Heartbeats
Chapter-6
Parth J. Ghelani
Disclaimer
ALL CHARECTERS AND EVENT DEPICTED IN THIS STORY IS FICTITIOUS.
ANY SIMILARITY ANY PERSON LIVING OR DEAD IS MEARLY COINCIDENCE.
इस वार्ता के सभी पात्र काल्पनिक है,और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई संबध नहीं है | हमारा मुख्य उदेश्य हमारे वांचनमित्रो को मनोंरजन कराना है |
आगे देखा,
आरोही,प्रेम के दोस्तो द्वारा प्ले किये हुये गाने से परेशान होकर प्रिया के साथ बहार निकल जाती है बहार जाके आरोही प्रेम के बारे में प्रिया से बाते करती है | दुसरे सेमेस्टर में चेस में पार्टिसिपेट करती है जिसमे आरोही जित जाती है | सब लोग आरोही से आके मिलते है और बेस्ट विशिष देते है पर उसको तो सिर्फ प्रेम का ही इंतज़ार होता है,आखिर में प्रेम आके प्रिया से बाते करता है ओर बेस्ट विशिष देकर वहाँ से चला जाता है | प्रिया प्रेम के साथ बात हुयी इस बात से बहुत ही ज्यादा खुश हो जाती है दूसरी और प्रेम भी बहुत खुश हो जाता है ओर कल आरोही से बात करने का तय करके सो जाता है |
अब आगे,
आरोही
घर पहोंचकर में तो प्रेम में ही खो गई थी मुझे पता ही नहीं था की उसके साथ की दो मिनिट मेरी रातों की नींदे उड़ाने वाली थी वेसे तो हररोज तो आती यही हालत होती है लेकिन आज की रात कुछ अलग सी थी मेरे लिए | अब मेरे अंदर भी एक नया जोश आ गया उसके साथ बात करने का ओर इसी जोश के साथ तय कर लिया की कल जाके उससे केसे भी कर के बातें करुँगी,पर केसे??
थोड़ी देर बाद सोचने के बाद मुझे बाते करने का बहाना मिल गया ओर तय किया की कल सुबह जाते ही कही पर भी मुझे दिखता है तो सबसे पहेले गुड मोर्निंग विश करुँगी |
अगले दिन जल्दी जल्दी तैयार होकर कोलेज के लिए निकल गई,कोलेज पहोंचकर देखा तो प्रेम आ चूका था और अपने दोस्तों के साथ खड़ा था इसलिए मेने सोचा की अभी नही जब वो अकेला होगा तब में बात करने के लिए जाउंगी और ब्रेक में तय हुवा | ब्रेक में जैसे बात करने जा रही थी की फिर से वो अपने दोस्तों से घिरा हुवा था तो मेने सोचा लंच ब्रेक में जाउंगी | जैसे लंच ब्रेक हुवा की फिर से वो क्लास से बहार निकल गया अपने दोस्तों के साथ लंच करने तो मैंने सोचा की जैसे ही वो लंच करके आ जाये तब बात करूंगी लेकिन फिर अपने दोस्तों के गप्पे लगाने बैठ गया था तो फिर से मैंने सोचा की अब छुट्टी के समय पे तो केसे भी कर के बात कर लुंगी और आखिर वो वख्त भी आ गया,जैसे ही छुट्टी गिरी भाई अपना बेग लेके इसे भगा जैसे कोई रेस लगी हो और इसी के चक्कर में पूरा दिन चला गया पर बात नहीं हुई | लेकिन पुरे दिन में वो मुझे अकेला मिला ही नही इसलिए हररोज की तरह सिर्फ आँखों आँखों से बाते की और उसी यादो को साथ लेकर घर चली गई | रात को फीर सोचा के कल बात करने जाउंगी लेकिन फिर से वही हुवा जो कल हुवा था | अब मेरा हररोज का ये स्केड्यूल बन चूका था रात को सोचने का ओर कोलेज में जाके बात नही करने का ये सिलसिले के आज ढाई साल पूरा हो चूका था तो, ये सब देख के प्रिया ने मुझसे कहा,
कबतक चलेगा ये सब?? तुम उससे बात ही नहीं कर सकती हो तो फिर प्यार किया ही क्यों??
