पता, एक खोये हुए खज़ाने का

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राजू के हाथों में आज उसके पिताजी का सामान शिफ्ट करते वक्त एक छोटी, मगर बहुत पुराणी डायरी आई थी. उसने वह डायरी पर नजर डाली. उस पर हाथ से बनी हुई, मगर कोई रहस्यमय आकृतियाँ थी. राजू की आँखें अचरज से फ़ैल गई. वह कोई स्थान के नक्से जैसी लगती थी. उसने याद करने की कोशिश की. वह किसी देश का नक्सा तो नहीं लगता था! फिर वह किस भू प्रदेश का नक्सा होगा? वह मन ही मन सोचने लगा. उसके पिताजी को चल बसे आज पंद्रह दिन गुजर गए थे. पिछली बरसात में उनका घर बहुत रिसा था;

Full Novel

1

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 1

राजू के हाथों में आज उसके पिताजी का सामान शिफ्ट करते वक्त एक छोटी, मगर बहुत पुराणी डायरी आई उसने वह डायरी पर नजर डाली. उस पर हाथ से बनी हुई, मगर कोई रहस्यमय आकृतियाँ थी. राजू की आँखें अचरज से फ़ैल गई. वह कोई स्थान के नक्से जैसी लगती थी. उसने याद करने की कोशिश की. वह किसी देश का नक्सा तो नहीं लगता था! फिर वह किस भू प्रदेश का नक्सा होगा? वह मन ही मन सोचने लगा. उसके पिताजी को चल बसे आज पंद्रह दिन गुजर गए थे. पिछली बरसात में उनका घर बहुत रिसा था; ...और पढ़े

2

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 2

"क्या बात है? तुम्हारी पापा के साथ बात हो रही थी तब मैं वहीँ बैठी हुई थी! तुम्हारी बात पापा गभरा गए थे. ऐसी क्या बात हो गई?""ओह! जेसिका. अच्छा हुआ जो तुमने मेसेज छोड़ा. अब फ्री हो तो रूबरू ही थोड़ी बात करते हैं ." इतना टाइप करते ही उसने सेंड बटन दबा दिया.थोड़ी देर तक जवाब का इन्तेजार किया. पर कोई रिप्लाय न पा कर वह सोने चला. डायरी की ही गुत्थी में उल्जा वह करवटे बदल रहा था, तभी मोबाइल की रिंग बज उठी. उसने स्क्रीन पर नजर डाली. फोन जेसिका का था. फ़टाफ़ट से उसने ...और पढ़े

3

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 3

लखन अंकल ने शराब का गिलास उठाते हुए घडी में देखा. रात्रि के बारह बजने को हुए थे. उसने किया.कहानी शुरू होती है हसमुख के दादा मेघ्नाथ्जी के लिखे पत्रों से. हसमुख के दादाजी जो "खारवा" (दरियाखेदु) प्रजाति से आते थे. और वह गोवा के एक बड़े व्यापारी के नावों के काफिले के मुख्य टन्देल हुआ करते थे. उस व्यापारी का बड़ा व्यवसाई अफ्रीका के देशों में चल रहा था. इसलिए परबत का अफ्रीका और इंडिया में लगातार आनाजाना लगा रहता था. यूँ कहिए, उसने अपना एक घर यहाँ तो दूसरा घर अफ्रीका के मोजाम्बिक में बसा रखा था. ...और पढ़े

4

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 4

जब हमारी वहां बातचीत चल रही थी, तभी कृष्णा को ऐसा लगा जैसे कोई उन्हें देख रहा हो. उसने एक नजर देखा; और तुरंत ही अपना चेहरा वापस मोड़ लिया. उनके चेहरे पर नापसंदगी के भाव उभर आये थे. उसने हमें आँखों के इशारे से उस और देखने को कहा. हमने जब कृष्णा की बताई दिशा में देखा तो हमारे बदन में से एक भय का जलजला गुजर गया. वहां अधेड़ सा दिखने वाला एक आदमी खड़ा था. वह अजीब सी नज़रों से हमें ही घूर रहा था. हमें उसकी नज़रों में भय का एहसास हुआ. हम लोगों ने ...और पढ़े

