कृपया एक पल रुककर इसे पढ़े- यह एक अनाड़ी और अंतर्मुखी लड़की की कहानी है जिसे अगवा कर 'स्वयंवधू' नामक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया। यह उसके लिए अमीर लोगों की मूर्खतापूर्ण आकर्षण के अलावा कुछ नहीं था और उसने अपने परिवार कि सुरक्षा को अपनी प्राथमिकता बना लिया, जो उसके छह फुट से अधिक लंबे बहु-करोड़पति अपहरणकर्ता के हाथों में थी। उसकी शुरुआत तो ठीक थी लेकिन कहते है ना जब ज़िंदगी बहुत आसानी से चलता है तभी ज़ोरदार तमाचा पड़ता है। माफिया के अप्रत्यक्ष शिकार से प्रत्यक्ष शिकार का सफर और पतन का कारण।

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स्वयंवधू - 1

मैंने सुना था कि ज़िंदगी सभी को मौका देती है, यहाँ तक कि उसे भी जो इसके लायक नहीं मैंने सोचा कि मेरे पास भी एक मौका है, लेकिन यह मेरा भ्रम था, वो आज मिटने वाला था... कितना लंबा लाइन है। आधे घंटे से यहाँ खड़े हैं, और कितना वक्त लगेगा?! , मैं शिकायत करते हुए लाइन में खड़ी थी, चुप-चाप खड़े रहो मैं भी तो यह खड़ा हुआ हूँ! , भाई मुझे डांट रहा था, तुम्हें तो आदत है, ना...भाई , उसके ऊपर टेकी लेने की कोशिश कर रही थी, पीछे हटो गधी! मुझे तुम्हारी एक शिकायत नहीं सुननी। तुम्हारे ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 2

"...फिर से कहना?", मुझे एक पल के लिए अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ,"अभी नहीं!", वह इतना शांत था कि वह इस जगह का मालिक हो।(त-तुम! मैं जानती थी! मैं जानती थी! मुझे पता था ये मानसिक रूप से परेशान आदमी होगा!)उसने वो दवाइयाँ मुझ कर फेंक दीं और वो वही उस कुर्सी पर जाकर बैठ गया।(इस आदमी में रत्तीभर कि भी शर्म नहीं है। ऐसे ही बैठ गया?!)दवाइयाँ मेरे हाथ में बड़ी लग रही थी। थोड़ी देर बाद...उसकी नज़र मुझ पर थी जैसे वो मुझसे कह रही थी कि इसे ले लो। मैं घबरा गयी, कुछ समझ नहीं ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 3

'समीर बिजलानी और मान्या बिजलानी के बेटे, वृषा बिजलानी अब एकमात्र प्रतिभाशाली उत्तराधिकारी हैं, जो इस कॉर्पोरेट जगत में रखने के दिन से ही अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं और पहले से ही शीर्ष पर हैं। वह एक महान व्यवसायी हैं और वर्तमान में बिजलानी को भारत और दुनिया भर में अग्रणी ब्रांड बनाने के लिए दुनिया भर में काम कर रहे हैं।'और भी बहुत सी बातें लिखी गईं थी लेकिन वह वृषा जी के बारे में नहीं थी।'समीर बिजलानी ने कैसे इस ब्रांड को सफल बनाने के लिए अपनी सारी जवानी लगा दी और अभी भी काम कर ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 4

अभी तक वृषाली का अपहरण किए उसे कैद में रख, उसका जीवन सामान्य ही चल रहा है लेकिन मासिकधर्म लड़की के लिए काफी मुश्किल समय होता है खासकर जब उसके पास उसका मानसिक चैन ना हो और जो पक्की अंतर्मुखी हो। देखते है वृषा-वृषाली इसे कैसे संभालते है। दाईमाँ की क्या योजना है, यह भी देखना होगा। ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 5

"क्या लगा हमे बेघर कर साँस भी ले पाओगी?", मेरी बुआ ने कहा,"किस जोंक से बात खर रही हो?", ने पूछा,"देखो दुनियावालों, कैसे अपने आशिक के साथ भरे बाज़ार में मेरा शोषण कर रही है! कोई मेरी मदद करो!", बीच बाज़ार में वो चिल्लाने लगी। क्ता करूँ, कैसे करूँ...मम्मा-डैडा के साथ क्या हो रहा होगा। वृषा क्या करेगा? मैं इस स्थिति को कैसे संभालूँ ताकि किसी का सिर ना कटे! ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 6