वो भी तो बात करने आ सकता है की नही??
अरे जब वो तुमसे प्यार नही करता,तो तुमसे बात करने क्यों आये??
वो भी मुझसे प्यार करता है,मैंने उसकी आँखों में साफ साफ देखा है |
अरे,वो सब के साथ ऐसे ही बात करता है और ऐसे ही बिहेव करता है |
सब के साथ बात तो करता है पर मेरे साथ बात ही नही करता पता है क्यों??
क्यों??
क्यों की आप को जिससे प्यार होता है ना उसके साथ बात करने में ही सबसे ज्यादा डर लगता है ओर इसी वजह है की में आजतक उससे बात नही कर पाई |
तो अब क्या??
अब कल मिलने जाना ही पड़ेगा चाहे कुछ भी हो जाये |
कल क्यों??आज क्यों नही??
ओके,चल अभी जाते है इतना बोल के में प्रेम जहाँ पर खड़ा था वहाँ पर जाके में बोली,
प्रेम...
प्रेम
अगले दिन में कोलेज गया लेकिन बात मुझसे हो न सकी,हररोज सोचता था की कल बात करूँगा करूँगा लेकिन हररोज उसको देख के मेरे अंदर एक डर सा पेस जाता ओर हररोज बात नही हो पाती |
दिन कैसे कट रहेथे पता ही नही चल रहा था थोड़े दिनों में ही August आ गया ओर साथ ही साथ में फ्रेंडशिप डे | फ्रेंडशिप डे August के पहेले रविवार को मनाते है और रविवार को कोलेज में छुट्टी होती है इसलिए हमने शनिवार को ही कोलेज में फ्रेंडशिप डे मनाने का तय किया और आखिर वो दिन भी आ गया |
में आशीष के साथ जाके आरोही के लिए बेस्ट फ्रेंडशिप बेल्ट लेकर तो आ गया लेकिन उसको जाके विश कैसे करू??उसको ये बेल्ट कैसे लगाऊ??मैंने आशीष से कहा
अरे,उसके पास जाके बांधदो और आपने मुह से बोलकर विश कर दो |
अरे,उसके लिए भी तो हिम्मत चाहिए ना |
हा,तो |
वही नहीं है |
सब के साथ तो बात करता है बस एक उसीके साथ क्यों नहीं कर सकता है तू??
क्योंकि,मै उससे प्यार करता हु इसी लिए |
तो जाना इतना बोलकर आशीष ने मुझे धक्का लगाया और में आरोही के पास पहुंचा और उसके पीछे छे आगे चला गया |
आज पुरे दिन मैंने आरोही को फ्रेंडशिप डे विश करने की कोशिश की लेकिन हरबार नाकाम रहा ये सब देख के आशीष ने मुझसे कहा,
भाई,बात करने की हिम्मत ही नहीं है तो प्यार क्यों करता है??
बात,भी तो सही थी उसकी लेकिन तकलीफ भी वही थी के मेंरे में हिम्मत ही नही थी |
ऐसे ही हमारे कोलेज के दिन कट रहे थे और कटते कटते ढाई साल कट गए पता ही नहीं चला | एक दिन में मेरे दोस्तों के साथ खड़ा था की अचानक पीछे से एक आवाज आयी,
प्रेम...
ये सुनते ही मैंने पीछे मुड के देखा तो पीछे आरोही ख़डी थी और में कुछ बोलू उससे पहेले वो फिरसे बोली,
मुझे कुछ तुम्हारा काम है तो आज लंच ब्रेक में केंटिन में आना |
इतना बोलकर वो निकल गई,पर मेरे साथ खड़े मेरे सभी दोस्तों मेरी और देख के कुछ अजब सी स्माइल करने लगे ओर शोर मचाने लगे |
ये छोटा ब्रेक ख़त्म होते ही में क्लास में जाके अपनी जगह पे बैठ गया,पर में अब भी कन्फ्यूज था की आरोही को मुझसे एसा क्या काम है,कही मुझसे कोई गलती तो नहीं हुयी होगी न??ये लंच ब्रेक के बिच के दोनों लेक्चर्स में आरोही की तरफ देखता रहा और ये सब सोचता रहा |
In Canteen (Sem-6)
हररोज की तरह मैंने मेरा लंच अपने दोस्तों के साथ किया और थोड़ी देर बाद केंटिन में गया,जहाँ एक टेबल पर आरोही ओर प्रिया दोनों बैठी हुयी थी वहाँ पर जाके में जैसे बैठा की प्रिया बोली,
हेल्लो,प्रेम कैसे हो??
