शोभना एक गृहणी हैं, जिसका लगभग सारा दिन घर के काम-काज में ही बीत जाया करता हैं । पति रघुनाथ की सरकारी नौकरी हैं, इसलिए सुबह 9 से शाम 6 बजे रोज ही घर से दफ्तर औऱ दफ्तर से घर तक का सफर तय करते हैं। दो बच्चे किटी औऱ गोलू हैं जिनकी दिनचर्या स्कूल, ट्यूशन औऱ टीवी तक सिमट कर रह जाती हैं। इन सबकी रोजमर्रा की दिनचर्या में रविवार ही एक ऐसा दिन हुआ करता हैं जो कुछ अलग होता हैं । इसी दिन पूरा परिवार एक दूसरे के साथ मौज- मस्ती, सैर- सपाटा करता हैं । आज शनिवार हैं, बच्चे कल के लिए योजना बना रहे हैं । शोभना किचन में हैं। घड़ी में समय देखकर उसने चाय बनाने के लिए भगोने में गर्म पानी में चायपत्ती डाल दी। ताकि रघुनाथ को दफ्तर से आते ही गर्मागर्म चाय समय पर मिल जाए । शाम के 7 बज गए थे। शोभना चिंतित होकर रघु को कॉल कर रहीं थीं । पूरी रिंग जाने पर भी जब कॉल रिसीव नहीं हुआ तो उसकी चिंता औऱ बढ़ गई । उसने ऑफिस के नम्बर पर कॉल किया तो वहाँ से पता चला कि अभी मीटिंग चल रहीं हैं, सभी कर्मचारी मीटिंग में हैं। माथे से पसीना पोछते हुए शोभना सोफे पर बैठकर पँखे की हवा लेने लगी। तभी डोरबेल बजी। शोभना ने दरवाजा खोला। सामने उदास औऱ थकावट से चूर रघु खड़ा था। शोभना ने उसके हाथ से बैग ले लिया औऱ कुछ न बोली । किचन में चलीं गई। उसे लगा मीटिंग के कारण आज अधिक समय हो जाने के कारण रघु थक गये होंगे।

Full Novel

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वो बिल्ली - 1

(भाग 1) शोभना एक गृहणी हैं, जिसका लगभग सारा दिन घर के काम-काज में ही बीत जाया करता हैं पति रघुनाथ की सरकारी नौकरी हैं, इसलिए सुबह 9 से शाम 6 बजे रोज ही घर से दफ्तर औऱ दफ्तर से घर तक का सफर तय करते हैं। दो बच्चे किटी औऱ गोलू हैं जिनकी दिनचर्या स्कूल, ट्यूशन औऱ टीवी तक सिमट कर रह जाती हैं। इन सबकी रोजमर्रा की दिनचर्या में रविवार ही एक ऐसा दिन हुआ करता हैं जो कुछ अलग होता हैं । इसी दिन पूरा परिवार एक दूसरे के साथ मौज- मस्ती, सैर- सपाटा करता हैं ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 2

(भाग 2) शोभना को अब यह लगने लगा था कि उसे कोई दिमाग़ी बीमारी हो गईं हैं । उसने बारे में रघु से भी बात की जिसे रघु ने मजाक में उड़ाकर टाल दिया । एक शाम की बात हैं । शोभना आँगन में बने तुलसी क्यारे के यहाँ दीपक लगा रहीं थीं । आँख बंद करके वह प्रार्थना कर रहीं थीं। जैसे ही उसने अपनी आँखें खोली वह भौचक्की रह गईं । वहीं महिला जो अक़्सर शोभना को दिखाई देती थीं अब शोभना के ठीक सामने बैठी हुई थीं। उसका चेहरा रूखा हुआ था, बाल ऐसे उलझें हुए ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 3

(भाग 3) शोभना धार्मिक प्रवत्ति की महिला हैं। उसकी ईश्वर पर अटूट आस्था होने के कारण ही वह अब हुई तमाम अजीब घटनाओं के घटित होने के बावजूद भीं ख़ुद को संभाले हुए थीं । किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा को वह अपने ऊपर हावी नहीं होने देतीं थीं। जब भी वह घर पर अकेली होती थीं जब उसे अहसास होता था कि कोई औऱ उस पर हावी हो रहा हैं, अचानक उसके कान सुन्न हों जातें, सर भारी होने लगता औऱ एक अजीब सी घबराहट से दिल बेचैन हो उठता। शोभना खुद को जकड़ा हुआ सा महसूस ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 4