5

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 5

हम देर तक सोच विचार करते रहे. हमारे मन में बहुत से संदेह पैदा हो रहे थे. उस मनहूस और नानू की मिलीभगत पर भी हमने सोचा. पर हम कुछ तै नहीं कर पा रहे थे. अगर नानू सचमुच में दगाबाजी पर उतर आया था तो हमारे पास जो असली चीजों की नक़ल थी वह भी असल समान ही थी, उसकी मदद से वह उस धन तक पहुँच सकता था, फिर वह उसे ले क्यूँ नहीं गया? यहीं हमारे लिए बड़ी भेद की बात बनी रही. दूसरी सुबह जब हम किनारे पर उतरे. वहां हमारी ही उम्र का एक ...और पढ़े

6

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 6

"अरे! ये तो मर गया! इसकी हत्या किसने की!?" हसमुख चीख पड़ा.तुरंत हम सब की नजर उस लाश पर "ओ...ह गोद...!" एक उद्गार के साथ सब की आंखें आश्चर्य से फट गई.वह लाश उस मनहूस आदमी की थी. जो हमारा पीछा किया करता था. और जिसने हमें अब तक बहुत डराकर रखा था. पर अब वह हमारे सामने मरा पड़ा था. इन सब लाशों को देख हमारे बदन दहशत से कांपने लगे. वह बेट हमें मौत का घर लगने लगा. इसकी हत्या किसने की? यह सवाल सब के मन में था. पर उत्तर किसी के पास नहीं था. मेथ्यु ...और पढ़े

7

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 7

अचानक जगा की जोर जोर की कान फोड़ने वाली चीखें वातावरण में गूंज उठी. हम सब दहशत से थरथरा क्या हो गया? सब के मन में एक ही प्रश्न था. मैंने तुरंत मुड़कर जगा की और देखा! उनके चेहरे पर मौत का दर साफ़ दिखाई दे रहा था. तुरंत मेरी नजर नीचे गई. वहां दो बड़ी बड़ी आँखों वाला एक विकराल जबड़ा था. जो जगा के पाँव को नुकीले दांतों में जकड़े हुए था. और जगो उससे पीछा छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रहा था. वह एक ज़मीं पर रेंगने वाला घड़ियाल था. जो इस झाड़ियों में कहीं छिपकर ...और पढ़े

8

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 8

"अच्छा! वो क्या!?" जेसिका ने खुश होते हुए बड़ी बेताबी से पूछा. इसके उत्तर में राजू कहने लगा. "जब ने उस तस्वीर, चाबी और नक्शे को देखा, तभी वह इसके नकली होने के बारें में समझ गया था. और तुरन ही उसने मदद करने से इंकार भी कर दिया. वह सही भी तो था! क्यूंकि कोई भी ऐसी नकली चीजें बनाकर ला सकता था. और मेरे प्रदादाजी ने भी इस बारें में कुछ न कुछ विचार तो अवश्य ही किया होगा न! इसलिए इस मामले में असली चीजों के बिना काम नहीं निकल सकता था. पर पापा असल सब ...और पढ़े

9

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 9

इस आपरेशन में समुद्री लुटेरों एवं अन्य दुश्मनों से भेंट होने की संभावना भी पुरी थी. उसके लिए बंदूकों, और अन्य हथियारों की आवश्यकता रहती थी, पर वह अब आसानी से प्राप्त नहीं हो सकता था. इस बारें में उसने अपने दोस्तों से भी बात की, पर कोई हल न मिला. इसी मनोमंथन में एक सुबह कुछ सोचकर उसने अपना कंप्यूटर शुरू किया. गूगल पर टॉर ब्राउज़र सर्च कर उसे इंस्टोल कर लिया. फिर डार्कवेब खँगालने बैठा. दो तीन दिनों तक उसे कोई सफलता न मिली. पर चौथे दिन उसके हाथों एक वेबसाइट लगी. जिन पर गैरकानूनी चीज़वस्तुएं उपलब्ध ...और पढ़े

