सत्य खोजी
ल्यूको शाऊ
एक बुजुर्ग जिसको देख उसकी उम्र कही नहीं जा सकती. शायद बहुत अरसे से जिंदा हे. दूसरे कमरे में शायद उनके माँ बाप होंगे. आवाज और कानाफूसी से लगता हे. वह लकड़ी के एक खंड में जहाँ बहुत बड़ी मेज हे और एक आरामदायक कुर्सी जिस पर वह बैठा हे. वह बहुत बड़ी किताब में लिखने कि शुरुआत करता हे. और सोचता हे. कहाँ से में शुरू करूँ? ये तो कई सदियों पहले की बात हे. शायद, ठीक से याद नहीं. हाँ, पर मेरे जवानी के दिनों की बात हे. और शायद मेरा ग्रह हे धरती. अब वह भी ढंग से याद नहीं. तब शायद पहली दुनिया कहा जाता होगा. और नीलदीप जमीन पहला देश बनाने की कगार पर थी. तब धातु पिघलाने और उससे चीजें बनाने का काम अभी हाल में सिखा गया होगा. इन सब के बीच ये कथा कुछ इस तरह शुरू हुई होगी. यह सोचते उस बुजुर्ग के चेहरे पर मुसकान आ जाती हे. वह खो जाता हे.
कहीं किसी जगह पर.
एक काला साया आगे बढ़ रहा हे. घना अँधेरा हे. वह एक बहुत ही सुरक्षित मकान के दरवाजे के पास पहुंचता हे. वह कोई यंत्र निकालता हे. बहुत छोटी डिबिया जैसा होता हे. वह फेंकता हे. पर बहुत धीरे से. इस वजह से वह सरकता दरवाजे तक जाता हे. फिर उससे रोशनी निकलती हे. वहां खड़े सारे सुरक्षाकर्मी बेहोश हो जाते हे. वह अपने यंत्र से उस दरवाजे के यांत्रिक ताले को बिगाड़ता हे. वह दरवाजा खोलता हे.
वह जैसे ही अन्दर आता हे. दरवाजा अपने आप ही बंध हो जाता हे. उसके बंध होते ही वह चुपचाप आगे बढ़ता हे. वह एक विशाल जगह हे जिसमें छोटे - छोटे बहुत से मकान हे. हर मकान को एक छोटा सा मैदान मकान के बहार हे. वह सब सुरक्षा दल द्वारा सुरक्षित हे. इस जगह पर तकरीबन तीन सौ सुरक्षा कर्मी होंगे.
वह अपने हाथ पर लगा यंत्र शुरू करके उसमें कुछ करता हे. वह गायब हो जाता हे. उसके गायब होने के बाद वह अब आराम से घूम सकता हे. और वह सब जगह पर बिना रोक टोक जा सकता हे. वह एक मकान की तरफ आगे बढ़ता हे.
वह जैसे ही उसके दरवाजे की तरफ बढ़ता हे की सामने से कुछ सुरक्षा कर्मचारी दरवाजा खोलते हे. वह अन्दर देखता हे. वह उन लोगों के सोने का कमरा हे. वह आगे बढ़ता हे. उसको कुछ चाहिए होता हे. पर यहाँ नहीं हे. ये देख वह आगे बढ़ता हे. वह एक और मकान में जाता हे. वहां जा के देखता हे. वह भी उसके काम का नहीं हे. वह आगे बढ़ता हे.
आखिर एक बड़े मकान के अन्दर दाखिल होता हे. उस मकान के दरवाजे के अन्दर प्रवेश करते सामने सीढ़ी दिखाई देती हे. वह एक ही जगह जाती हे. वह उसमें से एक सीढ़ी के जरिए ऊपर जाता हे. वहां तीन चार दरवाजे होते हे. उसमें से एक दरवाजा सबसे विशाल होता हे. यहाँ भी वह सुरक्षा दल मौजूद हे. अब उसके लिए समस्या हो गयी. वह इतने सारे सुरक्षा कर्मी को मारने जाए तो पकड़ा जाए. और दरवाजा खोलने जाए तो भी पकड़ा जाए. क्योंकि गरमी को पकड़ने वाली यंत्र हे. जो दरवाजे के ऊपर की दीवार को लगी हे. जो किसी भी जीव के शरीर की गरमी को महसूस करके सावधान करने वाली ध्वनि बजने लगाती हे.
वह कुछ सोचते - सोचते देखता हे की सारे सुरक्षा कर्मी चींटी जैसे दिखाते हे. और अनियमित तरीके से अपनी जगह के आसपास घूम रहे हे. अचानक उसे योजना मिलती हे. वह बहार जा कर धमाका करता हे. वह इतना जबरदस्त होता हे की उसकी आवाज सब के कानों में बजती हे.
हमला हुआ ये समझ कर वह लोग बहार की तरफ भागते हे. वहां भाग दौड़ मच जाती हे. तभी ध्वनि बजती हे. सबको लगता हे की मची भाग दौड़ की वजह से वह ध्वनि सुनाई दे रही हे. इस लिए कोई भी कुछ ध्यान नहीं दे रहा.
दूसरी तरफ वह काला साया उस बड़े दरवाजे से अन्दर प्रवेश किया तो सामने उसको एक कांच का बक्सा दिखाई देता हे. उसको कोई शब्द लिख कर खोला जा सकता हे. उसे लिखने चांप दी गयी होती हे. वह एक यंत्र निकाल कर उस यन्त्र के साथ जोड़ता हे. जो उस ताले की गुत्थी सुलझाएगा. वह शब्द खोज के उसमें भर देता हे. इस वजह से वह ताला खुल जाता हे. उसके खुलते ही उसमें रखा यन्त्र ले के वह वहां से भागने लगता हे.
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धरती पर.
एक घुड़सवार तेजी से जा रहा हे. अपने घोड़े की लगाम को खिंच कर उसको और तेज करता हे. वह जंगल से हो कर गुजरता हे. वह रास्ते में आने वाली पेड़ की डाल को अपने हाथों से दूर करता आगे बढ़ता हे. अपनी तलवार निकाल कर बड़ी डाल को काट कर रास्ता बनाता हे. सुबह का समय हे. पर अभी भी अँधेरा हे. रोशनी कम जैसी फैलाना शुरू हो चूका हे. जिस वजह से आसपास की चीजों का आभास होता हे. पर साफ़ नहीं दिखाई देती. वह इस तरह आसपास देख रहा हे जैसे वह पता कर रहा हो की रास्ता सही हे या नहीं यह वह हर कुछ देर यही सोच रहा हे. ऐसा लगता हे जैसे वह पहली बार इस तरफ आ रहा हे. रास्ता पक्का करके वह तेज रफ्तार से आगे बढ़ता हे.
वह घुड़सवार एक गाँव की तरफ जाने लगता हे. लहराते खेत को पार कर वह मकानों की तरफ बढ़ता हे. गाँव के मकान जहाँ से शुरू होते हे. वहाँ दो पेड़ों से बंधा एक कपड़ा हे. जिस पर लिखा हे. “मुथुर में आपका स्वागत हे.” वह तेजी से वहां से गुजर जाता हे. गाँव के मकानों को पार करता वह हवा को चिर कर आगे बढ़ता हे. तब उजाला कुछ शुरू हुआ हे. जिस वजह से गाँव के घर ढंग से दिखाई दे रहे हे. पर अभी भी उतना उजाला नहीं की कहा जा सके की वह वास्तव में कैसे दिखाते होंगे. हाँ, गाँव काफी छोटा हे.
वह गाँव में प्रवेश करते ही कुछ पल में गाँव के चौक तक पहुँच जाता हे. वहां बहुत पुराना बरगद का पेड़ हे. आस पास छोटा सा मैदान हे. दो तीन वृद्ध महिला हाथ में पूजा का सामान लिए वहाँ से गुजर रही हे. हवा में ताजगी और घास की खुशबु हे. दूर मंदिर के घंट और नगाड़े की आवाज सुनाई दे रही हे.
वहां सफ़ेद धोती, केडियु और हाथ में लट्ठे के साथ वहां खड़े कुछ लोग बातचीत कर रहे हे. उन्होंने माथे पर बड़ा सा तिलक किया हुआ हे. वह त्रिशूल जैसा हे. वह घुड़सवार जोर से लगाम खींच कर घोड़े को रोकता हे.
तेजी से उतरता हे. और वह जोर से आता हे. उन खड़े गाँव वाले से हांफते - हांफते पूछता हे, “कहाँ हे ल्यूको शाऊ?” उसने ल्यूको शाऊ का नाम जोर से चिल्लाया हे. वह पसीने से तैर गया हे. ऐसा लगता हे की काफी दूर से आ रहा हे. और काफी लम्बी यात्रा की होगी. एक गांव का आदमी जिसे उस पर और उसकी हालत पर तरस आता हे. वह उसे अपने घर ले के जाता हे. वहां आग की तरह बात फ़ैल जाती हे. कुछ गाँव वाले नए मेहमान को देखने उधर आते हे. जो जवान और जोशीला हे. वस्त्र भले सामान्य हो पर कोई बहुत बड़े परिवार से लगता हे. औरतें दूर खड़ी उस पर चर्चा करने लगती हे. वह उसे लुभाता हे. जैसे कोई राजकुमार हो. वह दिखने में एकदम मुलायम और दूध सफ़ेद हे. कुछ गाँव के आदमी उसको देख कर जलने लगते हे. एसी खूबसूरती उनके पास क्यों नहीं? सब को एक ही सवाल हे. कौन हे नया आदमी? और क्यों आया हे? वह ल्यूको शाऊ को क्यों खोज रहा हे?
वह गाँव वाला उसे खटिया पर बिठा कर उसके लिए घर वाले को पानी पिलाने को कहता हे. पानी आते ही वह गाँव का आदमी पानी पिलाते वक्त बोलता हे,
“मेरा नाम हेमू हे. यहाँ का मुखिया हूँ. पहले यह बताए. आप कौन हे? और क्या हुआ? आप डरें क्यों लग रहे हे?”
अंजान आदमी बोलता हे, “मेरा नाम गनिस्क हे. तीनों राज्य एक दूसरे पर हमला कर देगा. वाराई कालिंदी पर और उड्डयन वाराई पर. तब सर्वनाश होगा. उसे रोकने ल्यूको शाऊ चाहिए.”
हेमू बोलता हे, “पहले आप शांत हो. आप सूरा का मजा ले तब तक ल्यूको शाऊ भी आ जाएंगे. पर आप क्यों व्यथित हो गए? युद्ध तो आये दिन होते हे. ये राजा करते भी वही हे. आपको चिंतित नहीं होना चाहिए.” सब ठहाके लगाने लगे. उसे गुस्सा होता देख सब चुप हो गए. हेमु ने बात करते - करते उसे सूरा पीने को दिया. वह पीने लगता हे.
तभी ल्यूको शाऊ को ले के कोई आ रहा हे. वह जिस तरह आ रहा हे. लगता हे की आधी नींद से आ रहा हे. वह कुछ दिखने में मोटा हे. और लगता नहीं की दौड़ कर पवन से उड़ रहा कपड़ा भी पकड़ पाए. पर हाँ उसका चेहरा प्रभावशाली हे. शायद उसकी सोच से अलग हे. पर वह उत्साह में आने का नाटक करके जोर से चिल्लाता हे.
वह चिल्लाता हे, ”अरे वह आ गया.” गनिस्क की आँखें जिस दिशा में हे वहां सभी चौक कर देखते हे.
हेमू बोलता हे, “वह काफी बुद्धि शाली हे. वह सब खोज निकलते हे. कोई गुनाहगार उससे बच नहीं सकता.”
गनिस्क बोलता हे, “वह सब जाने दो. में उन से अकेले में बात करूँगा. आप बुरा मत मानना. हम दूर जा कर बात करते हे. आपका मदद के लिए धन्यवाद.”
तभी ल्यूको बोलता हे, “हम हे सत्य खोजी. भ्रम के अँधेरे से सत्य की रोशनी खोजने वाले.” वह आदमी चपलता से खड़ा हो जाता हे. वह उनको अपने पीछे आने को कहता हे. ल्यूको शाऊ उनकी बात को मान लेता हे.
ल्यूको शाऊ उनके पीछे चलने लगा. तीनों वहां से जाते हे चौक पर जहाँ बरगद का पेड़ हे. वहां बैठते हे. आस पास उनके अलावा कोई नहीं हे. ये देखने के बाद गनिस्क ल्यूको शाऊ की तरफ देखता हे.
ल्यूको कहता हे, “तो बताए. आप राजमहल से पधारे हे. और वह भी गुप्त रूप से. तो, मुझसे क्या चाहते हे?”
गनिस्क बोला, “हाँ, पर आप कैसे जानते हे? मैंने आपको नहीं बताया.”
ल्यूको बोला, “आप भले ही आम कपडे पहने पर आपके तलवार की मुठ जो सोने की बनी हे वह आपका रईस होना बताती हे. साथ में जिस तरीके का तोंद वाला वज़न हे. या व्यापारी हो सकते हे. या राजमहल से. आप के हाथ की अंगीठियाँ बताती हे आप काफी निर्भय हे. आप को लुटे जाने का डर नहीं. यानी राज दरबार से ही होंगे. आप जिस रफ्तार से अकेले आये और चिल्लाते आने के बाद साफ़ दिखता हे की किसी को बिना बताये आँखें बंध करके निकले होंगे.”
गनिस्क बोला, “सही कहा. में वही से हूँ. होने वाले युद्ध को रोकने के लिए आया हूँ.”
ल्यूको बोला, “मतलब में आपके आने का कारण नहीं समझा.”
गनिस्क कहता हे, “बताता हूँ. निलदिप जमीन जिस पर तीन राज्य बसे हे. उनमें से हमारा वाराई भी एक हे. हमारे राजा वैसे बहुत नाम से जाने जाते हे. हम उनके बल के प्रभाव को देख कर उसे “देवपुत्र” के नाम से बुलाते हे.”
पर अचानक उनके ऊपर अजीब-ओ-गरीब धुन सवार हुई. वह खाना खाने लगे और कहने लगे वज़न बढ़ाना हे. तो ही में धनिक राजा लगूंगा. और तो और वह चल भी न पाए उतना वज़नी हो गए. फिर नयी धुन सवार हुई. अंधविश्वास करने लगे. राजाजी अचानक से तरंगी बनने लगे की खाना? कोई सोच भी नहीं सकता! उससे भी ज्यादा खाने लगे.”
ल्यूको पुछता हे, “पर युद्ध कैसे शुरू होगा उससे?”
गनिस्क कहता हे, “कारण वही, अंधविश्वास. जिसका किसी ने फायदा उठाया और महाराज को भड़काया. जिससे उन्होंने कालिंदी पर हमला करने की तैयारी शुरू कर दी.....
ल्यूको बात काटते पूछता हे, “अच्छा यह बताओ क्या इन दिनों इससे पहले कोई घटना घटी उनके साथ जो असामान्य हो? क्योंकि जहाँ धुवा हे वहां आग भी होगी. जहाँ आग हे वहां साया भी होगा. मतलब यह सब जो हुआ उससे पहले कुछ तो हुआ होगा? इतना परिवर्तन यूँ ही नहीं आ सकता. कोई नया आदमी या कोई व्यक्ति उनसे मिलने आया होगा. या कुछ तो हुआ होगा.”
गनिस्क बोलता हे, “हाँ हुई तो थी. एक जादूगर आया था. जो कह रहा था की रोग का इलाज करने वाला यंत्र ले के आया हे. वह दिखने में अजीब था. उसकी आंखें थोड़ी टेढ़ी और ऊपर की तरह उठी हुई थी. वह दुबला सा था. लम्बा चोगा पहनता था. वह यंत्र, महाराजा उसे कोई जादुई चीज समझते थे. उसे आजमाना चाहते थे. पर राज वैध पिसासु खफा हो गए. वह मानते हे की वनस्पति ही इलाज हे. और कुछ नहीं. तो मजबूरन राजाजी को उस जादूगर को वापस भेजना पड़ा. वेधने उसको धक्का दे कर निकलवा दिया. उसका भयानक अपमान भी किया गया.”
ल्यूको पूछता हे, “आपको यकीन हे. और कुछ नहीं हुआ था.”
गनिस्क कहता हे, “हाँ, यही हुआ था. उसके अलावा कुछ भी नहीं हुआ था.”
ल्यूको बात पूर्ण करते कहता हे, “ पहले ये बताए हमें करना क्या हे? महाराज की जासूसी करनी हे. या युद्ध का कारण खोजना हे. क्योंकि हकीकत की रोशनी जीतनी ज्यादा हो उतना ही ज्यादा सत्य को समझा जा सकता हे. और हमें अपना पता दो. ताकि जब हम वहां आये तो मिल सके!”
गनिस्क कहता हे, “आपको यह पता करना हे की महाराज के आसपास वह कौन हे जो षड्यंत्र रच रहा हे. और उस षड्यंत्र के बारे में पता करना हे.”
वह अपना पता “तीसरा मकान, बाज़ार के पास, लेमोरा”. लिखवाता हे.
ल्यूको सब लिख लेता हे. गनिस्क गाँव वाले से रास्ते का जरूरी सामान बंधवाकर वापस अपने घोड़े पर बैठ चला जाता हे. ल्यूको लिखी चीजों पर नजर डालते - डालते सोचने लगता हे. और अपने घर आता हे. उनका घर बाकी गाँव वाले की तरह मिट्टी का बना हे. सामान कोई ज्यादा नहीं हे.
अभी धूप निकल आई हे. जिसकी वजह से मौसम सुहाना हो गया हे. तभी उसका दोस्त वल्ली आता हे. वह उसका सहायक भी हे. जहाँ ल्यूको काली कोटि और धोती में प्रतिभाशाली लगता हे. वहां ये अभी दुबला पतला बच्चे जैसा लगता हे. वह भी उसके साथ कमाता हे. और उसका पड़ोसी भी हे. वह अब तक सब कुछ छुप कर देख और सुन चूका था. वह हमेशा रात को छुप कर गाँव की जासूसी करता हे. आज उसने ही ल्यूको को सबसे पहले बताया था. ल्यूको के कहने पर वह छुप गया और सब की बात सुन रहा था.