(भाग 4) अपनी नन्हीं सी कली किटी को डरावनी महिला औऱ बिल्ली के साथ देखकर शोभना की स्थिति ऐसी गई मानो किसी ने श्राप देकर पत्थर बन जाने का कह दिया हो। बुत बनी शोभना न कुछ कह सकी न ही उसे अब कुछ सुनाई दे रहा था। अचानक ही कानों में सुन्न सी पिन चुभती आवाज़ आई औऱ शोभना की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। शोभना धम्म से वही बैठ गई । हॉल में रात के सन्नाटे सी खामोशी के साथ अंधेरा पसरा हुआ था। शोभना के कानों तक अपने बेटे गोलू की आवाज़ इस तरह से ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 5

(भाग 5) रघुनाथ ने शोभना को झंझोड़ते हुए कहा - " क्या हो गया है तुम्हें..? होश में आओ..हम जबसे से यहाँ शिफ़्ट हुए हैं, तबसे ही तुम अपनी मनगढ़ंत कहानियों को सच मानकर वही देख रही हो जो तुम्हारा मन तुम्हें दिखा रहा है। दोनों बच्चे हॉल में बैठकर मजे से अपनी खिचड़ी खा रहे हैं।" शोभना बहुत ज़्यादा घबराई हुई थी, लड़खड़ाती जुबान से बोली - " म..म..म..मेरा यक़ीन करो। अभी यहाँ किटी थीं। उसके बाल बिखरें हुए थे और उसने मुझ पर हमला बोल दिया था।" रघुनाथ - " यहाँ कोई भी नहीं है शोभना। तुम्हें ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 6

(भाग 6) रात के क़रीब दो बजे रघुनाथ की नींद खुलती है। वह जब अपने बगल में शोभना को पाते हैं, तो झटके से उठकर बैठ जाते है। आँखों में रही-सही नींद भी अब पूरी तरह से गायब हो गई थीं। रघुनाथ मन ही मन - " इतनी रात को शोभना कहाँ गई ? हो सकता है वॉशरूम में हो। यह विचारकर रघुनाथ ने साइड टेबल से मोबाइल फोन उठाया और टाइम देखकर फिर से टेबल पर रख दिया। क़रीब -बीस-पच्चीस मिनट बाद यही प्रक्रिया रघुनाथ ने दोहराई और जब समय देखा तो मन में शंका हुई- " अब ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 7

(भाग 7) अब तक आपने पढ़ा कि रघुनाथ घर में अजीबोगरीब घटनाओं को देखता है। उसे छत से किसी के गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई देती है। वह अपने कदम छत की ओर बढ़ा देता है। अब आगें... रघुनाथ दबे पांव ऊपर की ओर बढ़ते चले जाते हैं। छत की सीढ़ी के दरवाजे की ओट से झाँककर देखने पर रघुनाथ को छत की मुँडेर पर बैठी हुई एक महिला देखती है। उस महिला की पीठ रघुनाथ की ओर थी अतः उसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा था। दूर से देखने पर तो वह शोभना की तरह ही लग रहीं थीं। ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 8

वो बिल्ली (भाग 8) अब तक आपने पढ़ा कि शोभना जब बच्चों के रूम में जाती है,तो उसे वहाँ सोया हुआ दिखाई देता है लेक़िन किटी नदारद रहती हैं। अब आगें.. सभी कमरें चेक करने के बाद भी जब किटी कही नहीं दिखी तो शोभना घबरा गई थीं। वह बेतहाशा सी आँगन की ओर भागती है। शोभना जब आँगन में पहुंचती तो उसने देखा, क्यारियों के पास किटी बैठी हुई थी। शोभना जब उसके पास पहुँची तो वह बुरी तरह से चोंक गई ; क्योंकि क्यारी के अंदर वहीं बिल्ली बैठी हुई थीं। किटी उसे देखकर धीमें-धीमें मुस्कुरा रहीं ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 9