10

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 10

अपरिचित लोगों को दरवाजे पर खड़े देखकर उनके चेहरे पर प्रश्न भाव उभर आए. राजू: "नमस्ते आंटीजी! क्या हम से मिल सकते हैं?" औरत: "जी. आप घर में आइए." उनका उत्तर सुनकर राजू को खुशी हुई कि नानू ज़िन्दा तो है. वे घर में जा कर बैठे. औरत: "आप बैठिये; थोड़ी देर में दादा आ जायेंगे. वे चर्च गए हैं. अब लौटते ही होंगे. औरत की बात से राजू की टीम को इतना यकीन हो गया कि नानू स्वस्थ भी है और चर्च आया जाया करते हैं. इसलिए उनकी उम्मीदें भी बढ़ गई. वें बेताबी से इंतजारी करते हुए ...और पढ़े

11

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 11

पर सेठ के लड़के को यह कहाँ पता था, कि उसने इस तरह वापस पलट कर बहुत बड़ी गलती दी थी! जैसे वह पलता नहीं था! उसके नसीब ने ही पलती मारी थी. उसका यह निर्णय सारे काफिले का नसीब ही बदल देने वाला था. सेठ का लड़का पीछे लौटा. बाकी के जहाज आगे बढ़े. पर चार पांच घड़ी क्या बीती होगी की आगे से जानेपहचाने जहाज़ो का काफिला आते देखा. वह काफिला हम से एक दिन आगे पर ही निकला था. उससे पता चला की आगे लुटेरों ने धावा किया है और वें वहां से भागकर आ रहे ...और पढ़े

12

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 12

नानू: "ये तस्वीरें तो एक भरम मात्र है. मगर असल बात कुछ और ही है." इतना कहते हुए नानू रहस्यमय तरीके से हंसा. नानू की ऐसी भेदभरी हंसी से सभी उत्सुकता से उनकी और देखने लगे. नानू ने सभी पर एक नजर डाली. फिर "यह लो... अभी भेद खोल देता हूँ." इतना कहते हुए उसने एक हाथ में राजू की तस्वीर ली और दूसरे हाथ में अपनी तस्वीर ली. फिर दोनों तस्वीरों को एक दूसरे से लगा दिया. दोनों तस्वीर एक दुसरे से जुड़ गई. नानू वाली तस्वीर में एक छेद था, उसमे राजू की चाबी मिलाकर घूमाई. एक ...और पढ़े

13

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 13

आखिर वे उस द्वीप के नजदीक पहुँच गए. अभी किनारा काफी अंतर पर था. दूर से देखा, द्वीप घने से भरा पड़ा था. लगता था, यह द्वीप मानव पहुँच से दूर ही रहा है. बेट के चारों और पानी ही पानी था. नजदीक में कोई अन्य द्वीप के दर्शन नहीं हो रहे थे. इसका जोड़ी दार उत्तरी द्वीप भी दसियों मील दूर था. राजू की टीम ने द्वीप पर पाँव रखने से पहले पूरे द्वीप की प्रदक्षिणा कर लेना और द्वीप का मुआइना कर हर तरह से जांच पड़ताल कर लेना उचित समझा. वे धीरे धीरे बेट के किनारों ...और पढ़े

14

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 14

जब तक वे याट पर पहुँचे तब तक साम हो गई थी. उन्होंने अब तै किया कि अब वे साजो सामान के साथ चलेंगे और मेघनाथजी की बताई खोह की तलाश करेंगे. साथ ही साथ उन भेदी सायों, अलग दिखने वाली तलहटी और आग का रहस्य पता करने की भी कोशिश करेंगे. इस दौरान कुछ दिन जंगल में ही रहेंगे, तभी कोई काम बन सकता है. वर्ना यूँ ही आने जाने में वक्त बर्बाद होता रहेगा. मेघनाथजी की रची शिलपरिरक्षक वाली तीसरी पहेली उन्होंने याद की. जिसमे कहा था, एक खोहद्वार की रक्षा उत्तर, दक्षिण और पूर्व में एक ...और पढ़े

