Pila gulab books and stories free download online pdf in Hindi

पीला गुलाब

पीला गुलाब

========================================

भाग :1


मोहित ने तीसरी बार डियो डालते हुए खुद को आईने में देखा , और मन ही मन बोला " ठीक लग रहा हू " आज मोहित के लिए बहुत खास दिन था , पिछले एक महीने से वो एक दूसरे से फेसबुक पर बात क़र रहे थे , और कई बार टालने के बाद आज शाम को 4 बजे शहर के एक शॉपिंग मॉल में मिलना तय हुआ था ,
आज तक मोहित ने उसकी कोई फोटू तक नही देखि थी , मागने बोली थी कि दोस्ती शक्ल से नही दिल से होती है ,
कैसी होगी वो ....? आज तक अपनी कोई फोटू क्यों नही दिखायी , …?
मुझे देख कर क्या सोचेगी …? मेरा पेट ज्यादा लग रहा है ?
अनगिनत सवालो में घिरे मोहित ने खुद को मॉल कि सीढ़ियों पर पाया , वहाँ पर मौजूद हर लड़की में उसे अपनी दोस्त का अस्क दिख रहा था , तभी एक सादगी से सजी एक निहायत ही खूबसूरत सी लड़की नीचे से ऊपर आती दिखी , एक पल के दिल ने कहा कि यही होगी , पर दूसरे ही पल दिमाक ने कहा कि इतनी खूबसूरत लड़की मुझसे मिलने नही आ सकती है . उसने तो मेरी कई सारी pic देखी है .
खैर वो धीरे कदमो से चलता हुआ फ़ूड क्रोर्ट कि आखरी टेबल पर बैठ गया ,
कुछ ही पालो के बाद वही खूबसूरत सी लड़की मोहित के सामने खड़ी थी ....
उसने मुस्कुराते हुआ बोला " आप Mr. मोहित न …? मै .... ! '
कुछ पल के समय रुक सा गया था , मोहित ने हाथ में थामे पीले गुलाब को उसे थमाते हुये कुछ बोलाना चाहा पर अल्फाज नही मिले …

एक पल के लिए मोहित को लगा पता नही क्यों बोलते है कि वैलेन्टिन दे सिर्फ 14 फरवरी को ही होता है ?उसे लगा उसकी ईद , दीवाली होली सब इसी पल में शामिल है , वो सामने कि सीट पर बैठी थी , मोहित कि पलकों ने शायद आज न झपकने कि कसम खा ली थी .

तभी बगल कि सिट पर बैठे लड़के के मोबाईल कि रिंगटोन बजी " ये जो हल्की हल्की खुमारियां , है मोहब्ब्तों कि तैयारिया " दिल में आया कि ये गाना सिर्फ और सिर्फ हमारे लिए ही बना है।

वो लगातार बोले जा रही थी और मोहित को लग रहा था वो उसके हर अल्फाज को हमेशा के लिए अपने जहन में पिरो ले। .
वो बता रही थी कि उसे क्रिकेट बहुत पसंद है , और मोहित को सिर्फ वो , उसे बारिश बहुत पसंद है और मोहित को सिर्फ वो , उसे नये गाने गाने पसंद है और मोहित को सिर्फ वो , उसे शादी पसंद है और मोहित को सिर्फ उसका साथ , ... तीसरी बार काफी ले कर आते हुए वो उसके बगल में ही बैठ गया , और अलपलक उसके हाथ में थामे गुलाब को देखते हुए सोच रहा था कि ये कब लाल गुलाब में बदलेगा , तभी उसने पहली बार मोहित कि आँखों में देखते हुए बोला " मोहित जी मैंने बहुत मुश्किल से भरोसा किया है आप पर please इसे कभी टूटने मत देना , आज तक सबने हमे धोखा ही दिया है

हम हमेशा दोस्त बन कर रहेगे"सिर्फ दोस्त "

बोलना तो बहुत कुछ चाह रहा था मोहित पर फिर से अल्फाज खो गए थे , वो जानना चाह रहा था कि क्यों एक एहसास को किसी रिश्ते का नाम देना जरूरी है , वो सिर्फ इतना ही बोल सका ' बस मै हमेशा आपके साथ साथ चलना चाहता हू , आपकी राह का साथी बन क़र …"

न जाने क्यों एक पुराने गाने कि दो लाईने लबो पर आ गयी ' प्यार को प्यार हि रहने दो इससे कोई नाम न दो "

भाग 2

--------------------------

मोहित ने जब सुबह उठकर अपना मोबाईल देखा तो उस पर उसकी 8 Miss calls और 11 sms पड़े थे , वो आज शाम 4 बजे मोहित से मिलना चाहती थीं , बीते एक साल में वो दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन चुके थे , अपनी कोई भी बात शायद ही वो एक दूसरे को बिन बताये रह सकते थे , मोहित के साथ ने उसके अतीत के सारे घाव भर दिए थे , मोहित से दोस्ती करके उसने जाना था की सारे लड़के बुरे नही होते है , मोहित को अगले महीने होने वाले अपने जन्म दिन का इंतिजार था , जब तोहफे में पुरे जीवन के लिए वो उसका साथ मांगने वाला था , एक हमसफ़र की तरफ …
खैर 4 बज कर 12 मिनट में मोहित CCD में घुसा , आज वो उसको बहुत खुश देखना चाहता था इस लिए उसने पीले गुलाबो का एक गुलदस्ता भी रास्ते से ले लिया था , खुले बाल , हलके लाल रंग का सूट , माथे में छोटी सी Pink बिंदी में वो Right hand के चौथी टेबल बार बैठी किसी परी सी हसीं लग रही थी।

