परियों का पेड़ (1) राजू एक लकड़हारे का बेटा था | उसके पिताजी जंगल से पेड़ काटकर लकड़ियाँ लाते | फिर उन्हें बाजार में बेच देते | उसकी माँ लकड़ियों से ही कुछ खिलौने भी बना लेती थी, जिसे बेचकर कुछ अतिरिक्त आमदनी हो जाती | इसी व्यवसाय से उसके परिवार का खर्च चलता था | राजू भी कभी – कभार अपने पिता के साथ जंगल में घूमने जाता | हरा – भरा जंगल उसे बहुत अच्छा लगता था | पहाड़ियों पर फैले जंगल में चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी पड़ी थी | विभिन्न प्रजातियों के रंग बिरंगे फूल, अनेक

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परियों का पेड़ - 1

परियों का पेड़ (1) राजू एक लकड़हारे का बेटा था | उसके पिताजी जंगल से पेड़ काटकर लकड़ियाँ लाते फिर उन्हें बाजार में बेच देते | उसकी माँ लकड़ियों से ही कुछ खिलौने भी बना लेती थी, जिसे बेचकर कुछ अतिरिक्त आमदनी हो जाती | इसी व्यवसाय से उसके परिवार का खर्च चलता था | राजू भी कभी – कभार अपने पिता के साथ जंगल में घूमने जाता | हरा – भरा जंगल उसे बहुत अच्छा लगता था | पहाड़ियों पर फैले जंगल में चारों ओर प्राकृतिक सुषमा बिखरी पड़ी थी | विभिन्न प्रजातियों के रंग बिरंगे फूल, अनेक ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 2

परियों का पेड़ (2) माँ ! तुम कहाँ गयी ? घर के पास राजू की गुहार सुनते ही कुछ दौड़ते हुए आए | पूछने लगे – “अरे बेटे ! क्या हुआ ? क्या हुआ ?? इस तरह रो क्यों रहे हो ?” लेकिन राजू तो सिर्फ रो रहा था, रोये ही जा रहा था | घबराहट में रोने के अलावा और कुछ बता ही नहीं पा रहा था | संयोगवश अब तक राजू के पिता भी जंगल से लौटकर आ गए थे | गाँव वालों की भीड़ और उनके बीच घिरे राजू को इस तरह रोता देखकर उन्हें भी ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 3

परियों का पेड़ (3) कहानी फूलपरी की “बहुत पहले की बात है | हिमालय पर्वत की घाटियों में फूलपुर एक राज्य था | उस राज्य में फूलों जैसी सुंदर और कोमल एक राजकुमारी भी थी | वह बहुत ही परोपकारी और दयालु थी | उसे रंग - बिरंगे फूलों और बच्चों से बहुत प्यार था | उसका मानना था कि बच्चे भी फूलों की तरह ही कोमल और सुन्दर होते हैं | वह प्रतिदिन अपने राज्य के अनेक गांवों में घूमने जाती | वहाँ खाली पड़ी जमीन पर रंग – बिरंगे, सुन्दर और सुगन्धित फूलों के बीज बिखराती | ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 4

परियों का पेड़ (4) परी की खोज में .........और जानते हो राजू ! हजारों वर्ष बाद भी हिमालय के पहाड़ों के बीच स्थित वह घाटी आज भी वैसे ही रंग –बिरंगे फूलों से सारी दुनिया को आकर्षित कर रही है | वहाँ के लोग तो यहाँ तक कहते हैं कि उस विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी में वह फूलपरी किसी न किसी अच्छे बच्चे को आज भी दिख जाती है | उसी सुन्दर स्वरूप में, जिसका चेहरा सुन्दर राजकुमारी जैसा और विशाल पंख रंगीन तितली के जैसे दिखते हैं |” “क्या .......???” – राजू आश्चर्य से मानो चीख पड़ा ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 5

परियों का पेड़ (5) ममता की चाह लेकिन उसके पिताजी आगे कहते जा रहे थे – “फिर यह भी है कि तुम उस भयानक जंगल में कैसे जा सकते हो ? तुम सचमुच में वहाँ जाने की कभी कोशिश भी मत करना | अकेले तो एक सीमा से आगे जाने की मेरी भी हिम्मत नहीं पड़ती, जबकि मेरी बड़ी सी कुल्हाड़ी मेरी सुरक्षा के लिए हमेशा मेरे साथ होती है | तुम तो अभी छोटे से बच्चे ही हो |” - “ओह बापू ! तब तो मैं उस पेड़ तक कभी नहीं जा पाऊँगा ?” “हाँ, तुम ऐसा करने ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 6

