HeartBeats - 03 Parth J Ghelani द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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HeartBeats - 03

Heartbeats

Chapter-3

Parth J. Ghelani

Disclaimer

ALL CHARECTERS AND EVENT DEPICTED IN THIS STORY IS FICTITIOUS.

ANY SIMILARITY ANY PERSON LIVING OR DEAD IS MEARLY COINCIDENCE.

इस वार्ता के सभी पात्र काल्पनिक है,और इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के साथ कोई संबध नहीं है | हमारा मुख्य उदेश्य हमारे वांचनमित्रो को मनोंरजन कराना है |

आगे देखा,

ब्रेक के बाद प्रेम अपने दोस्तों से बाय बोलकर क्लास में जाके बैठ जाता है | ब्रेक के बाद तुरंत ही मेथ्स का लेक्चर्स आता है,जिसमे प्रोफेसर आरोही को एक प्रोब्लेम्स को सोल्व करने को कहेते है और वो बड़ी आरामसे कर देती है | उसके बाद प्रेम को पूछते है लेकिन वो सोल्व नहीं कर पाता,तो वही प्रॉब्लम फिर से आरोही सोल्ब कर देती है | इन सब से प्रेम सोचता है की उसकी इम्प्रेशन आरोही के सामने चूर हो गई | आरोही घर पर जाती है तो उसकी मम्मी उसको कोलेज के पहेले दिन के बारे में पूछती है | आरोही पूरी रात भर प्रेम के बारे में सोच रही है और कल प्रेम से बात करने का पक्का मन बना लेती है और उसीकी याद में सो जाती है |

अब आगे,

और उसको बोल दूंगी के में तुम को देखकर ही तुम्हारी दीवानी हो गई | नहीं ये सब बताने की इतनी भी क्या जल्दी है,आरोही?? मेरे अंदर की दूसरी आरोही ने जवाब दिया | ये सब सोचते सोचते ही मेरी आँखे कब लग गई वो पता ही नहीं चला |

प्रेम

घर पर पहोंचते ही मम्मी ने कोलेज के पहेले दिन के बारे में पूछा,तो मेने भी जितना जरुरी था उतना जवाब दिया और अपने कमरे में चला गया | आज में अपने आप से बहुत ही नाराज था,आज मुझे अपने १२वीं के मेथ्स की कीमत पता चली,और में सोचने लगा की मुझसे एक प्रॉब्लम सोल्व नहीं हुवा??

अरे जिस लड़की को इम्प्रेस करना चाहता हु उसी के सामने अपनी इज्ज़त उतार के चला आया???अब तो उसके सामने जाने से भी डर लगेगा मुझे | ओ भाई,आज कोलेज का पहेला दिन था वो तो याद है ना??मेरे अंदर से दुसरे प्रेम की आवाज आई और मुझे समजाने लगी |

हां,याद है,लेकिन फिर भी मुझे ऐ गलती नहीं करनी थी | सब सोचते सोचते में फेश्वोश करने चला गया,जेसे ही मेने अपना चेहरा आइने में देखा तो में मन ही मन में बोला,सिर्फ अच्छे चेहरे से कुछ नहीं होता थोडा दिमाग भी चाहिए मेरे भाई |

मेरे अंदर के प्रेम ने फिर आके बोला के अब जो हो गया है उसे भूल जा और कल की सोच,क्योंकि जो हो गया उसे तुम बदल नहीं सकते लेकिन कल तुम्हारे हाथ में है तो उसे तू बदल सकता है | अब केसे बदलना है वो तुम्हारे हाथ में है |

बात तो ये भी सही थी,फिर क्या मेने भी सोच लिया के अब तो उसको केसे भी इम्प्रेस करके ही रहूँगा,चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े,लेकिन एसा करू क्या???

आज मेरी बिज्जति हुई मेथ्स की वजह से तो अब मुझे इज्जत वापस भी मेथ्स ही दिलाएगा,एसा सोच के रात को खाना खाने के बाद में अपने कमरे में गया और मेथ्स का सिलेबस लेकर देखा के अब कल के लेक्चर्स में सर क्या पढ़ाने वाले है |

जो कल पढ़ाने वाले थे उसको मेने अपने आप पढना शुरू किया,ओर जितना समज में आता था उतना अपने आप सिखा बाकि का अपने गूगल टीचर्स से इसके रिलेटेड वीडियोज देख के सिखा |

इसके लिए जितने भी फोर्मुलास थी वो सब एक छोटी सी पर्ची में लिखली ताकि में उसको में कभी भी पढ़ सकू और क्लास में अपना इम्प्रेशन जमा सकू |

अब कल के मेथ्स की तैयारी हो चुकी थी तो बस अब बाकि था तो कल क्लास में जाके ब्लास्ट करने का |

जेसे ही में रात को सोने गया तो मेरे दिमाग में एक तरफ आरोही ओर दूसरी ओर मेथ्स चल रहा था | सोते सोते में खुली आँखों से सपने देखने लगा की कल जाके क्लास में सब जवाब दे रहा हु,हर एक जवाब के बाद में चोरी चुपके आरोही को देख रहा हु | अब बस मुझे कल सुबह का इंतजार था की कब ये रात ख़त्म हो ओर में कब जाके उसको देखू...ये सब सोचते सोचते मेरी आँखे लग गई |

