी और एक चूहे की कहानी

गौतम महर्षि के तपोवन में महातपा नामक एक मुनि था। वहाँ उस मुनि ने कौऐ से लाये हुए एक चूहे के बच्चे को देखा। फिर स्वभाव से दयामय उस मुनि ने तृण के धान्य से उसको बड़ा किया। फिर बिलाव उस चूहे को खाने के लिए दौड़ा। उसे देख कर चूहा उस मुनि की गोद में चला गया। फिर मुनि ने कहा कि, हे चूहे, तू बिलाव हो जाए। फिर वह बिलाव कुत्ते को देखकर भागने लगा। फिर मुनि ने कहा -- तू कुत्ते से डरता है ? जा तू भी कुत्ता हो जा। बाद में वह कुत्ता बाघ से डरने लगा। फिर उस मुनि ने उस कुत्ते को बाघ बना दिया।

वह मुनि, उस बाघ को,"" यह तो चूहा है, यही समझता और देखता था। उस मुनि को और व्याघ्र को देखकर लोग कहा करते थे कि इस मुनि ने इस चूहे को बाघ बना दिया है। यह सुन कर बाघ सोचेन लगा -- जब तक यह मुनि जिंदा रहेगा, तब तक यह मेरा अपयश करने वाले स्वरुप की कहानी नहीं मिटेगी। यह विचार कर चूहा उस मुनि को मारने के लिए चला, फिर मुनि ने यह जान कर, फिर चूहा हो जा, यह कह कर उसे पुनः चूहा बना दिया।

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२. बूढ़े बगुले, केंकड़े और मछली की कहानी

मालव देश में पद्मगर्भ नामक एक सरोवर है। वहाँ एक बूढ़ा बगुला सामर्थ्यरहित सोच में डूबे हुए के समान अपना स्वरुप बनाये बैठा था। तब किसी कर्कट ने उसे देखा और पूछा-- यह क्या बात है ? तुम भूखे प्यासे यहाँ क्यों बैठे हो ? बगुला कहा -- मच्छ (मछली) मेरे जीवनमूल हैं। उन्हें धीवर आ कर मारेंगे यह बात मैंने नगर के पास सुनी है। इसलिए जीविका के न रहने से मेरा मरण ही आ पहुँचा, यह जान कर मैंने भोजन में भी अनादर कर रक्खा है। फिर मच्छों ने सोसा -- इस समय तो यह उपकार करने वाला ही दिखता है, इसलिए इसी से जो कुछ करना है सो पूछना चाहिये।

उपकर्त्राsरिणा संधिर्न मित्रेणापकारिणा।उपकारापकारौ हि लक्ष्यं लक्षणमेतयो:।

जैसा कहा है कि -- उपकारी शत्रु के साथ मेल करना चाहिये और अपकारी मित्र के साथ नहीं करना चाहिये, क्योंकि निश्चय करके उपकार और अपकार ही मित्र और शत्रु के लक्षण हैं।

मच्छ बोले-- हे बगुले, इसमें रक्षा का कौन सा उपाय है ? तब बगुला बोला-- दूसरे सरोवर का आश्रय लेना ही रक्षा का उपाय है। वहाँ मैं एक- एक करके तुम सबको पहुँचा देता हूँ। मच्छ बोले-- अच्छा, ले चला। बाद में यह बगुला उन मच्छों को एक एक करनके ले जाकर खाने लगा। इसके बाद कर्कट उससे बोला-- हे बगुले, मुझे भी वहाँ ले चल। फिर अपूर्व कर्कट के माँस का लोभी बगुले ने आदर से उसे भी वहाँ ले जा कर पटपड़ में धरा। कर्कट भी मच्छों की हड्डियों से बिछे हुए उस पड़ाव को देख कर चिंता करने लगा-- हाय मैं मन्दभागी मारा गया। जो कुछ हो, अब समय के अनुसार उचित काम कर्रूँगा। यह विचार कर कर्कट ने उसकी नाड़ काट डाली और बगुला मर गया।

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३. सुंद उपसुंद नामक दो दैत्यों की कहानी

बहुत पहले उदार सुन्द और उपसुंद नामक दो दैत्य थे। दोनों ने तीनों लोक की इच्छा से बहुत काल तक महादेव की तपस्या की। फिर उन दोनों पर भगवान ने प्रसन्न होकर यह कहा कि, ""वर माँगो।'' फिर हृदय में स्थित सरस्वती की प्रेरणा से प्रेरित होकर वे दोनों, माँगना तो कुछ और चाहते थे और कुछ का कुछ कह दिया कि जो आप हम दोनों पर प्रसन्न हैं, तो परमेश्वर अपनी प्रिया पार्वती जी को दे दें।

बाद में भगवान ने क्रोध से वरदान देने की आवश्यकता से उन विचारहीन मूखाç को पार्वती जी दे दी। तब उसके रुप और सुंदरता से लुभाये संसार के नाश करने वाले, मन में उत्कंठित, काम से अंधे तथा "यह मेरी है, मेरी है' ऐसा सोच कर आपस में झगड़ा करने वाले इन दोनों की, ""किसी निर्णय करने वाले पुरुष से पूछना चाहिए। ऐसी बुद्धि करने पर स्वयं ईश्वर बूढ़े ब्राह्मण के वेश में आ कर वहाँ उपस्थित हुए। बाद में हम दोनों ने अपने बल से इनको पाया है, हम दोनों में से यह किसकी है? दोनों ने ब्राह्मण से पूछा।

