टाईम टेबल Tandel Heli द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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Nisha

कैसे डालें कोई अच्छी आदत?

दोस्तों , हम सभी अपनी life में कभी न कभी कुछ अच्छी आदतें डालने की कोशिश करते हैं । इनमे कुछ सबसे common habits हैं -

  • सुबह जल्दी उठना
  • रोज exercise करना
  • किताबें पढना
  • रात में ब्रश करना , etc
  • मैं भी बहुत सी अच्छी आदतें डालने की कोशिश कर चुका हूँ , कुछ में तो मैं सफल हो पाया , पर ज्यादातर मामलों में मैं ठीक से habit build नहीं कर पाया । I am quite sure , ऐसा बहुत से लोगों के साथ होता होगा . . .

    कैसे डाली मैंने सुबह जल्दी उठने की आदत , पांच गुना अधिक किताबें पढ़ीं , और एक साल में एक नयी भाषा सीखी

    आपने ध्यान दिया होगा कि मैंने इस पोस्ट का टाइटल काफी impressive रखा है ( कम से कम मुझे ऐसा लगता है ! ).

    लेकिन इस कहानी के बारे में सबसे अच्छी बात ये है कि कोई भी ऐसा कर सकता है , और ये जितना सुनने में कठिन लगता है , दरअसल उतना है नहीं ।

    In fact , ये सारे outcome s, लम्बे समय तक छोटी - छोटी चीजें करने से आये हैं ।

    मैं smart work की बहुत बड़ी fan हूँ , hard work की नहीं , मुझे काम को efficiently करने के लिए छोटे - छोटे तरीके खोजना अच्छा लगता है । जब मैं लगभग दो साल पहले Buffer का content crafter बना , तो मुझे ऐसे topic को explore करने का काफी मौका मिला ।

    और अब मैं आपको ये बताने के लिए बेकरार हूँ कि 2015 में मैं ये सब कैसे कर पायी ।

    रोजाना सिर्फ 5 मिनट French practice करने की habit से , अब मैं फ्रेंच पढ़ , लिख और बोल सकती हूँ |

    रोज रात में बस 1 पेज पढने की आदत डालने से , मैं पिछले दो साल में अपनी reading list को पांच गुना बढ़ा पायी हूँ ।

    Basically , मैंने रोजाना की छोटी - छोटी आदतों का इस्तेमाल बड़े - बड़े long term outcomes produce करने में किया है ।

    जब भी मैं कोई नयी हैबिट डाल रही होती हूँ तो मैं 4 principles का इस्तेमाल करती हूँ । मैंने जितना कुछ भी try किया है , ये प्रिंसिपल्स हर जगह काम करते हैं ।

  • START SMALL:
  • छोटे से शुरू करें : एक छोटी हैबिट को रोज रिपीट करें

    जब कुछ साल पहले मैं पहली बार अच्छी आदतें डालने पर focus करने लगी तो जो सबसे बड़ी गलती मैंने कि वो थी अपने आप से बहुत कुछ माँगना ।

    जहाँ मैं कुछ भी नहीं पढ़ती थी वहीँ मैं हर हफ्ते एक बुक पढने के बारे में सोचती थी । या जहाँ मैं सुबह 9 बजे सो का उठती थी वहीँ रोज सुबह 6 बजे उठने का decide कर लेती थी ।

    जहाँ मैं थी और जहाँ मैं पहुंचना चाहती थी , उसके बीच की दूरी इतनी अधिक थी कि मैं अक्सर फेल हो जाती थी । और हर एक failure अगले दिन successful होना और कठिन बना देता है ।

    जैसा कि James Clear बताते हैं , अन्दर से habits दरअसल दिनचर्या के बारे में है ।

    और वाकई में जो चीज मुझे चाहिए थी वो थी छोटी - छोटी जीत और एक visible progress जो मुझे नयी routines बनाने में मदद कर सके , जिसे मैं रोज follow कर सकूँ ।

