ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ कृत - ( उर्वशी -1) यह क्या कर डाला तुमने उसने एक बार विस्फारित नेत्रों से भूमि पर पड़ा भाई का मृत शरीर देखा और एक बार छोटी बहन की ओर दृष्टि डाली तुमने उसे मार डाला ? उसने ही तो कहा था कि यह दुनिया जीने लायक नहीं। उसने सूनी आँखों से एक बार बड़ी बहन की ओर देखा और एक बार हाथ मे पकड़े चाकू पर निगाह डाली । आँखों मे अश्रु कण, चेहरे पर भयानक वीरानी और विक्षिप्तता । पर्दा गिर गया और ऑडिटोरियम में बैठे सभी दर्शक हतप्रभ से बैठे

Full Novel

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उर्वशी - 1

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 1 यह क्या कर डाला तुमने उसने एक बार विस्फारित से भूमि पर पड़ा भाई का मृत शरीर देखा और एक बार छोटी बहन की ओर दृष्टि डाली तुमने उसे मार डाला ? उसने ही तो कहा था कि यह दुनिया जीने लायक नहीं। उसने सूनी आँखों से एक बार बड़ी बहन की ओर देखा और एक बार हाथ मे पकड़े चाकू पर निगाह डाली । आँखों मे अश्रु कण, चेहरे पर भयानक वीरानी और विक्षिप्तता । पर्दा गिर गया और ऑडिटोरियम में बैठे सभी दर्शक हतप्रभ से बैठे ...और पढ़े

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उर्वशी - 2

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 2 प्रतिउत्तर में उसका हाथ आगे बढ़ा तो दीपंकर ने गर्मजोशी से उसका हाथ लिया। अद्वितीय सुंदरता और भावप्रवण अभिनय का ऐसा सम्मिश्रण कठिनाई से ही देखने को मिलता है। आप इसका अप्रतिम उदाहरण हैं। आपको देखकर लगा वास्तव में मालव देश की राजकुमारी राह भूलकर रंगमंच पर उतर आयी है। उसपर आपका अभिनय, वाह, क्या कहने, आपका चेहरा, आपकी आँखें, बोलती हैं। बहुत शुक्रिया, आप तो शर्मिंदा करने लगे। इतनी प्रशंसा सुनकर उसका मुखड़ा आरक्त हो उठा। रियली, आई मीन इट, बहुत समय से ऐसे ही एक चेहरे ...और पढ़े

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उर्वशी - 3

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 3 " यहाँ ? हमारे घर मे ?" आश्चर्य से वह उछल ही पड़ी इससे पहले की पापा कोई उत्तर दें, वह लगभग दौड़ती सी बैठक में आ गई। शिखर पर दृष्टि पड़ी तो अवाक रह गई … कुछ पल को वह अपनी चेतना जैसे खो बैठी थी। आँखें फाड़े बस देखती रही। शिखर ने सुर्ख गुलाब का सुंदर सा गुलदस्ता उसकी ओर बढ़ा दिया। उन्होंने उससे क्या कहा, उर्वशी के कानों तक आवाज़ ही नहीं गई। " क्या हुआ ? हैलो " उसने चुटकी बजाई तब वह चैतन्य हुई। उसकी यह स्थिति अपने समक्ष ...और पढ़े

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उर्वशी - 4

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 4 वह ही है मूर्ख, जो बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कल्पना कर है। उन्होंने कब उसके साथ प्रेम की पींगें बढ़ाई ? कब उसे अपने विषय मे धोखे में रखा ? कब कोई वादा किया ? तो फिर उसे हर समय फूल भेजने का क्या अर्थ था ? उसने कब उन्हें जाना था ? क्यों मुलाकात होने पर उसे मुग्ध भाव से देखते रहते थे ? हर बार उनकी दृष्टि ने उसके प्रति अपने लगाव को प्रदर्शित किया था। क्यों उसने उनकी दृष्टि में प्रेम के सन्देश पढ़े ? उसने बिना किसी ...और पढ़े

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उर्वशी - 5

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 5 नाटक को देखने के पश्चात घर आये तो मदालसा बनी हुई ऐश्वर्या से विरक्ति हो उठी। अभी वह क्लब से लौटी थी और नशे में चूर थी। उनका जी चाहा कि उसका गला दबा दें और अपनी हृदयेश्वरी को जीवन मे ले आयें। वह बेड़ियों में जकड़े कैदी से फड़फड़ा कर रह गए। इस जीवन मे वह अपनी जीवनसंगिनी से छुटकारा नहीं पा सकते। अपने खानदान की मर्यादा के साथ वह कोई खिलवाड़ नहीं कर सकते। उन्होंने मुट्ठियाँ भींचकर कसकर दीवार पर मारी। यह जीवन व्यर्थ हो गया। क्या उनके निमित्त यही था ...और पढ़े