वृषा को नहीं पता कि एक छोटा सा दाग एक लड़की के जीवन और उसके परिवार की छवि को करने के लिए किस तरह पर्याप्त होता है। मैंने वो रात बेचैनी में बितायी।स्टडी रूम में, मैं गहरे विचारों में खोया हुआ था। तभी दाईमाँ आई।"तुमने उसे अंगूठी क्यों नहीं पहनाई?", उन्होंने गुस्से से पूछा,"आप जानती है ना उसका मतलब?", मैंने जवाब दिया,वह नाराज़ थी, "सवाल पर सवाल मत पूछो! आप एक लड़की के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं?",('आप'?)इसका कोई मतलब नहीं बनता, "आपका क्या मतलब है दाईमाँ? क्या मैंने कुछ गलत किया है?","हाँ, तुमने किया!","क्या? ऐसा नहीं है ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 7

आज मेरे साथ दो घटना हुई। पहली, वृषा की मदद करने उनके कमरे में, उनके कपड़े निकालने पहली बार क्या? क्या ये अंधेरे के बेटे है?", वृषा के पास सिर्फ शतरंज के पासे जैसे कपड़े थे। और दूसरा, उनकी दी गयी चेतावनी को ना मानना और बिना अपनी मर्ज़ी के किसीके पीछे भी चल देना, और अब पूल में डूबकर मरने से आधे इंच भी दूर नहीं हूँ..... ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 8

कैसा लगेगा जब तुम्हें पता चलेगा कि तुम्हारे कमरे में कैमरे लगाए गए हो? यही हुआ मेरे साथ। मेरे में कैमरा कब लगा, कैसे लगा पता नहीं। पूल में लगभग धकेले के बाद कैमरे में कैद होना, ये मेरे औकात के परे था। ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 9

मैं इतना भयभीत हो गयी थी कि, "क..क-क...ब...", मेरे शब्द निकल नहीं रहे थे। ऐसा था जैसे किसीने मेरी सिल दी थी।"चिंता मत करो हमने पूरी रात जाँच-पड़ताल की। यह कैमरे और माइक्रोफोन, दोंनो कल ही सेटअप किए गए थे। उसके लगते साथ ही हमें उसका पता चल गया-वर्ना...और जहाँ तक तुम्हारी सुरक्षा का सवाल है-तुम्हारी सुरक्षा के लिए तुम अपने इस भैय्या पर भरोसा कर सकती हो।", (मैं तुम्हें सच नहीं बता सकता।)उनकी बात सुनकर मुझे एक कड़ी सूरक्षा का अनुभव हुआ।"...हम्मम!", मेरे मुँह से बस यही निकला,"कुछ खाओगी?", भैय्या ने पूछा,मैंने ना में सिर हिलाया।"चलो आज ये ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 10

दूसरे दिन सुबह-(पता नहीं मैं ऐसे कैसे सो गया? मुझे वृषा को वृषाली के पहले जगाना होगा। पता नहीं भर में क्या नये कांड हुए होंगे?)मैं उनके कमरे में ध्यान से घुसा। वे दोंनो अब भी सोए हुए थे। मैं वृषा के पास ध्यान से गया और उसे बड़े शांति और ध्यान से उठाकर, "श्श्श! शांत रहो। अपने बगल देखो और मेरे साथ चलो।", उसे अपने साथ वृषाली के कमरे में ले गया।"हाह! क्या हुआ कल?", वृषा ने फिर पकड़कर पूछा,"पहले तुम बताओ कि कल क्या हुआ था?", सबसे पहले मुझे अपने दिमाग को सुलझाना होगा ताकि मैं अच्छे ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 11

कल का दिन आ गया। जैसा कि कायल ने कहा था, उन्होंने अपना भविष्य का बेडरूम प्लान भेजा। यह में जितना हास्यास्पद लगता था उससे कहीं अधिक हास्यास्पद देखने में लग रहा था। हर किसी की कमरे की योजना में उन्होंने अपनी इच्छाओं को खूबसूरती से चित्रित किया गया था दिव्या, प्रांजली और अंजली को विशाल शयनकक्ष पसंद थे जबकि साक्षी और प्रतिज्ञा को आरामदायक बेडरूम। कायल को महंगी सामग्री और हीरे-रूबी की फिनिश वाली थी। उसकी हर चीज़ केवल पैसा बोलती थी।और मेरी नियती को तो देखो! इसने कुछ नहीं किया। सादा कमरा कुछ अलग पर्दो के साथ, ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 12

वृषाली ने थोड़ी बातचीत के बाद गंभीरता से कहा,"भैय्या अगर आप थके हुए नहीं है तो क्या आप हमारे ऊपर चल सकते है?","क्या हो गया?", सरयू ने पूछा,"सारी बात यहाँ नहीं हो सकती।", दिव्या ने कहा,"रास्ता साफ है।", प्रांजली ने इधर-उधर देखकर कहा,हम सब ऊपर गए, वृषाली ने धीरे से कमरे का दरवाज़ा खोला और वहाँ स्तब्ध खड़ी रही फिर कहा,"वो भाग गया-","कैसे?", साक्षी ने भी अंदर जाकर देखा,"पर मैंने उसे कसकर बाँधा था।", प्रांजली ने कहा,"सुबह तक का तो वो यही था।", दिव्या ने कहा,"हाँ, मैंने भी तुम्हारे साथ उसे यहाँ देखा था। आखिर वो भागा कैसे?!", प्रांजली ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 13

