चुड़ैल वाला मोड़

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घनी सी रात में वो थरथराई सी हाइवे पर खड़ी थी , हर आते जाते मुसाफिर को हाथ देती l उसके बिखरे से बाल और स्याह सफेद सलवार सूट शायद राहगीरों को रुकने नहीं देना चाहता था l कई कहानियाँ थीं इस सड़क पर होने वाले हादसों के बारे में , कई बुजुर्गों के मुँह से लोगों ने सुनी थी उस हाइवे वाली चुड़ैल की कहानी l सफेद से कपडों में वो लोगों को हाथ देती है उनकी गाडियो में बैठती है और फिर अगले चौराहे से पहले उस गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है l हालाँकि सुबूत तो कोई

Full Novel

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चुड़ैल वाला मोड़ - 1

घनी सी रात में वो थरथराई सी हाइवे पर खड़ी थी , हर आते जाते मुसाफिर को हाथ देती उसके बिखरे से बाल और स्याह सफेद सलवार सूट शायद राहगीरों को रुकने नहीं देना चाहता था l कई कहानियाँ थीं इस सड़क पर होने वाले हादसों के बारे में , कई बुजुर्गों के मुँह से लोगों ने सुनी थी उस हाइवे वाली चुड़ैल की कहानी l सफेद से कपडों में वो लोगों को हाथ देती है उनकी गाडियो में बैठती है और फिर अगले चौराहे से पहले उस गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है l हालाँकि सुबूत तो कोई ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 2

शीशा नीचा होते ही लड़की ने सर भीतर की ओर डाल दिया और कुछ पलों के लिए भीतर मुआयना करने लगी | संकेत सहमा सा ड्राईवर सीट पर चिपका हुआ था, बोलने की लाख कोशिशों के बाद भी शब्द लगता था जम से गए थे | लड़की ने भी कुछ बोलने की कोशिश की पर कोई शब्द फूट ही नहीं रहा था | रात इतनी घनी थी कि सूरतें देखने का एक मात्र जरिया कार की छत पर लगी लाइट ही थी | इससे पहले कि वो लाइट बुझ पाती संकेत ने बटन को दाई तरफ पुश कर दिया ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 3

संकेत की आँखें बंद ही थीं अभी, रात का सारा वाकया उसकी बंद आँखों में एक फिल्म की तरह रहा था और साथ ही एक ख्याल भी कि क्या ये सब एक सपना था ! "पर इतनी हकीकत सी क्यों थी इस सपने में ?" यही सब सोचते हुए संकेत ने आँखें खोल दीं । एक पल के लिए तो कुछ समझ नहीं आया पर फिर आस पास लगी मशीनों, हरे पर्दों, हलके नीले रंग की पोशाकों में ऊपर एक सफ़ेद कोट पहने घूमते फिरते लोगों को देख कर समझते देर न लगी कि वो अस्पताल में है और ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ -4

संकेत सिहर सा गया था, ऐसा एहसास था कि जैसे ये कोई इशारा सा हो । एक उपस्थिति भी थी उस कमरे में । फारुखी चाचा की श्राप वाली बात को मज़ाक में टाल गया था संकेत और औघड़ भी उसकी नज़र में किसी पागल से ज्यादा कुछ था नहीं । पर सोचने वाली कुछ बातें ज़रूर थीं, चुड़ैल वाले मोड़ का उस 12 साल पुरानी घटना से सम्बन्ध क्या है? "12, यहाँ भी 12 का नंबर पीछा छोड़ नहीं रहा और उस एक्सीडेंट वाले दिन तारीख क्या थी.........? अरे हाँ 12 ही तो थी l" संकेत खुद से ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 5

संकेत के दिल की धड़कन बढ़ गई थी । उसका खौफनाक एक्सीडेंट और सुशान्त का सुसाइड अटेम्प्ट । संकेत रहा था कि इससे अच्छा तो मर ही गया होता कम से कम सुशान्त पर तो मुसीबत न आती और शायद श्राप भी ख़त्म हो जाता । सोचते हुए संकेत को घड़ी का ख्याल आया, देखता तो रोज़ था पर कभी ध्यान नहीं दिया कि घड़ी उस पहली होश वाली रात के बाद अपनी जगह से गायब थी । आखिर वो घड़ी गई तो गई कहाँ ? माँ वो घड़ी कहाँ गई । संकेत ने माँ से पूछा । ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 6

संकेत के कॉन्सेप्ट हिल गए थे सुशान्त की बातें सुन कर । कहानी जितनी आसान होनी चाहिए थी उतनी नहीं उसे तो बस इतना पता था कि एक चुड़ैल अपना बदला पूरा करने आई है पर कॉम्प्लिकेशन थे जो फंसते ही जा रहे थे ।"रुक रुक.... तू रोना बंद कर पहले और मेरे हर सवाल का बिलकुल सही ज़वाब दे ।" संकेत ने रोते सुशान्त की हथेली पर अपना हाथ रखा , "कहाँ रहती है तेरी रश्मि?""करतारपुर की मठिया के पीछे........" सुशान्त ने ज़वाब दिया ।"कब से जानता है तू उसे?" संकेत ने अगला सवाल दागा ।"करीब 14 महीनों ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 7