वल्ली पूछता हे, “क्या लगता हे? वह कोई पैसे दे कर नहीं गया? और वह खुद कौन हे. ये भी नहीं बताया. खाली अपना नाम बताया.”
ल्यूको बोलता हे, “मेरा ध्यान किसी और चीज पर हे. जब तक सत्य झूठ के आवरण में हे. तब तक सवाल तो उठाते ही हे. वह था कौन? और वह हमें कैसे जानता हे? वह राज सभा से था. वहां सारा मामला सेनापति संभालते हे. उनके अलावा राजमहल का मामला किसी और को सँभालने नहीं दिया जाता. तो ये हमें क्यों देगा? और सेनापति तो वफादार हे. प्रामाणिक भी. तो समस्या भी नहीं हे. ”
वल्ली बोला, “बात तो सही हे.”
ल्यूको कहता हे, “हाँ, पूरी राज्य सभा शक के घेरे में आती हे. जरूर वहां कुछ ऐसा चल रहा हे. जिसको महाराज से और मंत्री से छिपाया जा रहा हे. क्योंकि पहले कोई मामला मंत्री तक और उसके बाद सेनापति तक आता हे. ये कुछ अलग ही मामला हे.”
वल्ली बोला, “मतलब ये मामला बहुत गहरा हे.?”
ल्यूको बोला, “हाँ. और मजेदार भी.”
वल्ली पूछता हे, “अब?”
ल्यूको बोलता हे, “अब चलो, हम लेमोरा चलते हे.”
वल्ली बोला, “हाँ ये ठीक हे. चलो तैयारी करते हे.”
वह यह बात अपनी माँ को बताते हे. माँ ने यात्रा का प्रबंध कर दिया. दोनों को अपने गाव मुथुर से निकल कर लेमोरा जाने की तैयारी की. माँ से खाने की पोटली लेकर अपने पास संभाल कर रख दी. उसके बाद दोनों घोड़े पर बैठ कर निकल दिए. दोनों वहां से निकल कर आगे बढ़ने लगे. वह रास्ता “पेरू अरु” और “कुमारी अरु” नाम की नदी से हो कर गुजरता हे. दोनों नदी को उन्हें पार करना हे. उसके बाद लेमोरा आता हे. रास्ता मुश्किल हे क्योंकि एक तरफ मरू पर्वत माला और दूसरी तरफ समुद्र हे. बीच से नदिया गुजरती हे.
दोनों शाम तक पहुँच गए. वह लेमोरा के बाजार तक पहुँच जाते हे. पहली बार यहाँ आये हे. बाकी आज तक इसकी बाते ही सुनी थी. वहां काफी लोग आसपास सामान का भाव ताल करने में व्यस्त हे. कुछ बोरियों को बैलगाड़ी में डलवा रहे हे. बड़े व्यापारी अपने साथ काफी गुलाम ले के फिरते हे. यहाँ व्यक्ति की ऊँचाई उसके गुलाम की संख्या और उन गुलामों की हालत देख कर उसकी ऊँचाई देखी जाती हे. ये लोग घमंडी और बददिमाग होते हे. बस ऐयाशी की बारे में सोचने वाले. वे लोग दिखावा करने और अपनी बड़ाई करने में ज्यादा समय व्यतीत करते हे.
यहाँ बड़े लोग अपने गुलामों को ले कर जब निकलते हे. तब काफी भीड़ बन जाती हे. ये नामी लोग शर्त लगाने और अपने को बड़ा दिखने उलटी सीधी हरकत करने लगते हे. इस वक्त भी कुछ ऐसा ही माहौल हे. ल्यूको शाऊ और वल्ली अपने घोड़े बड़ी मुश्किल से वहां से निकालते हे. इस बीच वहां से गुजर रहे कुछ मजदूर को भी पार करना पड़ा. वैसे ल्यूको, शरीर में जितना भारी, उतना चपल भी हे. उस वजह से वह कुछ भी करके वहां की भीड़ से निकल जाता हे.
कनु चाचा का मकान बाजार के पास ही हे. जिनके बारे में उन्होंने पता किया था. और उनकी बाते भी सुनी थी. थोड़ी दिक्कत आई पर खोजते पहुँच गए. उन्होंने सुना था की कनु चाचा एक बड़े मकान में रहते हे. उनका रसोई गृह और एक कमरा दो ही की जरूरत हे. जो कमरे उनके काम के नहीं उन्हें अधिभार ले कर कुछ समय के लिए देते हे. पहुँचने के बाद देखा वैसा ही हे जैसा सुना था. उन्होंने काम कर रहे किसी गुलाम को बुला कर घोड़े उनके अस्तबल में रखवा दिए. गुलाम ने बताया कनु चाचा आने पर ही उनको कमरा मिल सकता हे. वह कुछ काम से बहार गए हे. वह इंतज़ार करने लगे.
वह बाहर देखने लगे. पास में चाचा की खाने पीने की जो दुकान हे. वहां चल कर आते हे. वहां शहर का बाजार हे. तो आस पास से गेहूं की बोरियाँ भरी बैलगाड़ी वहां से गुजर रही थी. कुछ लोग सामान खरीद रहे थे. सैनिक घोड़े पर सवार घूम रहे हे. कुछ गश्ती लगा रहे हे. कुछ लोग पास में ही मंदिर हे. उसके दर्शन करने जा रहे हे. वहां अलग - अलग खाना बन रहा था. उसकी खुशबु मजेदार थी.
तभी दो आदमी वहां आये. उनमें से एक बहुत ही सीधा लगने वाला और दूसरा दाढ़ी बाल वाला आदमी था. दोनों सामान्य और हालत पर से मजदूर लग रहे हे. वह लोग बातचीत करने लगते हे.
सीधा आदमी बोलता हे, “भाई ये खाना अच्छा हे. खुशबु परसे बता सकता हूँ.”
दूसरा आदमी आश्चर्य से देखता हे. और बोलता हे, “अरे! तुम्हें खाने की परवाह हे. यहाँ आदमी गायब हो रहे हे. क्या पता कल हम भी गायब हो जाए?”
पहला आदमी बोलता हे, “हाँ, वह जादूगर बेचारा कैसे दुःखी हो कर कही गायब हो गया. वह बेचारा महाराज की मदद को आया था. सन्मान तो न मिला पर उसे किसी ने नुकसान पहुंचाया वह अलग. ” यह बात सुन कर आसपास के लोग भी उन की बात में सहमती मिलाने लगे. यह देखकर ल्यूको शाऊ और वल्ली ध्यान से सुनने लगे. और सोचने भी लगे की जादूगर सामान्य लोगों में काफी प्रचलित हे.
दूसरा आदमी बोलता हे, “हाँ, और तो और इन दिनों यहाँ काफी अजीब भी चल रहा हे.”
पहला आदमी बोलता हे, “हाँ, कुछ तो हे. यहाँ रात को अजीब हरकतें भी होती हे.”
दूसरा आदमी पूछता हे, “ये तुमने कैसे कहा?”
पहला आदमी बोलता हे, “में रात को सेठ की दुकान बंध करके जब घर जा रहा था. तब कुछ काले साये दिखे थे मुझे.”
दूसरा आदमी बोलता हे, “हाँ, मैंने भी लोगों को बात करते सुना हे की यहाँ शैतान आये हे.”
थोड़ी देर में खाना आता हे. वह लोग जो बात कर रहे थे. उसे रोक कर खाना खा कर चल दिए. उनके जाने के बाद ल्यूको शाऊ और वल्ली आराम से बैठ बात करने लगे.
ल्यूको बोला, “मामला आम जनता तक पहुँच गया. राज दरबार में एसी घटना रोज होती होगी. किसी को भी अपमान करके निकालते होंगे. लोग तो उस जादूगर को शायद जानते भी नहीं होंगे. तो ये घटना जिसमें उनको अपमान करके निकला गया इतना खास क्यों? और ये काले साये के बारे में उस आदमी जो हमें मिलने आया था. उसने क्यों नहीं बताया? ”
वल्ली बोला, “हाँ, ये मामूली बात से अधिक हे. मतलब यहाँ बहुत कुछ हुआ हे. और ये काले साये? ये क्या चीज हे भला?”
ल्यूको बोला, “में समझता हूँ. यहाँ बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा हे. पर ऐसा न भी हो. कुछ भी कहना मुश्किल होगा.”
वल्ली बोला, “बात आपने पते की बताई. पर एक बात समझ में नहीं आई. ये जादूगर कहाँ गायब हो गया? जब पूरे नगर में उसके प्रति हमदर्दी हे.”
ल्यूको बोला, “यह बात अजीब हे. पर, पता लगाना ही पड़ेगा. कोई कुछ तो षड्यंत्र कर रहा हे.”
वल्ली बोला, “खूब कही.”
तभी कोई लड़का आता हे. वह अपने हाथ में कपडे की पोटली लाता हे. वह कुछ पाँच छह साल का होगा. धोती जो ढंग से नहीं पहनी थी उसे बार - बार ऊपर करता आया था. वह पोटली ल्यूको के हाथ में थमा देता हे. और कहता हे की गनिस्क जी की तरफ से हे. वह लड़का जैसे आया वैसे चला गया. उसके जाने के बाद दोनों ने पोटली खोली. उसमें सोने के छोटे कटके हे. दोनों काफी खुश हुए. साटा पद्धति के हिसाब से मेहनताने के तौर पर सोने के कटके दिए जाते हे.
वल्ली ने कुछ सोचते हुए पूछा, “भाई ये आदमी अजीब हे. उसे कैसे पता की हम यहाँ हे? वह खुद भी आ सकता था.”
ल्यूको कुछ ध्यान से देख रहा था. वह थैली फटी होगी. उस पर चिंदी लगाई गयी हे. इससे लगता हे. वह कपड़ा चुराया गया हे. या रास्ते से उठाया गया हे. उससे लगता हे. अपनी पहचान छिपाने की कोशिश हुई हे.
उसने सोच में डूबता हुए कहा, “लगता हे और भी लोग हे इस खेल में. उनसे ही छिप रहा था वह. उसने कहीं से उठा कर कपड़ा लिया और यह पोटली बनाई हे. ताकि कोई भी कह न सके की इसमें पैसे होंगे. ”उसके बाद दोनों में बातचीत नहीं हो पाई. वहां कनु चाचा आ गए. उन्हें अभिसार दे कर कमरा ले लिया.
उन्होंने देखा की वहां घर के बीच में एक चौक हे. मुख्य कमरे से होते हुए चौक तक जाया जा सकता हे. वहां चौक के आस पास सात आठ कमरे होंगे. उनको एक कमरा दिया गया. वह कमरे का दरवाजा बंध कर अन्दर चले गए.
सुबह जब उन की आँख खुली तो धूप निकल आई थी. और आस पास के लोग भी जाग गए थे. जिस वजह से हल्का सा कोलाहल था. वह दोनों नित्य काम ख़त्म कर के सुबह की ताजगी का अहसास कर रहे हे. धूप हलकी हे. जिस वजह से हवा में ताजगी हे.
ल्यूको बोला, ”तैयार हो जाते हे. हमें तीसरे मकान जाना हे.”
वल्ली बोला, “ठीक हे. हम पैदल ही चले जाते हे.”
ल्यूको बोलता हे, “ हाँ, बस कुछ कदम पर ही हे.”
दोनों पैदल ही वहां जाने के लिए निकलते हे. वह रास्ते में लोगों की भाग दौड़ और भागते घोड़ा गाड़ी और सुबह व्यापारी की कच -कच आसपास के शोर गुल का मजा लेते वहां पहुंचे. पर वहाँ ताला होता हे. वह एक राह चलते आदमी को पूछते हे जो आसपास का कोई मजदूर लगता हे.
ल्यूको बोला, “ए भाई, ये घर बंध क्यों हे? सब कहाँ हे?”
वह आदमी बोलता हे, “सुना हे राज द्रोही होने की वजह से महाराज ने निकाल दिया. पर उसे काफी अरसा हो गया. अब पता नहीं कहाँ हे. वैसे मुझे भी उसके बारे में कुछ विशेष नहीं पता. में तो पास में रामू काका का गुलाम हूँ. जिनकी अनाज की दुकान हे. हाल ही में यहाँ गुलाम बन कर आया हूँ. इसके बारे में सिर्फ बात ही सुनी हे.”
वल्ली पूछता हे, “क्या नाम हे तेरा?”
वह बोलता हे, “फुरु”
वल्ली कहता हे, “हम कनु चाचा के यहाँ हे. कुछ भी पता चले. तो हमें आ के बता देना. देखो, सही बताओगे तो बहुत फायदा मिलेगा.”
फुरु बोला, “जी सेठ.” वह उत्साह में आ जाता हे.
ल्यूको बोला, “धन्यवाद”
वह आदमी अपने रास्ते चला जाता हे. अब ल्यूको और वल्ली वही खड़े सोचने लगे.
वल्ली बोला, “मुझे लगता हे. हमारे साथ किसी ने मजाक किया हे. पहले वह गलत नाम उसके बाद गलत पता बताया हे. वह नाम भी गलत ही होगा.”
ल्यूको बोला, “चलो राजमहल. वही सारी चीजों के बारे में पता चलेगा.”
वल्ली बोला, “यही सही हे. पर हम महाराज को यूँ तो नहीं कह सकते की हमें आपकी पूछताछ करनी हे.”
ल्यूको बोला, “बात सही हे. हम एक काम करते हे. कुछ खरीदते हे. उनके लिए. फिर उसे दे के कहेंगे. की वह कुछ जानकारी दे.”
वल्ली बोला, “ये योजना काम करेगी.”
दोनों बाजार में आसपास की दुकान देखते हे. वहां काफी सामान मिलाता हे. पर उनको महाराज को देने लायक नहीं लगा. वह सोच में गिर जाते हे. फिर एक खंजर पसंद कर उसे खरीद लेते हे. वह अस्तबल में आते हे. घोड़े निकाल कर राजमहल की तरफ निकल पड़ते हे. रास्ता वह राह चलते आदमी से पूछ -- पूछ कर खोज निकालते हे. वह बाजार से उच्च अधिकारी के मकान से हो कर महल तक पहुँच जाते हे.
राजमहल बहुत बड़ी जमीन पर फैला हे. राजमहल के किल्ला का विशाल दरवाजा आता हे. जिस पर स्वागतम लिखा हे. ये महल मशहूर राजा रुद्र्मन का हे. वह युद्ध कला के महारथी एवं प्रजा प्रिय राजा हे. जिसे उनकी बहादुरी की वजह से देवपुत्र भी कहते हे. और नियन्ता भी.
वहां सैनिक तैनात थे. वह पहरा दे रहे थे. वह काफी सख्त लग रहे हे. ऐसे विशेष सैनिक सिर्फ राज महल में ही हे. बाकी जगह पर सामान्य सैनिक हे. ल्यूको और वल्ली पास में अपने घोड़ों को बाँध देते हे. और उन सैनिक के पास जाते हे. उनमें से दो सैनिक ने उन्हें रोका. उन्होंने महाराज से मिलने की इच्छा जाहिर की. वे उन्हें वही रुकने को बताकर अंदर चले गए.
कुछ देर बाद बाहर आ कर बताया की महाराज व्यस्त हे. प्रतीक्षा करें. दोनों प्रतीक्षा करने लगे. कुछ देर बाद महाराज ने अंदर बुलाया. वे लोग अंदर जाते हे. उनकी तलाशी के बाद उन्हें अंदर ले जाया जाता हे.
वह काफी बड़ी जमीन और कुछ खंड पार कर एक खंड में प्रवेश करते हे. वह खंड विशेष तौर पर सजाया गया था. वह “दीवाने खास” हे. यह मेहमानों के लिए बनाया गया खंड हे. वहां एक गोलाकार बैठक हे जिस पर महाराज बिराजमान हे. उनके अलावा के लोगों के लिए अलग व्यवस्था हे. दोनों वहां बैठते हे.
महाराज वज़न से भारी जान पड़ रहे थे. वह खुद से उठ पाए वैसे लग नहीं रहा था. दोनों महाराजा को सलाम करते हे. महाराज के प्रभावशाली व्यक्तित्व के सामने ल्यूको का व्यक्तित्व कहीं सी भी कम नहीं लग रहा था. ल्यूको काफी गंभीर और सोच कर बोलने वाले लोगों में से एक हे. उसने महाराज को खंजर तोहफे के तौर पर दिया.
ल्यूको कहता हे, “प्रणाम महाराज, में हूँ सत्य खोजी ल्यूको शाऊ. भ्रम के अँधेरे से सत्य की रोशनी खोजने वाला. आप से कुछ जानना था. तो आपसे मिलने आये हे. और ये खंजर आपको तोहफे में दे रहे हे. अभी कुछ दिन में अजीब घटना घट रही हे. जिसके कारण हम अपने आपको आने से रोक नहीं पाए. यदि आज्ञा हो तो, आपके साथ घटी वह घटना हमें बताए. हम सुनेंगे.”
महाराज बोले, “आपका नाम काफी सुना हे. में तुम लोगों पर भरोसा करता हूँ. तो सुनो. हाँ, मेरे साथ कुछ हुआ जरूर था. कुछ अजीब भी था. एक जादूगर आया था. वह जादूगर खोजी या कोई भी हो पर बीमारी का इलाज करने की बात कर रहा था. अब मेरा वज़न जैसे कोई बीमारी हो. वह उसका इलाज करना चाहता था.” महाराज जैसे उसकी मजाक उड़ा रहे हो वैसे अपने चेहरे के भाव बनाते हे.
ल्यूको बोला, “नहीं महाराज, आप की सेहत के आगे सब बेकार हे. पर यह बताए. आप को अजीब क्या लगा. वह अपना काम कर रहा होगा.”
महाराज बताना शुरू करते हे, “बात दरअसल ये हे की मेरे मंत्री और वैध उससे नाराज हे. उसके खिलाफ काफी कुछ बोलने लगे. वह जताना चाहते थे की वह जादूगर मुझे मार ही देगा.”
वल्ली पुछता हे, “आपने उसके बाद क्या किया?”
महाराज बोले, “मैंने उसको वापस बुलाया. उससे बात की. वह इल्म वापस से देखा. मुझे अच्छा लगा. पर फिर मंत्री और वैध बगावत पर उतर आये. में क्या करता? उसके बाद वह जादूगर मिला नहीं. मंत्री ने बताया की वह काला जादू करने आया था. सफल न होने की वजह से भाग गया.”
