अकेली .. Vrishali Gotkhindikar द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अकेली ..

अकेली

पाच बज गये ऑफिस का टाईम खतम हुआ |

सुप्रिया ने अपनी पर्स थामी और ऑफिस के बाहर चल दि|

सहेलीयोके साथ चलते चलते वो अपना स्कूटर की चाबिया निकालकर ऑफिस से बाहर निकलने लगी |

“अरे सुप्रिया ठेहेर तो इतनी भी क्या जल्दी है ? मीना बोली..

“देखो न कितनी जल्दी घर जानेकी जैसे कोई इसकी राह देख रहा हो ..”अपर्णा ने भी बोल दिया |

सुप्रिया सहम सी गयी ..और वही पर ठेहेरी |

“मीना को देख कितनी लक्की है ..राजा रानी की जोडी है ..रानी के पहुचते राजा चाय बना देगा ..

अपर्णा मीना की तरफ देखकर बोली ..

“चुप बे अपर्णा तेरा राजा घरमे चाय नही बनाता मगर तुझे हॉटेल मे चाय पिलाने ले जाता है ये बता ना .”

मीना ने भी बोल दिया ..|

दोनो मिलके हसने लगी ,”मगर ये बाते हमारी सुप्रिया कैसे समझेगी जबतक किसीसे शादी नही करेगी

“ मीना ने फिरसे सुप्रिया कॉ टोका ..|

सुप्रिया ने झूठ मुठ की हसी चेहेरे पे ओढ ली और अपनी स्कूटर की तरफ चल दि|

तीन चार दिन बाद इसी तरह की बाते उसकी सहेलीया करती रहती थी |

और वो भी सब हसके टाल देती थी | उसकी शादिकी बातचीत सोसायटी और रीश्तेदारीमे भी चलती थी जिसका सामना करते करते वो थक जाती थी |

सुप्रिया और प्रिया दोनोके मम्मी पपा एक कार दुर्घटना मे पाच बरस पेहेले गुजर गये थे |

तब प्रिया फर्स्ट इयर इंजीनियारिंग कर रही थी और सुप्रिया एक प्रायवेट कंपनी मे काम कर रही थी |उन दोनो के लिये ममी पापा की अचानक मौत ये एक बडा आघात था |

वैसे पैसो की कुच्छ कमी नही थी, बडा घर था. पापाने बहोत सारे पैसे इंवेस्ट करके रखे थे इसलिये किसीके उपकार की जरुरत नही पडी थी | फिर पापा की ऑफिस मे सुप्रिया को जॉब भी ऑफर हुआ |पेहेले पेहेले रीश्तेदार पडोसी पुछताछ करते थे | बादमे सब अपने अपने काम मे जूट गये |

तीन बरस बाद प्रिया भी जॉब मिलने के कारण पुनां के हॉस्टेल मे रेहेने लगी |

और यहा सुप्रिया अकेली बडे घरमे रहकर नौकरी और घर सम्भालती रही | बहोत अकेली हो गयी थी वो |

वैसे हर दो हफ्ते बाद प्रिया घर आती थी मगर बाकी दिन तो सुप्रिया अकेली हि थी |

ऑफिस छुटने के बाद खाली समय उसे जैसे खाने कॉ दौडता था |

उसकी “ उमर” भी अब शादी की हो गयी थी मगर कौन देखेगा उसके लिये दुल्हा ?

खुद मुह उठाकर तो किसीको नही बोल सकती थी वो ...अपनीही शादी के बारे मे |

दिन ऐसेही गुजर रहे थे और अचानक प्रिया को जर्मनी काम के वास्ते जाना पडा |

चार महिने वो वही रहनेवाली थी, अब तो सुप्रिया और भी दुखी हो गयी | प्रिया समझा रही उसको,

“दिदि चार महिने यु निकल जायेंगे और मै स्काईप पर रोज तुम्हारे “टच “मे रहूंगी ना | मेरा भी कहां मन कर रहा है तुम्हे छोडने को ? मगर नौकरी है तो जाना पडेगा न ...|