वर्णश्रेष्ठो द्विजः पूज्यः क्षत्रियो बलवानपि।धनधान्याधिको वैश्यः शूद्रस्तु द्विजसेवया।।

ब्राह्मण बोला-- वणाç में श्रेष्ठ होने से ब्राह्मण, बली होने से क्षत्रिय, अधिक धन- धान्य होने से वैश्य और इन तीनों वणाç की सेवा से शूद्र पूज्य होता है।इसलिए तुम दोनों क्षत्रिय धर्म पर चलने वाले होने से तुम दोनों का युद्ध ही नियम है। ऐसा कहते ही, ""यह इसने अच्छा कहा'' यह कह कर समान बल वाले वे दोनों एक ही समय आपस में लड़ कर मर गये।

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४. एक ब्राह्मण, बकरा और तीन ठगों की कहानी

गौतम के वन में किसी ब्राह्मण ने यज्ञ करना आरंभ किया था। और उसको यज्ञ के लिए दूसरे गाँव से बकरा मोल ले कर कंधे पर रख कर ले जाते हुए तीन ठगों ने देखा। फिर उन ठगों ने ""यह बकरा किसी उपाय से मिल जाए, तो बुद्धि की चालाकी बढ़ जाए'' यह सोच कर तीनों तीन वृक्षों के नीचे, एक एक कोस की दूरी पर बैठ गए। और उस ब्राह्मण के आने की बाट देखने लगे। वहाँ एक धूर्त ने जा कर उस ब्राह्मण से कहा-- हे ब्राह्मण, यह क्या बात है कि कुत्ता कंधे पर लिये जाते हो ? ब्राह्मण ने कहा -- यह कुत्ता नहीं है, यज्ञ का बकरा है। थोड़ी दूर जाने के बाद दूसरे धूर्त ने वैसा ही प्रश्न किया। यह सुन कर ब्राह्मण बकरे को धरती पर रखकर बार- बार देखने लगा फिर कंधे पर रख कर चला पड़ा

मतिर्दोलायते सत्यं सतामपि खलोक्तिभि:।ताभिर्विश्वासितश्चासौ म्रियते चित्रकर्णवत्।।

क्योंकि सज्जनों की भी बुद्धि दुष्टों के वचनों से सचमुच चलायमान हो जाती है, जैसे दुष्टों की बातों से विश्वास में आ कर यह ब्राह्मण ऊँट के समान मरता है।थोड़ी दूर चलने के बाद पुनः तीसरे धूर्त ने ब्राह्मण से वैसी ही बात कही। उसकी बात सुन कर ब्राह्मण की बुद्धि का ही भ्रम समझ कर बकरे को छोड़ कर ब्राह्मण नहा कर घर चलागया। उन धूताç ने उस बकरे को ले जा कर खा लिया।

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५. माधव ब्राह्मण, उसका बालक, नेवला और साँप की कहानी

उज्जयिनी नगरी में माधव नामक ब्राह्मण रहता था। उसकी ब्राह्मणी के एक बालक हुआ। वह उस बालक की रक्षा के लिये ब्राह्मण को बैठा कर नहाने के लिये गई। तब ब्राह्मण के लिए राजा का पावन श्राद्ध करने के लिए बुलावा आया। यह सुन कर ब्राह्मण ने जन्म के दरिद्री होने से सोचा कि "जो मैं शीघ्र न गया तो दूसरा कोई सुन कर श्राद्ध का आमंत्रण ग्रहण कर लेगा।

आदानस्त प्रदानस्त कर्तव्यस्य च कर्मणः।क्षिप्रमक्रियमाणस्य कालः पिबति तद्रसम्।।

शीघ्र न किये गये लेन- देन और करने के काम का रस समय पी लेता है।

परंतु बालक का यहाँ रक्षक नहीं है, इसलिये क्या कर्रूँ ? जो भी हो बहुत दिनों से पुत्र से भी अधिक पाले हुए इस नेवले को पुत्र की रक्षा के लिए रख कर जाता हूँ। ब्राह्मण वैसा करके चला गया, फिर वह नेवला बालक के पास आते हुए काले साँप को देखकर, उसे मार कोप से टुकड़े- टुकड़े करके खा गया। फिर वह नेवला ब्राह्मण को आता देख लहु से भरे हुए मुख औरपैर किये शीघ्र पास आ कर उसके चरणों पर लोट गया। फिर उस ब्राह्मण ने उसे वैसा देख कर सोचा कि इसने मेरे बालक को खा लिया है। ऐसा समझ कर नेवले को मार डाला। बाद में ब्राह्मण ने जब बालक के पास आ कर देखा तो बालक आनंद में है और सपं मरा हुआ पड़ा है। फिर उस उपकारी नेवले को देख कर मन में घबड़ा कर बड़ा दुखी हुआ।

कामः क्रोधस्तथा मोहो लोभो मानो मदस्तथा।षड्वर्गमुत्सृजेदेनमर्जिंस्मस्त्यक्ते सुखी नृपः।।

काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार तथा मद इन छः बातों को छोड़ देना चाहिये, और इसके त्याग से ही राजा सुखी होता है।

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