ठक ठक ठक...ठक ठक ठक... दरवाज़े पर ज़ोर से आहट होती है,विहान!विहान...स्कूल बस आती ही होगी 7 बज चुके हैं क्या कर रहे हो,आज फिर देर करोगे क्या?विहान की माँ( प्रज्ञा) उसे आवाज़ लगातीहै।विहान जो कि 12 साल का है-मम्मा बस आ ही गया।प्रज्ञा-जल्दी आओ तुम्हारा बैग और टिफ़िन लगा दिया है। विहान-बस आ ही गया माँ और दरवाज़ा खुलता है,गोल मटोल मासूम सा विहान हँसता हुआ बाहर आता है, उसके बाल बिगड़े और जूतों के फीते खुले होते हैं,इतने बड़े हो गए पर अभी भी फीते बांधने नहीं आये तुम्हें प्रज्ञा कहते हुए उसके फीते बांधने लग जाती है।तभी बस के
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BOYS school WASHROOM
ठक ठक ठक...ठक ठक ठक... दरवाज़े पर ज़ोर से आहट होती है,विहान!विहान...स्कूल बस आती ही होगी 7 बज चुके क्या कर रहे हो,आज फिर देर करोगे क्या?विहान की माँ( प्रज्ञा) उसे आवाज़ लगातीहै।विहान जो कि 12 साल का है-मम्मा बस आ ही गया।प्रज्ञा-जल्दी आओ तुम्हारा बैग और टिफ़िन लगा दिया है। विहान-बस आ ही गया माँ और दरवाज़ा खुलता है,गोल मटोल मासूम सा विहान हँसता हुआ बाहर आता है, उसके बाल बिगड़े और जूतों के फीते खुले होते हैं,इतने बड़े हो गए पर अभी भी फीते बांधने नहीं आये तुम्हें प्रज्ञा कहते हुए उसके फीते बांधने लग जाती है।तभी बस के ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM-2
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे स्कूल बस में कुछ लड़के विहान को परेशान करने लगते हैं और अपने बड़े भाई यश को आवाज़ लगा देता है,अब आगे"यश भईया।" "यश भईया।"विहान के बुलाते ही सब लड़के फटाफट अपनी सीट पकड़ कर बैठ जाते हैं। यश बस में आगे बैठा होता है और आवाज़ सुनते ही अचानक खड़ा होकर विहान से पूछता है 'क्या हुआ विहान? कोई परेशानी?' और पूछता हुआ विहान की तरफ बढ़ता है, जो कि पीछे बैठा हुआ होता है, 'क्या हुआ अब?'यश बड़बड़ाता हुआ विहान के पास जाकर बैठ जाता है।यश-बोलो क्या हुआ? मेरे सुपरमैन ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 3
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे यश की बस मे कुछ लड़कों से कहा सुनी हो जाती है मामला बस इन्चार्ज तक पहुंचता है। बस में बच्चों को डरता देख टीचर बात को ज़्यादा आगे ना बढ़ाते हुए चुप चाप हर्षित,विशाल और राहुल को आगे जाकर बैठने के लिए कहता है...जिसमे से विशाल तो आगे चला जाता है पर हर्षित और राहुल अपनी सीट पर अड़े रहते हैं ,विहान भी यश के साथ आगे जाकर बैठ जाता है और लगभग तीस मिनट बाद बस स्कूल पहुंचती है।अब आगेचलो सब जल्दी जल्दी अपनी अपनी क्लासेस में पहुँचो "कम ऑन ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 4
घंटी की आवाज़ के साथ ही पेओन अंदर जाता है-'जी सर जी '.... प्रिंसिपल (गुस्से मे) एक पर्ची पेओन हाथ मे थमा देता है-"जाओ इन सभी बच्चों को अभी की अभी मेरे रूम मे भेजो... लेकिन पहले विहान को भेजना उसके बाद बाकी सब को"... पेओन जल्दी से जाता है और पहले विहान को और फिर बाकी सब को प्रिंसिपल के पास जल्दी से आने को कहता है।.... प्रिंसिपल रूम मे बुलाये जाने की बात से ही हर्षित, राहुल और विशाल के पसीने छूटने लगते है... सब प्रिंसिपल के रूम के बाहर जाकर खड़े हो जाते हैँ लेकिन उन्हें ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 5