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उर्वशी - 6

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 6 जब उसे जयमाला के लिए लाया गया तो उपस्थित अतिथिगणों की आँखें उसके को देखकर नतमस्तक हो गईं। प्रत्येक व्यक्ति को मानना पड़ा कि शौर्य को इससे सुंदर दुल्हन कोई और नहीं मिल सकती थी। उधर कामदार शेरवानी में शौर्य भी किसी देवपुरुष से कम नही लग रहा था। हर एक का कहना था कि जोड़ी बहुत खूबसूरत है। मम्मी- पापा और दोनो भाई उमंग और उत्कर्ष बेहद खुश थे। उसके वैभव को देखकर वह सब फूले न समा रहे थे। सभी रस्मो के सम्पन्न होने पर वह स्वजनों से विदा लेकर राणा ...और पढ़े

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उर्वशी - 7

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 7 दूसरे दिन उसे बेसब्री से भाई के आने का इंतज़ार था। जी चाह था जल्दी से जल्दी वह इस स्थान से दूर चली जाए। आखिर वह समय आया और दोनो भाई आ गए। उनका काफी समय तो घर मे सबसे मिलने जुलने और नाश्ते में निकल गया। जब उसके कमरे में आये तो वह उनसे लिपट कर रो पड़ी। उन्हें लगा कि शायद अपनो से बिछड़ने का दुख है। उमंग बड़े ध्यान से उसे देख रहा था। शायद उसके चेहरे को देखकर यह पता लगाने का प्रयास कर रहा था कि उसकी लाडली ...और पढ़े

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उर्वशी - 8

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 8 " क्या हुआ ?" शौर्य ने उसकी ओर देखा। " कुछ भी नहीं " आप मुस्कुरा क्यों रही हैं ?" " क्या अब मुस्कुराने के लिए भी आपसे इजाज़त माँगनी होगी ?" " बिल्कुल नहीं, हमारा आप पर कोई दावा नहीं। " " दावा तो हम दोनों का ही एक दूसरे पर बनता है, आप न मानें, यह और बात है। लेकिन हकीकत यही है। " उसने जवाब दिया। शौर्य उसे देखता रह गया। " सुना है आप बहुत अच्छी अभिनेत्री हैं। " " सिर्फ रंगमंच पर, हकीकत में तो आप ज्यादा बढ़िया अभिनेता ...और पढ़े

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उर्वशी - 9

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 9 वह सम्मोहित होकर उसे आपादमस्तक देखता रहा। कपोल पर छाई एक लट, साँसों उठता गिरता स्पंदन। शौर्य की धड़कनों का शोर बढ़ता जा रहा था। उसकी देह से उठती मदिर सुगन्ध शौर्य के होश उड़ा रही थी। नशा बढ़ता ही जा रहा था। उसने उसके गालों पर अ ...और पढ़े

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उर्वशी - 10

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 10 तभी सुना कि उसका विवाह निश्चित हो गया है। यह खबर ग्रेसी को भारी लगी। उसे यकीन था कि शौर्य नहीं मानेगा, और सचमुच वह मानसिक रूप से इस विवाह के लिए तैयार नहीं हो पाया। उसने गृहत्याग का निर्णय लिया। वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार था। पर ग्रेसी ने ऐसा कब चाहा था। शौर्य के गृहत्याग का अर्थ था सारे ऐश्वर्य का भी परित्याग। ऐसा ग्रेसी ने कब चाहा था ? वह तो चाहती थी कि पूरे अधिकार के साथ राणा परिवार की बहु बनकर जाए और ऐश आराम ...और पढ़े

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उर्वशी - 11

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 11 फिर वे लोग कालका माता के मंदिर की ओर चल दिये। वहाँ जाकर पूजा करवाई गई। पूजा के उपरांत उर्वशी का हाथ लगवाकर गरीबों को भोजन बाँटा जाने लगा। इन सब मे काफी समय हो गया। जब वे लोग घर लौटे तो सुबह के दस बज गए थे। वह प्रसाद देने के लिये शौर्य को ढूँढने लगी, तो मालूम हुआ कि वह ऑफिस जा चुका है। यह देखकर उर्वशी ने स्वयं को बहुत आहत महसूस किया। ये क्या बात हुई, उसका पहला जन्मदिन और उन्होंने उसे बधाई भी नहीं दी ! न उसकी ...और पढ़े

