बारिश वाला पास्ता Sangeeta Gandhi द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बारिश वाला पास्ता

बारिश वाला पास्ता ।

शिप्रा जल्दी जल्दी दफ्तर से बाहर निकली ।

“उफ्फ ,ये मुम्बई की बारिश । ”

बड़बड़ाते हुए हुए उसने स्कूटी स्टार्ट की । सिंगल मदर शिप्रा रोज़ 7 बजे तक घर पहुँच जाती थी । जब बेटी स्माइली 5 साल की थी तभी पति से तलाक हो गया था । आज बेटी 11 साल की है । स्कूल से 3 बजे आती है । मेड खाना खिला कर उसे ट्यूशन पर भेज देती है । उसके बाद डांस क्लास जाती है । ट्यूशन व डांस क्लास साथ वाली बिल्डिंग में ही है तो शिप्रा लौटते हुए स्माइली को वहाँ से पिकअप कर लेती है ।

मेड तो स्माइली को ट्यूशन पर भेज घर चली जाती है ।

बारिश ने सड़कें जाम कर रखीं थीं । शिप्रा भी स्कूटी लेकर जाम में फंसी थी । -

-” कहीं से थोड़ी जगह मिले तो निकलूं !”

इसी उधेड़बुन में समय निकल रहा था । शिप्रा ने समय देखा 6 बज चुके थे ।

“ क्या करूँ ,अभी एक घण्टे में स्माइली की डांस क्लास खत्म हो जाएगी । मैं तब तक पहुँच नहीं पाऊंगी !”

इसी टेंशन के मारे शिप्रा ने जाम से निकलने की कोशिश की ।

“ अरे मैडम ,कहाँ स्कूटी घुसा रही हैं ?जगह है क्या ?”

आगे की गाड़ी वाले ने आँखें तरेरते हुए कहा ।

शिप्रा ने ज़रा सी जगह से स्कूटी निकालने की कोशिश की तो आगे खड़ी गाड़ी से रगड़ खाते हुए स्कूटी ओर ज्यादा फँस गयी ।

“ डांस टीचर को फोन करती हूँ । कुछ देर स्माइली को अपने पास रोक ले । ”

यह सोचकर शिप्रा ने फोन निकालने के लिए बैग खोला ।

“ पाखी ,सुनो बारिश के कारण जाम में फंसी हूँ । थोड़ी देर हो जाएगी । स्माइली को कुछ देर अपने पास रोक लेना प्लीज़ । इट्स अ रिक्वेस्ट । ”

शिप्रा ने डांस टीचर को फोन किया।

“शिप्रा ,आज तो डांस क्लास हुई ही नहीं । बारिश के कारण कैंसिल कर दी । मैंने तुम्हारी मेड को मैसेज दे दिया था । शायद ट्यूशन भी कैंसिल हो गयी । मेड बता रही थी ।

स्माइली घर पर ही है । मेड उसे खाना खिलाकर चली गयी । ”

डांस टीचर के जवाब से शिप्रा की टेंशन ओर बढ़ गयी ।

“ओह ! ठीक है ,मैं जल्दी पहुँचने की कोशिश करती हूँ । ”

जाम में रेंगते रेंगते शिप्रा की स्कूटी बढ़ रही थी । कई ख़्याल उसके मन -मस्तिष्क को झिंझोड़ रहे थे । “ज़माना कितना खराब है ! बेटी अकेली है । कोई घर में घुस गया तो ?अपने फ्लोर पर एक फ्लैट तो खाली है । एक ओर फ्लैट वाले विदेश में हैं । बिल्डिंग के वॉचमैन को फोन करूँ ?”

शिप्रा ने वॉचमैन को फोन लगाया फिर काट दिया । मन ने आवाज़ दी --” नहीं नहीं, उसका क्या भरोसा ! है तो भला पर कब नीयत बदल जाये !

अकेली बच्ची के साथ कुछ कर दिया तो ….?”

शिप्रा इन्हीं चिंताओं में घिरी स्कूटी धीरे धीरे आगे बढ़ा रही थी । सारे रिश्तेदार भी मुंबई से बाहर रहते थे । यहाँ वो ओर उसकी बेटी अकेले थे । क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया के सारे बच्चों के साथ क्राइम वाले एपिसोड शिप्रा की आंखों के आगे घूमने लगे ।

उसने बेटी को फोन करना चाहा । अचानक स्कूटी को धक्का लगा । फोन सड़क पर भरे पानी के अंदर !शिप्रा के आँसू छलक उठे ।

“ अब क्या करूँ !बेटी को भूख लगी होगी । फ्रिज में फल भी न पड़े । क्या खायेगी ?”

नास्तिक शिप्रा ने सारे देवी -देवताओं की मणौतियाँ मना डालीं ।

रात करीब दस बजे शिप्रा घर पहुँची । डोर बेल बजायी । स्माइली ने दरवाज़ा खोला ---

मम्मी का एप्रिन डाले स्माइली खड़ी थी । एप्रिन उसके पैरों से बाहर जा रहा था । शिप्रा ने तुरंत स्माइली को गोद में उठा कर बहुत प्यार किया ।

“ आज बहुत देर हो गयी । ”

“मम्मी ,मैं समझ गयी थी । बारिश के कारण आपको देर हो गयी । आपका फोन नहीं लग रहा था । ”

“ अच्छा मम्मी, जल्दी जल्दी किचन में आओ । देखो, मैंने आपके लिए क्या बनाया है ?”

स्माइली, शिप्रा को किचन में ले गयी । किचन में सारे बर्तन उलट पुलट थे । ऐसा लग रहा था जैसे कोई तूफान आया हो ।

“ यहाँ बैठो । ”

स्माइली ने शिप्रा को किचन में पड़ी चेयर पर बिठाया ।

कैसरोल खोला --” मम्मी, ये खाओ, मैनें बनाया है । ”

शिप्रा अवाक सी देख रही थी । उसकी स्माइली कितनी सहज थी । उसने परिस्थिति को कितनी सहजता से लिया । कुछ बना भी लिया ।

“ क्या सोच रही हो ! खाओ न । ”

स्माइली ने चम्मच भर कर मम्मी के मुँह में डाला । पास्ता कच्चा था ।

“ कैसा बना है ?जैसा आप बनाते हो वैसा नहीं बना न ?”

स्माइली ने उत्सुकता से पूछा ।

“ ये दुनिया का सबसे टेस्टी पास्ता है । इसमें जो स्वाद है वो तो मैं भी कभी न ला पाती। ”

शिप्रा ने स्माइली की गले लगाकर कहा ।

***