लाईक, कॉमेंट और शेयर - National Story Competition-Jan Rajesh Kumar Srivastav द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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लाईक, कॉमेंट और शेयर - National Story Competition-Jan

लाईक, कॉमेंट और शेयर

राजेश कुमार श्रीवास्तव

सुबह के साढ़े छह बजते ही मेरे स्मार्ट फोन का अलार्म बजने लगा और मेरी नींद टूट गई | सूरज का मंद प्रकाश खिड़कियों से आकर घर को उजाले से भर चुका था | सबसे पहले मैंने अपने बेड के पास ही लगे नाईट लैंप के स्विच को ऑफ किया | फिर सिराहने रखे बोतल से आधा बोतल पानी गटकने के बाद बेड से निचे उतारा और बाथरूम की ओर बढ़ा | सुबह साढ़े सात बजे मुझे ऑफिस के लिए निकलना पड़ता है इसलिए मै साढ़े छह बजे का अलार्म सेट करके बेड पर ही रख देता हूँ | मुझे फ्रेश होने के लिए टॉयलेट में पंद्रह से बीस मिनट तक बैठे रहने की आदत सी बन गई है | मेरे व्यस्ततम जीवन में इस १५ -२० मिनट का बेकार नष्ट हो जाना तब तक अखरता था जब तक मेरे पास स्मार्ट फोन नहीं था | कइयों ने मुझे टॉयलेट में न्यूजपेपर पढ़ने की सलाह दी लेकिन मुझे पेपर लेकर टॉयलेट में बैठने में घिन महशुस होता था | लेकिन जब से स्मार्ट फोन लिया हूँ मेरे इस बेकार नष्ट हो रहे समय का सदुपयोग होने लगा है | मै टॉयलेट में अपने साथ मोबाइल फोन को भी ले जाता हूँ और इस पंद्रह बीस मिनटों में फेशबुक, व्हाट्सऐप , ट्विटर मेलबॉक्स सब चेक कर लेता हूँ | "न्यूज़हंट" पर मुख्य समाचारों को भी दृष्टिपात कर लेता हूँ | मोबाइल फोन हाथ में देखते ही श्रीमती जी की जो खीच-खीच सुनना पड़ता था उससे भी मुक्ति मिल गई है | अब तो २० मिनट की जगह आधे घंटे भी कुमोट पर बैठा रहूँ तो भी नहीं अखरता | मेरे लिए तो मेरा स्मार्ट फोन अब समय बर्बाद करने का नहीं समय का सदुपयोग करने का साधन बन गया है |

आज भी जब मै टॉयलेट में प्रवेश किया तो मेरा मोबाइल फोन मेरे साथ ही था | कुमोट पर बैठते ही रोजाना की तरह की तरह सबसे पहले फेसबुक खोला | १० नोटिफिकेशन थे | इसमें से दो मेरे काम के थे | मेरे पिछली पोस्ट पर एक लाइक और एक कॉमेंट था | कॉमेंट को मैंने लाइक किया और आगे बढ़ा | मित्रों के कुछ पोस्ट थे अधिकांस सुन्दर-सुन्दर तस्बीरों के साथ सुप्रभात , गुड मॉर्निंग जैसे सन्देश ही थे | मै सबको लाइक करते हुए आगे बढ़ रहा था | कुछ सुन्दर महिलाओं और नजदीकी मित्रों को कॉमेंट में मै भी सुप्रभात और गुड मॉर्निंग लिख रहा था | स्क्रॉल करते करते अचानक मेरी नज़र एक पोस्ट पर पड़ी, लिखा था "कृपया इस पोस्ट को इग्नोर मत करना | " मेरी उत्सुकता बढ़ी मैंने कंटिन्यू किया | आगे लिखा था | "इस पोस्ट को लाइक करके कॉमेंट में जय माता दी लिखकर ज्यादा से ज्यादा लोगों में शेयर करें आज आपको कोई अच्छा न्यूज मिलेगा | इग्नोर करने वालों को अनहोनी का सामना करना पड़ सकता है | " निचे बैष्णव देवी का फोटो था | मैंने तुरंत स्क्रॉल करके उस फोटो को स्क्रीन से हटाया और आगे बढ़ गया | मैं धार्मिक प्रवृर्ति का हूँ लेकिन धर्म भीरु नहीं हूँ | मैंने ना तो उस पोस्ट को लाइक किया ना ही कॉमेंट में कुछ लिखा या इसे शेयर किया | फ्रेश होने के बाद ब्रश किया और बाथरूम से बाहर निकला | निकलकर, फोन को चार्ज करने के लिए उसे चार्जर के साथ कनेक्ट किया | फिर ना जाने क्यों मुझे उस पोस्ट को फिर से देखने की इच्छा जागृत हुई | मैंने फेसबुक खोलकर उस पोस्ट को फिर से एकबार देखा | इसे २ घंटे पहले ही मेरे एक फेसबुक मित्र के द्वारा पोस्ट किया गया था | और अब तक इसे ४० लाइक और ३७ कॉमेंट मिल चुके थे | इसे २० लोगों ने शेयर भी कर दिया था | इतनी जल्दी इतने लाइक, कॉमेंट और शेयर तो मेरे किसी भी पोस्ट को नहीं मिले थे | मैंने माता वैष्णवी को मन ही मन प्रणाम किया और उस पोस्ट पर बिना कोई प्रतिक्रिया दिए फोन को चार्ज होने के लिए रख दिया | स्नान करने के पश्चात नित्य की भाँति घर के ही मंदिर में पूजा- अर्चना करने लगा | धूपकाठी जलाकर जब माता दुर्गा को दिखा रहा तो अचानक उस पोस्ट में लिखे शब्द मेरी आँखों के सामने नाचने लगे | " इस पोस्ट को लाइक करके कॉमेंट में जय माता दी लिखकर ज्यादा से ज्यादा लोगों में शेयर करें आज आपको कोई अच्छा न्यूज मिलेगा | " हालांकि मुझे कई दिनों से कुछ अच्छा न्यूज पाने का इंतज़ार था फिर भी मैंने इसे बकवास समझ कर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई | लेकिन जैसे ही मुझे बाद का लाइन याद पड़ा जिसमे लिखा गया था " इग्नोर करने वालों को अनहोनी का सामना करना पड़ सकता है | " ने मुझे परेशान कर दिया | अनहोनी की कल्पना ने मुझ जैसे मजबूत ह्रदय वालों को भी कमजोर बना दिया | जल्दी- जल्दी पूजा समाप्त करके ऑफिस जाने के लिए तैयार होने लगा लेकिन पोस्ट के अंतिम कुछ शब्द मुझे अब तक परेशान कर रहे थे | कभी सोचता यह पब्लिसिटी स्टंट है | मुझे झांसे में नहीं आना चाहिए | फिर अनहोनी की संभावना भी मुझे उस पोस्ट को लाइक, कॉमेंट और शेयर के लिए उकसाने लगती | बड़ी अजीबोगरीब स्थिति मेरे सामने उत्पन्न हो गई थी |

