न्याय के देवता हे शनि Mrityunjaya Dikshit द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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न्याय के देवता हे शनि

शनि जयंती पर विशेष :—

न्याय के देवता है शनि

मृत्युंजय दीक्षित

आमतौर पर धारणा है कि शनि समस्या प्रदान करने वाले देवता है। जबकि वास्तविकता यह है कि शनि न्यायप्रधान देवता है। शनि सभी के साथ न्याय करते हैं। भारतीय समाज में शनि को लेकर बहुत सी भ्रातियां हैं। शनि की साढ़े साती को लेकर विशेष उत्सुकता व भय का वातावरण रहता है। आजकल ज्योतिषकी विभिन्न पत्रिकाओं की भरमार है। टी वी चैनलों पर भी ज्योतिष आधारित बहुत से कार्यक्रम आते रहते हैं। जिनमें से अधिकांश ज्योतिषी केवल और केवल शनि को लेकर भय का वातावरण ही पैदा करते हैं।वर्तमान में भारत में दो मंदिरो की विशेष बाढ़ आयी है। एक तो सार्इ्रबाबा की और दूसरा शनि मंदिरों की। हर शनिवार को शनि मंदिरों में भक्तों का हुजूम उमड पड़ता है। अधिकांश मंदिरों में देखा गया है कि टी वी पर ज्योतिषियों द्वारा शनि के प्रभाव से होने वाले संकटों से बचाव के लिए जो उपाय बताये जाते हैं। भक्त गण वहीं उपाय मंदिरों में करने के लिए पहुंचते हैं।जिसमें कुछ को तो अपनी राशि आदि का ज्ञान होता भी है लेकिन कुछ लोग अपनी नाम राशि से ही उपाय करने के लिए या फिर भय के संदेह के कारण भी शनि मंदिरों में भीड़ होती है। वैसे शनि कल्याणकारी और परोपकारी

देवता भी हैं।शनि वास्तविक दण्डाधिकारी भी है। जयोतिष के अनुसार यदि आपकी कुण्डली में शनि अशुभ गोचर में आ गये है तो सर्वाधिक कष्ट उठाना पड़ता है। भारत में विद्वानाें के बीच शनि की पूजा को लेकर विवाद भी छेड़े गये तथा उन पर विभिन्न माध्यमों में गर्मागर्म बहसें भी हुयी हैं।

शनि के बारे में लिखा व कहा जा चुका है कि यदि हम मनसा —वाचा —कर्मणा शुचिता एवं नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्तों का पालन करें तो शनि के आधे दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। जब कुण्डली में शनि विपरीत हो जाये ंतब अपने आप को बेहद सावधान कर लेना चाहिये। हमें सतर्क हो जाना चाहिये और सत्कर्मो की ओर मुड़ जाना चाहिये। यदि शनि के दुष्प्रभाव के दोैर में हम अपना आचरण शुद्ध रखते हैं तो शनि अच्छा असर डालता है।यदि शनिके बुर प्रभव के समय में कोई भी गलत कार्य किया जाता है तो उसके बुरे परिणाम ही भोगने पड़ते हैं। सतमज के हरवर्ग को शनि के बुरे प्रभव से बचने के लिए सकारात्मक पहल व व्यक्तित्व को ही अपनाना चाहिये। यदि देश के राजा और सरकारें तथा फिर राजनीतिज्ञ इस दौर में अच्छा से अच्छा प्रयास करते हुए सच्चे दिल से मानवता की सेवा करती हैं और निर्णय लेते हैं तो उन्हें भी अच्छा ही संदेश मिलता है। यदि सत्ताधारी दल केवल सत्ता से चिपके रहने के लिए फैसले लेते हैं तो फिर शनि महाराज उनका कल्याण अवश्य कर देते हैं। शनि देवता का यह प्रभाव हर मनुष्य के जीवन में एक बार आता अवश्य है। शनि इतने अधिक न्याय प्रिय हैं कि वह राजा को रंक और रंक को राजा बनाने में देर नहीं लगाते।शनि भगवान अपराधी को किसी न किसी प्रकार से दण्ड अवश्य देते हैं। वहीं निष्पाप व निष्कलंक धर्मावलम्बी को पुरस्कार भी देते है।

पुराणों में शनि को पीतनेत्र, अधेामुखी —दृष्टिवान,कृश देह,लम्बी देहयष्टि, सघन शिरायुक्त, आलसी,कृष्णवर्ण, स्नायु सबल,निर्दय,बुद्धिहीन,मोटे नाखून और दांतों से युक्त ,मलिनवेश,कान्तिविहीन,अपवित्र,तमोगुणी,क्रोधी आदि माना गया है। पुराणों के अनुसार शनि पश्चिम दिशा मेंं निवास करते हैं। इस प्रकार से गुजरात एवं काठियावाड़ पर शनि का आधिपत्य माना जाता है । शनि का वाहन उनके स्वभाव के अनुरूप गिद्ध है। शनि को महर्षि कश्यप की वंश परम्परा में शामिल किया गया है।