    Finally , मुझे छोटे से शुरुआत करने का idea आया । Point ये है कि इस पर ध्यान लगाया जाए कि उस आदत को रोज दोहराया जा रहा है , लेकिन इस बात की चिंता ना की जाए कि वो habit कितनी effective है । In other words , पहले quantity फिर quality ।

    एक बहुत अच्छा example है flossing ( फ्लॉसिंग = धागे से दांतों के बीच सफाई करना ) । मान लीजिये कि आप हर रात floss करना चाहते हैं , लेकिन आपने सालों से कभी flossing नहीं की है । अगर आप अचानक की flossing करने का इरादा करते हैं और ये उम्मीद करते हैं कि आप इसे रोज रात में 10 मिनट करेंगे तो शायद ये 1 हफ्ते से अधिक न चल पाए । ये बहुत बड़ा लक्ष्य है ।

    लेकिन छोटे से शुरू करना कितना effective है , ये लगभग super power जैसा है । देखिये ये flossing के लिए कैसे काम करेगा , आप जो हैबिट फॉर्म करना चाहते हैं उसका सबसे छोटा हिस्सा लीजिये - इस case में , ये बस एक दांत फ्लॉस करना होगा । तब भी ये flossing ही कहलायेगा , हालांकि इस तरह से आप अपनी dental hygiene को बहुत ज्यादा नहीं सुधार पायेंगे ।

    लेकिन ये इस तरह पावरफुल हो जाता है: पहले , आप बस हर रात एक दांत फ्लॉस करने पर फोकस करते हैं । और आप ऐसा एक हफ्ते तक करते हैं । फिर दो – तीन - चार हफ़्तों तक ऐसा करते रहते हैं । आप बस एक दांत को फ्लॉस करने की हैबिट से चिपके रह सकते हैं , क्योंकि ये इतना आसान है । बस एक दांत फ्लॉस करने में hardly कोई effort लगता है , इसलिए इसे ना करने के लिए कोई excuse नहीं बनता । और एक बार जब एक दांत फ्लॉस करना आसान और automatic हो जाता है तब आप दो करने लगते हैं ।

    कुछ समय तक आप रोज दो दांत फ्लॉस करते हैं । फिर आप तीन करते हैं । और धीरे-धीरे आप नंबर्स बढाते जाते हैं , कभी भी इतना अधिक करने की कोशिश नहीं करते कि वो एक कठिन काम बन जाए ।

    छोटे से शुरू कर के आप behavior को automatic बनाने पर फोकस करते हैं , आपको ये चिंता नहीं रहती कि ऐसा करने से आपको कोई बहुत useful outcome मिलने वाला है ।

    जैसा कि Scott H. Young कहते हैं , हम लोग इस चीज को overestimate करते हैं कि कितना किया जा सकता है – खासतौर पे जब हम कुछ unknown करने जा रहे होते हैं । Scott सलाह देते हैं कि realistic रहने के लिए ऐसे प्लान करें कि आप जितना समय देना चाहते हैं उसका 20% ही दे पायेंगे ।

    अब मैं बताना चाहूंगी कि 2015 में कैसे मैंने “start small” process को अपनी हैबिट्स पर इस्तेमाल किया।

    पढना: हर रात एक पेज

    मैंने हर रोज रात को सोने से पहले किसी किताब का बस 1 पेज पढना शुरू किया । अक्सर मैं अधिक पढ़ती थी , लेकिन मैं कम से कम एक पेज ज़रुर पढ़ती थी , और इसे अपनी जीत के तौर पे देखती थी ।

    बाद में जब ये हैबिट स्ट्रौंग हो गयी , मैं टाइमर लगा लेती और 15 मिनट तक पढ़ती , और eventually मैं सोने से पहले 30 मिनट तक पढने लगी और ज्यादातर सुबह उठ कर भी 30 मिनट पढ़ लेती ।

    बस 1 पेज से की गयी शुरुआत बढती गयी : 2013 में मैंने 7 किताबें पढ़ीं, 2014 में 22. 2015 में 33; मैंने 2013 में जितनी किताबें पढ़ीं ये उसका लगभग 5 गुना है ।