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पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 15

जब हम ज़र्रे से पानी भरकर वापस लौट रहे थे, तब मार्ग में हमें पंद्रह बीस मीटर के फासले पेड़ों के पीछे से किसी प्राणी के ग़ुर्राने की आवाज़ सुनाई दी. हम यह जानने के लिए जरा बगल में हटे कि वहां क्या है. और वहां टॉर्च की रोशनी डाली. तभी रोशनी पड़ने से एक भयंकर राक्षस ने पेड़ के पीछे से चेहरा निकालकर झांका. उनका भयंकर रूप देखकर हम दोनों ठिठक गए. जेसिका तो जोर से चीख कर लड़खड़ा पड़ी.पूरा काला बदन. बड़ा सर. लाल लाल आँख. और बड़े बड़े नुकीले सफेद दांत. पूरे सात आठ फूट लम्बा ...और पढ़े

16

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 16

चौकी करने वाली शुरूआती टुकड़ी में भीमुचाचा, हिरेन और रफिक्चाचा शामिल थे. जब उनकी बारी खत्म होने में थोड़ा शेष रह गया था, तब एक नई घटना घटित होनी आरम्भ हुई.वे दूरबीन से उस रौशनी की दिशा में वक्त वक्त पर नज़र बनाए हुए थे. इस उम्मीद में कि वहां कुछ घटित हो. हिरेन के हाथों में दूरबीन थी. अचानक वह अचंभे में पड़ गया. उसने देखा, वह रौशनी चलने लगी थी. उसने रफिक्चाचा और भीमुचाचा को भी इस अचरज की बात दिखलाई. वे भी अजूबे में पड़े. पेड़ों की वजह से कभी कभार वह रौशनी कम होकर गायब ...और पढ़े

17

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 17

यहाँ पड़ाव में दीपक और रफिक्चाचा को गए लम्बा वक्त गुजर गया था. उनके और जेसिका के न लौटने अन्य टीम मेम्बर्स को कुछ अनहोनी होने की दहशत पैदा हुई. वे जल्दी से खड़े हुए. और तीनों की तलाश में निकले. चारों और उनको ढूंढने लगे. पर कोई न दिखाई दिया. तीनों के नाम की पुकार भी लगाई. पर कोई उत्तर न पाकर वे उनकी तलाश में आगे बढ़े. तभी उन्होंने एक कानफोड़ु धमाका सुना. साथ ही एक तेज रोशनी का गोला भी देखा. उन्हें कोई बड़े संकट की भनक लगी. वे गभराए. और धमाके की दिशा में भागे.***दीपक ...और पढ़े

18

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 18

यह सुनते ही दीपक के चेहरे पे कोई रहस्यमय सी चमक आ गई. जो जेसिका ने न देखी. दीपक एक्साईट होकर जेसिका की पीठ थपथपाते हुए कहा. "तब तो हमें उनका पीछा करना ही पड़ेगा!" जेसिका: "क्यूँ?" दीपक का मकसद उनकी समझ में न आया. दीपक: "तुम चलो तो सही! देखते हैं, क्या होता है." जेसिका भी इन लोगों की हर हरकत को नोट करना चाहती थी. इसलिए वह भी तैयार हो गई. दोनों पहाड़ी पर थोड़े ऊपर चढ़े. और उन आदि मनुष्यों से तै दूरी रखकर उनका पीछा करने लगे. *******रात्रि का अँधेरा घिर आया था. राजू की ...और पढ़े