क्या करे सुप्रिया तो बेबस थी | अब चार महिने और अकेले निकालने होगे |

मगर उसे क्या पता था उसके भी दिन अभी पलटने वाले है ..|

एक दिन एक सुबह एक नया अफसर ऑफिस मे ट्रान्स्फर होकर आ गया |

पेहेले दिन तो उसका सबके साथ परिचय मे चला गया |सुप्रिया का भी परिचय हो गया |

नवनीत नाम था उसका, नागपूर से आया था वो|

सुप्रिया को वो बहोत ही फेअर लुकिंग लगा | बिलकुल “हिरो “ की तरह ..|

परिचय के लिये उसने सुप्रिया के आगे अपना हाथ बढाया और हसकर हलके से दबा भी दिया |

नवनीत के आनेसे सुप्रिया का ऑफिस का इंटरेस्ट बढने लगा |

अब वो सजने सवरनेमे ज्यादा दिलचस्पी लेने लगी | वैसे भी वो दिखने मे सुंदर थी ही|

अब तो वो रूप और निखरने लगा |

धीरे धीरे नवनीत और सुप्रिया की दोस्ती “रंग “लाने लगी |

ऑफिस के बाहर भी अब वो मिलने लगे | कभी कभी छुट्टीयोमे मूवी, हॉटेलिंग होने लगा |

नवनीत को भी सुप्रिया पसंद आने लगी |एक दुसरे के खयालात भी मिलने लगे |

कई बार नवनीत सुप्रिया की खुबसुरती की “तारीफ “भी करने लगा |

कभी कभी सुप्रिया उसे घर पर खाने को बुलाने लगी |

वो बहोत अच्छा खाना बनाती थी ,नवनीत तो उसकी बनाये खाने पर बहोत खुश था |

एक दो बार उसने अपनी मम्मी के साथ भी सुप्रिया की बात करवाई थी और सुप्रिया के खाना बनाने की “हुनर “की प्रशंसा भी की |

पहली बार वो जब एक महिने बाद छुट्टी लेकर नागपूर जाने लगा तो सुप्रियाने रो रो कर बुरा हाल कर दिया | फिर नवनीत बोला,’अरे रो क्यो रही मै वापीस आनेवाल हु ना और तुम्हे भी कभी न कभी आना है नागपूर | नागपूर जानेके बाद उसने एक दिन विडीओ कोल पर भी उसके ममी पापा से सुप्रिया की बात करवा दि |

अब सुप्रिया को यकीन आ गया की एक दिन नवनीत उसको शादी के बारे मे जरूर पुछेगा |

अब जिंदगी बहोत ही रंगीन हो गयी उसकी |उसे मेहेसुस होने लगा उसका “अकेला” पन अब दूर हो जायेगा |

प्रिया के वापस आने के दिन भी अब करीब आने लगे | अभी तो उसने प्रिया को नवनीत के बारेमे या अपनी नयी रंगीन जिंदगी के बारे मे नही बताया था |उसने सोचा अब आमने सामने ही मिला देते है दोनोको | उसकी जिंदगी मे अब फिरसे बहार आनेवाली थी |

एक दिन उसने नवनीत को बताया कल प्रिया वापस आ रही है तो क्यो न वो भी रात को खाने पर घर आ जाये ,इससे उनकी पेहेचान भी होगी |

प्रिया की वापसी की ख़ुशी मे सुप्रिया ने ऑफिस से छुटी ले ली |

सुबह प्रिया घर आयी तो दोनो बेहेने गले मिलकर पेहेले बहोत रोयी | परदेस से आनेके बाद प्रिया और भी निखर गयी थी | सुप्रिया को लगा कितनी सुंदर दिख रही है प्रिया ..! confidence तो मानो उसके चेहेरे पर “झलक” रहा था | और प्रिया भी बोली दिदि तुम भी बहोत क्युट लग रही हो आजकल !!

बादमे खाना खाने के बाद इधर उधर की गपशप ..दिन कैसे निकल गया पता नही चला |बहोत खुश थी सुप्रिया, प्रिया ने उसके लिये एक बहोत सुंदर चुडीदार लाया था ..गुलाबी वाला | सुप्रिया मनमे सोचने लगी कितना खुश होगा नवनीत ये ड्रेस सुप्रिया को पेहेना हुआ देखकर !

शामको एकदम टेस्टी खाना बनाया सुप्रिया ने नवनीत के पसंद का ,और दोनो नवनीत का इंतजार करने लगी | सात बजे नवनीत आया, दोनो बेहेने सामने आयी | सुप्रिया तो सुंदर दिख हि रही थी,

मगर प्रिया को देखकर नवनीत एकदम हैरान रह गया | सुप्रिया से भी दस गुना खुबसुरत थी प्रिया और एकदम नये जमाने की लडकी, कपडे तो बहोत ही नये फ्याशन के | उसे लगा “वाव”क्या लडकी है !!