ल्यूको ने पूछा, “फिर मिला?”
महाराज बोले, “नहीं, पर एक बार हम महारानी इंदु के साथ जंगल जा रहे थे. तब एक काले घोड़े पर सवार और काले लिबास में एक आदमी वहाँ से गुजरा. वैध कहने लगे. वही जादूगर हे. मुझे आश्चर्य हुआ. वह जादूगर कैसे मुझे नहीं पहचाना?.
ल्यूको ने पूछा, “तो आपने युद्ध क्यों छेड़ दिया? उसका क्या तुक बनता हे?”
महाराज बोले, “बनता हे, मंत्री ने बताया कालिंदी या उड्डयन दोनों मेरी जान के दुश्मन हे. वह मेरी गद्दी लेना चाहते हे. जादूगर अपने नहीं पर दूसरे राज्य का हे. पूछने पर कोई राज्य ने उसे अपना नहीं बताता. और मेरे दूसरे अंक के बच्चे मिकाल को किसी ने मार ही दिया हे. तकरीबन. तो, मुझे युद्ध की घोषणा करनी पड़ी..
ल्यूको बोला, “कैसे तकरीबन मार डाला?”
महाराज बोले, “पता नहीं पर उसका शरीर गल गया. सिर्फ सर और दिल ही बचे हे. वह कला जादू हे. ”
ल्यूको बोला, “आप काले जादू की बात क्यों करते हे. वह किसी ने विष दिया होगा.?”
महाराज बोले, “क्योंकि ऐसे विष के बारे में मैंने आज तक नहीं सुना. वह अजीब बन चूका हे.” महाराज रो पड़े.
ल्यूको पूछता हे, “ये किसने किया होगा?”
महाराज बोले, “पता नहीं. पर वह मुझे नरक का अहसास दिलाना चाहता हे.”
वल्ली पुछता हे, “महाराज कोई गनिस्क नामक व्यक्ति हे? जिसे आप जानते हो.”
महाराज बोले, “नहीं. ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं हे.”
ल्यूको पुछता हे, “महाराज आपके हिसाब से आपके दुश्मन कौन हो सकते हे?”
महाराज बोले, “कह नहीं सकता. जिनको सज़ा दिलवाई वह और लुटेरे, चोर. ऐसे गिनती बहुत बड़ी होगी.”
ल्यूको पूछता हे. “आपने नगर में फिर रहे उन काले साये के बारे में कुछ पता करवाया?”
महाराज पूछते हे, “कौन काले साये? मुझे इसके बारे में कुछ भी पता नहीं हे. आप किसकी बात कर रहे हो?”
ल्यूको बोला, “महाराज, वह हम पता कर लेंगे. हमें इतना ही पूछना था. अब हम चलते हे. पर यदि आप आज्ञा दे तो, एक और सवाल पूछना चाहूँगा.”
महाराज बोले, “पूछो.”
ल्यूको बोला, “महाराज आपका बेटे को एक बार देख सकते हे. वह कहाँ हे.?”
महाराज बोले, “वह एक खास कक्ष में हिफाजत से हे. आप कहेंगे तो उनसे मिलवाऊंगा. पर अभी नहीं. जब मुझे लगेगा की मिलवाना हे. तब.”
वे आज्ञा ले कर बहार की तरफ चले जाते हे.
दोनों बहार आते हे. बहार आकर अपने घोड़े पर सवार हो कर वापस लोटते हे. वापस लोटते समय दोनों खामोश थे. वापस कनु चाचा के विराम गृह के पास आते हे.
ल्यूको बोला, “कुछ बात साफ नहीं हो पाई पर एक बात पता चल गयी. महाराज मंत्री के आदी हे. सब काम उनकी सलाह से करते हे. पता करना होगा की वह कैसे हे.”
वल्ली सोचते हुए बोलता हे, “हाँ, पर वैध संदेह जनक ज्यादा हे.”
ल्यूको बोला: हाँ, बात सही हे. एसी बीमारी वही दे सकते हे. पर योजना बनाने जीतनी अक्ल नहीं हो सकती.?
वल्ली कहता हे, “हाँ पर मंत्री भी तो हे. वह मुंड.”
ल्यूको बोला, “मंत्री भी कर सकता हे. पर वह खुद राजा के खिलाफ जाने की ताकत उसमें नहीं हो सकती?”
शाऊ बोला, “तो संभव हे की कोई भी हो सकता हे.”
ल्यूको बोलता हे, “दरअसल यह एक संभावना हे.”
शाऊ बोला, “वाह! हम अपनी पहली संभावना तक पहुँच गए. बहुत खूब.” दोनों हंस पड़ते हे.
दूसरे दिन दोनों दुकान पर आते हे. वहां बैठे कनु चाचा से मिले. वह हिसाब देखने में व्यस्त हे. गुलाम नाश्ता बना भी रहे हे. और वह बेच भी रहे हे. वह हर जगह हे. दुकान और मकान में भी. दोनों चाचा के सामने की कुर्सी में बैठ जाते हे. अपना हिसाब पूरा करके चाचा ऊपर की और देखते हे. दोनों भाई सामने बैठे हे. पहले वह आश्चर्य से देखते हे. उनके ये किरायेदार अभी नए हे. तो, वह उनके सामने क्यों? कोई समस्या भी नहीं हे. फिर भी वह खुश होने का दिखावा करके हे.
चाचा बोले” “आओ बच्चों, कैसे मेरी याद आई?
ल्यूको बोला, “ चाचा जी ये जादूगर के किस्से बहुत सुने हे. पर माजरा क्या हे? समझ में नहीं आ रहा.”
चाचा बोले, “क्या जानना चाहते हो?”
ल्यूको बोला, “सब कुछ. जो आप जानते हो.”
चाचा बोले, “ठीक से तो नहीं कह सकता. पर यहाँ आने वाले लोगों की बातों परसे पता चला हे.”
शाऊ बोला, “हाँ. पर क्या?”.
चाचा बोले, “यहाँ से “कट्टईकंडू” चले जाओ. वह उत्तर दिसा में कुछ दूरी पर आया हे. वहां डॉ. डोंग के बारे में पूछना. शायद उसका यही नाम हे. पर मुझे सिर्फ आते जाते लोगों की बात ही पता हे.”
ल्यूको बोला, “ठीक हे.”
चाचा बोले, “यहाँ राजसभा में मंत्री के बागडोर सँभालने की बात चल रही हे. ये बात यहाँ कुछ आने वाले लोग कर रहे थे. पर पूरी बात पता नहीं. तुम सावधान रहना. मंत्री कुछ ठीक नहीं.”
दोपहर को वे लोग वहां से निकल गए. वे लोग तकरीबन शाम के समय कट्टईकंडू पहुंचे. वहां जा के देखा. वह जंगल का इलाका हे. वहां कबीले की तरह मकान बने हे. और सुरक्षा के लिए कोई किल्ला तक गाँव के आसपास नहीं हे.
वहाँ देखते हे सब अपने काम में व्यस्त हे. वहां अपने घोड़े को खड़ा करके किसी आदमी से मुखिया का पता पूछते हे. वहां बात फ़ैल जाती हे. तभी वहां मुखिया उनसे मिलने आता हे. वह सशक्त वह बुद्धि शाली लग रहा हे. वह अदब से खड़ा हो कर बात सुनाता हे. ल्यूको उनको अपने आपको प्रवासी बताता हे और रात रुकने की अनुमति मांगता हे. दयालु मुखिया अनुमति दे देता हे. अँधेरा हो चूका था. मुखिया ने खाली पड़ा मकान दे दिया. वह बांस जैसी चीजों से बना था.
दोनों पास वाले झरने से नहाकर आए. तबतक उनके लिए खाना तैयार था. सब लोग जमीन पर बैठ गए. औरतें परोसने लगाती हे. यहाँ गुलाम नहीं रखे जाते. सब अपना काम खुद करते हे. ये उनकी गरीबी की वजह से हे. शायद कोई इन्हें ही पकड़ कर गुलाम बना दे. जब खाना देखते हे तो ल्यूको शाऊ को पता चलता हे ये लोग भी शहर की तरह ही खाना बनाते हे. पर यहाँ फल का इस्तेमाल ज्यादा होता हे. खाना खाने के बाद वह लोग पास ही में एक जगह जो तालाब के पास हे वहाँ पेड़ के पास जगह में बैठ कर बाते करने लगे.
मुखिया पूछता हे, “आप लोग कौन हे. इस तरफ कैसे आना हुआ?”
ल्यूको बोला, “मेरा नाम ल्यूको हे. ये मेरा सहायक और दोस्त वल्ली. में सत्य खोजी ल्यूको शाऊ हूँ.”
मुखिया हर्ष के साथ बोला: आपको जानता हूँ. आप वही हे. जिसने हवा में उड़ने वाले साधु का रहस्य खोज निकला था. वाह! आप खुद यहाँ? मेरा नाम “डला” हे. में यहां का मुखिया हूँ. बताओ में आप के लिए क्या कर सकता हूँ?
ल्यूको बोला: अज्ञान वह अँधेरा हे. जो भ्रम को सत्य मानने पर मजबूर करता हे. वह साधु लोगों को भ्रमित करके उसे अपना गुलाम बनता था. उसे छोड़ दीजिए. आप से कुछ पूछना हे.”
डला बोला, “पूछो.”
ल्यूको पूछता हे, “आप डोंग के बारे में क्या जानते हे.”
डला बोला, “में नहीं जानता की वह कौन हे. पर वह दूसरी दुनिया से आता हे. पहले हमें लगा हमारी मदद करेगा पर वह हमसे सब कुछ जानने के बाद वह चला गया.”
वल्ली पुछता हे, “पर आपने क्या बताया?”
डला कहता हे, “मैंने उसे अपने राज्य के बारे में महाराज के बारे में और जो भी यहाँ से गुजरते मुसाफिर बताते हे. वह सब बताया.”
वल्ली बोला, “ठीक हे पर आपके पास बताने को कुछ और तो नहीं?”
डला बोला, “नहीं जितना याद था सब बता दिया. हाँ एक बात बतानी रह गयी. वह राजमहल के चक्कर काट रहा था. शायद वह कोई भयानक योजना को अंजाम देना चाहता हो. जिसके बारे में किसी ने बताया था. वह यहाँ से गुजरने वाले मुसाफिर में से एक था. कुछ मजदूर जैसा. जिसने ये बात बताई. पर वह ये सब कैसे जानता था. वह नहीं मालूम.” बात फिर वाही रुक जाती हे.
वे लोग वापस जा कर सो गए. सुबह जागे तब धूप निकल चुकी थी. वह लोग तैयार हो गए. और वापस आने को निकल गए. उन कबीले वाले ने काफी खाने का सामान पोटली बना कर उनको दिया. वह ले कर वह शाम को वापस आते हे.
दोनों बातचीत करने लगते हे.
वल्ली पूछता हे, “आगे क्या करना हे?”
ल्यूको बोला, “हम डॉ. डोंग के बारे में पता करेंगे.” उनकी कथा क्या हे? हमको इतनी बात पता चली की इसकी कथा जाने बगैर काम नहीं हो सकेगा.”
वल्ली बोला, “पर वह गायब हो चुके हे. पता कैसे चलेगा?”
ल्यूको बोला, “अरे! मेरे भोले भाई, पूछताछ करके.”
वल्ली बोला, “ये सही हे.”
ल्यूको बोला: “शुरू से बताता हूँ. हमें मिलने एक आदमी आया था. गनिस्क. जिसने हमें यह काम दिया. असल में वैसा कोई आदमी हे ही नहीं.”
वल्ली आश्चर्य करता हे: “यह पता हे. उसे वापस क्यों बताया?”
ल्यूको बोलता हे, “अब कथा कुछ इस तरीके से हे.
महाराज आलसी और अंध विश्वासी हे. पर शुरू से ऐसे नहीं थे. वह इतने मोटे भी नहीं थे. वह दुबला बदन रखते थे. उनको वैसे कई समस्या नहीं थी. तब उन्होंने प्रयोगशाला वह विकाश के तमाम काम किए. फिर उनको कोई बीमारी लगी. वज़न बढ़ता गया. उस वजह से ज्यादातर बहार जाना बंध कर दिया. आराम से बैठ कर महल में समय व्यतीत करने लगे.
तब मंत्री की नियत बिगड़ी. वैध भी साथ हो लिया. सब कुछ सही जा रहा था. महाराज को पता ही नहीं चलता की मंत्री अपनी अलग योजना बना रहा हे. पर अचानक एक घटना घटी. अब तक मंत्री वह वैध महाराज के बीमार होने का फायदा उठा कर राज्य पर जुर्म ढा रहे थे. इस घटना से उन्हें बहुत नुकसान होता.”
वल्ली पूछता हे, “वह कौन सी घटना?”
ल्यूको बोला: वही डॉ. डोंग के आने की घटना. वह खोजी थे. उन्होंने राजा जी से मिलकर उनकी बीमारी के इलाज के बारे में बताया. उन्हें समझाया की उनके पास ऐसा यंत्र हे जो उनकी बीमारी दूर कर देगा. यह सुनकर मंत्री के तोते उड़ गए. उन्होंने कभी सोचा नहीं था. कोई बहार का व्यक्ति आ के उनको बेहाल कर सकता हे. पर वह भी खिलाड़ी हे. उसने राजा को भटकाया. उनके बेटे को कोई बीमारी दे दी जिससे वह आघात में चले जाए. ताकि वह कमजोर हो जाए. और उस डोंग को बरबाद करके रास्ते से हटा दिया जाए.
वल्ली बोला, “मामला सुलझ गया.”
ल्यूको बोला, “नहीं बहुत सवाल अभी बाकी हे. आखिर ये सब किस लिए? वह मकसद नहीं मिला. और डोंग बहार की दुनिया का हे. सब उसका विरोध करते हे. उसका विरोध राजमहल में इतना क्यों. रोज कोई भी अपने आपको विद्वान बता कर आता होगा. तो इस में नया क्या हे?”
वल्ली बोला, “यह बात तो सच हे. इसमें कितना आश्चर्य दिखा रहे हे. बात सिर्फ इतनी हे या कुछ छिपाया जा रहा हे.?”
ल्यूको बोलता हे, “मुझे लगता हे. वह दोनों कट पुतली हे. असली गुनाहगार कोई और हे. जो यह खेल, खेल रहा हे. हम यहाँ ये जानने आये थे की कौन महाराज को भड़का रहा हे. पर यहाँ खेल बहुत बड़ा ही चल रहा हे. हमें मिलने आये उस व्यक्ति ने ये नहीं बताया की राजकुमार के साथ कुछ भी हुआ हे. मतलब वह नाप तोल कर बता रहा था. उसने जितना बताया वह सब हमें उलझाने था.”
वल्ली बोला, “अब मामला गंभीर हे. ये योजना बहुत बड़ी हे. और उसमें नामी लोग भी शामिल होने चाहिए. जिसको फायदा होगा.”
ल्यूको बोलता हे: अभी छानबीन बाकी हे. बाद में देखते हे.
वल्ली बोला, “अब?”
ल्यूको बोला, “ फिर से राजमहल को देखना होगा.”
वल्ली हंस कर बोला, “उत्तम.”
रात को दोनों चोरी छुपे राजमहल में जाते हे. वहां सब सैनिक आधी नींद में पहरा दे रहे थे. वह अँधेरे में चुप जाते हे. आसपास देखने लगते हे. कुछ देर बाद सारे सैनिक नींद में आ जाते हे. सब अपनी जगह खड़े ही सोने लगे.
तभी एक काला साया महल से बहार जाने लगा. उसे देख वल्ली पकड़ ने गया तो ल्यूको ने रोक लिया. वह बताता हे की वह मुंड हे. वेश बदल कर जा रहा हे. शायद कुछ करने. तुम उसका पीछा करो. में भीतर देखता हूँ.
वल्ली मंत्री के पीछे गया और ल्यूको महल के भीतर. वह महल के भीतर प्रवेश करता हे. तब अन्दर पूर्ण शांति होती हे. वह चोरी छुपे आगे बढ़ता हे. वह महाराज के खंड की तरफ आगे बढ़ता हे और महाराज के खंड की छान बिन शुरू करता हे.
दूसरी तरफ वल्ली पीछा करना ख़त्म करके ये पक्का करके की मुंड वापस महल के अन्दर ही गया. वह वापस चाचा की दुकान की तरफ जाता हे. तब तकरीबन सुबह का समय होने को आया था.
ल्यूको बोला, “में तुझे कुछ दिखाना चाहता हूँ.”
वल्ली पूछता हे, “कोई जादू हे?”
ल्यूको बोला, “वैसा ही.”
ल्यूको उसको कुछ दिखता हे.
वल्ली पूछता हे, “यह क्या हे?”
ल्यूको बोला, “यह डीग्मो कागज हे. इसमें सारी बातों का संग्रह किया जाता हे..”
वल्ली बड़े आश्चर्य से पुछता हे, “वह कैसे?”
ल्यूको बोला, “इस यंत्र के अन्दर एक पट्टी हे जो ये सब संग्रहीत करता हे.”
वल्ली आश्चर्य से देखता रहा. उसे समझ में नहीं आया की ये सब क्या हे? वह देखता रह गया. वह सोचता हे. कहीं कोई मजाक तो नहीं?
ल्यूको बोला, “में दिखता हूँ. मुझे ये सब उस यांत्रिक कागज से पता चला जो मेज पर था. उसमें सारी जानकारी हे.”
यह कह कर वह उस यंत्र में कुछ करता हे. और एक प्रकाश चारों और फ़ैल जाता हे. वह दोनों देखते हे. उसमें कुछ जानकारी हे.
ल्यूको बोला, “ये भाषा यहाँ की नहीं हे. ये जरूर दूसरी दुनिया की हे.”
वल्ली बोला, “हाँ मतलब ये डोंग की भाषा हे.”
ल्यूको बोला, “दो बाते हे. पहली. ये या डोंग की भाषा हे. या कोई और भी उस दुनिया से आया हे. और दूसरी बात इसमें चित्र के हिसाब से कोई कडा जो हाथ में पहना जाता हे. वह और कोई प्रयोग की बात हे. इसका जवाब खोजना होगा.”