मै एकदम ठीक हु,और आप दोनों??मैंने उससे कहा
हम दोनों भी एकदम ठीक है | प्रिया बोली
ओके,धेट्स गुड,इतना बोल के में आरोही की और मुड के बोला,
हां,पहेले तुम ये बताऊ के तुम्हे मुझसे क्या कम है??
बताती हु |
मुझसे कोई गलती हुयी है??
नहीं,कोई गलती नहीं है तुम्हारी |
तो??
बस बात करनी थी तुमसे इसि लिए बुलाया था |
ये,सुनते ही में सोचने लगा की मुझसे क्या बात करनी होगी आरोही को??
प्रेम,ये बात मैंने अभीतक प्रिया को भी नही बताई है |
कौन सी बात??मै ओर प्रिया एक ही साथ बोल पड़े
जी बात ऐसी है ना की...
हां,आगे बोलो | प्रिया बोली
की,मेरी सगाई तय हो चुकी है |
क्या??प्रिया आरोही की तरफ देख के बोली ओर मेरे पेरो के निचे से जमीं खिसक ने लगी,मेरे कानो को यकीं ही नही हो रहा था की आरोही की सगाई तय हो चुकी है और मेरे पास तो कोई शब्द ही नही था की में क्या बोलू फिर भी एक शब्द था जो मैंने बड़ी शांति से कहा,
Congratulations and have a fantastic life ahead..
सच्ची??प्रिया आरोही की तरफ देखके बोली
हां,ओर B.E. ख़त्म होते ही मेरी शादी होने वाली है |
कुछ जल्दी ही नही हो रहा है ??मैंने अपने दबते हुये आवाज से पूछा
हां,वहीँ ना | प्रिया बोली
हाँ,जल्दी तो है पर मेरे पापा ने सब फिक्स कर दिया है ओर तुजे तो सब पता है ना प्रिया..
हां,मुझे सब पता है तो अब में क्या करू? प्रिया बोली
हां,तो तुम्हे पता ही है ना की हमारे में शादी जल्दी हो जाती है |
हाँ..|
लड़का क्या करता है??केसा दीखता है??क्या,तुम्हे वो पसंद है??मैंने एक साथ इतने सारे सवाल एक ही साथ पूछ लिए
मुझे,लड़के के बारे में कुछ नही पता ओर नही आज तक देखा है मैंने उसे |
What???
हां,प्रेम हमारे में बचपन से ही सब फिक्स होता है | प्रिया बोली
हमें पसंद न हो तो??
फिर भी करनी पड़ेगी | प्रिया ने कहा
हम लोग बातचीत ही कर रहे थे के हमारा लंच ब्रेक खत्म हो गया ओर हम तीनो साथ में ही अपने क्लास की और निकल पड़े | क्लास में पहोंचते ही हम सब अपनी अपनी जगह पे बैठ गए और लेक्चर्स भरने लगे,लेकिन मेरा मन तो अभी भी आरोही में ही लगा हुवा था,में बार बार उसकी तरफ देख लिया करता था | में आरोही की एक बात से हेरान था की उसने अपनी शादी की बात मुझसे क्यों बताई??क्या वो मुझे कोई क्लू दे रही थी??क्या वो मुझसे पसंद करती है??अरे मुझे पसंद करती होगी तो मुझे सीधे सीधे ही बोल देती |
Semester-7
इस दिन के बाद आरोही हररोज मुझसे बाते करने लगी थी | में,प्रिया,ओर आरोही हम तीनो अब पक्के दोस्त बन चुके थे,हम लोग साथ में मूवी देखने जाने लगे,साथ में घुमने लगे,फोन पे बाते करने लगे,वगेरा वगेरा..अब मेरा आरोही के लिए प्यार बढ़ने लगा था लेकिन में उससे इजहार करने के लिए डरता था क्योंकि एक तो उसकी शादी तय हो चुकी थी,ओर में उससे प्रपोज कर भी दू ओर उसने ना बोल दिया और इसकी वजह से हमारी दोस्ती टूट गई तो....