परियों का पेड़ (6) परी माँ से भेंट काफी सोच विचार के बाद भी जब राजू प्रति-उत्तर नही दे तो फिर एक प्रतिप्रश्न दोहरा बैठा – “वैसे लगता तो नहीं, लेकिन क्या तुम मेरी माँ हो ?” यह आकस्मिक सवाल सुनते उस देवी के चेहरे पर एक साथ आश्चर्य के कई भाव आकार गुजर गए | कुछ पल के लिए वह सन्नाटे में ही खड़ी रह गयी | उस दिव्य स्त्री ने थोड़ी देर बाद राजू के चेहरे पर दृष्टि गड़ाते हुए पूछा – “भला तुम्हें ऐसा क्यों लगा ?” “मुझे अच्छी तरह है | मेरी माँ के पास ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 7

परियों का पेड़ (7) स्वप्नलोक की उड़ान “सुनो राजू, यहाँ से थोड़ी दूर, बड़े वाले पहाड़ की ऊँची चोटी एक विशालकाय परियों का पेड़ है | आजकल उसी पर हमारा बसेरा है | बहुत सी परियाँ ठीक बारह वर्ष के अंतराल पर यहाँ आती हैं | धरती पर अपनी छुट्टियाँ मनाने | इस बार उन्हीं के साथ मैं भी घूमने और विशेषकर तुमसे मिलने के लिए यहाँ आई हूँ |” – परी ने अपना रहस्य खोल दिया | “अरे हाँ, शाम को मेरे पिताजी भी किसी ऐसे ही पेड़ के बारे में बता रहे थे | क्या आप ही ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 8

परियों का पेड़ (8) परियों के पेड़ पर जिस जगह पर राजू और परी उतर कर खड़े हुए, उसे गोल चौराहा भी कह सकते थे | यहाँ से अनेक दिशाओं को निकली हुई डलियाँ अर्थात चारों ओर के लिए वैसी ही पक्की सड़कें जा रही थी | परियों का वह विशाल पेड़ कोई मामूली पेड़ नहीं बल्कि किसी हरी – भरी पहाड़ी पर बसा पूरा का पूरा शहर लग रहा था | अनोखी रोशनी से जगमगाता हुआ विशाल शहर | राजू देख रहा था | परियों के इस पेड़ पर खूब चकाचौंध है | जैसे यहाँ कोई उत्सव हो ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 9

परियों का पेड़ (9) विश्वास के पथ पर राजू को विश्वास था कि यह वही रास्ता है, जिससे होकर रात में परियों के पेड़ तक गया था | इस रास्ते का पूरा मानचित्र उसके मस्तिष्क में अच्छी तरह अंकित हो गया था | उसे सब कुछ पूरी तरह याद था | जंगल की एक – एक पहाड़ियां, फिसलन भरी ढलानें, विशाल पेड़ों और झड़ियों से घिरी पगडंडियाँ | गहरी अँधेरी गुफा, विशालकाय हहराती हुई नदी और ऊँचाई से गिरकर बहता हुआ भयंकर झरना | अंधेरे में विचरण करते, चमकती घूरती आँखों वाले तरह – तरह के डरावने जंगली जीव ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 10

परियों का पेड़ (10) चल अकेला इस साहस और युक्ति भरे मुक़ाबले के कारण खतरा टल गया था | की जान छूट गयी थी | वह तत्काल वहाँ से आगे की ओर भाग निकला | आगे बढ़ते कदमों के साथ उसके दिल की धड़कनें भी बढ़ी हुई थी | लेकिन उस जगह राजू थोड़ा सा संयत होने के लिए भी नहीं रुका | अब वह इस घने और खतरनाक जंगल से जितनी जल्दी हो सके, बाहर निकल जाना चाहता था | राजू अनुमान लगा रहा था कि वह अनायास बिजली कड़कने जैसी तेज चमक परी रानी की जादुई छड़ी ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 11

परियों का पेड़ (11) संकट से पार नहीं उसने देखा, यह तूफानी शोर नदी के तेज बहाव तथा कटाव उखड़े हुए एक मोटे और लंबे पेड़ का था | यह पेड़ अनायास ही इस नदी की वेगवती धारा में उलटता – पुलटता और लुढ़कता हुआ, लहरों के थपेड़ों के साथ संघर्ष से उपजी गर्जना करता हुआ, उसी ओर बहता चला आ रहा था | इस बहते हुए पेड़ की वह भयंकर गर्जना ही जबरन राजू का ध्यान खींच रही थी | .....या फिर तात्कालिक समस्या का कोई अच्छा समाधान बताने वाली थी | बहरहाल, राजू उस पेड़ के वेग ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 12

