Pal Pal Dil ke Paas book and story is written by Neerja Pandey in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Pal Pal Dil ke Paas is also popular in प्रेम कथाएँ in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
पल पल दिल के पास - उपन्यास
Neerja Pandey
द्वारा
हिंदी प्रेम कथाएँ
1 जैसे ही ट्रेन आकर रुकी मुसाफिरों का हूजूम चढ़ने को बेताब हो गया। एक दूसरे को धक्का - मुक्की देते हुए सभी चढ़ने लगे। मैं भी कोशिश कर चढ़ गया। अभी अपनी बर्थ पर बैठा ही था कि ट्रेन खुल गई। अभी ट्रेन रेंग ही रही थी कि एक लगभग चीखती हुई आवाज सुनाई दी, "प्लीज़ कोई मेरी हेल्प करो......" और एक लड़की बैग टांगे दौड़ती हुई दिखाई दी। मै भी उसकी आवाज सुन कर सब दर्शक बने लोगों को बगल करता हुआ गेट के पास आ गया। उसने सहायता के लिए हाथ आगे फैला दिया। मैंने भी अपना
1 जैसे ही ट्रेन आकर रुकी मुसाफिरों का हूजूम चढ़ने को बेताब हो गया। एक दूसरे को धक्का - मुक्की देते हुए सभी चढ़ने लगे। मैं भी कोशिश कर चढ़ गया। अभी अपनी बर्थ पर बैठा ही था कि ...और पढ़ेखुल गई। अभी ट्रेन रेंग ही रही थी कि एक लगभग चीखती हुई आवाज सुनाई दी, "प्लीज़ कोई मेरी हेल्प करो......" और एक लड़की बैग टांगे दौड़ती हुई दिखाई दी। मै भी उसकी आवाज सुन कर सब दर्शक बने लोगों को बगल करता हुआ गेट के पास आ गया। उसने सहायता के लिए हाथ आगे फैला दिया। मैंने भी अपना
2 उस दिन के बाद किसी भी तरह नियति को तलाशना मेरे जीवन का मकसद बन गया। हर महीने मैं हैदराबाद आता और जहां भी उम्मीद होती, लगभग हर संभावित जगह नियति को तलाशता। समय बीतता जा रहा था ...और पढ़ेनियति तो क्या उसकी परछाई भी नही मिल पा रही थी। मैं परेशान हो एक पल के लिए भी नियति को नहीं भूल पाता । मेरी तलाश चलती रही , समय ना किसी के लिए रुका है न रुका। पर समय के साथ मेरे दिल में नियति की यादें धूमिल होने की बजाय गहरे तक घर कर गई। भले ही
3 अभी तक आप सभी ने पढ़ा, नियति और मयंक की बेटी मिनी की बर्थ डे पार्टी हो रही है। जिसमे केक अभी तक नही आ पाया है। नियति की सास नीना देवी इस बात से नाराज है। वो ...और पढ़ेकहती है की जाओ और पता करो की केक अभी तक क्यों नहीं आया..? नियति ये पता करने के बदले खुद ही दुकान जा कर केक ले आने का फैसला करती है। बाहर उसे ड्राइवर कहीं दिखाई नहीं देता तो वो परेशान हो जाती है। मां को नियति पर नाराज होते हुए मयंक देख लेता है। वो भी उसके पीछे
भाग 4 अलविदा... पूर्व के भाग में आप सभी ने पढ़ा की बेटी मिनी के बर्थ डे केक लेकर लौटते समय मयंक जल्दी घर पहुंचने के लिए तेज स्पीड गाड़ी चला रहा था। मयंक सामने से आ ट्रक से ...और पढ़ेके चक्कर में संतुलन खो बैठा और एक पेड़ से जा टकराया। घायल मयंक और नियति को हॉस्पिटल पहुंचाया जाता है। तीसरे दिन सुबह ही मयंक की हालत अचानक ही बिगड़ जाती है। डॉक्टर की सारी कोशिश नाकाम होती है। अब आगे पढ़े। डॉक्टर की झुकी नजरे देख नीना देवी का दिल बैठा जा रहा था। सुबह खाली हॉस्पिटल का
भाग 5 अग्नि पथ पूर्व के भाग में आपने पढ़ा, नियति और मयंक दोनो ही गंभीर रूप से घायल होते है। नियति की चोट बाहरी थी, वहीं मयंक की चोट अंदरूनी थी। ऊपर से देखने पर मयंक बिलकुल ठीक ...और पढ़ेरहा था, पर इन चोटें ने उसे अंदर से बहुत ज्यादा घायल कर दिया था। फल स्वरूप दूसरे दिन मयंक इस दुनिया से …..सदा... सदा…...के लिए चला गया। नियति की स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद उसकी मां उसे लेकर उसके ससुराल पहुंचती है। नियति को अंदर से किसी अनहोनी की आशंका हो रही थी। पढ़े आगे क्या हुआ जब