वल्ली बोला, “बात सही हे. मैंने मुंड का पीछा किया. वह भेस बदल कर नगर जा कर देखता हे. की क्या चल रहा हे? वह कुछ पल के लिए मुझसे गायब हो गया. फिर कहीं और से ही मिला. वह फिर वापस राज महल आ गया.”
दोनों सोच में पड़ जाते हे. अब क्या करें? योजना चाहिए. अब तक की बात से कुछ भी सामने नहीं आया हे. ये सारी फसाद की जड़ राज सभा हे. जहाँ एसी योजना जिसमें किसी को वह भी राजसी परिवार को नुकसान पहुंचाया जाए, बन सकती हे. दूसरा, यहाँ के अलावा किसी भी जगह महाराज के दुश्मन होने की संभावना नहीं मिलाती. तो चलो वहां जा कर पता करते हे. ये ख़याल उसके दिमाग में आता हे.
वह कहता हे, “हम आज राज सभा जाएंगे.”
वल्ली बोला, “पर वहां क्यों?”
ल्यूको बोलता हे, “उस जगह पर सारे राज दफन हे. वही होगा गुनाहगार.”
दोनों दूसरे दिन वापस राजमहल चलते हे. वहां पहुँच कर महाराज से मिलाने की अनुमति मंगवाते हे. महाराज अनुमति भिजवाते हे.
वह दोनों महाराज के सामने पेश होते हे. उन्हें अदब से नमस्कार करते हे. महाराज बाकी के लोगों को बहार भेज कर उन्हें अपनी बात रखाने का मौका देते हे.
ल्यूको बोलता हे, “महाराज मुझे सबसे पूछताछ करनी हे. उस वजह से आपकी आज्ञा चाहिए.”
महाराज बोले, “तुम्हें आज्ञा हे पर मेरी सेविका रीबी तुम्हारे साथ जाएगी. तुम लोगों से काफी लोग जो राज सभा के हे वह नाराज हे.”
ल्यूको बोला, “मंजूर हे.”
महाराज रिबि को बुलाते हे. और उसे ल्यूको की मदद के लिए भेजते हे. ल्यूको शाऊ रीबी और वल्ली, तीनों महल में सबसे मिलाने के लिए प्रस्थान करते हे.
वहां उनको एक अलग खंड दिया जाता हे. यहाँ एक आसन जिसके सामने तीन आसन हे. उसके अलावा वहां कोई सामान नहीं था. शायद महाराजा विशेष वार्तालाप के लिए उसका इस्तेमाल करते होंगे. ल्यूको एक आसन पर बिराजमान हो जाता हे. वल्ली उसके पीछे खड़ा रहता हे.
रीबी प्रथम वैध पिसासु को ले के आती हे.
पिसासु सामने बैठता हे. और गुस्से में उसको सवाल पुछता हे, “आप क्या करना चाहते हे? इस तरह हमको क्यों परेशान कर रहे हे?”
ल्यूको बोला, “आप जानते हे की महाराज की जान को खतरा हे. उनको कोई भड़का रहा हे और साथ में मारने की कोशिश कर रहा हे. उसने उसके बेटे को किसी औषधि या जहर से बीमार किया हे.”
पिसासु कुछ डर जाता हे पर फिर ठीक होते बोला, “देखो, आप को मालूम नहीं पर महाराज काफी खाने लगे हे. वह उसी वजह से मोटे हुए हे. पर उस बात का हत्या से कोई लेना देना हे. ये कैसे कह सकते हे? आखिर ज्यादा खाने के लिए कोई उनको मार तो नहीं सकता. ये सोच ही बकवास हे. कोई उनकी हत्या नहीं कर सकता. दूसरा, हाँ, अनके बेटे को जो बीमारी दी गयी हे. उसके बारे में बता दूँ. वह बीमारी डोंग के द्वारा दी गयी हे. उसके हाथ आने पर हम इलाज भी कर लेंगे. बाकी आप कोई गलतफहमी में यहाँ आये हे की आपका काम यहाँ हे. हम सब यहाँ हे. तुम बच्चे जान पड़ते हो इन सब बातों में.”
ल्यूको बोला, “नहीं, सब सच हे. कोई अंजान आदमी मेरे यहाँ आ के मुझे यह मामला दे के जाता हे. और पैसे भी. उसकी दी तमाम जानकारी गलत हे. तो, कोई मुझे यहाँ तक ले के आया हे. मतलब कुछ तो हे.”
पिसासु कुछ डर कर बोला, “नहीं, मुझे नहीं मालूम. उस बारे में. में तो राजा जी को दवाई देता हूँ. पर मुझे आज तक राजा जी ने कभी कुछ बताया नहीं. शायद आपके साथ किसी ने मजाक किया होगा.”
ल्यूको पुछता हे, “वह क्या हर बात बताते हे?”
पिसासु बोलता हे. “वह सारी बाते तो नहीं बताते पर जब चिंतित होते हे. तो बताते हे.”
ल्यूको पूछता हे, “क्या बताया उन्होंने?”
पिसासु बोला, “उन्होंने कुछ नहीं बताया. बस यही बता रहा हूँ.”
ल्यूको बोला, “आप जा सकते हे.”
दिन भर वहां पूछताछ चलती रहीं. सब को बारी से बुलाकर सवाल पूछे गए.
अंत में मुंड की बारी आई.
ल्यूको उसको सवाल पूछता हे, “महाराजा की तबीयत का क्या हाल हे?”
मुंड कहता हे, “उनको कुछ हुआ नहीं हे. बस वह धुनी हे. तो ज्यादा खाने का भूत सवार हो गया. बस उसकी वजह से ये सब हुआ. बाकी कुछ नहीं.”
ल्यूको पूछता हे, “आप बताये की उनको किसी से खतरा हे? उनके सब से छोटे बेटे को किसी ने बीमार कर दिया. वह भी भयानक.”
मुंड कहता हे, “नहीं, दरअसल वह बहुत कम लोगों से बातचीत करते हे. और वह किसी को दुःख भी नहीं पहुंचाते. तो, भला उसका कौन दुश्मन होगा? और उनके बेटे की मौत का अफसोस मुझे भी हे.”
ल्यूको बोला, “शायद ध्यान से नहीं सुना आपने. मैंने कहा बीमार किया हे.”
मुंड बोला, “देखो हमारे लिए बहुत बुरा समय हे. आप हमें छोड़ दो, हमारे हाल पर.”
ल्यूको पूछता हे, “वह कौन हे जिसको सबसे ज्यादा फायदा होगा राजा की मृत्यु से?”
मुंड बोलता हे, “यह में कैसे बता सकता हूँ? राजा के पाँच बच्चे हे. उनमें से सबसे बड़ा निलन हे. तो वही राजा बनेगा. फायदा भी उसका होगा.”
ल्यूको बोला, “ठीक हे.”
उस दिन पूछताछ ख़त्म करके ल्यूको और वल्ली वहां से चले जाते हे. वे दोनों वापस अपने कमरे में आते हे.
वल्ली पूछता हे, “आपको क्या लगता हे? मुझे निलन पर शक जाता हे.”
ल्यूको बोला, “हालात भी वही बताते हे.”
दूसरे दिन वह आस पास बाजार में जाते हे. और फिरू से मिलते हे.
वह उसे पुछते हे, “कैसा हालचाल हे.?”
वह जवाब देता हे, “वैसा ही. जैसा गुलाम का होता हे.”
उसको को कुछ खाना खिलाते हे. तभी वह कहता हे. वह उसको जानता हे.
ल्यूको पूछता हे: कैसे?
वह फुरु बोलता हे: हमारे मंत्री जी रोज यहाँ आ के चुपके से देखते हे. कई बार कोई औरत आ के हमें एक पोटली भी देते हे जो हमें आप तक पहचानी होती हे. बदले में हमें फल देते हे.
ल्यूको उत्साह से बोलता हे: कैसे जरा बताओ? और कौन सी औरत?
वह लड़का उसको विस्तार से सब बताता हे. उस पर से कुछ बात समझ में आती हे कुछ नहीं.
वल्ली पुछता हे: क्या कोई खास घटना के बारे में जानते हो जो हाल में ही घटी हे. और अजीब हे?
फुरु बोलता हे: हाँ, यहाँ अजीब - अजीब लोग दिखाई देते हे. कोई कहता हे. भूत प्रेत हे. कोई कहता हे आत्मा हे.”
ल्यूको बोलता हे: बेटे, एसी कोई चीज नहीं होती. या तो उसमें विज्ञान होता हे. या किसी की शैतानी दिमाग.
फुरु मासूम भाव से पूछता हे, “आप ये कह रहे हे की कोई शैतान हे.”
ल्यूको हंस कर बोलता हे: नहीं, दरअसल कुछ लोगों को गलत काम करना होता हे. वह ऐसा दिखाकर लोगों को भगा देते हे. ताकि उनका रहस्य वह रहस्य ही रहें. तुम तो बहादुर हो तो तुम्हें डरना नहीं चाहिए.” फुरु हामी भरता हे.
दोनों का माथा ठनक गया. ये काले साए का मामला क्या हे? और इसके बारे में कोई बात भी नहीं कर रहा? वापस दोनों कनु चाचा की दुकान पर आते हे.
ल्यूको बोला, “ये सारी बात फिर से याद करते हे.”
वल्ली बोला, “गनिस्क नामक व्यक्ति मिलाने आता हे. वह हमें महाराज की जासूसी करने को कहता हे. असल में वैसा कोई भी व्यक्ति नहीं. दूसरा उसका पता भी गलत हे. और कोई बड़े राजकुंवर को रास्ते से हटा चूका हे.”
ल्यूको बोला, “दूसरे अंक के राजकुमार को.”
वल्ली बोला, “मतलब भी तो वही हे.”
ल्यूको बोला, “नहीं यदि कोई सत्ता हासिल करना चाहता तो, वह सबसे बड़े बेटे को मारता या बीमार करता. न की उससे छोटे बेटे को. और कोई दुश्मन हो वह उनके स्वभाव को देख लगता नहीं.”
वल्ली बोला, “यदि मुंड ही इन सब के पीछे हे. तो वह हासिल क्या करना चाहता हे? और ये फुरु किस भूत की बात कर रहा हे.?”
ल्यूको बोला, “जो भी हे. एक बात समझ में आ गयी की असल में ये दोनों कट पुतली हे. मंत्री और वैध तो असली गुनाहगार कोई और ही हे. वह दोनों राजकुमार या राज परिवार से धोका देने की और इतनी बड़ी योजना बनाने की हिम्मत और बुद्धि नहीं रखते.”
वल्ली बोला, “वह हमसे काफी आगे हे. मतलब चालाक भी हे.”
यह मामला गंभीर था. दरअसल महाराज के चमचे, महारानी इंदु, उनके रिश्तेदार, राज दरबारी एवं हाकिम से घिरे रहते हे. अब उनमें से कौन महाराज का दुश्मन हे यह कहना मुश्किल हे. ये मंत्री और वैध को अपनी उँगली पर नचाने वाला बहुत शक्तिशाली होगा.
कोई राजमहल का क्या हासिल करेगा यह सब करके? सवाल तो हजारों थे. इसके अलावा बहार से व्यापार करने आने वाले लोग भी, खुद डोंग जो यहाँ किस लिए हे यह बात किसको पता नहीं. वह भी तो हो सकता हे.
ये सब सोच कर ही ल्यूको शाऊ खोज बिन सावधानी से करने की सोचता हे. उसके अलावा एक अहम मुद्दा हे. कोई उनका पीछा करवा रहा हे. जबकि वही व्यक्ति हे जिसने उन्हें यहाँ बुलवाया हे. अब अहम से भी अहम सवाल ये हे की आखिर कोई गुना करना चाहता हे तो क्यों सामने से जासूसी करवाएगा? और क्यों वह जासूसों पर जासूसी करेगा?
सवाल बहुत मुश्किल हे. मामला उससे भी ज्यादा मुश्किल हे. वह लोग इस गुत्थी में पुरी तरीके से उलझ गए हे. वह हुई घटनाओं को समझने के लिए वापस से उसे याद करने लगे. उन्होंने काफी समय उन घटनाओं पर विचार किया.
तभी एक सैनिक आता हे. वह कहता हे की महाराज ने याद किया हे. आप को हमारे साथ चलाना होगा. दोनों घोड़े निकाल कर राजमहल की और निकल पड़े. उनके दिमाग में एक ही चीज थी. क्या हुआ होगा?
राजमहल पहुँचाने के बाद जब महाराज के सामने पेश हुए तो सब रो रहे थे. महाराज उनको अलग खंड में ले के चलते हे.
महाराज कहते हे, “मेरा सबसे बड़ा बेटा, उसको भी किसी ने वही बीमारी लगाई.”
ल्यूको बोला, “महाराज शांति से बताइए. आखिर ये सब हुआ कैसे?”
महाराज बोले, “बात ये हे की में और वह बात कर रहे थे. तब अचानक उसका शरीर पिघलने लगा और कुछ देर बाद वह सिर्फ मुंह और दिल ही बचा. अभी वह जिंदा तो हे पर किसी काम का नहीं.”
ल्यूको बोला, “महाराज आपकी आज्ञा हो तो उनसे मिल लूँ?”
महाराज बोले, “हाँ क्यों नहीं.? रीबी आपको ले के जाएगी.”
ल्यूको बोला, “जी हुजूर.”
रीबी को बुलाया जाता हे. वह आते ही महाराज उनको कान में कुछ बताते हे. वह हामी भर के ल्यूको को अपने पीछे आने को कहती हे. ल्यूको और वल्ली वही करते हे. रीबी उनको एक खंड में ले के जाती हे. उस खंड में दो खटिया होती हे. जिस पर दोनों राज कुमार लेटे हे.
ल्यूको निलन से पुछता हे, “आप को कष्ट के लिए माफ़ी मांगता हूँ. पर कुछ सवाल जिसका आपको जवाब देना होगा.”
निलन बोला, “पूछो.”
ल्यूको पूछता हे, “आप ये बताये की ये सब कैसे हुआ?”
निलन बोला, “एक व्यक्ति आया था. कोई ज्ञानी लग रहा था. उसने हमको पत्थर दे कर अपने माथे पर रखने को कहा और हमने वैसे ही किया.”
ल्यूको पुछता हे, “क्या सारे राजकुंवर के साथ हुआ.”
निलन बोला, “नहीं हमारे साथ ही ऐसा हुआ.”
ल्यूको पुछता हे, “और कुछ याद हे?”
निलन बोलता हे, “नहीं” यह कह कर वह सो जाता हे. उसकी हालत देख कर उसे आगे पूछताछ नहीं करते. वहां से निकल जाते हे.
वह लोग शाम को निचले हिस्से में आते हे. वहां बाज़ार ठंडा था. वे लोग बैठे ही थे की कनु चाचा आये. और वह उनसे बातचीत करने लगे.
कनु चाचा बोले: “अरे! भाई इतना गुमसुम क्यों बैठे हो. कही उधारी कर ली क्या?”
ल्यूको बोला: “नहीं, बस, कुछ सूझ नहीं रहा. हमारा मामला वही का वही रुका हुआ हे.”
चाचा बोले: “तुम इस तरह सोचो की जैसे तुमसे कुछ छूट गया हे. और मिल नहीं रहा. अगर बैलगाडी बनानी हे. पहिये के साथ गाडी और बैल जोड़ना पड़ता हे. उसमें से कुछ भी रह जाए तो गाडी आगे नहीं जाती. शायद कुछ रह गया हे.”
यह सुन कर ल्यूको शाऊ कुछ सोचने लगे. तभी ल्यूको को कुछ याद आता हे और वह खुश हो जाता हे. यह देखकर वल्ली आश्चर्य चकित हो उठता हे.
वल्ली पुछता हे, “भाई आपको क्या हुआ?”
ल्यूको बोला, “हम एक चीज भूल ही गए.”
वल्ली पूछता हे, “वह क्या?”
ल्यूको बोला, “जब यहाँ आने के लिए निकले तब हमारे पास एक पता था. जहाँ हम कभी गए ही नहीं.”
वल्ली उत्साह से पूछता हे, “कहाँ?”
ल्यूको बोला, “तीसरा मकान बाजार के पास.”
वल्ली बोला, “अरे हाँ, वह तो खाली हे. उस पर ताला लगा हे.”
ल्यूको बोले, “ हाँ पर फिलहाल न हमें डोंग मिला हे न कोई और सुराग. तो वही जाना होगा.”
चाचा बोले, “वह असल में ऐसे व्यक्ति का हे जो पूर्व मंत्री रह चूका हे.”
ल्यूको पुछता हे, “कौन हे ये महानुभाव?”
चाचा बोले, “ये पूर्व मंत्री किनाई हे.”
ल्यूको पूछता हे, “इसकी क्या कहानी हे?”
चाचा बोले, “कहानी में... वह जब पूर्व मंत्री था. तब उसने काफी अच्छा काम किया था. सब लोग बहुत खुश थे. उसने विकाश के कामों में राजा की काफी मदद की. उनकी मदद की वजह से ही राज्य का उद्धार हुआ. पर मंत्री बनना चाहता राजाजी का साला उसे रास्ते से हटा देना चाहता था. सो, उसने किया. अब वह मंत्री हे.
ल्यूको पूछता हे, “कौन हे ये महाशय?”
चाचाजी बोल, “मुंड. एक अंक का छठा बदमाश हे. उसी की वजह से राज्य में सुख शांति फ़ैल नहीं रही हे.”
ल्यूको बोला, “ठीक हे चाचाजी.”
दोनों बात खतम करके वहाँ से निकल गए. वह अपने कमरे में आ के बैठे. और सोचने लगे की क्या करें?
वल्ली बताता हे, “अरे! ये अब कौन हे? जो बीमारी दे कर सब को अपने रास्ते से हटा रहा हे?”
ल्यूको बोलता हे, “ये मामला दिन-ब-दिन नया मोड़ ले रहा हे. ज्यादा ही उलझ रहा हे. अब एक ही रास्ता हे. हम उस घर में इक बार घुस जाए. शायद कोई सुराग जरूर मिलेगा.”
वल्ली बोला, “ठीक हे. हम वही जाएंगे.”