    मैंने इस आदत पर लगभग डेढ़ साल तक काम किया। ये सुनने में शायद एक लम्बा समय लगे , पर पीछे मुड़ कर देखने पर ये बस ऐसे ही लगता है ।

    जब मैं इस हैबिट पे काम करती हूँ , मैं बस इतना सोचती हूँ कि इसे as a win count करने के लिए मुझे कितना पढना होगा । ये हमेशा रोज का छोटा सा एफर्ट होता है जिसपे मैं फोकस करती हूँ । लेकिन जब मैं अपनी प्रोग्रेस को देखती हूँ, मुझे एहसास होता है कि वो छोटी - छोटी daily habits कितने बड़े achievements में बदल सकती हैं ।

    फ्रेंच: हर सुबह एक लेसन

    मैंने पहले भी फ्रेंच में हाथ आजमाया था , लेकिन मैं उस पर टिके रहने में अच्छी नहीं थी । जब मैंने decide किया कि मुझे सचमुच अपनी फ्रेंच सही करनी है, तब मैंने रोज सुबह कॉफ़ी पीते हुए एक Duolingo lesson करने की आदत पे काम किया । ( अगर आपने इसे try नहीं किया है , Duolingo एक फ्री वेब और मोबाइल ऐप है जो आपको कई भाषाएँ सीखने में मदद करता है ।

    एक लेसन करीब 5 मिनट लेता है, यानि ये एक छोटा commitment है , और इसे कॉफ़ी पीते हुए करना बहुत आसान है । अंततः मैंने एक से अधिक लेसन करना शुरू कर दिया- दो, तीन, और कभी-कभी चार - पांच भी , अगर मुझे मजा आ रहा हो . . .

    मुझे जितना अच्छा लगता उतना करती , पर मैं हमेशा एक ज़रूर करती ।

    उस हैबिट को check off करने के लिए बस एक ही लेसन करने की ज़रूरत थी , इसलिए इस पर टिके रहना आसान था , तब भी जब मैं उसे और अधिक नहीं करना चाहती थी । आज-कल मैं Babbel (a paid web and mobile app for language learning ) भी use करती हूँ , ताकि मुझे French में grammatical rules और structure का अच्छा idea हो जाए , और मैंने Duolingo में पूरा French section ख़तम कर दिया है ।

    डुओलिंगो के अनुसार , इसका मतलब हुआ कि मैं 41% French जानती हूँ! बस रोज पांच मिनट देकर ये एक बड़ी achievement है ।

    2. एक समय में एक ही आदत पर ध्यान दें

    नयी हैबिट फॉर्म करते वक़्त मेरे लिए एक जो एक सबसे कठिन चीज होती है वो है एक साथ कई हैबिट्स फॉर्म करने की कोशिश करना। मैं जो चीजें ठीक करना चाहती हूँ उनके लिए हमेशा मेरे पास एक ग्रैंड प्लान होता है और मैं इतनी उर्जा से भरी हुई होती हूँ कि एक साथ कई हैबिट्स फॉर्म करना चाहती हूँ।

    हर बार जब मैंने ये approach try किया है, मैं फेल हुई हूँ। अकसर कुछ आदतें नहीं डाली जा पातीं पर कभी-कभी एक भी नहीं पड़ती। एक साथ इतनी चीजों पे फोकस करना बहुत अधिक हो जाता है- कुछ-कुछ multitasking जैसा, जहाँ आपके ब्रेन को लगातार context switch करना पड़ता है, क्योंकि आप एक साथ कई चीजों पर फोकस नहीं कर पाते।

    इसलिए मेरा नया नियम है, एक समय में बस एक ही आदत पर काम करना। केवल जब वो आदत इतनी आटोमेटिक हो जाती है कि मैं हर दिन उसे आसानी से कर सकती हूँ तभी मैं एक नयी हैबिट फॉर्म करना शुरू करती हूँ।