***

अगले दिन सुबह उठकर अच्छे से तैयार होकर जल्दी जल्दी कोलेज जाने के लिए हमारे फिक्स की हुयी जगह पे पहोंचा ओर अपने दोस्तों का इंतेजार करने लगा | वंहा खड़े खड़े सोच रहा था की ये सब जल्दी आए तो जल्दी से यंहा से कोलेज के लिए निकले,एक एक कर के सब आने लगे लेकिन एक कमीना था जो अबतक नहीं आया था ओर वो था केयूर | हर ग्रुप में एक एसा होता ही है जो कभी भी सही वख्त पे नहीं आता | यंहा हम जितने भी खड़े थे वो सब की गालियाँ खा रहा था | थोड़ी देर बाद जेसे ही वो आया के सब बरस पड़े,ये सब देख के में सोचने लगा की इन सब को इतनी जल्दी क्या है??कोलेज जाने के लिए तो में मर रहा हु | ये सब केयूर के ऊपर चिल्ला रहे थे इसलिए केयूर बोला,

भाईयों,हुवा क्या है??मुजपर क्यों चिल्ला रहे हो??

एक तो लेट आता है,ऊपर से हमें ही पूछता है की मेने किया क्या है??अतुल बोला

ओ,हेल्लो में इतना भी लेट नहीं हु,समजे??केयर बोला

तुम लेट नहीं हो लेकिन हमें तो जल्दी जाना है,उसका क्या???जीतू बोला

पर क्यों??केयूर बोला

अरे,तुम्हारी होनेवाली भाभी को देखने के लिए | बापू बोला

कौन सी??वो कोम्प्यूटर वाली??नाम पता चला उसका??केयूर बोला

नाम की फिकर क्यों कर रहा है,ये प्रेम है ना | जीतू मेरी और देख के बोला

चलो जल्दी अब लेट हो रहा है | मेने उसकी बात को सुनी ही नहीं हो उसी तरह से बोला

***

कोलेज पहोंचकर तुरंत ही में ओर आशीष अपने क्लास की तरफ निकल गए | क्लास में जाके मेरी आँखे सिर्फ और सिर्फ एक ही चेहरा ढूंढ रही थी ओर वो था आरोही का चेहरा | पुरे क्लास में मेने चेक कर लिया पर मुझे कही पर भी उसका चेहरा नजर नहीं आया मतलब की वो अभी तक कोलेज में नहीं थी |

में बैठे बैठे सोचने लगा की अगर वो आज कोलेज नहीं आई तो?? नहीं आयगी,भला कोई अपने कोलेज के दुसरे ही दिन क्यों बंक करेगा??में अपने आप से ही बाते कर रहा था | वो सब सोच ही रहा था की आशीष ने मुझे कहा चल खड़ा हो सर क्लास में आ चुके है |

मेथ्स के सर को हमने गुड मोर्निग कहा और वापस अपनी जगह पे बैठ गए,ओर सर ने आते ही लेक्चर्स शुरू कर दिया | पुरे लेक्चर्स में मेरी नजर क्लास में कम दरवाजे पे ज्यादा थी क्योंकि में अब भी आरोही के आने का इंतेजार कार रहा था | मेरा ध्यान दरवाजे पे ही था की सर ने मुझे देख लिया और कहा चल इस प्रोब्लेम्स का सोल्यूशन बोल | मेने भी तुरंत ही उसका जवाब दे दिया |

आज के मेथ्स के लेक्चर्स में सभी प्रॉब्लम का सोल्यूशन मेने ही दिया तो क्लास के सभी मित्रो ने लेक्चर्स के खत्म होते ही मुझे धन्यवाद देने लगे ओर बोलने लगे की भाई मुझे सिखाना | मेंने सभी को कहा ओके सबको सिखाऊंगा |

में वापस सोचने लगा की में आप सभी को तो सिखाऊंगा लेकिन में जिसको सिखाना चाहता हु वो तो मेरी भी टीचर्स है,ओर टीचर्स ने ही आज बंक कर दिया | अब तो दूसरा लेक्चर्स भी स्टार्ट हो चूका था ओर वो लेक्चर्स था “EEE(Elements Of Electrical Engineering)” | पता नहीं कोलेज में सर को क्या हो जाता है आते ही पढाना शुरू | EEE मेरा फेवरिट विषय था क्योंकि इस विषय का सब बैजिक मेरा क्लियर था | सर ने एक सवाल पूछा और कहा इसका जवाब जिसे आता हो वो खड़ा होकर बोले,ये सुनते ही मेने मे खड़ा हुवा जवाब देने के लिए,लेकिन जेसे ही जवाब देने के लिए खड़ा हुवा की क्लास में एक आवाज आई ,

May I come in sir???