आरोही
हमारी केंटिन की मीटिंग के बाद में प्रेम से हररोज बात करने लगी थी,साथ में घूमना,हररोज वोत्सेप पे बातचीत करना,मूवी वगेरा वगेरा...में प्रेम से ज्यादा प्यार करने लगी थी लेकिन उसको बोलने से डरती थी क्योंकि मुझे डर था की अगर इसकी वजह से हमारी दोस्ती टूट गई तो ??इस लिए जैसा चल रहा था एसा चलने दिया और उसके साथ रहेने के बाद समय कुछ जल्दी से पसार हो रहा था और देखते देखते हमारे सेमेस्टर-8 की आखिरी एक्जाम भी आकर चली भी गई ओर हमारे बिछड़ने का वख्त आ गया |
जैसे ही मेरी कोलेज ख़त्म हुयी उसके तुरंत बाद तय हुये मुजब मेरे घर में मेरी शादी की तैयारिया चलने लगी | मेरे बारे में प्रिया सबकुछ जानकर भी कुछ नही कर सकती थी सिवाय मेरे शादी की तैयारिया | इन सब में शादी का दिन भी आ गया,शादी में मेरे रिश्तेदारी वाले सब लोग आए थे ओर मेरी कोलेज से मेरे कही दोस्तों जिसमे प्रेम भी शामिल था |
आरोही की शादी
प्रेम
जब मैंने आरोही,
को शादी के जोड़े में देखा तो मेरी धड़कन रुक गई,
का हाथ किसी दुसरे के हाथ में रखते हुये देखा तो मेरी धड़कन रुक गई,
को दुसरे के साथ फेरे लेते हुये देखा तो मेरी धड़कन रुक गई,
को किसी और के नाम का सिंदूर पुरते हुये देखा तो मेरी धड़कन रुक गई,
को किसी और के नाम का मंगलसूत्र पहेनाते हुये देखा तो मेरी धड़कन रुक गई ,
ये सब के देखके मेरी धडकन रुकने लगी तो में वहाँ नहीं रुक सका तो में वहाँ से निकल गया क्योंकि इन सब में मेरी ही तो गलती थी..|
आरोही,
जब में प्रेम के आलावा ,
किसी और की दुल्हन बनी तब मेरी धड़कन रुक गई,
किसी और के हाथ में मेरा हाथ रखा तो मेरी धडकन रुक गई,
किसी ओर के नाम का मंगलसूत्र पहेना तो मेरी धडकन रुक गई,
किसी और के साथ मैंने फेरे लिए तो मेरी धडकन रुक गई,
लेकिन इन सब के बावजूद भी मेरी शादी नही रुकी थी,रुका हुवा था तो मेरा प्रेम के साथ बिताया हुवा समय और मेरी शादी से बहार जाते हुये प्रेम के पीठ में टिकी हुयी मेरी नजर्...
Happy Ending
तो दोस्तों इतनी सी थी ये कहानी,यही है प्रेम ओर आरोही की कहानी...इस कहानी के साथ में आपको एक बात कहेना चाहता हु की,
अगर आपको भी है किसीसे सच्चा प्यार तो,उस प्यार को इजहार करने में देरी मत कीजिये,इजहार करने में दरो मत खुलके इजहार करो क्योंकि ये दिल धडकने के लिए बना है तो उसे धडकने दो | अगर हा कहे तो उसके साथ “Move On” करलो,ओर ना कहे तो अपनी जिन्दगी में “Move On” करलो |
में आप सभी का दिल से आभारी हु की आपने मेरी पहेली नावेल “लव जंक्शन” को दिलसे अपनाया,और दिल से हर चेप्टर के बाद आपके कीमती रिव्यू देने के लिए |
Parth J Ghelani
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