    ऊपर का example लें तो, फ्रेंच पर फोकस करने से पहले मैं हर रात रीडिंग करती थी। और सुबह उठने की आदत डालने से पहले मैं आसानी से हर सुबह French पढ़ती थी।

    कभी-कभार, कोई habit build करना बहुत लम्बा समय ले सकता है। सुबह जल्दी उठने की आदत डालना कुछ ऐसा ही था जिसे consistently करने के लिए मुझे बहुत struggle करना पड़ा। मैंने इस एक आदत को डालने के लिए करीब 4 महीने लगाए: अलग-अलग approaches try करती रही, अपनी प्रोग्रेस ट्रैक करती रही और अपने दोस्तों को रिपोर्ट करती रही जो मुझे accountable रहने में मदद करते थे। मैं determined थी कि मुझे इसे एक consistent habit बनाना है, लकिन इसका मतलब था महीनो तक किसी और नयी हैबिट को बिल्ड ना करना।

    आज मैं खुश हूँ कि मैंने सुबह उठने की आदत पे इतना समय दिया, क्योंकि अब मैं लगभग रोज बिना किसी प्रयास के सुबह जल्दी उठ जाती हूँ। ये इतना आसान नहीं था, लेकिन ये प्रयास के लायक था।

    कोई आदत डालने में आपको कितना समय लगता है ये vary करेगा, इसलिए 4 महीने का समय आपके लिए ज़रूरत से लम्बा या छोटा हो सकता है। हम अक्सर इस idea के बारे में सुनते हैं कि कोई habit build करने में 21 days लगते हैं, लेकिन studies में पता चला है कि हम सब नयी हैबिट डालने में अलग-अलग समय लेते हैं। एक स्टडी में पाया गया कि नयी हैबिट फॉर्म करने में on an average 66 days लगते हैं- लगभग दो महीने।

    मैंने जो पाठ सीखा है वो ये कि हर हैबिट को अलग तरीके से लीजिये, depending on कि उस आदत पर consistently टिके रहना आपके लिए कितना कठिन है, और एक समय में बस एक ही हैबिट पे फोकस करिए, ताकि उसे आपका पूरा attention और energy मिल सके।

    3. अवरोध हटाइए : जो भी चाहिए उसे अपने पास रखिये

    मुझे अपनी हैबिट्स कम्पलीट करना तब बहुत आसान लगता है जब उसे पूरा करने में लगने वाली चीजें मेरे करीब हों। For instance, coffee पीते समय हाथ में फ़ोन होना, उस समय एक quick french lesson पूरा करने की हैबिट बिल्ड करना बहुत आसान बना देता है। बेड के बगल में किताब रखना रात को सोते वक़्त एक पेज पढना काफी इजी बना देता है।

    Malcolm Gladwell इसे tipping point कहते हैं। यही वो छोटा सा change है जो आपको excuses छोड़कर action लेने के लिए प्रेरित करता है। Tipping point के power का एक बड़ा उदहारण एक University के Tetanus education program में मिलता है। स्टडी में टेस्ट किया गया कि क्या टिटनेस का भय दिखाने से और अधिक स्टूडेंट्स vaccination कराते हैं।

    पर भय दिखाने से कोई फरक नहीं पड़ा, लेकिन एक surprising change से बहुत अंतर आ गया: health centers को point करते हुए यूनिवर्सिटी कैंपस का मैप लगाने और timing बताने से vaccination rate 3% से 28% हो गया।

    टिपिंग पॉइंट वो छोटा सा बदलाव है जो एक्शन लेना आसान बना देता है। मुझे इसे ऐसे देखना पसंद है कि ये उन barriers को हटाने जैसा है जो हैबिट्स को फॉलो ना करना आसान बना देते हैं।

    एक आदत जो मैं 2016 में डालना चाहती हूँ वो है more often पियानो बजाना। अभी जब मूड करता है तब मैं इसे बजा लेती हूँ, जो बेहतर होने के लिए काफी नहीं होता। लेकिन मैंने नोटिस किया है कि जब piano easily accessible होता है तो मैं इसे अधिक प्ले करती हूँ। इस समय ये हमारे dining area के corner में है, इसलिए मैं कुछ पकने का इंतज़ार करते-करते आसानी से बैठ कर इसे बजा सकती हूँ।