हर्षित, विशाल और राहुल प्रिंसिपल रूम से रोते हुए ही बाहर जाते हैँ तो उनकी रोनी शक्लो को देखकर उन पर तंज कस्ता है.. 'लगता है भईया हो गया काण्ड'... ये सुन कर हर्षित आग बबूला हो उठता है और गुस्से मे आकर पेओन का कालर पकड़ के अपनी तरफ ज़ोर से खींचता है..."कांड तो बेटा अब इन दोनों भाईयों का होगा और साथ मे तेरा भी"... राहुल-चल हर्षित इसे तो बाद मे देखेंगे... और तीनो चले जाते हैँ इधर अंदर प्रिंसिपल सर यश के कंधे पर हाथ रखते हैँ-"देखो यश तुम एक बहुत अच्छे और समझदार बच्चे हो... ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 6
तभी पीछे से यश की पैंट खींचकर विहान यश से पूछता है'क्या हुआ भैया किसे ढूंढ रहे हो आप'... एक गहरी सांस लेता है और यश को गोद मे उठा लेता है.... ""तुझे ही ढूंढ रहा था, कहाँ गया था तू?"'मै वो बस, वाशरूम गया था'..."अच्छा ठीक है, तूने लंच किया?"....यश के पूछते ही विहान एकदम चुप हो गया..लेकिन यश ने बात को वहीँ खत्म कर के विहान को लंच के लिए पूछा ….."मेरे साथ लंच करेगा,चल आज दोनों भाई साथ मे लंच करेंगे"...विहान सुन कर थोड़ा खुश हो गया लेकिन वो थोड़ा डरा भी था क्यूंकि उसका लंच ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 7
यश भी अपनी क्लास मे पहुँचता है.... क्लास शुरू होती है पर यश मानो क्लास मे होकर भी वहां होता... उसकी एक आंख घड़ी पर और एक आँख उन तीनो पर गढ़ी होती है... वो बस इंतज़ार कर रहा होता है की कब छुट्टी हो और वो विहान को लेकर घर जाए.... जैसे तैसे यश 2 घंटे काटता है और फिर एक ज़ोरदार घंटी बजती है जो की छुट्टी के लिए होती है.... सब अपने बैग जैसेकरने लगते हैँ लेकिन यश जैसे ही घंटी की गूँज सुनता है, वो अपना सारा सामान वहीँ छोड़कर विहान की क्लास की तरफ भागता ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 8
विशाल, हर्षित, और राहुल तीनो प्रिंसिपल को देख कर भाग जाते हैँ….इधर यश अपने कपड़े ठीक करता है और बैग पैक करने लगता...वो कुछ किताबें उठाता है की एक किताब मे से एक पन्ना निकल कर नीचे गिर जाता है...यश किताबों को बैग मे रखकर उस पन्ने को उठाता है…"अरे! ये क्या है"...पन्ना खाली होता है, यश पलट कर देखता है तो उस पर कुछ लिखा होता है, ….यश देख ही पाता है कि प्रिंसिपल की आवाज़ आती है….'यश तुम अभी तक गए नहीं बस जाती ही होंगी, कम ऑन हरी अप!....यश बिना पढ़े ही उस कागज़ को जल्दी ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 9
"ओ! हो! यश!....ये क्या शोर मचा रखा है।" प्रज्ञा दरवाज़े खोलते ही यश पर चिल्ला पडती है। लेकिन अपना हाथ फिर भी डोर बैल से नहीं हटाता... .शायद प्रज्ञा की आवाज़ को वो सुन ही नहीं पाता या फिर उसके दिमाग मे चल रहे शोर मे प्रज्ञा की आवाज़ कहीं गुम ही हो जाती है…प्रज्ञा गुस्से से यश का हाथ बैल पर से हटाकर नीचे झटक देती है…यश का ध्यान हटता है और वो एक दम चौंक जाता है क्यूंकि प्रज्ञा और अविनाश रोज़ अपने क्लिनिक से थोड़ा लेट आते थे लेकिन आज दोनों जल्दी घर आ गए थे...तो यश ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 10
