सफलता की चाबी Nirav Donda द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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सफलता की चाबी

The Key Of Success (सफलता की चाबी )

Success ये शब्द सुनते ही लोगो के मन में और तन में नइ उर्जा एव शक्ति का संचार होता हे| success का हिंदी मतलब होता हे सफलता और सफलता कोई ऐसी चीज़ नहीं कि जिसे हम बाज़ार में कोई पैसे देकर खरीदा जा सके |

Success पाने के लिए कोई shortcut नहीं होती | सफलता मिलती हे तो कड़ी महेनत और लगन से| आज कल के लोग सफलता के लिए shortcut का इस्तेमाल करते है, जिससे उसे सिर्फ और सिर्फ ठोकर ही मिलती हे| अगर हम success को पाना चाहे तो उसके दो रास्ते हे | जिस पर चलके हम 100 % guarantee सफलता प्राप्त कर सकते हे|

जिनमे से पहला रास्ता हे successful इन्सान के बताये हुए या फिर जिसपे चलकर वोह सफल हुए हे उस मार्ग पर चलकर हम सफल हो सकते हे|

और दोस्तों दूसरा रास्ता यह हे की हम असफ़ल हुए लोगो की गलती को समज कर उससे कुछ सीखे, जिससे हम आगे जाकर इसी कोई गलती ना करे | दोस्तों कई लोगो ने इनमे से पहला रास्ता चुना हे तो कइयो न दूसरा लेकिन ये दोनों रास्तो का एक समान महत्व हे| क्योकि इनमे से कोई एक अगर हम निकाल दे तो हमारी success अधूरी सी होगी| इस लिए आज में आप के सामने कुछ ऐसे example पेश करूँगा जिसको पढ़ कर आप को सफल इन्सान की रह और गलतीयो के बारे में पता चलेगा|

  • जेसे हमने सुना हे की सफलता की कोई उम्र नहीं होती वेसे ही एक 9 साल की लड़की ने यह बात को सच कर दिया हे और बन चुकी हे Youngest ceo in the world . हा दोस्तों आपने सही पढ़ा हे की एक 9 साल की बेटी सबसे कम उम्र की ceo बन चुकी हे | हम बात कर रहे हे केरल के कोझिकोडे जिले में रहनेवाली 9 साल की बच्ची श्रीलक्ष्मी सुरेश के बारे में| इस लड़की ने केरलबारकाउंसिल.कोम नामक कानून के बारेमे एक वेबसाइट की डिजाईन की हे और यह वेबसाइट की डिजाईन करने वाली कंपनी इ – डिझाइन कम्पनी की वो सीईओ भी है| इससे पहले इस लड़की ने और 10 वेबसाइट का भी निर्माण किया हे |
  • इस कहानी से पता चलता हे की अगर मन में कुछ करने की धगश हो और महेनत करने में अगर थाक ना लगे तो कोई कुछ भी असफल काम को सफल करने में देर नहीं लगती|

    “श्रीलक्ष्मी सुरेश”

  • अगर कोई इन्सान में कुछ करने की चाहत हो तो उसे समाज कोई बेडिया बांध के नहीं रख सकती हे | उसी तरह दलित समाज में जन्मी हुई इस लड़की की शादी 12 साल की उम्र में ही उससे 2 साल छोटे लड़के के साथ की गए| शादी के बाद वोह लोग mumbai की झोपडपट्टी में रहने आ गए लेकिन वहा उसके ससुराल वाले उसे मारते थे जब ये बात लड़की के पिता को मालूम हुई तो वोह उसे अपने साथ अपने गाव वापस ले आये | लेकिन लोगोने उसे पतिने छोड़ी हुई कह कर समाज से अपमानित किया ये सब वोह सह न सकी और poison खाकर अपनी जन देने की कोशिश की लेकिन खुशकिस्मती से उसकी जन बाख गई | अब उसका मनोबल प्रबल हो गया था उसने कुछ नई शरुआत करने का फैसला किया और उसने आगे पढने का प्रयास किया लेकिन फिरसे उसे असफलता ही मिली |
  • उसने mumbai जाकर नौकरी ढूंढने का प्रयास किया पर फिर उसे असफलता मिली |

    लेकिन अभ्भी हर मानने के बजाय उसने अपनी माँ से सिलाय का कम सिख लिया| शरुआत के दिनों में वोह 16 – 16 घंटे कम करती थी | बादमे सिलाय मशीन के बारेमे जानकारी पाकर उसने लघुमति को मिलने वाली सहाय से 50,000 की लोन लेकर उसने अपना एक ब्यूटीक चालू किया |

    थोड़े ही सालो में उसे बहुत ही ज्यादा मुनाफा होन लगा था और उसने जोखिम उठाया और डूबन वाली “कमानी ट्यूब्स” कंपनी को 2.5 करोड़ में खरीद लिया| देख ते ही देखते उस कंपनी ने इतना मुनाफा किया की आज ये कंपनी 100 मिलियन डॉलर्स के किम्मत की कंपनी बन चुकी हे और आज इस कंपनी से कई घरो में चुला जगता हे | इस डेरिंग महिला का नाम हे “कल्पना सरोज”.

    सन 2013 में उद्योग जगत में उत्कृष्ट कामगिरी के ली ये उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सन्मानित किया गया था |

    “कल्पना सरोज”

    इस कहानी से पता चलता हे की अगर हम जीवन में आने वाली छोटी या बड़ी मुश्केलीयो से दर कर या भीर घब्हरा कर बेठे रहे तो सफलता आपोआप पीछेहठ कारने लगेगी |

    दोस्तों, एक बात जरूर याद रखे की,

    असली सफल व्यक्ति वह नहीं है जो केवल अपनी गलतियों से सीखे बल्कि वह है जो दूसरों की गलतियों से भी सीख लेता है।“

    आशा करता हु की आप्सो मेरी ये पोस्ट अच्छी लगी होगी | ऐसी ही बहुत साडी पोस्ट पढ़े मेरे ब्लॉग पे| तब तक के लिए जय हिन्द, जय सरदार |