"देख डर उतना ही सताता है जितना हम उसके बारे में सोचते हैं । यह सिर्फ इत्तेफ़ाक़ है कि एक्सीडेंट और मेरा ब्रेक डाउन सेम टाइम पर हो गया । तू भूल जा इन सब बातों को, तीन दिन में तेरा डिस्चार्ज है यहाँ से । घर पहुंच और नयी लाइफ स्टार्ट कर ।" जो सुशान्त अभी बिखरा सा लग रहा था वही अब इतना ज़ब्त खड़ा था । दोस्त की परेशानी में खुद का दुःख भूल जाना ही शायद दोस्ती है । संकेत को भी अब सब कुछ ठीक लग रहा था । तीन दिन कब बीत गए ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 8

"पापा, पर्स होने का तो साफ़ मतलब है कि वो चुड़ैल नहीं थी । " संकेत पापा से मुखातिब । "लगता तो ऐसा ही है, ऐसा भी हो सकता है कि चुड़ैल ही हो और उसने मर्ज़ी से पर्स छोड़ा हो या लड़की हो और निकलते टाइम वो जल्दबाज़ी में पर्स भूल गई हो ।" पापा बोले । "कुछ समझ नहीं आ रहीं आपकी बातें पापा । या तो वो लड़की है या चुड़ैल । दोनों तो नहीं हो सकती न ।" संकेत बोला । "तेरा ज़वाब तेरे पास ही है । पर्स खोल तुझे तेरे कुछ ज़वाब तो ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 9

पापा की आवाज़ सुनकर सोनम को वहीँ ड्राइंग रूम में छोड़कर संकेत पापा की कमरे की तरफ भागा । गैलेरी की खिड़की का शीशा भड़ाक की आवाज़ के साथ टूटा । गनीमत थी कि संकेत खिड़की से 3 फ़ीट की दूरी पर था । एक पल में ही पापा, माँ और सोनम सब वहां इकठ्ठे हो गए । खिड़की सड़क की तरफ खुलती होती तो शायद पत्थर लगने का शक भी होता पर उस खिड़की का दूसरा सिरा स्टोर रूम में खुलता था । आखिर ये शीशा इस तरह कैसे टूटा यह एक रहस्य ही था । "तुझको लगी ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 10

तभी माँ के चीखने की आवाज़ कानों में पड़ी | पापा और संकेत दोनों ही बिस्तर से कूद कर | हॉल में माँ बुत बनी खड़ी थी और हाथ से छूट कर गिरे कांच के गिलास का शीशा माँ के इर्द गिर्द बिखर रहा था | "क्या हुआ माँ ?" संकेत आते ही बोला | इतने में कमरे में सोई हुई सोनम भी बाहर आई," क्या हुआ ?" पर माँ थीं कि कुछ बोलने की स्थिति में ही नहीं थीं, चुपचाप संकेत के हाथ के इशारे पर सोफे पर बैठ गई, पानी पीने को बोला तो पी लिया | ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 11

पापा से बातें करते हुए रात कब गुज़र गई पता ही नहीं चला । अगली सुबह उठा तो देखा लिफाफा ड्राइंग रूम में कांच की उस सेण्टर टेबल के बीचों बीच रखा हुआ था । सलीके से चिपकाया हुआ वो लिफाफा किसी चिट्ठी सा लग रहा था । संकेत ने माँ को आवाज़ दी,"माँ ये चिट्ठी किसकी आई है ?" "पता नहीं बेटा खोल के देख ले ।" माँ ने किचेन से ही आवाज़ लगा दी । पापा कमरे से निकल कर संकेत के पास आ गए । अब तो हर पल लगा करता था कि कब कौन सी ...और पढ़े

12

चुड़ैल वाला मोड़ - 12

रेनू इन्स्पिरेशन थी संकेत के लिए । मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों में भी आसान से आसान रास्ता निकालना रेनू ही तो सिखाया था संकेत को । स्कूल की वो दोस्ती कब प्यार में बदली दोनों को पता नहीं चला । ढेर से दोस्तों का ग्रुप था संकेत का जिसमे संकेत, सुशान्त, गौतम, शिवानि, मंजू, शब्बीर, कृतिका, पूनम और रेनू शामिल थे । दोस्ती इतनी गहरी थी कि संकेत के माँ पापा को स्कूल के बाद बारी बारी से हर दोस्त के घर फोन लगाना पड़ता था । और इन सब दोस्तियों में संकेत और रेनू का रिश्ता इतना स्पॉनटेनियस ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 13