""सुनो प्रज्ञा मै समझता हूँ तुम्हे क्या महसूस हो रहा है और मै भी वही महसूस कर रहा हूँ तुम महसूस कर रही हो, लेकिन मेरी तरह तुम्हें भी ये समझना होगा की यश अब बच्चा नहीं रहा, वो जानता है की उसे क्या करना है क्या नही। .. ..किस से कैसे बात करनी है।...कहाँ जाना है,कैसे लोगों के साथ रहना है, कैसे अपनी प्रोब्लेम्स को हैंडल करना है।….. और वो अब बड़ा हो चुका है तो हमें खुद ही उसे स्पेस देनी होगी...वो हमसे कभी नहीं कहेगा…. वो बहुत समझदार है और मुझे पूरा विश्वास है वो कभी ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 11
यश दरवाज़ा खोलकर बिना कुछ बोले अपनी स्टडी टेबल पर जाकर बैठ जाता है…अविनाश देखता है की यश अभी अपनी स्कूल ड्रेस मे ही है, उसकी टाई उसके बेड पर पड़ी है, उसके जूते भी बिखरे पड़े हैँ, उसका स्कूल बैग भी ज़मीन पर पड़ा हुआ है और वो कुछ टेंशन मे है…..अविनाश सिचुएशन को समझते हुए यश से कीच नहीं पूछता सिवाए इसके की…"बेटा! क्या मे अंदर आ सकता हूँ"....यश पीछे मुड़ता है…."अरे आइए ना पापा आप ऐसे क्यों पूछ रहे हैँ"...अविनाश-नहीं मुझे लगा की तुम्हारा बात करने का कोई मन नहीं है शायद...इसलिए पूछा। यश-नहीं नहीं ऐसा कुछ ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 12
अविनाश और विहान दोनों की निगाहेँ दरवाज़े पर गयीं तो वहाँ यश खड़ा था जो की थोड़ा घबराया हुआ को वहाँ देखकर विहान चुप पड़ गया और उसकी बात वहीं की वहीं अधूरी रह गयी…..यश-चलिए पापा! मै फ्रेश हो चुका हूँ….आपको कुछ बात करनी थी ना मुझसे…अवि विहान की बात को भूल जाता है और उसे गोद मे से नीचे उतारकर उसके कान मे धीरे से कहता है…."जल्दी से तैयार हो जाये..ओके"...यश ये सब देखकर डरा जा रहा था...की कहीं बातों बातों मे स्कूल वाली बात कहीं विहान उसके पापा को ना बता दे….क्योंकि बात इतनी बड़ी थी नहीं ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 13
अविनाश और उसकी फॅमिली तैयार होकर आज शाम बाहर एन्जॉय करने के लिए निकले तो थे लेकिन यश और के उतरे चेहरों को देख देख कर प्रज्ञा को एक चिंता खाये जा रही थी….की आखिर हमेशा बातें बनाने वाले उसके बच्चे आज इतना चुप चुप क्यूँ है….वो अपने वेन्यू तक पहुँचने ही वाले थे की तभी प्रज्ञा ने अविनाश को गाडी रोकने के लिए कहा…"क्या...क्या हुआ प्रज्ञा कोई प्रॉब्लम"प्रज्ञा-नहीं प्रॉब्लम कुछ नहीं, बस तुम यहीं रुको साइड मे…."अरे हुआ क्या ये तो बताओ".....हाँ मम्मा कोई इमरजेंसी है क्या? (यश पीछे से आवाज़ लगाते हुए बोला)प्रज्ञा-नहीं! नहीं कोई इमरजेंसी नहीं ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 14
"यश अपने पैसे अपने पास रख विहान मेरे भी तो भाई जैसा ही है, आइसक्रीम मैंने ली है तो भी मे ही दे देता हूँ"हर्षित यश की आँखों मे आंखे डालकर बोला और उसके बाजू मे खड़ा विशाल हँसने लगा….ये सुनकर विहान ने आइसक्रीम फ़ेंक दी…."अपनी औकाद मे रह समझा ना" यश हर्षित के करीब होते हुए बोला…विशाल यश को पीछे करते हुए-"आराम से मिस्टर हेड बॉय, ये आपका स्कूल नहीं है।" यश ने गुस्से मे आकर विशाल को धक्का दे दिया और वो गिर गया-"दोबारा मुझे छूने की हिम्मत भी मत करना"....."ये लो भैया आपके आइसक्रीम के पचास रूपये….चल ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 15