खाने के टेबल पर नाश्ता लगाकर श्रीमती जी मेरा इंतजार कर रही थी | नाश्ता के लिए टेबल पर बैठकर भी मै उसी उहा-पोह में पड़ा था की मुझे इसे अन्धविश्वास मानकर इग्नोर कर देना चाहिए या फिर पोस्ट में कही गई बात को सच मानकर विश्वास कर लेना चाहिए | कहते है की अपनो के साथ परेशानियों को बांटने पर परेशानिया काम होती है | और उस खाने के टेबल पर मेरी सबसे करीबी साथी मेरी स्त्री मेरे साथ ही बैठी थी | मैंने नाश्ता करते करते इस पोस्ट की घटना को श्रीमती जी को सुनाया | उसने कहा तो कर दो ना | कर देने में क्या जाता है |

मैंने कहा-" मुझे प्रतिक्रिया देने से कोई आपत्ति नहीं है | लेकिन इससे मेरी धर्म के प्रति कमजोरी प्रदर्शित होगी | धर्म के प्रति ऐसी ही कमजोरी का कुछ लोग फ़ायदा उठाकर ठगी करते है और धर्म बदनाम होता है | " अपने श्रीमती जी परेशानी शेयर करने के बाद में स्वयं को कुछ हल्का महसूस कर रहा था | इसलिए

मैंने पोस्ट पर कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देने का दृढ निश्चय कर लिया | मैंने अपने स्कूल के किताब में पढ़ा था की " दृढ संकल्प से दुबिधा की बढ़िया काट जाती है | " मेरी भी दुबिधा की बेड़ियाँ कट चुकी थी |

लेकिन औरते स्वभाव से ही धर्म के प्रति काफी भीरु होती है | श्रीमती जी भी जिद पर उतारू हो गई | कहने लगी " मेरी बात मानो जैसा लिखा है वैसा कर दो | नहीं करने से यदि कुछ अनहोनी हो गई तो बाद में पछताना पडेगा | ऐसे भी अपने दिन-काल कुछ अच्छे नहीं चल रहे | तुम्हे बात मान लेने से यदि कुछ अच्छा हो गया तो क्या खराबी है | "

मैंने उसे समझाना चाहा -" ऐसा कुछ नहीं होता | लोग अपनी पोस्ट को प्रचार दिलवाने के लिए ऐसा करते है | "

श्रीमती जी भी जिद पर अड़ गई और कहने लगी " यदि तुम नहीं करते तो दो मैं कर देती हूँ | " इतना कहते -कहते वह मेरे हाथ से फोन लेने के लिए अपना हाथ बढाई | अब जाकर मुझे झुकना ही पड़ा | मैंने पहले उस पोस्ट को शेयर किया फिर अपने शेयर किये पोस्ट को लाईक और कॉमेंट में लिख दिया -"कृपया ऐसे पोस्ट सेयर करके लोगों के धार्मिक भावनाओं का खिल्ली ना उड़ाया जाय | "

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