दोनों वही जाते हे. वहां वह रात को जाते हे. रात के समय जब अँधेरा होता हे. तब बाजार भी बंद होता हे. और देखने वाला भी कोई नहीं होता. वह बहुत चुप के से उस घर के अन्दर प्रवेश करते हे. ऐसा करने पर उन्हें दरवाजा खोलने और दूसरे काम में दिक्कत होती हे. पर काम हो जाता हे.
दोनों देखते हे की घर काफी समय से बंद होने की वजह से उसमें घुल लगी हे. इस वजह से वहां मकड़ी के जाले भी बन गए हे. वह झाड़ू से सफाई करते हे. ऐसा करने पर उनको घर ठीक से दिखाई देता हे. वैसे यहाँ देखने के लिए कुछ भी नहीं हे. शायद सारा सामान कोई ले के गया हे. और बेकार चीजें पीछे छोड़ गया हे. तो, मकान को देखने का कोई भी फायदा लगा नहीं.
वल्ली बोला, “कोई फायदा नहीं हुआ. शायद वह किसी और राज्य में चले गए होंगे.”
ल्यूको बोला, “लग तो यही रहा हे. पर एक दरवाजा ऐसा हे. जिस पर कोई भी धुल या मिट्टी का निशान भी नहीं हे. इस पर से लग रहा हे की उसका इस्तेमाल हाल ही में हुआ हे. वह रसोई गृह का हे.”
वल्ली बोला, “मतलब यहाँ कोई आया था. पर कैसे? यहाँ आने जाने का निशान भी नहीं हे.”
ल्यूको बोला, “वह ख़ुफ़िया रास्ता जानता हे.”
वल्ली बोला, “चलो खोजते हे.”
दोनों खोजबीन में लग जाते हे. वह देखते हे. उस मकान में दो ख़ुफ़िया रास्ते हे. एक रास्ता बहार की तरफ जाता हे. दूसरा रास्ता भीतर जाता हे. वह रास्ता सीधा रसोई गृह से भीतर तहखाने की दिसा में जाता हे. वहां जा कर देखते हे. वहाँ बहुत सारे खंड हे. तकरीबन चार पाँच. मिट्टी के इस मकान के उपर के हिस्से में तीन खंड हे. यहाँ इतना बड़ा तहखाना होने की वजह भी कुछ विशेष ही मालूम होती हे.
उन तहखाने में जो खंड हे वह लकड़ी के आम दरवाजे से बंध हे. ये दरवाजे पूरे नगर में हर जगह हे. वह पहला दरवाजा खोलते हे. उसमें कुछ नहीं होता. दूसरा दरवाजा खोलते हे. उसमें भी कुछ नहीं होता. इस तरह चौथे तक जा रहे होते हे. तब उनको पाँच में दरवाजे में कुछ हरकत दिखाई देती हे.
पाँचवाँ दरवाजा खोलने पर चौक जाते हे. वहां कुछ रोशनी बिखेरने वाली धातु के बिच कोई आदमी गिरा हे. वह उसको उठाते हे. देखते हे. वह इनसान ही हे. बस उसका हाथ सांप जैसा हे. वह मुंह खोल कर बोलने जाता हे. उसकी जिह्वा भी सांप जैसी हे. वह दोनों देख कर चौक जाते हे.
वह दिखने में एकदम साधारण और फटेहाल हे. उसे देख कर लगता हे की बहुत दिनों से नहाया भी नहीं होगा. उसे देख कर किसी को भी घिन आ जाये. वह घायल भी था. ऐसा लगता हे. किसी ने उसका ऐसा हाल करके मरने यहाँ छोड़ दिया हे.
उसको को देख कर हैरत भी होती हे. आखिर वह हे कौन ? और ये हालत कैसे? किसने किया ये सब?
ल्यूको बोलता हे, “मैंने इसे पहचान लिया. यही हे वह जो हमें गाँव में मिलाने आया था. मतलब हम जिसे खोज रहे थे. वह यही हे.”
वल्ली बोला, “तुम सब कुछ बताओ. यह सब कैसे हुआ.” उसने यह सब उस आदमी को बोला.
वह बोला, “ मेरा नाम किनाई हे. यह सब राजा जी के साले की वजह से हे. उसका नाम हे मुंड. राजा जी के पैसो की ताकत से उसने अपना सिक्का जमाया हे. उसको कुछ आता नहीं था. पर वह राजा बनने के सपने देखता हे. उसी ने मुझे निकलवाया. उसने मेरी ये हालत की.”
ल्यूको पुछता हे, “उसने खुद निकलवाया?”
किनाई कहते हे, “नहीं, वेधने मदद की.”
ल्यूको पूछता हे, “वैध इतने अक्लमंद हे?”
किनाई बोले, “नहीं, वह दवाई देते हे. इतना ठीक हे. पर राजा जी के सामने वह भीगी बिल्ली बन जाते हे. वह इतनी हिम्मत नहीं कर सकते.”
ल्यूको ने पूछा, “तो हिम्मत कैसे आई?”
किनाई बोले, “पता नहीं. लेकिन वह मुझ से मिलने आये और मुझे कुछ अजीब सी चीज दी. मुझे कुछ पता भी नहीं चला.
ल्यूको पुछता हे, “उसके बाद?.”
किनाई बोले, “उसकी वजह से मेरी ये हालत हुई. उसने महाराज को मेरी ये बिगड़ी हालत दिखा कर मुझे वहां से हटाया, ये कहकर की मैंने ही उनके बेटों की हालत ख़राब की हे..”
वल्ली बोला, “फिर?”
किनाई बोले, “फिर क्या? महाराज ने गुस्से में मुझे निकाल दिया. महाराज को बहुत समझाया की में बेकसूर हूँ. पर महाराज नहीं माने.”
ल्यूको पूछता हे, “महाराज और साले का संबंध कैसा हे?”
किनाई बोले, ”अरे! बहुत अच्छा हे. उस पर भरोसा करके महाराज ने मुझे निकाल दिया. महाराज सबसे ज्यादा उस पर ही भरोसा करते हे.”
ल्यूको बोलता हे, “हाँ........ तो, उस पर शक कैसे?”
किनाई बोले, “राजसी परिवार में वह अकेला हे. जो इस खानदान का नहीं. उसको उसके कबीले में होना चाहिए था. पर महाराज ने जैसे ही उसकी बहन के साथ सादी की वह यहाँ आ गया. सब को लगता हे. वही राजा बनाना चाहता हे. और वैध के साथ भी उसकी अच्छी दोस्ती हे.”
ल्यूको बोला, “तो, वह षड्यंत्र करेगा.”
किनाई बोले, “जी, में ज्यादा नहीं पर एकाध चीज कह सकता हूँ. कुछ समय पहले उसका और महाराज के दौरान बहुत भयानक बहसबाजी हुई थी. जिसकी असर पूरे राजसी परिवार में हुई थी. तो वही हो सकता हे.”
वल्ली बोला, “वह रात का रहस्य खुल गया. यहाँ राजमहल के लोग रात को आते हे. वह भी चोरी छिपे. इसको अपना अड्डा बनाकर रखा हे. महाराज को खोज ने पर भी कुछ न मिले. बहुत शातिर हे” फिर दोनों उस बीमार आदमी की तरफ देखते हे.
ल्यूको बोला, “आपको इलाज करवाना होगा. आपको इनसाफ़ हम दिलाएंगे. आप तब तक आराम फरमाएं. और एक चीज याद रखे की समस्या चाहे कितनी भी बुरी क्यों न हो पर सुलझ ही जाती हे.”
तुरंत वल्ली को भेज कर वे लोग सेनापति को बुलाते हे. सेनापति कुलमुंडू आते हे. साथ में कुछ सैनिक भी होते हे. उनको पूरी बात बताई. वह हैरत हो जाते हे. उसके बाद उसको छिपा कर सबसे बड़े वैध के पास भेजने का प्रबंध कर के देते हे.
राज्य में कई तरह के रथ चलते हे. एक राजा का रथ जिसमें राजा रानी सेर पर जाते हे. जो लकड़ी का बनी बंद गाड़ी हे जिसमें बैठने वाला बहार किसी को दिखाई नहीं देता. छोटी सी खिड़की से अंदर बैठा बहार व्यक्ति देख सकता हे. दूसरा हे खुला रथ जो युद्ध में काम आता हे. महाराज ने दोनों तरह के रथ राज्य की सेवा के लिए बनवाये. और उसे राज्य की सेवा में दे दिए. पर पूर्व मंत्री के मामले में उन्हें बंद रथ में ले जाया गया. उनको सुरक्षा और आराम दोनों की जरूरत थी.
ल्यूको बोला, “आप ये बताए. महाराज वाला मामला कहाँ तक पहुंचा? ”
कुल बोला, “महाराज के मामले की बात में बहुत से मोड़ हे.”
ल्यूको पूछता हे, “आप किस मोड़ की बात कर रहे हे?”
कुल बोले, “प्रथम यह किनाई जिसकी ये हालत की गयी. वह एकदम नया ही मामला हे. इसके अलावा राजकुंवर वाला मामला. और महाराज का भी मामला. ऐसा हे की कोई हाथ धो कर पीछे पड़ा हे. मेरा मतलब हे की कोई उन को बरबाद करना चाहता हे. ”
ल्यूको पूछता हे, “और दूसरी बाते?”
कुल बोला, “ये मुंड मुझे किसी भी तरीके से शरीफ नहीं लगता. जानता हूँ. पर सबूत के अभाव से बच जाता हे. ये राज वैध भी उसके साथ हे.”
ल्यूको पुछता हे, “आप को उस पर शक कैसे गया.”
कुल बोला, “दर असल इसके आने से पहले महाराज हर तीसरे दिन आम जनता से मिलते थे. इस बदमाश ने उन्हें मिलने को मना कर दिया. उसके अलावा वह जब से महाराज के साथ उलझा हे. तब से ये घटना शुरू हुई हे. और वह राजमहल में, अपने बहन के ससुराल में रेहता हे. जबकि उसको अपने घर पर रहना चाहिए. ”
ल्यूको पूछता हे, “ये महाराज के वज़न का क्या चक्कर हे?”
कुल बोला, “ये सब उसी साले का कमाल हे. उसने सिखाया हे की महाराज होने के कारण उन्हें अपना वज़न ज्यादा रखना चाहिए. महाराज फंस गये. उसने क्या किया कि महाराज का वज़न हदसे ज्यादा बढ़ गया.? वह मालूम नहीं”
ल्यूको पूछता हे, “डोंग के बारे में पता चला?”
कुल बोला, “नहीं, वह कौन हे. और कहाँ हे. कुछ पता नहीं.”
ल्यूको बोला, “ठीक हे. हम चलते हे.”
दोनों वहां से चले जाते हे.
सुबह जब उठते हे. तो वह काफी ताजा महसूस कर रहे होते हे. विराम गृह के बहार आ कर बैठते हे. वहाँ आकर नजारा देख कर आलस मरोड़ते हे. सुबह में ताजा फल की खुशबु उसके साथ फूलों की खुशबू मिलती हे उसके अलावा उनको मंदिर की घंट की ध्वनि ज्ञान गृह के घंट की आवाज ये सब उनको सुने दे रहा था.
तभी उन्होंने छुट्टी लगाकर आराम करने के बारे में सोचा. वे आराम से बैठते हे. चाचा भी वहां आते हे. वह काफी उत्साह में थे.
चाचा पुछते हे, “क्या भाई ल्यूको शाऊ? आज क्यों गमगीन हो?”
ल्यूको बोला, “सब कुछ गलत हो रहा हे. वैसे आपकी सलाह काम कर गयीं. पर ज्यादा फ़ायदा नहीं हुआ. हमें पता चल गया की मुंड ही असल गुनहगार हे. पर गुनहगार को पकड़ने के लिए जो सबूत और कारण चाहिए वह नहीं मिले. ”
वल्ली बोला, “उसने हमें चकमा दे दिया. मतलब वह हम से कई कदम आगे की सोच रखता हे.”
चाचा बोले, “यह शतरंज की बाजी की तरह हे. तुम सरेआम उस बाजी में पिट रहे हो. इस तरह तुम तो कट पुतली बन रह जाओगे.”
वल्ली बोला, “बात सही हे. किसी ने खेल खेला हे. हमें उमसे शामिल कर के कोई अपने ही दुश्मन को रास्ते से हटा रहा हे. इस तरह हम लाचार बन चुके हे.”
ल्यूको बोलता हे, “इनसान वह नहीं जो वह दिखता हे. इनसान वह हे जो वह छिपाता हे. सब का कुछ रहस्य तो हे. उसको खोजने हम वापस वही से शुरुआत करेंगे. जहाँ से करनी थी. किनाई के घर से.”
शाऊ बोला, “ठीक हे.”
दोनों रात को बहार निकल ने की तैयारी करने लगे. अँधेरा होते ही वे लोग सबसे पहले किनाई के घर के भीतर प्रवेश करते हे. उन्होंने ध्यान से जांचना शुरू किया. वहां कुछ दिखाई नहीं दे रहा था. वह ज्यादा तलाशने लगे तो देखा की वहां सब कुछ पहले जैसा ही हे. पर किसी ने तहखाने का इस्तेमाल किया हे. वह उस जमीन पर पड़े कदमों के निशान से पता चला. वह विशेष जुते के निशान हे.
वह लोग तहखाने में आते हे. वहां हलचल चल रही होती हे. उस हलचल को देख कर वह खूब सावधान हो जाते हे. वह देखते हे की वहां कुछ सैनिक हे. वह जमीन से कुछ खोज रहे हे. पर क्या? लकड़ी का बड़ा बक्सा. जिसे निकाल कर एक और खुफिया रास्ते से वह चले जाते हे.
ये देख ल्यूको और वल्ली भी उसके पीछे चले जाते हे. सब लोग वहां से किसी दिशा में घोड़े पर जा रहे होते हे. ये देख ल्यूको भी घोड़े पर उसका पीछा करने लगा. ये पीछा कुछ देर चला. उसके बाद वह देखते हे की किसी वीराने में वह घोड़े रुक जाते हे. सारे सैनिक निचे उतर कर आगे बढ़ने लगते हे. ल्यूको और वल्ली पास में पेड़ के पास छुप जाते हे. वह देखते हे की दूर सैनिक लड़कियों से आग लगाते हे. आग लगाने के बाद सब साफ़ दिखाई देता हे.
ल्यूको देखता हे की असल में वहां राजसी परिवार मौजूद हे. वहां महारानी इंदु, राजकुंवर जो की तीन हे. मुंड और राजसी वैध पिसासु. उसके अलावा कुछ दरबारी भी मौजूद हे. वहां सब उस आग को देख कर कुछ मंत्र जोर से पढ़ रहे हे.
इतना ही नहीं वहां कोई पंडित हे. जो जोर - जोर से मंत्र पढ़ते उस आग में कुछ होम रहा हे. उस बक्से से कुछ निकाल कर वह उस आग में होमता हे. जोरदार आग की लपटे आसमान की तरफ जा रही हे. जैसे कोई धमाका हुआ हो. ये देख वल्ली चिल्लाने जाता हे. ल्यूको उसका मुंह बंद कर देता हे. वह देखते हे. उस आग से लाल रंग की रोशनी आसमान की तरफ जाती हे. आसमान में खो जाती हे. कुछ देर बाद आसमान में हलचल दिखाई देती हे. यह देख वल्ली के दिमाग में कुछ सवाल उठाते हे.
वल्ली पुछता हे, “ये क्या? ये हो क्या रहा हे? वह घर कैसा? और ये पूजा किस तरह की हे? इससे भी अजीब ये हे की ये लोग कर क्या रहे हे? ”
ल्यूको बोला, “मुझे लगता हे की इन लोगों ने उस घर को अड्डा बना कर रखा हे. मामूली इनसान यही समझे की वहां कोई भी नहीं. और वह वापस जाएगा. वहां आसमान से किसी को बुलाने का सामान रखा गया हे.”
तभी आसमान से एक यन्त्र जमीन पर आता हे. वह हवाई यात्रा यन्त्र हे. उससे कछुए के मुंह वाला और गिलहरी के शरीर वाला अजीब जीव बहार आता हे. उसको सांप के शरीर जैसी पूछ हे. जो लम्बी हे. वह आता हे. और उसे देख कर सब चिल्ला रहे हे. “डोंग” ये सुनकर ल्यूको हैरत में गिर जाता हे. मतलब वह धरती का जीव नहीं. और वह सब पर जादू कर चूका हे. वह सब वही कर रहे हे जो वह कहता हे.
कुछ देर बाद डोंग वापस चला जाता हे. और बाकी के राजमहल की तरफ चलते हे. ल्यूको और वल्ली वापस अपने कमरे में आ के सो जाते हे. तब रात काफी बीत चुकी होती हे. तकरीबन सुबह के नजदीक पहुँच गयी होगी.
दूसरे दिन सुबह दोनों जब चाचा की दुकान के पास खड़े होते हे. चाचा उन्हें बुलाते हे. उनको बुलाने के बाद चाचा उनको बोलते हे की बैठो, में तुमको सूरा पिलाता हूँ. सुरे मजे के बाद चाचा उनकी सामने देखते हे.
चाचा पूछते हे, “अब आप कैसा महसूस कर रहे हे?”
ल्यूको बोला, “अच्छा. पर अचानक इस तरह सुरे की दावत?”
चाचा बोले, “बात दरअसल ये हे की कल हम पर हमला हुआ था. सैनिक आ कर हमको परेशान किया. और हमको घायल करने की कोशिश की. पर मेरे गुलामों ने उनका सामना किया. तुम लोग आज कल कर क्या रहे हो? कोई गलत काम तो नहीं कर रहे? ”
ल्यूको बोला, “लग गयी सफलता हाथ. इससे सारी चीजों का राजमहल का सम्बन्ध सामने आ गया. अब मिठाई बाँट ने की तैयारी करो.”
सब जोर - जोर से हंस ने लगे.
चाचा बोले, “अब सब फंसेंगे. क्योंकि अब सबूत हाथ लग गया हे. यदि वह सिपाही हाथ लग जाए तो समझ लो की वह भी हाथ लग गया. जिसने ये सारा कांड किया हे. तो सारा मामला निपट जाएगा. में तुम्हारे साथ हूँ. हमारे राजा हमें बहुत पसंद हे. उनके लिए कुछ भी कर सकता हूँ.”