"तुम लोगों को कहीं देखा है पहले…"प्रज्ञा सोचते हुए बोली "हाँ..हाँ ऑन्टी वो हम आपके घर के पास ही रहते हैँ, मिस्टर एंड मिसेस कांजी" हर्षित ने तुरंत ही जवाब दिया। विशाल "अच्छा तो हम चलते हैँ आप लोग एन्जॉय करिये"। इतना कहकर विशाल और हर्षित दोनों वहां से खिसक लिए...उसके कई दिन बाद तक सब कुछ नार्मल चलता रहा….हर्षित, विशाल और राहुल स्कूल मे दिखाई नहीं दिए और इधर यश और उसका भाई भी अपने एक्साम्स मे बिजी हो गए। फिर दिन आया स्कूल के फेयरवेल का या फिर यूँ कहूं की यश की फेयरवेल पार्टी का। सब स्कूलों की तरह ही ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 16
फंक्शन काफी देर तक चालू था लगभग अंधेरा हो चुका था, लेकिन यश अभी भी पार्टी मे था…..और सब भी…. आखिर स्कूल के लास्ट फंक्शन मे भला अपने दोस्तों के साथ कौन मस्ती नहीं करना चाहेगा….गाने फुल आवाज़ मे बज रहे थे…..कुछ बच्चे डांस कर रहे थे, कुछ गेम्स खेल रहे थे, और कुछ डिनर (समय के हिसाब से डिनर कहना ही ठीक रहेगा) कर रहे थे और बाकी के सब ड्रिंक्स एन्जॉय कर रहे थे…..और सेल्फी एंड आल...यश और उसके कुछ फ्रेंड्स भी डांस मे ही बिजी थे….लेकिन यश अब थक चुका था, उसकी थकान उसके चेहरे से ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 17
दोनों हॉल से बाहर निकलते है तो देखते हैँ की मौसम काफी ख़राब हो रहा है….जैसे तूफ़ान आने को और यश दोनों वाशरूम की तरफ बढ़ रहें होते हैँ….तभी अचानक से शार्ट सर्किट होता है और लाइट चली जाती है। "अब तो ये लाइट भी धोखा दे रही है तेरी तरह"यश बोलाअमन-देख यश इतनी भी कोई बड़ी बात नहीं है समझा ना….यश थोड़ा गुस्से मे-तो बताई क्यूँ नहीं फ़िर अगर बड़ी बातें नहीं थी तो…अमन-अच्छा देख सुन….दोनों बातें करते हुए वाशरूम मे घुसते हैँ….वाशरूम की लाइट टिम टिमा रही होती है। अमन-मै जब स्कूल की तरफ से चैंपियनशिप के लिए गया ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 18
प्रज्ञा को यश की राह देखते हुए काफ़ी वक़्त हो जाता है, लेकिन ना तो यश आता है और ही तूफ़ान और बारिश थमती है। अविनाश विहान को लेजाकर अंदर सुला चुका होता है और अपना फोन लिए बार बार किसी को कॉल करने की कोशिश कर रहा होता है लेकिन नेटवर्क की वजह से कहीं कॉल लगती ही नहीं। इतना तेज़ तूफ़ान और उस भयानक रात को देखकर अब अविनाश के मन मे भी डर की गिनती कहीं ना कहीं शुरू ही हो जाती है। प्रज्ञा बेचैन घर मे इधर से उधर तेज़-तेज़ घूमकर बार-बार दरवाज़े को खोलकर देख रही होती ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 19
जैसे ही अवि और प्रज्ञा,विहान को गले लगाते हैँ…..तभी आसमान मे बिजली की तेज़ गड़गड़ाहट के साथ उनके घर लाइट चली जाती है। तीनों बिजली की आवाज़ से डर जाते हैँ और प्रज्ञा घबराकर जल्दी से उठकर खिड़की से बाहर झाँक कर देखने लगती है। वो देखती है की चारों तरफ झप्प अंधेरा हो चुका था और सामने भी कुछ नज़र नहीं आ रहा था और सड़क किनारे लगे खम्बों मे शॉर्ट सर्किट की वजह से चिंगारियाँ उठ रहीं थी। बाहर के तूफ़ान को देखकर अब उसके अंदर भी एक तूफ़ान उठ चुका था। अविनाश टॉर्च जलाये सोफे पर विहान को लिए ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 20