पुराणों में शनि जन्म को लेकर कथा आती है कि भगवान सूर्य ने अपनी हर संतान ेके लिए अलग— अलग लोकों की स्थापना की। लेकिन शनि इस व्यवस्था से खुश नहीं हुए। शनि ने हर लोक पर हमला करने का निश्चय किया जिसके कारण सूर्य देव को दुःख हुआ। उन्होनें भगवान शिव से शनि को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे नहीं मान रहे थे तब भगवान शिव को शनि पर गुस्सा आ गया और उन्होनें अपना तीसरा नेत्र खोल दिया। उधर शनि ने अपनही मारक दृष्टि का प्रयोग किया ।दोनांें की दृष्टियों से उत्पन्न दिव्य ज्योति शनि लोक पर छा गयी। इसके बाद शिवजी ने अपने त्रिशूल का प्रयोग किया जिसे शनि सहन नही कर पाये और अचेत हो गये। तब पुत्रमोह से व्याकुल होकर सूर्यदेव ने शनि को जीवनदान देने की अपील की। तब कहीं जाकर शनि को फिरसे जीवनदान मिलाऔर शनि ने अपनी सेवाएं भगवान शिव को देने की बात रखी। शनि की वीरता और युद्ध कौशल से प्रभावित होकर शिवजी ने शनि को अपना सेवक बनाकर उन्हें जीवधारियों को कर्मानुसार दंड देने के लिए दंडाधिकरी नियुक्त कर दिया। भ्रवान शनि की अनेकानेक कथाएं पुराणों मेंं मिलती हैें।

रामायण से पता चलता है कि लंका नरेश रावण ने अपने बाहुबल से शनि को भी अपने दरबार में बंदी बना लिया था और यह वीर हनुमान का ही प्रताप था कि उन्होनें रावण को चंगुल मुक्त कराया था। तभी से यह बात पचलनमेंआगयी थीकि जो भी कोई आने वाले समय में हनुमान जी की सच्चे दिल से प्रार्थना करेगा उसका खराब शनि कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। यहबात सही भी है यदि आपके जीवन में शनि का बुराप्रभाव दिखलायी पड़ने लग गयाहो तो आप सभी सच्चे दिल से हनुमान जी की आराधना करें फिर वह चाहे हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, सुंदरकांड हनुमानाष्टक आदि का पाठ ही क्याें न करना पड़े। शनिवार को शनि मंदिरों में पूजा अर्चना करने के बाद हनुमान जी के दर्शन अवश्य करने चाहियेे। मंगल और शनिवार को हनुमान जी के दर्शन करने से भी शनि के बुरे प्रभाव कुछ कमजोर हो जाते हैं। शनिवार को घर में आटा लाना चाहिये, कबाड़ बेचना चाहिये और उससे कुछ खरीदना भी चाहिये, घर की साफ— सफाई करनी चाहिये। पीपल पर दीपक जलाना और जल भी चढाना चाहिये। शनिवार के दिन कुत्तों, चीटियों आदि को कुछ खिलाना चाहिये। इसके अतिरिक्त समय —समय पर अन्य बहुत सारे उपाय भी लोगों को बताये जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार शनि नौकरी, स्वास्थ्य, सम्मान ,चरित्र,पद सभी को प्रभावित करता है। यदि आप सच्चे मन से पूर्ण ईमानदारी व न्याय के साथ सदगुणों को लेकर जीवन व्यतीत करते हैं तो शनि उसी प्रकार से प्रभावशाली होता है। नहीं तो विपरीत प्रभाव तो मिलता ही है। कभी कभी ऐसा प्रतीत होताहै कि आप सही कर रहेें हैं लेकिन वह नैसर्गिक व प्राकृतिक रूप से अन्यायपूर्ण होता है तो फिर शनि उसे भी दण्ड प्रदान करते हैें। इसलिए शनि से डरना नहीं चाहिये।

भारत में शनि का सबबे बड़ा मंदिर महाराष्ट्र के शिंगणापूर में हैे। तमिलनाडु के तंजावुर जिले में पवित्र शनि तीर्थ तिरूनल्ल्रू मंदिर स्थित है।इस मंदिर में भगवान शिव ,विनायक और शनि के दर्शन होते हैं। शनिदेव के इस पावनधाम में जब शनि राशि परिवर्तन करते हैं तब विशेष पूजा होती है। मध्य प्रदेश और राजस्थन में भी शनिधाम हैं जो कि बेहद लोकप्रिय हैं ।

प्रेषक :— मृत्युंजय दीक्षित

123, फतेहगंज

गल्ला मंडी लखनऊ(उप्र)—226018

फोन नं.— 9198571540