ल्यूको बोला, “तो, मिठाई पक्की आपकी.”
चाचा बोले, “चलो राजमहल.”
सब राजमहल की और चल पड़े. राजमहल की तरफ जा रहे थे तब, वह लोगों को राज्य छोड़ कर जाते देखते हे. ये देख कर आश्चर्य होता हे. आखिर सब जा क्यों रहे हे. चाचा जा कर पूछताछ शुरू करते हे. पूछताछ करके जब वापस आते हे. तब उनके चेहरे पर कोफ्त मौजूद था. वह आ कर बताते हे, “अरे! ये लोग तो हमसे भी आगे निकले. इन्होंने पहले से ही तैयारी कर ली हे.”
ल्यूको बोला, “मतलब?”
चाचा बोले, “राजमहल से फरमान आज सुबह ही निकलवाया गया हे की राज्य में हो रहे रहस्यमय घटना की वजह से न राजसी परिवार सुरक्षित हे न आम जनता तो, सब को शहर खाली करवाना होगा.”
वल्ली बोला, “मुझे याद आया. कल रात महाराजा उस हवन में या डोंग को बुलाने की घटना में हाजिर न थे. मैंने उन्हें कहीं नहीं देखा था.”
चाचा बोले, “अरे! लोग कह रहे की महाराजा तो युद्ध की तैयारी कर रहे हे. उनके राज्य में चल रहे आतंक की वजह वह दूसरे राज्य को बता रहे हे.”
ल्यूको बोला, “महाराज तो उठ भी नहीं सकते. वह हमला करने की क्यों सोचेंगे?” जरूर कुछ भेद हे.”
वल्ली बोले, “चलो राजमहल”
सब भागते राजमहल पहुंचते हे. देखते हे. वहां सैनिक का पहरा लगा हे. उनको देखते ही उन्हें पकड़ लिया गया. उन्हें राज दरबार में लाया गया. वहां महाराजा को छोड़ कर पूरा राजसी परिवार मौजूद था. एक पंडित आगे आता हे.
वह ल्यूको को कहता हे, “ आप कसम खाए. देवताओं को हाजिर मान कर मुंड महारानी इंदु और राजकुंवर यदा, कुमिल और हुनास के सामने आप सच बोलेंगे.”
ल्यूको बोला, “में कसम उठता हूँ.”
यदा पूछता हे, “तो बताओ यह अराजकता किसके कहने पर फैला रहे हो? वह कौन हे जो हमारा दुश्मन हे? तुम्हें किसने भेजा?”
ल्यूको बोला, “कौन कर रहा हे. ये तो हमें भी नहीं मालूम पर यह बता सकते हे की हमें पूर्व मंत्री ने खोजबीन करने को कहा हे.”
वैध चिल्लाता हे, “झूठ हे. वह मर चूका हे. वह ऐसा कर ही नहीं सकता.”
तभी इक सैनिक भागता आता हे.
वह कहता हे, “गजब हो गया. महाराज नहीं रहे. उनका देहांत हो गया हे. दुश्मन यहाँ तक पहुँचते ही होंगे.”
मुंड बोला, “जल्दी महल खाली कर दो. और इन गुनाहगारों को बंदी बना लो. जल्दी से राजसी परिवार को यहाँ से निकलवा कर सुरक्षित जगह भेज दो.”
उनकी सूचना ख़त्म होते ही सब वही करने लगे जैसा कहा गया. भागदौड़ के बिच ल्यूको और उसके साथियों को बंदीगृह ले जाया गया. महल खाली करवाया गया. मुंड युद्ध मैदान की तरफ भागा.
तभी आसमान से एक आग का गोला आता हे. वह पूरे नगर को तबाह कर देता हे. जब सेनापति वारुक्कू वहां आते हे. चारों तरफ आग की लपटे लगी होती हे. सब कुछ राख हो रहा हे. पूरा नगर जैसे आग में गायब हो रहा हे. अब कुछ नहीं बचा था.
तभी सामने से कालिंदी और उड्डयन की सेना आती हे. सेनापति चिल्लाते हे. “यहाँ कुछ नहीं बचा. यह जगा शापित हे. वापस चले जाओ.” उसकी हालत देख कर सब लोग वापस चले जाते हे. सेनापति कई घंटों तक वही खड़े आग को देखता रहा.
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लेमोरा के विनाश के बाद वाराई कालिंदी और उड्डयन के कब्जे में आ गया. उन्होंने इसे “किसी भी का भी राज्य नहीं” ऐसा घोषित किया. जिसकी वजह से वह किसी का भी साम्राज्य नहीं बन सकता. वाराई निराधार हो गया.
जहाँ लेमोरा हुआ करता था. वहां अब खाली जमीन पड़ी हे. उस वजह से वहां आसपास के व्यापार करने आने लगे. व्यापार करने उन्हें मामूली जमीन मुफ्त में मिल जो गयी थी. अब वह बेरोकटोक व्यापार कर सकते हे. यहाँ कोई मालिक नहीं. इस लिए यहाँ कोई कर भी कर नहीं. ये खबर सुन कर दूर दराज देश से लोग व्यापार करने आने लगे. यहाँ एक नया बाजार ही खड़ा हो गया.
कुरिस्तान, जो खानाबदोस व्यापारियों का नगर हे. वहां से भी व्यापारी आने लगे. बिना कर के व्यापार की बात आग की तरह फैली थी. यहाँ वह चीजें मिलाती जो पहले कभी देखने को न मिली हो. ये छोटे मोटे व्यापारी हे. जो जीने के लिए यहाँ आये हे. क्योंकि दूसरे राज्य में रजा कर बहुत वसूलता हे.
एक दिन एक व्यापारी आया. उस व्यापारी का हुलिया काफी अजीब था. वह एकदम अलग लग रहा था. उसकी पोशाक में एक बनियान जो ज्यादा जेब वाली थी. और धोती पहन राखी थी. चेहरे पर कुछ बाल हे. और वज़नी भी हे. पर दिखने में व्यापारी जैसा हे. इतनी जेब व्यापारी की ही होती हे. अपने साथ कुछ गुलामों को भी लाया था. वह आ कर देखता हे. यहाँ बिना कर व्यापार सच में हो रहा हे. वह यहाँ व्यापार करने के लिए ललचा गया. वह अपने गुलामों को घोड़े सँभालने को कह कर उसने एक आदमी को रोक दिया.
वह पूछता हे, “भाई घनी दूर से आया हूँ. व्यापार को नी. थारो मुखियों कोण से?
वह आदमी चिल्लाता हे, “ए चका तने कोई मलवा आव्यू छे.” चका आता हे.
वह बोलता हे, “तमारे को गभाराने का नहीं. रात को भी जरूरत हो ने तो अमने को याद करने का. हों.. (वह हों को लम्बा कर बोलता हे.)”
वह बाजार का अंजान आदमी बोलता हे, “चका आ अहीं व्यापार करवा आव्यो छे.”
चको बोलता हे, “तमेरा नाम क्या हे?”
वह व्यापारी बोलता हे, “मारो नाम अमीचंद से. अट्टे व्यापार करने का नी.”
चको पूछता हे, “व्यापार तमारे को करना हे ने? तो, अमारे का नियम मानना पड़ेगा.”
अमीचंद बोलता हे, “मारे को मंजूर नी. बस इधर व्यापार करने का हे ने! तो करने का नी.”
चका बोला, “तमारे को सुनना पड़ेगा. हमारे का काम एकदम चोक्खा होता.
पहला नियम, ये हे की किसी के साथ मगजमारी करने का नहीं.
दूसरा नियम, किसी को भी तकलीफ हो मदद करने का. भांजगड नहीं करने का.
तीसरा नियम, इधर कर नहीं हे. पर इधर गरीब, मजबूर और लाचार हे. जो निराधार हे. इन सब की मदद के लिए अनाज और जरूरी चीजें इधर देने का. इधर आने वाला सब व्यापार नहीं कर सकता. उसको भी खिलाने का.
चौथा नियम, तेरे को इधर के राज परिवार के सामने झुक ने का नहीं. ये नियम तमारे को मंजूर हो. तो, अमारे साथ काम कर सकता हे.”
अमीचंद बोलता हे, “मंजूर हे. ए मारो नौकर मंगू भी मारे साथ रहेगा. पर मारे को पूछने का. मगजमारी का मतलब? भांजगड मतलब? और राज परिवार का क्या हे?
चका हंस कर बोलता हे, “वो सब जाने दो. बहुत लम्बी कहानी हे.”
अमीचंद बोला, बोलनी अट्टे जिज्ञासा बहुत हे नी.”
चका कुछ इशारा करता हे अपने लोगों को फिर अमीचंद को कहता हे, “ये राज परिवार यहाँ जो पहले राज्य था. उसी का हे. उस राज्य में सुख शांति थी. पर राजसी परिवार में कलह की वजह से सब डूब गया. अब बचा कूचा राजसी परिवार अपना पेट भरने को सबसे पैसे वसूलते हे. ताकि अपना पेट भर सके. तमेरे को चिन्ता नहीं करने की.”
अमीचंद बोला, “बेचारे.”
बात वही ख़त्म हो जाती हे. तब तक उनके लिए नारियल पानी आता हे. वह पीते हे.
अमीचंद ने वहां गहनों की दुकान खोल दी. उसने कुछ दिन में देखा यहाँ व्यापार करने बहुत आते हे. पर खरीदने वाले बहुत कम हे. वह रोज बेचने आता पर कम ही बिकता. ज्यादा समय वह बेकार बैठा सबको देखता हे.
एक दिन एक व्यक्ति आता हे. वह घोड़े से उतर कर आसपास देखने लगता हे. वह डरा सा लग रहा हे. उसे देख अमीचंद थोड़े हावभाव बदल देते हे. पर अपने आपको सामान्य बनाते शायद उसका ध्यान अपनी और खींचने चिल्लाता हे. ”अपनी पत्नी, माँ और बहन के लिए गहने लेने आइए. सुन्दर गहने. सोने के, चाँदी के. इक बार लीजिए. बार - बार लीजिए.” आवाज सुन कर वह आदमी अमीचंद की दुकान की और देखता हे. फिर कुछ सोच कर उसकी दुकान पर आता हे.
अमीचंद बोलता हे, “आइए आप. बोलो क्या खरीदना पसंद करेंगे. अरे! मंगू ज़रा इन मेहमान के लिए सूरा ले के आ. आप बैठिए. मेरे पास चाँदी के गहने जिसमें बाली, नथुनी और कंगन हे. सोने में हार, कमरबंद और पायल हे. आप क्या पसंद करेंगे?”
वह आदमी बोलता हे, “आप साँस लें. आप तो कितना बोलते हे. मुझे इनमें से कुछ नहीं चाहिए. मुझे ल्यूको शाऊ चाहिए. नाम सुना हे?”
अमीचंद बोला, “थारे को गहने खरीद ने हे. तो बोलो. मारे का समय खोटी नी करो नी.”
वह बोलता हे, “मेरी बात तो सुन लो. शायद आपका भी फायदा हो.”
अमीचंद बोला, “हाँ बोलो. मारे को पसंद आना चाहिए.”
वह बोला, “मेरा नाम यदा हे. में राजकुमार हूँ. राजसी परिवार से हूँ. तो, आपको सुनना चाहिए. ”
अमीचंद बोला, “मारो नाम अमीचंद हे. अब बोलो भी. जिस के लिए आये हो.”
यदा बोला, “बात ये हे की, ल्यूको शाऊ मशहूर जासूस हे. वह लेमोरा नामक जो राज्य था. उसमें था. उसके अंत के बाद ल्यूको का कुछ पता नहीं हे. तो आप मुझे उसे खोजने में मदद करें तो भला होगा.”
अमीचंद बोला, “थारी बात तो ठीक हे. पर मारे को काम होवे. में थारी मदद क्यों करू भाई?”
यदा बोला, “सोने के कटके दूँ तो?”
अमीचंद बोला, “थारे पास पैसे कहाँ से आये? थारे परिवार तो युद्ध हार गया था.”
यदा बोला, “वह मेरी समस्या हे.”
अमीचंद बोला, “ठीक हे. दो दिन बाद मिल. जंगल के राख के मैदान में. वह भी अकेले रात को.” यदा हामी भर के चला जाता हे.
दो दिन बाद रात के समय यदा राख का जंगल जो कभी हरा भरा जंगल था. धमाके में पूरा जल गया. बची तो सिर्फ राख. तब से उसे राख का जंगल कहते हे. वहाँ सफाई करवा रहे हे. पर वह खुले नए बाजार वाले से जो हो सकता था सब किया हे. इस लिए उनके औजार जो बिखरे पड़े हे. उनसे वह सावधान रह कर आगे जा रहा हे. वह देखता हे की पूरा खुला मैदान हे.
वह तलवार निकाल कर अपने आप को सुरक्षित करता हे. ताकि कोई हमला करें तो बचाव किया जा सके. नीरव शांति और घना अँधेरा हे. तभी घोड़े की आवाज सुनाई देती हे. वह आवाज सुन कर चौक जाता हे. वह देखता हे. दो घोड़े आ रहे हे. वह घोड़े नजदीक आते ही पता चलता हे की वह अमीचंद यानी वह व्यापारी हे.
वह आ के वहां खड़े यदा को कहता हे, “माफ करना मेरे दोस्त. पर सच यह हे की जिस दिन धमाका हुआ. उसी दिन वह मारे गए. पर हताश न हो. मारे को पूरी बात बता दो. शायद में थारी मदद कर दूँ. देखो, ये व्यापार के नियम के खिलाफ हे. पर मदद कर सकते हे.”
यदा पूछता हे, “तुम्हें हमसे समस्या क्या हे?”
अमीचंद कहता हे. “समस्या ये हे की राजसी परिवार कर की बजाए सुरक्षा के नाम पर पैसे लेते हे. ये गैरकानूनी हे.”
यदा कहता हे, “में तुम पर भरोसा कैसे करूँ?”
अमीचंद बोला, तुम्हारी मरजी.”
यदा कहता हे. “ठीक हे. में बताता हूँ. बात ये हे की राजसी परिवार में मुंड नामक एक साला हे. उसके बहन की शादी महाराज से हुई थी. वह इतना लालची हे की क्या बताऊँ. लेमोरा ख़त्म करने में उसका हाथ हे. अब वह नया नगर बसाने की योजना बना रहा हे. इस योजना में कालिंदी और उड्डयन भी मदद करे इस लिए वह मेले का आयोजन कर रहा हे. फिलहाल उस टूटे फूटे महल में रह रहे हे. पर जल्द ही सब कुछ नया बनाया जाएगा.”
अमीचंद बोला, “बात तो अच्छी हो रियो हे. फिर?”
यदा कहता हे. “नहीं, वह शैतान कोई और ही नयी चाल चल रहा हे. उसके चक्कर में पूरा राजसी परिवार जान से हाथ धो देगा.”
अमीचंद बोलता हे, “तो जासूसी करवाना चाहते हो.”
यदा बोला, “हाँ.”
अमीचंद बोला, “ठीक हे. के मिलोगो?”
यदा कहता हे, “पिछला और यह मिला कर एक लाख सोने के कटके.” यदा एक पोटली देता हे. इसे देख अमीचंद खुश होता हे.
दोनों में योजना बन गयी. जैसे तय हुआ था. ठीक वैसे ही यदा अपने घोड़े पर उसकी बताई जगह पर पहुँच जाता हे. वहां पहले से अमीचंद अपने नौकर के साथ खड़ा हे. वह मुंड का जाने का समय और रास्ता बता देता हे. ताकि उनको कब पीछा करना हे. समझ में आये.
ठीक उसी दिन मुंड कालिंदी की तरफ निकलता हे. दूर से उसको जाते देख अमीचंद भी उसके पीछे हो लिया. वह उसका पीछा करते कालिंदी के महल के दरवाजे की तरफ पहुँच जाता हे. महल के अन्दर तो वह जा नहीं सकता.
मंगू बोलता हे, “सेठ अन्दर कैसे जाएंगे? हमारे पास इजाजत नहीं हे.”
अमीचंद बोला, “इस लिए में सेठ हूँ. मारे को इजाजत की क्या जरूरत?”
दोनों में कुछ एसी मसलते होती हे की दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हे. रात को वह देखते हे. महल को मशाल की रोशनी से चमकाया गया हे. वह चोरी छुपे किल्ला लांघ कर अन्दर प्रवेश कर जाते हे. उसके साथ उसका नौकर मंगू भी होता हे. वह दोनों गश्ती लगाने निकले सैनिक को दबोच कर उन्हें बाँध कर खुद सैनिक बन जाते हे. वह महल में घुस कर चारों दिशा में देखते हे.
असल में वहां जलसा चल रहा होता हे. पर यह जलसा सिर्फ राजसी परिवार और उनके लड़ाकू सैनिक के लिए ही हे ऐसा लगता हे. वहां सब सैनिक भोजन ले रहे हे. इस वजह से पहरा कोई भी नहीं दे रहा. इस वजह से वहां महल के अन्दर प्रवेश करना आसन था. सारे सैनिक महल के बहार के मैदान में थे.
अन्दर प्रवेश के बाद उनको मालूम पड़ता हे. यहाँ सब खाली हे. वह एक - एक कमरे को देख कर आगे बढ़ाते हे. वह देखते हे की असल में वहाँ जो भोजन का खंड हे. जहाँ भोजन का मेज हे. वहां सब इकट्ठा हुए हे. वहां सब एक साथ बैठे भोजन करते बात कर रहे हे. अमीचंद चुप जाता हे. वह भी बाते सुनाता हे.
कालिंदी के महाराज कह रहे हे, “बताइए मुंड जी. हमने वैसे ही किया जैसा आपने कहा. अब हम आपकी क्या सेवा कर सकते हे?.”
मुंड बोला, “बस, अब में नया नगर बसाऊंगा. आपको उसमें मेरी मदद करनी हे.”
कालिंदी के महाराजा बोले, “ आप निश्चित रहे सब कुछ मिल जाएगा. बस आपको मेरी शर्त कबूल करनी होगी.”
ये सुन कर मुंड बोला, “हो जाएगा. आप बस अपना वादा निभाना. व्यापार मेरे हवाले कर देना.”