(भाग-9) अब तक आपने पढ़ा कि किटी वीरान से पड़े गलियारे में एक चूहे को बुरी तरह से पीटती मिलती है। अब आगें... रघुनाथ ने जब शोभना से कहा कि अपने आपकों सम्भालो तब शोभना मन में अथाह पीड़ा लिए हुए कहती है - "संभालना तो हमें अपनी बच्ची को हैं। रघु, हमनें बहुत देर कर दी समझने में...वह औरत मेरी बच्ची को आसानी से नहीं छोड़ेगी।" किटी अब भी चूहे को पीटे जा रही थीं। दूर खड़ी सिसकती हुई शोभना के विलाप करने से उसका ध्यान टूटा। उसने लट्ठ छोड़ दिया और शोभना की ओर देखा। वह अब ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 10

(भाग 10) अब तक आपने पढ़ा कि रघुनाथ पंडितजी को अपने साथ लेकर घर आता है। पंडित जी तुरन्त खाली कर देने की सलाह देते हैं। अब आगें.. रघुनाथ को हिदायत देने के बाद पंडित जी ने आँगन में ईंट की सहायता से हवन कुंड बनाया। इसके बाद पूरे परिवार को हवन में शामिल होने के लिए बुलाया। सभी लोग आकर अपने -अपने आसन पर बैठ गए। किटी शोभना की गोद में गुमसुम सी बैठी हुई थीं। पंडितजी हवन कुंड में आम की सूखी लकड़ियां रख रहे थें। हवन कुंड के पास सारी हवन सामग्री (हव्य) रखी हुई थी। ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 11

(भाग 11) अब तक आपने पढ़ा कि रघुनाथ नए घर की तलाश में घर से बाहर चले जाते हैं। बच्चो के पास आती है। किटी की ड्रॉइंग देखकर वह चोंक जाती है। अब आगें.. किटी ने अपनी ड्रॉइंग शीट पर एक औरत बनाई हुई थीं जिसके पास बिल्ली बैठी हुई थीं। औरत के बाल बिखरें हुए थे। बिल्ली की आँखे बड़ी और चमकीली थीं।" शोभना ने किटी से ड्रॉइंग शीट ले ली और कहा "बेटा आपने तो बहुत अच्छी ड्रॉइंग बनाई है। मैं इसे अपने रूम में लगाउंगी। इतना कहकर शोभना ने किटी औऱ गोलू का हाथ पकड़ लिया ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 12

(भाग 12) अब तक आपने पढ़ा कि रघुनाथ स्टोर रूम का दरवाज़ा पूरी ताकत लगा देने के बाद तोड़ है। अब आगें... कमरे के अंदर घुप्प अंधेरा था। चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। शोभना और रघुनाथ धीरे-धीरे आगें बढ़ते जा रहें थे। "किटी...किटी...किटी बेटा...." - शोभना अपनी बेटी को पुकार रहीं थीं। उसकी आवाज़ बरसों से बन्द पड़े कबाड़ से भरे कमरे में गूंज रही थीं। रघुनाथ पैर से जमीन को टटोलते हुए आगें बढ़ता जा रहा था। रघुनाथ के पैर से कुछ टकराता है। रघुनाथ ने झुककर उसे टटोला। "शायद ! यह टॉर्च है।" - यह विचार ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 13

(भाग 13) अब तक आपने पढ़ा कि रघुनाथ का सामना उस औरत से होता है। अगलें ही पल वह हो जाती है। ग्रामोफोन पर वहीं गीत सुनाई देता ह जिसे वह डरावनी औरत गुनगुनाया करती थीं। अब आगें... गीत की आवाज़ बन्द होते ही कमरे में फिर से सन्नाटा पसरा गया। उस सन्नाटे को चीरती हुई रॉकिंग चेयर की आवाज़ एक बार फ़िर से कमरे में गूँज रहीं थीं। ..चर्र..चर्र..चर्र..चर्र.. "बन के रक़ीब बैठे हैं वो जो हबीब थे.." ग्रामोफोन पर गीत की एक पंक्ति फ़िर बज उठी औऱ बन्द हो गई। गीत के साथ रॉकिंग चेयर की आवाज़ ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 14