तभी मोहित ने गौर किया कि उसके सामने वाली सीट पर कोई और भी बैठा है , एक निहयात ही खूबसूरत और भला सा दिखने वाला कोई लड़का। "
मोहित इन से मिलो ये दर्पण है , मेरे साथ ही ऑफिस में है , " स्नेहा ने मुस्कुराते हुए उसका परिचय दिया ,
मोहित कुछ बोले उस से पहले ही दर्पण ने मोहित को गले लगा लिया और बोला " भाई बहुत सुना तेरे बारे में , स्नेहा ने मुझे अपने बारे में उतना नही बतया है जितना तेरे बारे में , ""
पता है मोहित , ये दर्पण मुझे बहुत दिनों से से प्यार करता है ,लेकिन मुझे बोला कभी नही ,last week बड़ी मुश्किल से ये अपनी बात मुझ से कह पाया , क्युकी इसको अगले महीने बैंकाक सिफ्ट होना है ,और ये चाहता की शादी इसी महीने ही हो जाये " स्नेहा अनवरत बोले जा रही थी , " माँ पापा को भी ये पसंद है , लेकिन मैंने बोल दिया की जब तक मेरा मोहित तुम्हे Ok नही कर देगा , मै तुम से शादी नही करुँगी , और मैं जानती हू की मोहित मेरी पसंद को कभी न नही कर सकता " बोल कर स्नेहा खिलखिला कर हंस पड़ी ,मोहित को लगा जैसे हजारो मोती के माले टूट कर उसके आस पास बिखर गए हो ।,
मोहित ने दर्पण को स्नेहा के बगल में बैठने का इशारा किया , जेब से मोबाईल निकला उन दोनों की एक फोटो ली और अगले 3 मिनट तक वो लगतार उन दोनों को देखता रहा ,
और फिर बोला " तुम सही कहती हो नेहा , तुम्हरी पसंद हमेशा परफेक्ट ही है , तुम दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी है "

पता नही कैसे एकदम एक से बहुत पुराने गाने के बोल मोहित के जहन में गूंज उठे "
भौरे ने खिलया फूल , फूल को ले गया राजकुँवर "

भाग 3

-----------------------

मोहित के लिए आज शायद अपनी जिंदगी का सबसे कठिन दिन था , पुरे 3 साल और 7 महीने बाद आज मोहित स्नेहा के साथ फिर से उसी CCD में राईट हैण्ड की चौथी टेबल पर बैठा था , भले ही इतने समय में CCD में कुछ न बदला हो पर इन दोनों की जिंदगी में बहुत कुछ बदल गया था ,

मोहित ने स्नेह नाम से एक संस्था और स्कूल शुरू किये थे पूरे भारत में , जो उन बच्चो के लिए थे जिनका इस दुनिया में कोई नही है.धीरे उसका नाम समाज सेवक के रूप बढ़ता जा रहा था , स्नेहा भी दर्पण के साथ बहुत खुश थी , दो साल के अंदर ही वो एक प्यारी सी बच्ची की माँ भी बन चुकी थी ., लेकिन शायद प्रकति को कुछ और ही मंजूर था ..

5 साल पहले किसी को दिए खून की वजह से दर्पण को एड्स हो गया था , और जब-तक पता चलता बहुत देर हो गयी थी , 6 महीने तक स्नेहा ने उसको बचाने की हर कोशिश की पर दर्पण उसे और अपनी बेटी को छोड़ कर हरदम के लिए इस दुनिया से चला गया ..

स्नेहा वापस India आ गयी , स्नेहा को भी HIV न हो इस डर से दर्पण के घर वालो ने भी स्नेहा को स्वीकार नही किया , पिछले 7 महीने से स्नेहा अपने माँ बाप के घर में अपनी बच्ची के साथ तिल तिल करके जी रही थी .
मोहित अवाक् सा स्नेहा कि दांस्ता सुनता जा रहा था , जब वो पुरे जहाँ के दर्द बाँट रहा था तो उसके दिल के जो सबसे पास है वो जिंदगी से लड़ रहा था , मोहित अलपक सा स्नेहा को देख रहा था , हल्की क्रीम कलर की प्लेन साड़ी में स्नेहा को देख लगता ही नही था की वो वही स्नेहा है जो जिस रंग को पहन लेती थी लगता था वो रंग उसी के लिए बना है , गुलाबी रंगत वाले गोरे रंग में धुंधला सा पीलापन घुल गया था , हरपल चमकती रहने वाली आँखों की चमक खो सी गयी थी , माँ बनने की गवाही देती स्नेहा के पेट पर बनी नीली लकीरे देख कर लग रहा था जैसे किसी शरारती बच्चे ने चाकू से किसी पेड़ के तने को खरोच दिया हो ,
सुनी मांग ,सुना गला देख कर लगता था कलकल बहती कोई नदी की धार एकदम से सुख गयी हो , ..
" नही नही ये मेरी नेहा नही हो सकती " मोहित का दिल बार बार यही कह रहा था ।
बहुत देर तक दोनों के बीच सिर्फ ख़ामोशी ही बाते करती रही ,शायद कुछ अनकहा सा था जिस को बयाँ करने के दुनिया के सारे शब्द कम थे ।