मुंड सर हिला कर हामी भरता हे. दोनों में बातचीत ख़त्म हो जाती हे. फिर वे लोग भोजन लेने लगते हे और तब सब शांत हो जाते हे. अमीचंद भी वहां से निकल जाता हे. उसका नौकर भी उसके पीछे होता हे. वह वापस आ कर वापस अपने घोड़े पर लेमोरा जाने के लिए निकल जाते हे.
लेमोरा आ कर वह वापस वैसे रहने लगते हे. जैसे कुछ हुआ ही नहीं हे. अब यदा उनको मिलने आते हे. उनको सब बता देते हे. वह यह सुन कर चौक जाता हे. यदा कहता हे की वह जानना चाहता हे की आखिर क्या सौदा हुआ हे? और उससे राजसी परिवार पर क्या फर्क गिर सकता हे? इस लिए उनको आगे भी काम करना होगा.
इस बात को कुछ दिन बीत गए. तब तक यदा मिलने भी नहीं आया और कोई खबर भी नहीं आई. सारे दिन एक जैसे ही बीत रहे थे की एक दिन नया सवेरा हुआ. इस बाजार में संदेशा आता हे.
सन्देश के मुताबिक “सभी बाजार चलाने वाले को ये बताया जाता हे की राजा मुंड अब वाराई के नए राजा घोषित होंगे. उसके बाद राज्य फिर राजा के द्वारा शोभित होगा. उजड़ा लेमोरा फिर से बसाया जाएगा. तो, आये तमाम व्यापारी को बताया जाता हे की उनको राज्य में व्यापार करने के लिए महाराज की आज्ञा लेनी होगी.
महाराज का आदेश हे की जो व्यापारी आज तक व्यापार करते आये हे. उन्हें महाराज को मिलाना होगा. महाराज उन व्यापारियों को मदद करना चाहते हे. जो मजबूर हे. तो वह खुद तय करेंगे. कौन व्यापार करेगा कौन नहीं.”
यह सब सुन कर चारों तरफ खुशहाली फ़ैल गयी. सब यहाँ मजबूर ही हे. यहाँ व्यापारी हे. पर खरीददार की कमी हे. यदि महाराज की मदद मिल जाए तो वह नाम और कमाई दोनों में आगे निकल जाए. तो, वह महाराज को मिलने उत्साहित थे.
वह दिन भी आ गया. जब महाराज ने मेले की तैयारी शुरू करवा दी. वहाँ मैदान में सब कुछ सजाया गया. ऐसा तैयार किया गया जैसे की कोई त्यौहार हो. उसमें तरह - तरह की चीजें और आकर्षण रखे गए हे. सारे व्यापारी उसमें गए. अमीचंद भी उसमें शामिल हो गए.
वहां महाराजा पहले से मौजूद होते हे. उसके साथ में राजसी परिवार भी. इस राजसी परिवार के बीच महाराजा का राज्याभिषेक होने वाला हे. महाराज लोगों की भीड़ को देखते हे. उसमें पुराने नगर जन वासी भी हे. जो मेले के बहाने यहाँ ये देखने आये हे की क्या होने वाला हे?
महाराज और राजसी परिवार काफी खुश हाल होता हे. उनकी पोशाक एसी थी की वह सबसे प्रतिभाशाली लग रहे हे. महारानी जो इस महाराज की बहन हे. बह महारानी इंदु इस समय खूबसूरती में कोई अप्सरा लग रही हे. सब का ध्यान उधर ही हे. सब राजसी परिवार की पोशाक और खूबसूरती को निहार रहे हे.
तभी सब का ध्यान भंग करते महाराजा खड़े हो के जनता की भीड़ को संबोधित करते हुए अपनी बात बताने लगे. जो कि असल में एक घोषणा थी.
महाराज बोले, “आप सब को आपके इस नए राजा की तरफ से प्रणाम. में आपका नया राजा मुंड. नगर वासी को में बताना चाहूँगा. की हमारे पड़ोसी राज्यों ने हमें बरबाद करने मुख्य नगर लेमोर को बरबाद कर दिया गया. पूरी तरीके से नेस्तनाबूद किया गया. ताकि हमारा राज्य वापस खड़ा न हो सके. अब जब हमारा मुख्य नगर नहीं हे. तो राज्य भी मजबूत नहीं हे. जब तक नया नगर बसा न जाए में आप सब को जो यहाँ व्यापार करने आये हे. उनको रोज का खाना वह भरण पोषण राज्य की तरफ से करवा देता हूँ. बदले में उनको राज्य वह महाराजा की खुशामद रोज करनी होगी. और महाराज के सामने करनी होगी.”
लोग ये बात सुन कर अति प्रसन्न हो उठे. ये घोषणा नहीं पर अनके लिए कोई चमत्कार ही था. अब तक “बिना कर का व्यापार” की लालच में आये तो थे. पर यहाँ व्यापार नहीं होता था. उनको बहुत कम ही पैसे मिलते थे. क्योंकि यहाँ कोई पर्यटक खास आता नहीं था. अब महाराजा की वजह से विदेशी संबंध की वजह से पर्यटक भी यहाँ आयेंगे.
पंडित महाराजा का राज्याभीशेक करने लगे. पूजा करने लगे. एवं वह मंत्रोच्चार करने लगे. पूजा विधि संपन्न होने के बाद अब वह सम्पूर्ण रूप से महाराजा थे. वह काफी मशहूर भी बन गए. उन्होंने वहां आये सभी लोगों के लिए भोजन और तोहफे का भी प्रबंध किया था. अन्त में सब ख़त्म होने को आया. सब का अलग होने का समय हुआ. सब ख़ुशी में अपने घर चले गए.
पर इनका ये सपना असल में सपना ही रहा. कुछ दिन बीत जाने पर महाराज ने अपना असली रंग दिखाया. उन्होंने जब नया नगर बनाने का फैसला किया तब उन सब व्यापारियों को और उनके साथ पुराने नगर जन को पकड़ कर गुलाम बना लिया. उस योजना में कालिंदी के महाराजा भी शामिल थे. जिनकी सेना लोगों को घेर कर खड़ी थी. किसी के पास कोई उपाय न बचा. महाराज ने ये कह कर की उनके पैसे पर पलते हो इस लिए उन्हें राज्य की खिदमत करनी होगी. मुफ्त पैसे को लालच में आये तमाम लोग फंस गए. और राजा को जो मुफ्त मजदूर की जरूरत थी, वह मिल गए.
अब सब कैद लोगों को महाराजा का गुलाम बना दिया गया. न उनके पास ढंग के पौशाक और न खाना और न सर पर छत. उनकी हालत नरक जैसी हो गयी. वह भूख से कमजोर और आधा मुर्दा बन गए. बिलकुल उनके गुलामों की तरह. वह पहले से ही एसी जिंदगी जी रहे हे. अब सब एक जैसे ही हो गए. गुलाम.
यह बात को दिन बीतने लगे. समय चलता रहा. वहां अब नया नगर बनाना शुरू हुआ. अत्याधुनिक पत्थर से बना नगर. जमीन का जैसे नक्शा ही बदल गया. हर तरफ कारीगर पत्थर का कामकाज कर रहे हे. और जोर शोर से काम काज चल रहा हे.
पत्थर तोड़ने का काम आधुनिक यन्त्र कर रहे थे. पर उसे उठाकर घसीट कर ले जाने का काम गुलाम कर रहे थे. जिसका काम वह नगर बनाना था. वहां भव्य मकान उसी पत्थर की सहायता से बन रहे थे.
सुबह होते ही सब को सूरा दीया जाता. व भी कटोरे में. उसके बाद चाबुक बरसना शुरू होता. उस चाबुक की मार और चीख पुकार में काम शुरू होता. सब चार के जोड़े बना कर पत्थर को उठाते का काम करते. ये काम दिन भर की थकान वाला और बहुत ही मेहनत वाला हे. पर उस हिसाब से खाना नहीं मिलता. उस वजह से सब कमजोर हो गए. भूख से शरीर सूखने लगा.
इन सब का मुखिया अमीचंद और चका थे. वह को छुड़ाना चाहते हे. पर उनको इस के लिए कोई योजना चाहिए. लोग तो अन्दर से ये भी बात कर रहे थे की ल्यूको शाऊ जैसे विद्वान को गायब करना भी महाराजा की ही चाल थी. उनको कोई बचाए ऐसा लग नहीं रहा था. ना ही कोई मदद आने की उनको उम्मीद थी.
पर किसी ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी. वह अमीचंद और चका हे. अमीचंद को अभी भी ये यकीन हे की यदा उनके साथ हे. यदा एक दिन छुप कर उनसे मिलने आता हे. अमीचंद को अलग बुलाकर कुछ बात करता हे. उनकी बाते सुन कर उनके चेहरे पर चमक आती हे. उन्होंने कुछ तो सोचा हे. पर सब के सामने उस बात को ले कर मौन ही रहे.
कुछ समय बाद वह नगर तैयार हो गया. अब उसके बीचोबीच महाराजा की विशालकाय मूर्ति लगानी बाकी थी. उसे विशिष्ट तौर पर बनाना था. महाराज चाहते थे. उसे ऐसा बनाया जाये की सदियों तक याद रखा जाए.
उसने बिच में कुछ लोगों को पकड़ कर समुद्री यात्रा पर भेज दिया. अमीचंद भी उनके साथ थे. अनको नए टापू खोज कर या रास्ते में आने वाले टापू को अपने नगर आ कर व्यापार करने का आमंत्रण भेजना था. वह जहाज निकल गया. और वापस भी आ गया.
यूँ बेबसी और जुल्मों की दास्तान के बीच नया नगर जो उभर कर आया. उसका नाम मैसूकुंदम विल्ली रखा गया. उसको बनाने के बाद उसके मान में समारोह किया गया. उस समारोह में सब विदेशी बड़े - बड़े लोग आये. जिनको महाराजा के द्वारा विशेष आमंत्रित किया गया.
उस समारोह में न सिर्फ कालिंदी बल्कि उड्डयन से भी लोग आये हे. उसमें दूर दराज राज्य से, जो धरती के दूसरे सिरे पर हे. वहां से भी लोग आये हे. इन लोगों को विशिष्ट सन्मान मिला. सब राजा थे जो अपने राज्य से यहाँ आये हे.
नया नगर जो बनकर उभरा वह इतना भव्य था की उसकी कल्पना करना बेकार हे. वह देवताओं के स्वर्ग समां था. विशाल महल के आगे पूरा नगर बना था. यह नगर शेषनाग जो की भगवान विष्णु का नाग कहा जाता हे. उसी के आकर का हे. जहाँ कुंडली के बीच उसकी पूंछ होती हे. वहाँ महल बनाया गया.
और जहाँ उसका सर हे. वहां एक मंदिर बनाया गया. जो भगवान विष्णु का हे. वह विशेष कला कारीगरी से बनाया गया था. देखने वाला उस पर से नजर न हटा पाए. देखने में वह एकदम कोई जादुई जगह की भांति था. इसे वह विदेशी राजा देख कर चकाचौंध हो गए. नगर अविस्मरणीय बना था. राजा अपने झरोखे से उसे देख सके एसी व्यवस्था की गयी थी.
मैसूकुंदम के महाराजा होने के तौर पर महाराजा मुंड जो अब अपने आपको अर्वांकुंडू कहता हे. उसने वह उन सब का स्वागत करता हे. उनके स्वागत के तौर पर सब को नारियल की मिठाई दी जाती हे. विशेष तौर पर तैयार किया गया फलों का कादंबरी उनको दिया जाता हे. ये कादंबरी उनको लुभाता हे. सब उसके दीवाने हो जाते हे.
यह राजा दुनिया के भिन्न जगह से आये थे. कोई काला तो कोई गोरा कोई अजीब. सब योद्धा थे. तलवार की धार से बात करने वाले राजा असल में अपनी परंपरा के गुमान में और अपनी ताकत के गुमान में लिप्त हे. जिस वजह से वह अकड़ कर पेश आ रहे हे.
इस उपरांत धीमा संगीत एवं नृत्य वह भी विशेष नर्तकी द्वारा और भी मनोरंजक माहौल बना रहा हे. सारे राजा नृत्य को देखते और संगीत में अपने को डुबोते नृत्य में शामिल होने लगे. वहां कोई उत्सव जैसा माहौल बन गया.
वे लोग उसका मजा ले रहे थे तभी महाराजा सब के बीच खड़े हो जाते हे. उनके वस्त्र सबसे आलीशान हे. वह बाकी के महाराजा के सामने अपने आपको बड़ा दिखने के लिए विशेष तौर पर बनाये थे. ताकि वह उतरते न लगे. महाराज बोले, “मेरे प्यारे साथियों, वफादार लोगों एवं दूर दराज जगह से आये समस्त राजा गण को मेरा प्यार भरा नमस्कार.
वैसे में आप सब को एक बात से वाकिफ करना भूल गया. हमारा मैसूकुंदम अब निलदिप भूमि ही नहीं पर पूरी दुनिया पर राज करेगा. हमारे राजसी परिवार का जो सपना हे. हम सर्व शक्तिशाली बने ये अब पूरा होगा. आप लोग उसके गवाह बनेंगे. अगर बने तो.....(बात को अधुरा छोड़ देते हे. और दूसरी बात चालू करते हे.)
वैसे ऐयाशी और युद्ध के अलावा आप ने वैसे तो कुछ नहीं किया पर अब सब कुछ बदल जाएगा. आप देखते जाइए. हम आपके राज्यों को कहाँ तक पहुंचाते हे.”
तभी यदा की मदद से बगावत हो जाती हे. उसी बगावत में सारे लोग आज़ाद हो जाते हे. सब वहां से भागने की सोचते हे. पर चका उनको महाराज को हराने तक रुकने को मना लेता हे. इस तरफ महाराज अपनी बात करने में व्यस्त हे.
“आप लोगों को यहाँ बुलाया. आप लोग आये. धन्यवाद. आप को में ये बताना चाहूँगा की मुझे आप लोगों की बड़ी याद आएगी. पर काम तो काम हे. तो मेरी योजना यहीं से शुरु होती हे. जिसके प्रथम पड़ाव के तौर पर आप सब को मरना होगा.”
यह सुन एक महाराजा आगे आया. उसने कहाँ, “महाराज आपको ये क्यों लगता हे? क्या ये अपमान नहीं हे? आप बेइज्जती कर रहे हे. सावधान.”
महाराज ने जवाब दिया, “हाँ, ये शब्द, जिससे तुम बेहद प्यार करते हे. “मेरी इज्जत”, “मेरा सन्मान”. अब नहीं. अब में पूरे ग्रह पर राज करूँगा. ”
एक और राजा भड़ककर आगे आता हे. वह कहता हे, “महाराज आपने हमें कहीं यहाँ अपमान करने तो नहीं बुलाया? युद्ध छिड़ जायेगा.”
महाराज बोले, “युद्ध करने की स्थिति में तुम नहीं हो. मेरे आका डॉन टोरामोरा ने तुम्हारे यहाँ आने के बाद हथियार की नोक पर सारे राज्य हथिया लिए हे. अब तुम कोई राज्य के मालिक नहीं हो. अब यहीं पर मरोगे.”
यह कहते ही विशिष्ट तरीके के सैनिक जिनकी कोई अलग तरीके की पोषक थी. वह सामने आते हे. उनके सामने आते ही सब को कोई अजीब हथियार से घेर लेते हे. सब के खोपड़ी पर वह हथियार बना हे.
महाराज फिर बोले, “आप विरोध की कोशिश न करें. उससे कोई भी फायदा नहीं होगा. तो बेहतर हे. ज्यादा आवाज न करके चुप चाप खड़े रहो.”
सब लोग अन्दर से धुआँ पुआँ थे. गुस्से से बिन बिना रहे थे. तभी महल के झरोखे से आसमान में उड़ाते यंत्र दिखाई देने लगे. पीछे से महाराज का राजसी परिवार भी आता हे.
सब जोर से हंस पड़ते हे.
मुंड बोला, “देखा?”
बहन बोलती हे, “हाँ उस नीच को मारा आखिर.”
तभी अमीचंद और चका वहाँ आते हे. अमीचंद का नौकर भी साथ में ही था. वे शांति से सब कुछ देख कर मुसकुराते हे.
अमीचंद बोला, “महाराज, जिसका स्वामी हो खुदा उसको मिटा सकता हे कौन?”
नौकर बोला, “आदम के हव्वों में जोर कहाँ की सत्य की ताकत को चुनौती दे सके.
महाराज बौखलाकर पूछते हे, “क्या तुम ल्यूको शाऊ हो?”
दोनों हंस पड़ते हे. महाराज डर जाते हे.
वह लड़खडाती जबान में पूछते हे, “तू...तू.....तू........म, जिंदा क....क....कैसे हो? पूरे नगर और फटे महल में तुम भी दफन थे.” मुंड खूब भयभीत हो जाता हे. बोलते समय उसकी जीभ लड़खड़ाने लगाती हे.
ल्यूको बोला, “महाराज अब आप खुद बताएंगे की असली महाराज कहाँ हे या हम पता कर ले?”
महाराज फौरन स्वस्थ हो जाते हे. उनको मालूम हो जाता हे बाजी पलट गयी हे.
महाराज इतना ही बोले, “वह एसी जगह पर हे जहाँ कोई ही नहीं जा सकता.”
महाराज और राजसी परिवार जोर - जोर से हंसने लगते हे.
तभी आसमान से कुछ छोटे वाहन जमीन पर आते हे. उसमें से युद्ध के सिपाही बहार आते हे. इसमें जो कप्तान हे. बह काला कपड़ा पहने एक आँख पर पट्टी पहन कर आता हे. उसकी सिर्फ एक ही आँख हे. वह टकला भी हे.
ल्यूको पूछता हे, “पहचाना महाराज? “ब्रह्मांड सुरक्षा दल” कप्तान ब्लैक. यह विख्यात हे गुनाहगारों को भयानक सज़ा देने के लिए.”
ब्लैक कहता हे, “महाराज का पता चल गया.”
ल्यूको पुछता हे, कहाँ हे महाराज?”
ब्लैक कहता हे, “शेडॉक्स पर. यदा की वजह से पता चल पाया.”