    एक और हैबिट जिसपे मैं इस साल फोकस करना चाहती हूँ वो है और regularly exercise करना। मैंने नोटिस किया है कि एक बार अगर मैं अपने exercise clothes पहना लूँ तो लगभग पक्का है कि मैं बाहर दौड़ने के लिए जाउंगी, लेकिन मैंने जब तक वो कपडे नहीं पहने हैं तब तक बाहर ना जाने के बहाने ढूँढना बहुत आसान रहता है। रात को सोने से पहले एक्सरसाइज क्लोथ्स निकाल लेना और सुबह उठ के जल्दी से उन्हें पहन लेना, इससे पहले कि मैं कोई बहाना सोचूं, मुझे दरवाजे से जल्दी बाहर निकले में मदद करेगा। जब मैं इस हैबिट पे फोकस करुँगी तब मैं ये सब काफी regularly करने का प्लान करुँगी।

    4. हैबिट्स को एक के ऊपर एक लगाइए: मौजूदा दिनचर्या पे नयी नई दिनचर्या बनाइये

    नयी आदतें बनाने का एक फेवरेट तरीका है कि नयी आदतों को पुरानी आदतों के ऊपर डाल दिया जाए। इससे कई आदतें routine में आ जाती हैं, और हर एक आदत अगली आदत के लिए ट्रिगर का काम करती है।

    इसका सबसे cool part ये है कि already आपकी कई सारी आदतें हैं जिन्हें आप realize नहीं करते। सोने से पहले ब्रश करना, सुबह बेड से बाहर निकलना, रोज एक ही समय पर कॉफ़ी बनाना- ये सभी existing habits हैं। जब तक आप बिना सोचे समझे रोज एक ही समय पर कोई काम करते हैं, उस आदत के ऊपर आ और आदतें डाल सकते हैं।

    अगर आप अपनी नयी हैबिट अपनी पुरानी हैबिट पूरी करने के बाद करते हैं, तो आप अपनी नयी हैबिट को ट्रैक पर रखने के लिए अपनी existing habit की strength पर rely कर सकते हैं। For example, जब मैं सुबह bed से निकलती हूँ तो जो पहली चीज मैं करती हूँ वो है नीचे जाके कॉफ़ी बनाना। जब मेरी कॉफ़ी बन जाती है तो मैं अपना फ्रेंच लेसन शुरू करती हूँ। कॉफ़ी बनाने की मेरी एग्जिस्टिंग हैबिट फ्रेंच लेसन कम्पलीट करने के लिए ट्रिगर का काम करती है।

    और जब मैं रात को सोने जाती हूँ, तो किताब खोल लेती हूँ। बिस्तर में जाना और किताब देखना रात को किताब पढने के लिए ट्रिगर का काम करता है।

    old habit new habit

    Research दिखाती है कि किसी नयी हैबिट पे काम करने के लिए किसी संकेत का होना उस हैबिट पर टिके रहने के लिए शायद सबसे अच्छा तरीका है। जब आप हैबिट्स को एक दुसरे से जोड़ देते हैं तो पुरानी हैबिट; जो आप नयी हैबिट बिल्ड करना चाहते हैं, उसके लिए संकेत का काम करती है।

    समय के साथ, आप अपनी नयी आदतों को पुरानी आदतों पर डाल सकते हैं और पहले से जो आपका automatic behaviour है उसका फायदा उठा सकते हैं।

    New habits build करना मेरे लिए एक hobby जैसा हो गया है। ये सोचना बहुत exciting है कि बस रोज छोटी-छोटी आदतों को रीपीट करके मैं समय के साथ अपनी कितनी सारी स्किल्स को इम्प्रूव कर सकती हूँ। इससे बहुत बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल करना काफी achievable लगने लगता है।

    The End