संकेत वापस अपने कमरे में गया दराज खोली और उसे खंगालने लगा । रेनू की चिट्ठी को पूरे 2 बाद हाथ लगाया था संकेत ने । आज उसे रेनू बहुत याद आ रही थी । चिट्ठी हाथ में लेते ही बिजली की ज़ोर की गड़गड़ाहट हुई और संकेत की खिड़की का कांच टूट गया । बाहर झांक कर देखा तो आसमान बिलकुल साफ़ था, तारों की टिमटिम को बहुत दिन बाद संकेत ने इतने ध्यान से देखा था । रेनू को तारे देखना बहुत पसंद था । ठंडी हवा को महसूस करते संकेत को लगा कि अचानक कोई कपडा़ ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 14

घर में आये उस बवन्डर ने संकेत की ज़िन्दगी में बवन्डर ला दिया था । एक तरफ माँ, पापा जान और दूसरी तरफ रेनू को दी गई आखिरी कसम । किसको अपनाये संकेत की समझ में नहीं आ रहा था । ऑफिस में फ़ोन कर के 10 दिनों की छुट्टी अप्लाई कर दी थी संकेत ने । पापा आज लैपटॉप खोल कर कुछ खोये हुए से बैठे थे । माँ अपने दैनिक कामों में व्यस्त तो थीं पर बार बार भूल जातीं थी कि करना क्या है । चिंता सबके मन को हरा रही थी । कि तभी सोनम ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 15

"सोनम तुमने ये सब कहाँ से सीखा ।" संकेत ने सवाल किया सोनम से । "कुछ सीखा वीखा नहीं बस किताबों से मिली नॉलेज है । एनर्जी कैन नेवर बी क्रिएटेड नार बी डिस्ट्रॉयड, इट कैन ओनली चेंज इट्स फॉर्म ।" "मतलब?" संकेत कुछ समझा नहीं था । "अरे मतलब आग जलाई और नहीं बुझी तो कोई नहीं, बुझ गई तो कोई है और पहली बाती अहूत की, दूसरी पुन्यआत्मा की और तीसरी क्रोधित । और हाँ इससे ज्यादा मदद की उम्मीद नहीं रखना मुझसे और कुछ नहीं आता है मुझे ।" सोनम बोले जा रही थी । "सोनम, ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 16

टु गैदर वी...... मोटो और आये हुए लोगो को ढूंढने का सबसे पहला साधन संकेत के पास गूगल था संकेत ने फोटो शॉप यूज़ करते हुए लोगो को पूरा किया और गूगल पर इमेज सर्च किया । उससे मिलते जुलते 4 लोगो संकेत के सामने आये, पर किसी भी लोगो का मोटो वो नहीं था जो उस आई कार्ड पर था । संकेत का पहला ट्राय फेल हो गया था । अब अगला निशाना था अनिवेश राजपुरोहित.... । अनिवेश को तलाशने का जरिया संकेत ने फेसबुक को बनाया, पर फेसबुक पर इस नाम का कोई शख्स मौजूद ही नहीं ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 17

रात के दो बजे थे, कि उसके फ़ोन ने मेसेज टोन बजाई, व्हाट्सऐप पर किसी अननोन नंबर से मेसेज । 3 जीबी की फाइल का कलेक्शन भेजा था किसी ने । संकेत ने डाउनलोड के लिए क्लिक कर दिया । नेट स्पीड बहुत स्लो थी । काफी देर के इंतज़ार के बाद संकेत सो गया । रात रेनू और सोनम के बीच के फासले को समझने में बीत गई । तीन बजे के करीब संकेत नींद के आगोश में खो गया । संकेत को लगा कि दो लड़कियाँ सर पर दुपट्टा डाले एक शादी के मन्डप में बैठी हैं ...और पढ़े

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चुड़ैल वाला मोड़ - 18 - अंतिम भाग

लड़की ने नज़रें उठाईं और संकेत की तरफ देखते हुए बोली,"अस्मि महाजन" । "और तुम्हारी दीदी का नाम रश्मि ।" संकेत का नाम लेना ही था कि कमरे के एक कोने में एक परछाई सी बन उठी । पर संकेत चुप नहीं हुआ," अस्मि तुम्हारी दीदी अब इस दुनिया में नहीं हैं और उनका कातिल तुम्हारे सामने है ।" सुशान्त की तरफ इशारा करते हुए संकेत बोला । सुशान्त भौचक्का रह गया," झूठ है ये.... क्या बकवास है.... सब झूठ है ये ।" सुशान्त सहमी पर ज़ोरदार आवाज़ में चिल्ला रहा था । "झूठ मत बोलो सुशान्त, तुमको रश्मि ...और पढ़े

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