ये सुनते ही मेने दरवाजे की तरफ देखा ओर देखते ही रह गया,क्योंकि वो आवाज किसी और की नहीं बल्कि आरोही की थी |

आरोही

आज कोलेज जाने की बहुत ही जल्दी थी इसलिए सुबह जल्दी उठने की जगह पे उल्टा लेट उठी ओर तुरंत ही प्रिया को फोन करके कहा के में तुम्हारे घर पर पहोंचुना तब तक तैयार हो जाना,आज टाइम नहीं बिगड़ना है क्योंकि हमें जल्द दे जल्द कोलेज पहोंचना है,इतना बोलके तुरंत ही मैंने फोन रख दिया |

जल्दी जल्दी तैयार होकर में घर से नास्ता किये बिना ही निकल गई ओर पीछेसे मेरी मम्मी की आवाज गूंजती रही की बेटा नास्ता तो करती जा,पर अब किसे सुनाई दे रहा था |

जल्द से जल्द में प्रिया के घर पर पहोंच गई | प्रिया के घर के बहार पहोंचकर मैंने हॉर्न बजाना शुरू कर दिया,ये सुनते ही प्रिया तुरंत ही बहार आ गई ओर आते ही बाइक पर बैठकर बोली,

इतनी जल्दी भी क्या है??

तुजे तो पता ही है ना की मुझे इतनी जल्दी क्यों है??मेने बाइक को कोलेज की तरफ आगे बढ़ाते हुये कहा |

हां,मुझे तो पता ही है,लेकिन इतनी भी जल्दी क्या है वो तो कोलेज में पुरे दिन तो रहेने वाला ही है | प्रिया ने मुझसे कहा

हां,बात सही है लेकिन पुरे दिन के साथ ये फ्री के दस मिनिट भी देखने को मिलता है तो क्यों ये मौका हाथ से जाने दे??मेने भी प्रिया से कहा

चल,अगर मान ले की आज वो कोलेज नहीं आया तो??प्रिया बोली

अरे,क्यों नहीं आयेगा??कोलेज के दुसरे दिन कोई बंक करता है,क्या??मेने प्रिया से कहा

कुछ केह नहीं सकते | प्रिया वापस बोली

थोड़ी देर चुप रहेकर में बोली,

प्रिया,अगर सच में वो नहीं आया तो???

कुछ नहीं तो,कल देख लेना इसमें गभराना क्या | प्रिया बोली

एसा,थोड़ी चलता है | मेने प्रिया से कहा ओर बाइक की स्पीड वापस बढाई

ओयी,मेरी माँ थोड़ी धीरे चला ना | प्रियाबोली

अरे,हम जल्दी पहोंचेंगे इतना बोली की गाड़ी का बेलेंस अपने आप बिगड़ने लगा और मेने बाइक को साईड में लेकर व्हील की तरफ देखा तो पंक्चर नजर आ रहा था |

ले अब पहोंच जा जल्दी से कोलेज,कब से बोल रही हु के शांति से चला पर मेरी तो सुनती ही नहीं है | प्रिया मुजपर जोर जोर से बोलने लगी

ये,पंक्चर को भी आज भी होना था ? में बोली

अब,चल जल्दी से आगे ही दुकान है,पंक्चर बनवाकर जाते है | प्रिया बोली

चलते चलते हम दुकान पर गए | वंहा पर भी मुझसे रहा नहीं गया के में तुरंत ही दुकानवाले से बोली, भैया जितना हो सके उतना जल्दी बनाना प्लीज़...ये सुनते ही प्रिया मेरी ओर गुस्से भरी नजर से देखने लगी,कर मुझसे कहा के अब एक शब्द भी मत बोलना |

पंक्चर बन्ने तक में चुप चाप खड़ी रही | जैसे ही पंक्चर बना की में बाइक चलाने के लिए आगे बढ़ी लेकिन प्रिया ने मेरे पास से बाइक ले ली और बोली अब बाइक में चलाऊंगी |

***

जबतक हम कोलेज पर पहोंचे की हमारा पहेला लेक्चर्स ख़त्म हो चूका था ,दूसरा शुरू होने की तैयारी में था | बाइक को पार्क करके हम दोनों जल्दी से जल्दी क्लास की तरफ आगे बढे | जाते जाते में मन में ही मन में भगवान से प्रार्थना करती रही है की है भगवाना प्लीज़ वो क्लास में देखने को मिले आज में उनसे बात करना चाहती हु वो तो आपको पता ही है ना??सो प्लीज़...

ये सब सोचते सोचते हम क्लास तक्क पहोंच गए और जेसे ही मैंने क्लास में देखा की मेरी नजर खड़े हुये प्रेम पर पड़ी,उसको देखते ही में अपने मन में जोर से बोल पड़ी Yessssssssssssssss……………

To be continue……

में आप सभी का दिल से आभारी हु की आपने मेरी पहेली नावेल “लव जंक्शन” को दिलसे अपनाया,और दिल से हर चेप्टर के बाद आपके कीमती रिव्यू देने के लिए |

लव जंक्शन के बाद में फिर से आपके सामने ये नई,छोटी सी और सच्ची लव स्टोरी प्रेजेंट करना चाहता हु और मुझे उम्मीद है की लव जंक्शन कि तरह आप इसे भी अपनाएंगे और उसी की तरह प्यार करेंगे |

Parth J Ghelani

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