खाना खाते खाते गपशप भी होने लगी | सुप्रिया को लगा नवनीत उसकी ड्रेस की या खाने की तारीफ करेगा लेकीन शायद वो भूल गया था |,मगर उसको खाना पसंद आया था ये जान गयी थी |

प्रिया और नवनीत की बाते ग्यारह बजे तो भी खतम नही हो रही थी |पहली बार मिले थे ना ....एक दुसरे के फोन नंबर भी शेअर हो गये |

बादमे दो तीन दिन छुट्टी थी और प्रिया भी अगले हप्ते के बाद ऑफिस मे जॉईन होने वाली थी |

तो अबके तीन दिन जमके एन्जोय करेंगे ऐसा सोचकर आखिर नवनीत गुड नाईट बोलकर चला गया |

दुसरे दिन सुबह ही प्रियाने ये ऐलान कर दिया की वो सिर्फ दिदि के हातका खाना खायेगी क्योकी जर्मनी मे “ बिना टेस्ट” वाला खाना खा कर वो उब चुकी है | सुप्रिया को अच्छां लगा ,उसे खाना बनाने मे बहोत मजा आता था, उसपर प्रिया बहोत दिनो के बाद घर आई थी |

सुबह छोले पुरी और मुंग हलवा बनाया था सुप्रिया ने, प्रिया एकदम खुश हुवी | उन्गलीया चाटते उसने सब खतम किया |बादमे नवनीत आ गया | सुप्रिया ने उसे भी नाश्ता दिया | वो भी खाकर खुश हुआ मगर उसने आज सुप्रिया की तारीफ नही की | उसका नाश्ता खतम हुआ तबतक प्रिया अंदर से तय्यार होके आ गयी |बहोत हसीन लग रही थी वो ...|

“दीदी हम जरा शोप्पिंग करके आते है ..नवनीत को कुछ “खास “खरीदना है |

“ठेहेरो मै भी तय्यार हो रही हु ..” नही दिदि तुम्हे तय्यार होने मे देर लगेगी हम ही जाके जल्दी आते है,

और भुलो मत खानेमे जो बनाना है आज मेरे लिये ..|

सुप्रिया को कुछ बुरा नही लगा, वो फिर से काम मे जूट गयी |

प्रिया और नवनीत उसकी बाईक पर चले गये |

ऐसे ही चार दिन यु बित गये पताही नही चला ... |

उन दिनोमे नवनीत के साथ अकेलेमे बात करनेका मौका ही नही मिला उसको |

कभी फ्रेंड से मिलने, कभी काम के सिस्ल्सिले मे तो कभी शोप्पिंग करने नवनीत और प्रिया साथ घुमते रहेऔर सुप्रिया तो ज्यादा से ज्यादा रसोई मे बीजी रही|

कल प्रिया वापस जाने वाली थी | रातको नवनीत के जाने के बाद दोनो बेहेने गपशप करने लगी |

सुप्रिया ने तय किया था आज वो प्रिया को नवनीत और उसके बारे मे बता देगी |

“ प्रिया तुझसे एक बहोत ही अच्छी बात शेअर करनी है मुझे “

“ हा दीदी मै भी आज तुम्हे कुछ बताने वाली हु और दिखाने वाली भी हु “

“पेहेले तुम बताओ ..सुप्रिया बोली ..नही दीदी पेहेले तुम ..प्रिया बोली ..

बडोका कहना नही टालते ..पेहेले तुम बताओ “..

ठीक है दिदि प्रिया बोली ..उसने अपनी पर्स से एक डीबिया बाहर निकाली |

उसमे एक बडी मेहेंगी और सुंदर अंगुठी थी |

“वाह कितनी मस्त है “..सुप्रिया के मुह से निकाल गया |

हा दीदी ये मुझे नवनीत ने दि है और मुझे शादी के लिये प्रपोज भी किया है |

सुनते ही सुप्रिया के सर पर मानो “बिजली “गिर गयी ...वो चुप हो गयी |

लेकीन प्रिया का उसकी चुप्पी की तरफ बिकुल ध्यान नही गया ..|

वो अपने आपमे मगन थी..…

“पता है दीदी नवनीत को मुझसे पेहेली नजर मे “प्यार “ हो गयां है ,,|

और ऐसी ही हालत मेरी भी हुई है | उसने अपने घर वालो को मेरे बारेमे बताया है, शायद अगले हप्ते वो लोग सगाई के लिये यहा आयेंगे | दीदी कहां करेंगे हम ये फंक्शन ?

“‘वाह कितनी अच्छी खबर है | हम ये फंक्शन बडी धूम धाम से करेंगे “सुप्रिया बोली

“चलो अब सो जायेंगे, कल सुबह तुम्हे जल्दी जाना है ना ? ऐसे बोलकर सुप्रिया ने लाईट बंद कर दि|

सोते हुवे सुप्रिया के गले मे हाथ डाल कर प्रिया बोली “दीदी आज मै बहोत खुश हु “..

“मै भी खुश हु मेरी लाडो अब सो जा ..|

उसके बालोमे हाथ फेरते हुवे सुप्रिया बोली.

उसकी आखोके आसू से तकिया गिला हो रहा था |

आखिर वो समझ गयी उसे तो “अकेली “ही रहना है जैसे पेहेले से रही है |

***