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उर्वशी - 12

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 12 शिखर का यह नियम था कि वर्ष में दो बार वह हर काम छुट्टी लेकर पूरे परिवार के साथ भृमण पर निकल जाते थे। यही समय होता था अपनों के बीच क्वालिटी टाइम बिताने का, गिले शिकवे दूर करके जीवन रूपी पुस्तक में कुछ अविस्मरणीय पल संजोने का। इन दिनों वह व्यवसाय की कोई बात नहीं करते थे । ये दिन उन सबके जीवन में आयी नीरसता को मिटाकर नए रंग घोल देते थे, मन मस्तिष्क को तरोताजा कर देते थे। इस बार वे सभी दस दिन की छुट्टी पर स्विट्जरलैंड घूमने आये ...और पढ़े

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उर्वशी - 13

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 13 पूरे रास्ते वह मौन रही, शिखर बार बार उसे देखते और फिर दुखी जाते। उसके जाने का ख्याल उन्हें परेशान कर रहा था। अब वह कभी लौटकर नहीं आएगी। काश वह किसी तरह उसे रोक पाते। उनका जी चाह रहा था कि गिरेबान पकड़ कर शौर्य को लाएं और उसके कदमो में डाल दें, कि लो, यह रहा तुम्हारा अपराधी। इसे जो चाहे सज़ा दो। पर वह कुछ कर नहीं सकते थे। फ़्लाइट मुम्बई पहुँची तो शिखर के स्टाफ़ से दो मजबूत कद काठी के नज़र आते व्यक्ति, उनके स्वागत के लिए हवाई ...और पढ़े

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उर्वशी - 14

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 14 " इस तरह दबाव डालने की आदत छोड़ दीजिए। आपकी इस आदत ने मेरा सर्वनाश किया है। क्या ज़रूरत थी आपको दबाव डालकर उन्हें विवश करने की, कि वह मुझसे विवाह करें। नही निभा पाए न वह ? अगर आप उन्हें ग्रेसी से ही विवाह करने देते तो कम से कम मेरा जीवन बच जाता। " वह आवेश में बोलती जा रही थी और शिखर हतप्रभ। " वह लड़की इस लायक नहीं थी कि हमारे परिवार का हिस्सा बन सके। " उन्होंने सफाई दी। " यह आपकी सोच है। पर विवाह आपके भाई ...और पढ़े

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उर्वशी - 15

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 15 दो मिनट बाद ही उसके दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई। वह एकदम बैठ गई। रात के साढ़े बारह बज रहे थे। वह यंत्रचालित सी उठकर दरवाजे के पास गई। फिर रुक गई, उसका हृदय कहने लगा कि खोल दे दरवाजा, और लग जाए उनके सीने से। उसके हाथ चिटखनी की ओर बढ़ गए, पर मस्तिष्क ने उसे डपट दिया। खबरदार जो दरवाजा खोला। वह पलट गई और फिर पीठ दरवाजे से लगा ली। दरवाजे पर पुनः दस्तक हुई। उसकी हथेलियाँ दरवाजे पर कस गईं। मूर्ख, खोल दे दरवाजा, इतना चाहने वाला किस्मत ...और पढ़े

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उर्वशी - 16

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 16 दिल्ली एयरपोर्ट से कार में बैठकर वह लोग आगरा चल दिये। अब बस देर का साथ बाकी था। शिखर बहुत व्याकुल थे, पर कुछ कर नहीं सकते थे। उनके वश में होता तो कभी उसे जाने नहीं देते। वह खामोश थी, क्या कहे ? कहने का न माहौल था, न परिस्थिति, न कोई अधिकार। जीवन एक प्रश्नचिन्ह बनकर सामने था। " उर्वशी, हम फिर पूछ रहे हैं, कि अब क्या करेंगी आप ?" " पता नहीं।" " आप क्यों जिद पर अड़ी हैं ? हम आपको परेशान नही देख सकते। हम आपके लिए ...और पढ़े

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उर्वशी - 17

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 17 उस समय तो शौर्य ने जो मुँह में आया कह दिया, पर गुस्सा होते ही उसे अहसास हो गया था कि सिर्फ गलती ही नही बल्कि वह गुनाह कर बैठा है। उसके माफी माँगने पर उर्वशी ने कोई ध्यान नहीं दिया। बल्कि जब उसने बात करने की कोशिश की और ब ...और पढ़े