परियों का पेड़ (12) दरिन्दे से मुठभेड़ फिर से बुरा फँसा बेचारा राजू | लेकिन अब वह सावधान हो था | उसने आगे बढ़ाये हुए कदम तत्काल पीछे खींच लिए | क्योंकि खतरे को समझे बिना आगे बढ़ते रहना कोई बहादुरी नहीं होती | राजू ने पीछे को कदम लौटाते हुए यह महसूस किया कि दोनों जलती हुई चीज किसी बिल्ली जैसे जानवर की आँखें हैं | वह आँखें अब थोड़ा आगे आ रही हैं | अब उसे तत्काल समझ में आ गया कि यह कोई जानवर ही है, जो चुपचाप, दबे पाँव आगे बढ़ रहा है | शायद ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 13

परियों का पेड़ (13) मौत के चंगुल में अब राजू के रास्ते में, उसके लक्ष्य के सामने कल – की तेज आवाज करता हुआ एक विशालकाय झरना बह रहा था | आगे का रास्ता उस झरने के नीचे की अत्यंत पतली, गीली और फिसलन भरी राह से गुजरता था | राजू ने एकदम हल्के, नाम मात्र के उजाले में बड़े ध्यान से उस रास्ते को देखा | एक बार में उस रास्ते से बस एक व्यक्ति ही जा सकता था | वह भी चट्टान के किनारों से चिपकते हुए या फिर ऊपर से लटकती हुई किसी मजबूत बेल का ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 14

परियों का पेड़ (14) परीलोक का द्वार फिर राजू की यह हालत देखकर बौनों ने एकबारगी ही अपनी हँसी दी | जैसी किसी गाड़ी के पहिये ‘इमरजेंसी ब्रेक’ लगाकर रोक दिये गये हों | इस अनपेक्षित हँसी का दौर एकाएक ही रुक जाने से वहाँ कुछ देर को अनपेक्षित सन्नाटा सा छा गया | अब तक तीनों बौने एक के पीछे एक सावधान की मुद्रा में खड़े हो गये थे | एकदम चुप शान्त | शून्य की ओर कान लगाये हुए, जैसे किसी का संकेत या आदेश समझने का प्रयास कर रहे हों | राजू समझ ही नहीं पाया ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 15

परियों का पेड़ (15) राजू बन गया राजकुमार अब तो राजू की खुशियों का ठिकाना न रहा | वह देर तक बार – बार, ऊपर से नीचे तक अपने आपको ही निहारता रहा | अपनी गर्दन को दायें – बाएँ घुमा – घुमा कर अपने मुकुट को संभालते हुए, अपने शरीर के सुंदर वस्त्रों को चारों ओर से देखने की कोशिश करता रहा | उसका दिल मानो बल्लियों उछल रहा था | खुशियाँ उसके आगे – आगे नाच रही थी | उसके सपने पूरे होने लगे थे | ऐसा तो उसने अब तक सिर्फ कहानियों वाले परीलोक में होता ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 16

परियों का पेड़ (16) अजब लोक के गजब निवासी ये सीढ़ियाँ तो स्वयं ही ऊपर की ओर सरकने लगी | ....अर्थात उन्हें लिये हुए खुद ही ऊपर की ओर उठने लगी थी | पैरों से चलकर ऊपर चढ़ने की जरूरत ही नहीं थी | वह आश्चर्य से चिल्लाया - “परी माँ ! संभलकर आना | ये सीढ़ियाँ तो खुद ऊपर की ओर सरक रही हैं | आप फिसलकर गिर न पड़ें ?” राजू की बात सुनते ही परी रानी हौले से मुस्कराई | कहने लगी – “चिंता मत करो राजू | ये सीढ़ियाँ किसी को गिरने ही नहीं देंगी ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 17

परियों का पेड़ (17) चलते फिरते चित्र परी रानी ने कहा – “वही जीवंत और चलते - फिरते से वाले चलचित्र |” “अच्छा ! जैसे हमारे यहाँ फिल्म होती है, वही न ?” – राजू ने उत्सुकता जाहिर की | “हाँ वही | तुमने फिल्म देखी है कभी ?” - परी रानी ने पूछा | “हाँ, हमारे स्कूल में शिक्षा विभाग की एक मोटर गाड़ी कभी – कभी आती है, जो हम बच्चों को कई तरह की फिल्में दिखाती है | लेकिन मैंने कभी शहर जाकर वहाँ के सिनेमा हाल में कोई फिल्म नहीं देखी |” – राजू ने ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 18