(वोह! कितना आलिशान है...मुझे बहुत घबराहट महसूस हो रही है।)जहाँ भी मैं अपनी आँखें दौड़ाती मुझे विलासिता ही दिखाई सुनहरी फिनिश के साथ सफेद संगमरमर से बना होटल एक मध्यमवर्गीय लड़की के लिए पचाना मुश्किल था!होटल के कर्मचारी हमें ड्रेसिंग रूम तक ले गए, वहाँ मैंने कायल को छोड़कर सभी प्रतियोगियों को देखा। यह तो तय था, उसे वीआईपी कमरा मिला होगा। (अकेले रहना कितना अच्छा है।)मैंने देखा उस बड़े कमरे में बहुत सारे लोग कैसे इधर-उधर अपना काम करते हुए भाग रहे थे। अब हमारे लिए तैयार होने का समय आ गया था। मैंने आसमानी नीला ए-लाइन गाउन ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 14

उस दिन सुबह...सब कुछ सामान्य था। हम उस समय गायब होने और राज द्वारा उसकी कलाई पर छोड़े गए के से सवालों से बचने में कामयाब रहे।"मैं फिसल गयी और उन्होंने मुझे गिरने से बचाने की कोशिश की और ऐसा ही गया...", उसके इस बहाने पर सब आँख मूंदकर भरोसा कर सकते थे,"तुम बहुत उपद्रवी हो गई हो!", उसके बड़े भाई ने उसे उसके लापरवाह व्यवहार के लिए खूब डांटा।आज सुबह से मेरा सब कुछ बिखरने लगा!हम इस हद तक लड़े कि उसे ठगा हुआ महसूस हुआ, उसने मुझसे बात करने की कोशिश नहीं की। हुआ ये कि, उसने ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 15

वह मुझे गुस्से से घूर रही थी।"आपने उसे क्या खिलाया?-नहीं! आपने उसे क्यों खिलाया?", उसने गुस्से से पूछा,मैं उसके से अचरज में था, "वृषाली?...उसने बस पानी पिया और...उसने खून की उल्टी की। वो कैसी है?","वह कैसी है? मिस्टर बिजलानी आपने उसे बर्बाद कर दिया!", वह चिल्लाई,उसके इस वाक्य से हर कोई स्तब्ध रह गया।"चिंता करने कि ज़रूरत नहीं। हमे उसके गले का ऑपरेशन करने की ज़रूरत नहीं पड़ी...पर उसके गले कि अंदरूनी सतह लगभग पूरी तरह से तबाह हो गयी है।",सरयू ने उत्तर दिया, "उसने जो कुछ भी खाया और पीया वह मेरे निरीक्षण पर तैयार किया गया था। ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 16

हम दोंनो ऊपर छत पर गए। शाम सुनहरी काली थी। वहाँ-"तो अब क्या नुकसान पहुँचाना चाहती हों उसे?", मैंने पूछा,वह बहुत अचंभित थी।"क्या? भंडाफोड़ की उम्मीद नहीं थी?",फिर वह बड़बड़ाने लगी, "नहीं! मैंने कुछ नहीं किया! वृषा...","मेरा नाम मत लो! मुझे याद नहीं है कि मैंने तुम्हें मुझे मेरे नाम से बुलाने की अनुमति दी थी?",वह सावधानी से पकड़ी गई थी, "तो तुम उससे या मुझसे क्यों मिलना चाहती थी? देखना चाहती थी कि क्या वह काफी पीड़ित है या नहीं? 'कमी हो तो उसे भी पूरा कर दूँ।' ?",वह उत्तेजित हो गई, "नहीं! आप ऐसा कुछ कैसे कह ...और पढ़े

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स्वयंवधू - 17

डांसिंग स्टूडियो के पार्किंग स्थल पर-अब मैं अरबपति, वृषा बिजलानी के ठीक बगल में चल रही थी तब मुझे बीच कि वास्तविकता का अहसास फिर से हुआ। मैं कितना भी कमाने की कोशिश कर लूँ, मैं उस स्थान तक कभी नहीं पहुँच सकती जहाँ, वे थे।तभी कोई आदमी काले सूट में वृषा के पास आया और खुसफुसाया। मैं बस 'कायल' और 'ज़रूरत' ही समझ पाई। वृषा हड़बड़ी में गए और एक आदमी को मुझे सबके पास ले जाने को कहा और जल्दी-जल्दी में निकल गए।उसने मुझसे अपने पीछे आने को कहा। मैं उसके पीछे-पीछे चल रही थी। वह मुझे ...और पढ़े

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