(भाग 14) अब तक आपने पढ़ा कि शोभना उस भटकती हुई क्रोधित आत्मा की वेदना को महसूस करते हुए प्रश्न करती है, जिन्हें सुनकर डरावने चेहरे वाली उस आत्मा के हावभाव बदलने लगते हैं। अब आगें... शोभना ने निडर होकर अपनी बात जारी रखते हुए कहा - " दोस्त की परिभाषा तो यहीं होती है जो आपके साथ हर हाल में अपना रिश्ता निभाए। आप जैसे है वह आपको उसी रूप में स्वीकार करें, यदि आपमें कोई कमी हैं या आप किसी बुरी आदत के शिकार हैं तो वह आपकी उस आदत को छुड़वाए न कि आपको छोड़कर चला ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 15

(भाग 15) अब तक आपने पढ़ा कि वह भयानक चेहरे वाली आत्मा शोभना के शरीर में प्रवेश कर लेती रघुनाथ पर हमला करने लगती है इसी बीच किटी अपनी माँ को पुकारती है। शोभना सामान्य होकर मूर्छित हो जाती है। अब आगें... रघुनाथ ने शोभना को सावधानीपूर्वक पलंग पर पहले से गहरी नींद में सो रहे गोलु के पास लेटा दिया। किटी भी शोभना के सिरहाने जाकर चुपचाप खड़ी हो गई। रघुनाथ अब तक ख़ौफ़ज़दा था। उसने किटी को भी शोभना के पास लेटा दिया। रघुनाथ ने शोभना के दाएं-बाएं लेटे हुए अपने दोनों मासूम बच्चों को सरसरी निगाहों ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 16

(भाग 16) अब तक आपने पढ़ा कि रघुनाथ झटके से आँख खोलता है और उसके चेहरे पर एक डरावनी कुटिल मुस्कान तैर जाती है। शोभना इस बात से अनभिज्ञ फ़िर से अपनी जगह जाकर सो जाती है। अब आगें... भोर का सूरज पूर्व दिशा से झाँक रहा था। पूर्व दिशा भी लालिमा लिए हुए थीं। लगता था जैसे सूरज अपने माँ के लाल महीन आँचल के पीछे से छुपकर देख रहा हो। शोभना की नींद तेज़ आवाज़ से उचट गई। वह झटके से उठकर बच्चों को देखती है। दोनों बेफिक्र होकर गहरी नींद में सो रहें थे, लेकिन यह ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 17

(भाग 17) अब तक आपने पढ़ा कि शोभना रघुनाथ को ढूंढते हुए स्टोर रूम तक आ जाती है। अब शोभना डरते -सहमते हुए ज़ोर-ज़ोर से धड़कते हुए दिल से स्टोर रूम में दाख़िल होतीं है। रूम में अंधेरा जरूर था पर इतना भी नहीं कि कुछ दिखाई न दे। प्राकृतिक प्रकाश से अंधेरा उतना काला नहीं था जितना रात को रहता है। धीरें-धीरें शोभना कमरें में आगें बढ़ती जा रहीं थीं। वह रॉकिंग चेयर से कुछ एक कदम दूरी पर जाकर ठहर गई। वहाँ उसे कोई भी हलचल होतीं दिखाई नहीं दी। उसने साइड टेबल पर रखें हुए ग्रामोफोन ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 18

(भाग 18) रघुनाथ खुद को जकड़ा हुआ सा महसूस कर रहा था। वह शोभना से बहुत कुछ बोलना चाहता लेक़िन कुछ भी कह नहीं पाता है। उसका अपना ही शरीर किसी और शक्ति द्वारा संचालित हो रहा था। अपने मस्तिष्क पर ज़ोर देने पर अचानक ही जैसे उस शक्ति का रघुनाथ के शरीर से नियंत्रण हट गया। रघुनाथ किसी कैद से रिहा हुआ कैदी सा ख़ुद को स्वतंत्र महसूस करते हुए झट से अपनी पत्नी से बोला - "शोभना यहाँ से चली जाओ। बच्चों को लेकर कही दूर चली जाना। यहाँ तुम्हारा रुकना खतरे से खाली से नहीं है। ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 19