" पता है मोहित , मै जानती थी कि तुम मुझे प्यार करते हो , और तुमसे भी ज्यादा मै तुम्हे प्यार करती थी " स्नेहा बोले जा रही थी , " लेकिन मुझे पता था की मेरे घर वाले नही मानेगे , और मै अपना सब से अच्छा दोस्त खोना नही चाहती थी " एक लम्बी साँस लेने के बाद स्नेहा फिर बोलने लगी " और आज मै उन्ही घर वालो के लिए बोझ बन गयी हू "
मोहित हैरान था , उसे लगता था स्नेहा उसे कभी समझ ही नही पाई , लेकिन आज उसे लग रहा था की वो उसे नही समझ सका , उसे लगता था उसने स्नेहा के लिए बहुत बड़ा त्याग किया है , लेकिन स्नेहा ने तो अपनी दोस्ती और परिवार के लिय उस से भी बड़ा त्याग किया है वो आज समझ पाया था ।
स्नेहा फिर बोलने लगी " मोहित , दर्पण ने मुझे बहुत प्यार दिया ,बहुत ख्याल और खुश रखा हरदम , वो एक बहुत अच्छा प्रेमी और पति था ,लेकिन कभी वो अच्छा दोस्त नही बन सका , मै उसके प्यार में हरदम तुम्हारी

दोस्ती तलाशती रही "

कई बरसो से अपने आंसुओ के सैलाब को सम्हाले , दुनिया की नजरो में बेहद मजबूत मोहित आज अपने आपको नही सम्हाल सका ,पता नही कितनी देर तक स्नेहा के कंधे पर सर रख कर वो रोता रहा ,"
नेहा इन बीते सालो में मै बहुत अकेला हो गया हूँ , " मन थोडा हल्का होने पर मोहित ने बोलना शुरू किया , " इस दौरान बहुत से रिश्ते आये ,मै हर रिश्ते को ठुकराता रहा , क्युकी मै हर लड़की तुम्हे ढूंढता था , दुनिया बहुत आगे निकल गयी और मै वंही रुका रहा , जंहा तुमने

मुझे छोड़ा था , "

स्नेहा की आँखों में देखते हुए मोहित ने फिर बोलना शुरू किया " जानता हूँ नेहा , मै कभी दर्पण की जगह नही ले सकता , लेकिन फिर भी मै अपनी बाकी बची सारी जिन्दगी तुम्हारे और तुम्हारी बच्ची के साथ गुजरना चाहता हूँ ,मै तुम से शादी करना चाहता हूँ नेहा "
स्नेहा सिहर कर बोली " ऐसा नही हो सकता है मोहित " "
क्यों नही हो सकता नेहा , और ये मत सोचना की मै ये बात तुम से दया या सहानुभूति की वजह से बोल रहा हू , नही , बल्कि मुझे तुम्हारी जरूरत है , तुम्हारे साथ की जरूरत है , मै खुद के लिए जीना चाहता हू , जो मै तुम्हारे साथ हो कर ही जी सकता हू " । मोहित एक साँस में ही बोल गया ."
लेकिन मोहित ... हो सकता है मुझे भी एड्स हो ,और मै अपनी वजह से तुम्हरी जिंदगी नही तबाह कर सकती "बोलते बोलते स्नेहा की आंखे नम हो गयी ."
तबाह तो मै तभी हो गया था , जब तुम दूर चले गए थे ,तुम्हे इस हाल देखने बाद क्या मै आबाद हो सकता हू ?" मोहित आज सब बोल देना चाहता था ," मुझे नही पता की तुम्हे HIV है की नही , और न ही मुझे इस से कोई फर्क पड़ता है , और है भी तो इसका इलाज होगा ,सावधानी होगी , और तुम् से दूर रख कर तबाह होने से अच्छा है ,तुम्हारे साथ जीते हुआ मरना "
स्नेहा के पास अब कोई सवाल कोई जवाब नही था , उसने धीरे से अपना हाथ मोहित के हाथ में रख दिया , जिसे मोहित ने हरदम के लिए थाम लिया ..
स्नेहा की आँखों में फिर से जीवन की चमक वापस आ रही थी और मोहित उन आँखों में अपने पीले गुलाब को लाल होते हुए देख रहा था !
( समाप्त )

अन्य रसप्रद विकल्प