परियों का पेड़ (18) परीलोक में सैर सपाटा अब राजू के सामने परियों के पेड़ का पूरा ऊपरी हिस्सा – साफ दिखने लगा था | बाहर से पहाड़ की चोटी पर स्थित एक विशाल वटवृक्ष जैसा दिखने वाला यह पेड़ असल में बहुत जादुई था | यहाँ तो इस पेड़ के ऊपर का ये हिस्सा ही भरा - पूरा पहाड़ लग रहा था | इस हरे – भरे सुंदर पहाड़ पर यहाँ परियों का शहर ही बसा हुआ था | चारों ओर जहाँ तक भी राजू की नजर जा रही थी, यह शहर खत्म होने का नाम ही नहीं ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 19

परियों का पेड़ (19) चाँद का झूला जब राजू को यह सवाल ज्यादा परेशान करने लगा तो उसने परी से पूछना ही बेहतर समझा - "उस चाँद वाली बुढ़िया का रहस्य पता है आपको ? आखिर कहाँ चली गयी होगी आज ?" परी माँ ने बताया – “राजू ! तुम्हारी चाँद वाली बुढ़िया की तो हमेशा के लिए छुट्टी हो गई है |” “हाँय.....! भला ऐसा क्यों ?” – राजू ने आश्चर्य से पूछा | परी माँ ने कहा – “जब से तुम मनुष्यों के पाँव सचमुच चाँद पर पड़े हैं, तब से उस बुढ़िया की पोल खुल गई ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 20

परियों का पेड़ (20) यम-यम खाना, सोने जाना आखिरकार, प्रकट में राजू चतुराई से कहने लगा – “परी माँ मैं सोच रहा हूँ कि अब इन कैदी बादलों को आजाद कर दिया जाए | बेचारे कहीं और जाकर बरस जायेंगे तो किसी की प्यास बुझ जाएगी | सच में, इन्हें इनकी शरारत की इतनी ही सजा बहुत है |” राजू की चतुराई समझ कर परी रानी भी हँस पड़ी – “चलो ठीक है | जब तुम कहते हो तो इनको आजाद कर देते है |” परी रानी ने तुरन्त अपनी जादुई छड़ी घुमाई | सूरज की गर्मी लिए हुए ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 21

परियों का पेड़ (21) परी ! तुम ऐसी क्यों हो ? परी रानी आगे भी बताती रही – “ उस युग में भी परियों की प्रगति और खुशियों से ईर्ष्या रखने वालों की कमी न थी | हमारे जैसी थोड़ी बहुत शक्तियाँ रखने वाले कुछ लोग जिन्हें हम शैतान राक्षस और दुष्ट जादूगर कहते हैं , वे हम सबको पकड़कर हमें बहुत कष्ट देते थे और हमारी उन्नत शक्तियाँ छीनने का प्रयास करते रहते थे | हम उन सबके कारण बहुत दुखी रहते थे |” “आपके पास भी तो बहुत शक्तियाँ हैं | आप सभी उन दुष्ट लोगों से ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 22

परियों का पेड़ (22) अपनी धरती, अपने लोग राजू के कानों में अचानक ही किसी के चीखने – चिल्लाने तेज आवाज सुनाई दी | कोई उसे बुरी तरह झकझोरे दे रहा था | अचानक हुए इस शोरगुल से जैसे ही उसकी नींद खुली तो वह भौचक रह गया | यह बड़ी ही जानी – पहचानी आवाज थी | सूरज की तीखी किरणें सीधे उसके चेहरे पर पड़ रही थी | राजू ने अनुभव किया कि सूरज उसके सिर पर चढ़ आया था, जिसकी गर्माहट उसे साफ महसूस हो रही थी | उसने हड़बड़ाकर जल्दी – जल्दी दोनों हाथों से ...और पढ़े

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परियों का पेड़ - 23 - अंतिम भाग

परियों का पेड़ (23) लालच का परिणाम राजू ने एक बार फिर पिताजी से बहुत कड़ा विरोध किया – ! इस पेड़ को मत काटो | ये देखो, ये पेड़ से बहता हुआ पानी नहीं, बल्कि परियों के आँसू है | ये पेड़ कटने से परियाँ दुखी हैं | वे नाराज हो जायेंगी |” लेकिन पिता ने अब भी राजू की एक बात न सुनी | कुल्हाड़ी चलती गई | दरवाजे के निशान वाला हिस्सा पूरा कट गया | लेकिन दरवाजा खुलना तो दूर, पेड़ के तने में भीतर जाने वाले रास्ते का कोई चिन्ह तक नहीं मिला | ...और पढ़े

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