(भाग 19) रघुनाथ का साथ पाते ही शोभना को राहत महसूस हुई। रघुनाथ व शोभना ने ज़मीन पर बैठी उस महिला को सहमते हुए देखा। कमरे में ऐसी शांति पसरी हुई थी जैसी शांति तूफ़ान के आने से पहले होती है। शोभना की बातों का उस औरत पर गहरा असर पड़ा। उसे एहसास हुआ कि बदलें की आग में जलकर उसने अपने आप को इस घर की चार दीवारी में कैद कर लिया है। इस तरह से तो वह सदियों तक भटकती रहेंगी क्योकिं आत्मा तो अमर है। उसका तो कोई अंत ही नहीं है। यह घर, शरीर, इस ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 20

(भाग 20) अब तक आपने पढ़ा कि शोभना की बातों के कारण उस डरावने चेहरे वाली औरत ने यह किया कि वह अब तक व्यर्थ ही लोगों से बदला लेकर अकेली घर में भटक रही है। वह अपने अतीत के बारे में शोभना को बताती है। अब आगें... अस्पताल में दिन बीत रहे थे। मैं जीना नहीं चाहती थीं। अंदर से पूरी तरह टूट कर बिखर चूंकि थी। जीवन को लेकर मन में कोई उत्साह ही नहीं था। मैं स्वस्थ्य होकर अपने घर लौटना नहीं चाहती थी। रोज़ यहीं प्रार्थना किया करती थी कि भगवान मुझें भी अपने पास ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 21

(भाग 21) अब तक आपने पढ़ा कि प्रेमलता को प्रेम की चाल के बारे में पता चल जाता है। आगें... प्रेम की बात सुनने के बाद मेरा पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया। गुस्से से आग बगुला होती मैं स्टोर रूम में भनभनाते हुए गई। मुझें देखकर प्रेम और उसकी पत्नी की हवाईय्या उड़ गई। वह दोनों पहले तो भयभीत होकर मुझें देखने लगे पर बोले कुछ भी नहीं। थोड़ी देर कमरे में मातम जैसा सन्नाटा पसरा रहा फिर जब प्रेम की पत्नी धीरे से कमरे से जाने लगी तो मैंने उसे रोकते हुए कहा - " क्या हुआ ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 22

(भाग 22) अब तक आपने पढ़ा कि प्रेम और अंशुला किसी खास मकसद से स्टोर रूम में आते है। आगें... प्रेम ने जल्दबाजी करते हुए अंशुला से कहा - " डॉक्युमेंट को लेकर मैंने सारी फॉर्मेलिटी कर दी है। पहले यदि ऐसा पता होता कि यूँ ऐंन बखत वकील साहब प्रेमलता के अंगूठे के निशान भी मांग लेंगे तो मैं उसी वक्त निशान ले लेता जब वह मृत पड़ी हुई थी। अब फ़िर से गढ़े मुर्दे को निकालकर गधा हम्माली करो और निशान लो। यह सचमुच थका देने वाली प्रक्रिया है।" यह कहकर वह कुदाल से फर्श उखाड़ने लगा। ...और पढ़े

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वो बिल्ली - 23 - अंतिम भाग

(भाग 23) अब तक आपने पढ़ा कि अंशुला को प्रेमलता दिखाई देती है, जिसे वह अपनी आँखों का वहम है। अब आगें... आंखे मूंदे हुए डरी-सहमी सी अंशुला के कंधे पर जब किसी ने एक भारी सा हाथ रखा तो वह चीख़ पड़ी। अगलें ही पल उसे प्रेम का ख्याल आया। उसने चेन की सांस लेते हुए कहा - " ओह ! प्रेम तुम हो। मैं तो भूल ही गई थी कि यहाँ मैं अकेली नहीं हुँ।" इतना कहने के बाद जैसे ही अंशुला ने पलटकर देखा सामने का नज़ारा देख कर उसके चेहरे का रंग बदल गया। प्रेम ...और पढ़े

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