19

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 19

जेसिका और दीपक की बातों को टीम मेम्बर्स बड़े गौर और उत्सुकता से सुन रहे थे. जब तक दोनों अपनी बात ख़त्म की, तब तक अन्य सभी साथी भी उस खोह को देखने के लिए बड़े बेचैन हो उठे थे. जेसिका: "अब आप सब जब सुबह को चलेंगे और देखेंगे, तभी हम तै कर पाएंगे कि यह वहीँ खोह है, जिसकी हमें तलाश थी." राजू: "पर तुम लोग जो बता रहे हो, उससे तो यह पक्का हो जाता है कि यह वहीँ खोह होगी. क्यूंकि मेघनाथजी ने भी ऐसा ही संकेत दिया है कि वह खोह एक देवी का ...और पढ़े

20

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 20

तभी राजू का खुराफाती दिमाग डोड़ा. उसकी आँखे चमक उठी. उसने सब को अपने साथ चलने के लिए कहा. अपने साथियों को साथ लिए वह कहीं चल पड़ा. *************वे आदिम मनुष्य अपने उस त्यौहार के उत्सव में व्यस्त थे. अपने देवी देवता एवं पूर्वजों को जंगल में पाए जाने वाले सूअर और अन्य प्राणियों की बलि एवं भोग लगाने के बाद खुद मिज़बानी उड़ा रहे थे. तभी उनके दो चार बच्चे कहीं से दौड़ते हुए आये और मिज़बानी में मस्त लोगों को कुछ बताया. जिनको सुन, वे कोई गहरी सोच विचार में पड़े. फिर कुछ लोग खड़े हुए और ...और पढ़े

21

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 21

पर इस बार उन आदिम लोगों ने अश्रुगेस से बचने का तरीका निकाल लिया था. वे इस वक्त दो तीन तीन के झुंड में छितरबितर हो कर लड़ रहे थे. इसलिए अश्रुगैस वाली तरकीब इस बार काम न आई. और राजू की टीम के दो साथियों को आदिम लोगों ने पकड़ लिया. पर बाकी लोग सामान के साथ वापस खोह की और भागने में सफल रहे. उन्होंने खोह पर वापस लौटकर सारा घटनाक्रम अपने साथियों को बताया. और दो लोगों के पकड़े जाने का हाल भी कह सुनाया. पकड़े जाने वालों में पिंटू और दीपक थे. अब उनको कैसे ...और पढ़े

22

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 22

अब उन्होंने संदूकों से सारा धन निकाल, अन्य धन के साथ जमीन में गाड़ दिया. और अपने पड़ाव पर वक्त मार्ग में खाली संदूकों को जंगल में छोड़ दिया. उन्हें ऐसा विश्वास था कि वे आदिम लोग इस संदूकों को खोजते हुए जरूर आएँगे. और इस संदूकों को पा, वे उनका पीछा छोड़ देंगे. पर उन्हें क्या पता था कि वे जिसे गंवार मान रहे हैं, वे इतने नादान नहीं थे. और दिमाग के मामले में तो वे उनके भी बाप साबित होने वाले थे. उनसे पीछा छुड़ाना भी उन लोगों के लिए इतना आसान साबित नहीं होने वाला ...और पढ़े

23

पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 23 अंतिम भाग

मौत उनके बदन पर अपना वहशी पंजा पसारने लगी. उन्हें ऐसा लगने लगा जैसे यह गुफा ही उनकी जिंदगी अंतिम ठिकाना हो. मृत्यु उनकी आंखों के सामने दिखाई देने लगी. वे आखरी बार अपने अपने इश्वर को याद करने लगे. कहते है; जो हिम्मतवान होते है, उनको तो खुदा भी मदद करता है. फिर इन सब बहादुरों की दुर्दशा खुदा को कैसे मंजूर होती? तभी नियति ने इन साहसी लोगों की मौत को नामंजूर कर दिया. और वो हो गया; जो अप्रत्यासित था!अचानक राजू के बदन में कुछ हिलचाल हुई. उसने हिम्मत इकठ्ठा की. और त्वरा से कार्बन डायऑक्साइड ...और पढ़े

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