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उर्वशी - 18

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 18 इसी तनाव में वह उर्वशी के साथ अक्सर चिड़चिड़ा जाता। समय इतना था की दोनो को अपेक्षानुसार दे पाता। जब ग्रेसी ने देखा कि वह पत्नी से जुड़ता जा रहा है और उसके खिलाफ कोई भी बात सुनकर नाराज़ हो जाता है तो उसे लगा कि अब यह उसके हाथ ...और पढ़े

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उर्वशी - 19

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 19 थोड़ी देर बाद उसने मम्मी को फोन लगाया यह सूचना दी। यह सुनकर भौंचक्के रह गए। कुछ पल उन्हें समझ ही न आया कि क्या करें। फिर तय हुआ कि मम्मी पापा दोनो, अगले दिन लखनऊ आ जाएंगे। उर्वशी ने उमंग व मम्मी से राणा परिवार को यह सूचना देने से मना कर दिया। " अब ?" उमंग ने उसे देखकर प्रश्न किया। " अब क्या ? उन्हें ये ख़बर नहीं देनी है। " उसने दृढ़ स्वर में कहा। उमंग गहरे सोच में डूब गया और उर्वशी अपने ख्यालों में गुम हो गई। ...और पढ़े

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उर्वशी - 20

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 20 " हद है बचपने की। उधर शौर्य दिन रात पछता रहा है, खुद सज़ा दे रहा है। इधर आप अपनी जिद पर अड़ी हैं। न जाने किस किस को सज़ा दे रही हैं। शौर्य को, हमें, खुद को, अपने परिवार को, और शायद अपने आने वाले बच्चे को भी। " वह आवेश में बोलते रहे और वह सुनती रही। अंत मे उन्होंने एक स्त्री रोग विशेषज्ञ को बुला ही लिया। डॉक्टर ने उसका चेकअप किया, कुछ आवश्यक प्रश्न किये। फिर उन्हें बुलाकर बताया कि थोड़ी पेचीदगियां हैं। बी पी बढ़ा हुआ है। वह ...और पढ़े

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उर्वशी - 21

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 21 उसका रक्तचाप बढ़ रहा था। खाना पीना लगभग न के बराबर रह गया चूँकि वह किसी से अपने मन की बात नहीं कर पा रही थी तो घुटन भी बढ़ती जा रही थी। अक्सर वह बस मायूस सी शून्य में देखती रहती। पैरों में सूजन बढ़ने लगी, तीव्र सरदर्द भी रहने लगा। नींद उड़ गई, और एक दिन उसकी तबियत काफ़ी बिगड़ गई तो ड्रिप चढ़ाई गई । डॉक्टर ने बताया कि शिशु का विकास बहुत कम हो रहा है। अगर यही हाल रहा तो उसकी जान को खतरा है। उसे गोली देकर सुला ...और पढ़े

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उर्वशी - 22

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 22 " जब तक मेरे प्रति अपनी भावनाओं के विषय मे आपने कुछ नहीं था, और मेरा आकर्षण भी आप नहीं जानते थे, उस वक़्त तक फिर भी ठीक था, पर अब नहीं। यह बहुत खतरनाक स्थिति है। हो सकता है कभी कोई हमारे मन के इस चोर को पकड़ ले। हो सकता है कभी हम स्वयं की भावनाओं पर से नियंत्रण खो बैठें। फिर ... ?" बात समाप्त होते होते उनके चेहरे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गई थीं । वह समझ गए थे कि आगे चलकर परिस्थितियाँ कितनी विकट हो सकती ...और पढ़े

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उर्वशी - 23 - अंतिम भाग

उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 23 उर्वशी ने उससे कई बार कहा कि वह परेशानी न उठाया करे और ड्राइवर के हाथ भिजवा दिया करे, पर वह कहता कि उसे यह कर के अच्छा लगता है। कल को उसका बच्चा उससे यह न कह पाए कि जब उसकी माँ उसे अपने गर्भ में धारण करके तमाम तकलीफें उठा रही थी, तो उसका पिता क्या कर रहा था। वह दुनिया भर की हर खुशी अपनी पत्नी के दामन में भर देना चाहता था । अब वह पिता बनने वाला है । उसका या उर्वशी का छोटा सा प्रतिरूप कुछ ही ...और पढ़े

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