अविनाश, प्रज्ञा का हाथ थामे जैसे-तैसे उसके पड़ोस के घर, गिन्नी के दरवाजे पर पहुँच ही गया। उसने बार ज़ोर-ज़ोर दरवाजा थप थपाया...तब जाकर गेट खुलते ही एक औरत की आवाज़ आयी-अरे! प्रज्ञा इस मौसम मे तुम सब बाहर क्या कर रहे हो….आओ जल्दी से अंदर आओ!और तुरंत ही अवि और प्रज्ञा घर के अंदर चले गए। अरे! ये मोमबत्ती फ़िर बुझ गयी….प्रज्ञा अपनी टॉर्च देना ज़रा।….. वो औरत टॉर्च लेकर गयी और टेबल पर से माचिस उठाकर वहीं रखी मोमबत्ती से सजी लैंप को जलाने लगी। "नीरजा!....घर मे कोई दिखाई नहीं दे रहा कहाँ है सब? " प्रज्ञा उजाला होते ही ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 21
अविनाश टॉर्च घुमाता हुआ तेज़ी से वाशरूम की तरफ़ बढ़ता है…..उसके भीगे जूतों की " पचर-पचर" की आवाज़ वहाँ ही शोर मचा रही होती है। वो फट से वाशरूम का गेट खोलने लगता है…..लेकिन उसके ज़रा सा धक्का देने से ही गेट किसी चीज़ से टकराकर अटक जाता है।…..वो और ताकत लगाता है तब जाकर दरवाज़े के साथ घिसटते हुए किसी चीज़ के शोर के साथ दरवाज़ा खुलता है। अविनाश जल्दी से अंदर घुसकर वहाँ देखता है तो उसे बेसिन का एक टूटा हुआ टुकड़ा दिखाई देता है जो दरवाज़े के नीचे अटक रहा होता है…..वो उसे पैर से ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 22
"यश!" यश नाम है हमारे बेटे का...बचपन से इसी स्कूल में पढ़ा है….और हाँ हेड बॉय है यश स्कूल को बताता है। "ओ यश भईया आपके बेटे हैं।" वॉचमैन वो पर्दे, कांपती हुई प्रज्ञा की तरफ़ बढ़ाते हुए कहता है। "आप जानते हैँ क्या यश को? " प्रज्ञा पर्दे ओढ़ती हुई। जी मैडम!बिल्कुल जानते हैं और कौन ही होगा जो स्कूल में यश भईया को नहीं जानता होगा...बहुत ही अच्छे बच्चे हैं वो…..।।वो तीनों बात कर ही रहे होते हैं की "कोई है???" कोई है यहाँ" की आवाज़ उनके कानों में पड़ती है। अविनाश उठकर दरवाज़ा खोलता है तो ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 23
वॉचमैन को किसी क्लासरूम में कुछ रौशनी सी लगती है….वो आँखें चौड़ाकर और घूरता है तो एक बार फ़िर रौशनी जलती-बंद होती हुई दिखाई देती है...वो तुरंत पीछे हटकर वो ….'सर मुझे किसी क्लास में रौशनी सी दिखी अभी' अविनाश को बताता है…..रौशनी! कैसी रौशनी! इतनी तेज़ बिजली दमक रही है इसी की चमक होगी…वैसे भी हम एक एक क्लासरूम छान चुके हैं अब हमारे अलावा यहाँ कोई नहीं...अविनाश ये कहकर उसकी बात को टाल देता है। नहीं साहब मैंने सच में टॉर्च की रौशनी देखी…...वॉचमैन की बात को यहीं काटते हुए, नील भी तंज सा कसते हुए 'तुम्हारा ...और पढ़े
BOYS school WASHROOM - 24
अभी तो बोर्ड पेपर होने में चार-पांच महीने है, फ़िर पता नहीं अभी से फेयरवेल की ज़रुरत ही क्या ना तो ये बेवक़्त का फेयरवेल होता ना ही हम आज ऐसे यहाँ होते…..प्रज्ञा बाहर देखते हुए हताश होकर बोलती है। आंटी यहाँ हमारे स्कूल में ऐसा ही होता है...मैंने भी जब यहाँ से अपनी इंटर की थी तब भी इसी वक़्त फेयरवेल पार्टी हुई थी। लेकिन उसकी कोई वजह भी तो होगी गुंजन? अविनाश हाँ अंकल वो अब कुछ टाइम में बच्चों के प्री-बोर्ड एक्साम्स शुरू हो जाएंगे और फ़िर प्रैक्टिकल वगेरा...जिसके बाद टाइम ही नहीं बचता और प्री-बोर्ड ...और पढ़े