अब ल्यूको शाऊ हंसने लगता हे. वह भी जोर से.
महाराज वही गिर जाते हे. ब्लैक के साथ ल्यूको शाऊ गायब हो जाते हे. महाराज की बहन “भाई..............” कहकर चिल्ला रही थी. वहां मेहमान बनाकर आये राजा तलवार निकाल कर टूट पड़ते हे. महाराज के ये अजीब सैनिक हमले से बेखबर थे. वह अचानक हुए हमले का जवाब दे पाए उससे पहले राजाओं की तलवारों ने उनकी परीक्षा ले ली. सारे अजीब सैनिक मारे गए. महल के सेवक आ कर अब कुछ साफ़ करने लगते हे. और फूलो से सज़ा देते हे.
दूसरी तरफ ल्यूको शाऊ शेडॉक्स पर पहुँच जाते हे. यहाँ मात्र घना अँधेरा हे. बह सब अपने कलाई के यन्त्र द्वारा अंधेरे में दिखाई दे वैसे यन्त्र चालू करते हे. उनको वहां अँधेरे में शिकार करने वाली चिड़िया दिखाई देती हे. बह काफी भयानक हे. वह अपनी पूंछ से पहले शिकार को घायल कराती हे उसके बाद दाँतो से शिकार को नोच कर खा जाती हे.
उनके शिकार वहां वह जानवर हे जो खुद शिकारी हे. वह दो पैर पर चलने वाले और लंबी पूंछ रखने वाले और लम्बे मुंह वाले जानवर हे जो काले रंग के हे. वह चिड़ियाँ भी काले रंग की हे. दोनों अँधेरे की आड़ में एक दूसरे का झुंड में शिकार करते हे.
उनका शिकार करने का तरीका भी अलग हे. यह देख ल्यूको शाऊ डर जाता हे. ब्लैक उनको देखता हे.
वह कहता हे, “यह हे शेडॉक्स. यहाँ पाँच ग्रह का ग्रहण इस ग्रह को लगता हे. यहाँ तीन सूरज हे. अंधकार से कभी बहार नहीं निकालता. यहाँ कभी सूरज की रोशनी नहीं हुई. ये हे नरक.”
ल्यूको पुछता हे, “आपको क्यों लगता हे? क्या महाराज यहाँ जिंदा होंगे?”
ब्लैक कहते हे, “ये संभव हे. यहाँ पहले कारा गृह था. जिसमें खतरनाक कैदी हुआ करते थे. इसका जिम्मा उसके सुरक्षा अध्यक्ष के मृत्यु बाद खामन नाम के जीव ने ली. उन कैदियों ने आने जाने वाले सामग्री के यान के चालाक को कह कर फ़रियाद भिजवाई. जब कार्यवाही हुई तो पता चला की असल में वह आधा मरा जीव हे. जो बुरी ताकत से दूसरों को काबू कर सकता हे. और उन पर जुल्म ढाता हे.
वह जब जिंदा था. तो वह काफी भयानक था. उसने काफी लोगों को बेरहमी से मारा था. आधा मरा जीव बनने के बाद जब यहाँ आया इन जानवरों को भी काबू में कर लिया था. हमको जब पता चला तो हमने उसे मार कर कैदियों को बचा लिया. पर अब भी उसकी सुरक्षा प्रणाली जो अपने आप चलती हे वह कार्यरत हे. इस लिए कारागृह में कोई भुई सुरक्षित रह सकता हे.
वल्ली पूछता हे, पर वह जगह हे कहाँ?
ब्लैक कहता हे, “ यहाँ से कुछ दूरी पर.
सब लोग चलने लगते हे. वहां ब्लैक की सेना भी आ जाती हे. वह आते ही सब जगह फ़ैल जाती हे. वह लोग बड़ी सावधानी से आगे बढ़ने लगते हे. अँधेरे की वजह से वहाँ जमीन ढंग से दिखाई नहीं दे रही थी. ब्लैक रोशनी का प्रबंध करता हे. पर वह कम हे. पर आगे बढ़ने काफी हे. पर पता चलता था की आसपास पहाड़ियां हे.
आसपास शिकार चलने की वजह से उनको चीखे और अजीब आवाजें सुनाई दे रही थी. वह खूब सावधानी से आगे बढ़ रहे हे. यह ध्यान में रखकर की कोई भी उनका शिकार करने की कोशिश न करें.
उनको दूर रोशनी दिखाई देती हे. वह उस रोशनी की तरफ आगे बढ़ने लगते हे. पहाड़ियां होने की वजह से उनको काफी सावधानी रखनी पड़ती हे. क्योंकि वहां हर तरफ जानवरों के घोसले फैले होते हे. तो जानवर उन्हें देख कर चिड़चिड़े हो जाते हे. वह इस बात का ख्याल रखते हे की वे उनसे दूर रहे. जब वह उस मकान के पास पहुँचते हे तो देखते हे वह एक बहुत बड़ा मकान हे. वहां लोग भी होते हे.
ब्लैक कहता हे, “ब्रह्मांड में कहीं भी जाने के लिए अनुमति निकालनी पड़ती हे. विशेष तौर पर उन जगहों पर जो निषेध हे. यहाँ आने की अनुमति किसी को भी नहीं तो ये कौन हे. एसी जगह पर रक्षक दल के अलावा कोई भी नहीं जा सकता. “
अचानक ब्लैक चौंक जाता हे. वह बड़ी ध्यान से देखने लगता हे.
ब्लैक कहता हे, “अरे! यह “शूट” हे. ब्रह्मांड की सबसे खतरनाक फ़ौज. जो ब्रह्मांड के उन लोगों के लिए काम कराती हे जो सबसे पुराने जीव हे. ये हमसे भी अधिक शक्तिशाली हे.”
वह लोग उनके पास जाते हे. वह लोग जैसे ही उनके पास जाते हे. वे लोग उन्हें पहचान कर उनको अपने कप्तान के पास ले के जाते हे. उनके कप्तान का नाम “जोरो” बताता हे
ब्लैक कहता हे, “आप लोगों को यहाँ देख हैरत हुई. आप यहाँ कैसे?
जोरो कहता हे, “हमने डॉन टोरामोरा नाम के एक खतरनाक गुनाहगार को कैद किया. उससे पता चला की यहाँ कुछ लोग कैद हे.”
ब्लैक बोला, “हम भी यहाँ उनको ही खोज ने आये हे.”
सब मकान के अन्दर प्रवेश करते हे. अन्दर जो अजीब सजावट से सजाया गया था. वहां सामान असामान्य था. इसे देख कर ल्यूको शाऊ आश्चर्य करते हे. यह ब्लैक देख लेता हे.
वह कहता हे, “यह तुम्हारे समय से आगे की तकनीक हे. और हमारे समय से पीछे की. यह कंप्यूटर हे. आप के भविष्य में सारा काम इनपर निर्भर होगा. यह एक कार्यालय हे. यहाँ सरकारी काम होते थे. अब यह खाली पड़ा हे.”
वल्ली पूछता हे, “उसकी क्या कथा हे?”
ब्लैक कहता हे, “वैसे कुछ विशेष कथा हे. पहले यह सामान्य ग्रह हुआ करता था. यहाँ राजशाही थी. बाद में यहाँ सरकार आई. सारे काम चुनी हुई सरकार करने लगी.
एक दिन यहाँ से दूसरी आकाशगंगा निकली. इसके गुरुत्वाकर्षण ने उसे अपने में समां लिया. उसके बाद इक और भी आकाशगंगा उसमें मिल गयी. परिणाम यह आया की नए ग्रह पुराने ग्रह के आगे आ के लग गए. जिसकी वजह से यहाँ उनकी परछाई आने लगी. फिर वह हमेशा के लिए अँधेरे में ही खो गया. शुरू में नयी परिस्थिति ठीक थी पर इस की वजह से विषाणु फ़ैल ने लगे और जानवर उसके शिकार बनाने लगे. नए तरीके के जानवर जन्म लेने लगे जो अँधेरे में ही जिते हे. यह जानवर सब कुछ तबाह करने लगे. तब से यहाँ से सब के चले जाने के बाद कोई नहीं रहता. यह मकान अपनी मजबूती की वजह से टिका हे. जिस वजह से इसकी गहराई में जेल बनाया गया हे.”
ल्यूको पूछता हे, “यहाँ खोजेंगे कैसे ?”
ब्लैक कहता हे, “क्योंकि यह एक जेल हे. तो उस में तकरीबन पान सो कमरे होंगे. इस जगह के ऊपर और भीतर भी बांध काम किया गया हे. जिसमें खोजबीन करना मुश्किल होगा.”
यहाँ काफी बड़ी जगह हे. उसमें एक बड़ा कमरा हे. जिसमें वह लोग देखते हे. यहाँ बहुत सारे कंप्यूटर हे. और बड़ा सा कांच हे. इसी जगह पर सारी प्रणाली बनायी और कार्यरत हे. उसी पर से पता चलेगा. यहाँ कहाँ क्या हे?
वह लोग एक कंप्यूटर से जानकारी खोजने लगे. ल्यूको शाऊ वहां देखा रहे हे की जोरो कोई यंत्र लगा रहा था. उस यंत्र से वह कुछ करने की कोशिश कर रहा था. पर कामयाब होता लग नहीं रहा हे.
वह अपने मस्तक पर उँगली रख कर कुछ करने लगा. तभी वह लोग देखते हे की वह गायब हो गया.
ब्लैक कहता हे, “डरो नहीं. यहाँ उस कंप्यूटर में से सारी जानकारी नष्ट कर खली सुरक्षा परनाली की जानकारी बचा कर राखी हे. इस वजह से अपने दिमाग की ताकत से उसे खोजना होगा. इस लिए एक दवाई देता हूँ. ताकि तुम भी इसका इस्तेमाल कर सको.”
ब्लैक उनको कोई सिरिंज देता हे. कुछ देर बाद उनको अजीब महसूस होता हे. उनको ये महसूस होता हे की उनमें कुछ बदलाव आ रहे हे. ब्लैक उनको कुछ सिखाता हे. वे लोग सिखाया अध्याय याद करने की कोशिश करते हे. और अपने दिमाग को आँखें बंध करके जोर देते हे.
वह अपनी आसपास की चीजों को बहुत धीमी गति से चलते देखते हे. अचानक वह तेज हो जाते हे. और वह फिर रुकते हे. उनको महसूस होता हे की असल में वह उनकी रफ्तार इतनी तेज हो गयी हे की अब वह कहीं भी आ जा सकते हे. और समय में भी आगे पीछे हो सकते हे.
वह उस समय में होते हे जब महाराजा को यहाँ लाया गया था. वह डोंग था. वह वहां छोटी सी टुकड़ी के साथ आता हे. उसके बाद महाराजा को लेकर अन्दर चला जाता हे. अन्दर जाते ही वह भूलभुलैया जैसी जगह तलाशता हे. उसमें ख़ुफ़िया दरवाजा खोजता हे. वह दरवाजे के अन्दर जाता हे.
दरवाजे के अन्दर जाते ही ल्यूको शाऊ देखते हे की वहां तहखाने का रास्ता हे. वह पीछे जाते हे. वह लोग देखते हे की डोंग एक कमरे में जिसे कैदखाने जैसा बनाया हे. उसमें महाराजा को रखने के बाद वहां एक बिज जमीन पर छोड़ता हे. वह बिज बड़ा बन के बहुत बड़ा सांप बन जाता हे. डोंग वापस चला जाता हे.
डोंग के जाने के बाद ल्यूको शाऊ वापस आते हे. ल्यूको ब्लैक को सारी बाते बताता हे. उसकी बाते सुन के ब्लैक को फिकर होती हे.
तभी जोरो आता हे.
वह आ के कहता हे, “ मुझ को मालूम हे की वह क्या जीव हे. मैंने उसे देखा हे. वह “नील मति” नाम की वनस्पति हे. वह सांप में परिवर्तित हो जाती हे. इसको मारने का उपाय हे मेरे पास.”
ब्लैक बोलता हे, “ तो चलो, उसकी ढचिंयाँ उड़ा दे.”
जोरो बोला, “चलो”
सब लोग वहां जाते हे. वहां जाते ही उनको वह जीव का सामना करना था. जोरो अपने मस्तक से कुछ आवाज निकलते हे. उसकी वजह से वह जानवर जो वनस्पति हे वह वापस बिज बन जाता हे. उसके बाद वह राजाजी को छुड़ाते हे..
राजा जी को ले के सब वापस आते हे. महल में जोरो कोई गाडी ले के आता हे. राजा को विशिष्ट तौर पर बनी गाडी में बिठाया जाता हे. और उसे किसी यन्त्र में डाला जाता हे. कुछ देर बाद महाराज बहार आते हे. वह सम्पूर्ण स्वस्थ और एकदम स्वस्थ हो गए. यह देख सब दंग हो गए.
जोरो कहता हे, ” महाराज यह आपकी बीमारी को ठीक कर चूका हे.
उसके बाद जोरो अपनी सेना ले के चला जाता हे. जब की ब्लैक ल्यूको शाऊ के साथ वापस महल के उस विशेष मनोरंजन खंड की तरफ बढ़ाते हे. सब लोग वहां पहुंचते हे.
वहां सब लोग उसको देख कर हैरत में गिर जाते हे. ये क्या? असली महाराज वह भी जिंदा? पर कैसे? सारे महाराजा तरह - तरह की बाते करने लगे. महाराजा के मृत्यु की बात सुनी थी. पर यह स्वस्थ और सही सलामत हे.
ल्यूको सब को संबोधित करते कहते हे, “मेरे प्यारे लोगों और आये मेहमान. आप सब सोच रहे होंगे की यहाँ बुला कर आप लोगों को मारने की कोशिश होना और अचानक असली महाराज का जीवित होना. और जिसने आपको बुलाया उसका नकली रजा निकलना. ये सब हे क्या?
असल में हमारे असली राजा रुद्रमन भी इस बात से अंजान हे. उनको खुद को आश्चर्य हे की असल में क्या हुआ? तो, आप लोगों को पूरा वाकया सुनाता हूँ.
तो सुनो, आज से कुछ साल पहले अपने महाराजा रुद्रमन महान राजा कहलवाना चाहते थे. इस लिए उन्होंने अखंड राज्य बनाने, आसपास के तमाम छोटे कबीले पर हमला करके उन्हें हराया. उसमें कई मुखिया मारे गए.
अब उसके सामने एक समस्या आई. उनमें से एक लड़की महाराज के पीछे ही हो गयी. वह महाराज को मारना चाहती थी. और अपने पिता का बदला लेना चाहती थी. महाराज को उसका भविष्य उज्ज्वल बनाने का ख़याल आया तो महाराज ने उससे शादी कर ली. ये महारानी इंदु, जो महारानी तो बनी. पर उसके दिल में बदले की आग जलती रही. उसे अपने पिता की मौत का बदला चाहिए था.
महाराज अपने राजसी काम में व्यस्त रहने लगे. इस तरफ महारानी इंदु ने एक - एक करके महाराजा की पुरानी रानियों को मरवाना शुरू किया. जिस वजह से वह रानियाँ बेमौत मारी गयी. महारानी इंदु को अभी भी चैन नहीं था.
महारानी इंदु को पूरा नगर राजा के साथ तबाह करना था. उसने कालिंदी और उड्डयन को भी योजना में शामिल करने की ठान ली. इस लिए मुंड या अर्वांकुंडू दोनों एक ही हे. जो उसका भाई हे. उसे पड़ोसी राज्य भेजने का फैसला किया.
उसने भी ठान ली की वह महाराजा को नहीं छोड़ेगा. इसलिए दूसरे राजा के पास जाएगा. इन भाई बहन में प्यार बहुत हे. बहन ने उसको प्रथम कालिंदी भेजने का फैसला लिया.
उसने पूरी तैयारी कर ली. उसने तकरीबन सौ बेहतरीन घोड़े का एक काफिला बनाया. उस काफिले में बेहतरीन सैनिक और उसके साथ कुछ नगर के बुद्धिशाली लोग भेजे. पूरा काफिला लेमोरा से कालिंदी की तरफ चल पड़ा. उस काफिले में गर्को नामक एक वृद्ध वह ज्ञानी था. जो काफी समझदार था. वह रास्तों का महारथी हे. जो किसी भी तरह के रास्ते के बारे में खबर रखता हे. वह उसका सामना कर सकता हे.
तकरीबन दो सौ दिन की यात्रा के बाद वह पहुंच गए कच्छारा के रेगिस्तान तक. वैसे गुर्जर के रास्ते भी जाया जा सकता हे. इस बात पर कोई भी मीनमेख नहीं. पर अपनी बात पर अड़े मुंड को समझ नहीं आई. वह रेगिस्तान की तपती धूप में तपते आगे बढ़ता हे. रेगिस्तान में न रहने के आदि घोड़े रेगिस्तान में ढंग से चल भी नहीं पाते हे. उसकी परवाह मुंड नहीं करता. वह अपनी धुन में आगे बढ़ता हे.
गर्को यह बात जान गया यह एक बेवकूफ हे. इसे कोई भी बात का ज्ञान नहीं न ही वह समझना चाहता हे. पर वह समझने को तैयार नहीं. उनके बिच बहस हो जाती हे. दोनों तलवार ले के आमने सामने आ जाते हे. लड़ाई से कोई फायदा नहीं होने वाला न मुंड को अक्ल आने वाली. इस लिए वह लड़ाई न करने का फैसला लेता हे.
गर्को अपनी तलवार म्यान में डाल कर अपने साथियों के साथ वापस चला जाता हे. अब अर्वांकुंडू अकेले ही आगे बढ़ता हे. गर्को अपनी पूरी सेना राज्य की तरफ मोड़ता हे. जब अर्वांकुंडू अपनी जगह पर कायम रह कर आगे बढ़ता हे.
रेगिस्तान कोई छोटी जगह तो होती नहीं. इस लिए वह कई दिनों तक फैले रेगिस्तान में खाना और पानी की कमी भुगतते निकाले. उस यात्रा में उसने अपने लोगों वह जानवरों को खोया. रेगिस्तान, जहाँ न इनसान, न जानवर. कुछ भी नहीं होता. जहाँ सिवाय रेत के कुछ न था.
जब वह सब कुछ पार कर कालिंदी पहुंचा. तब उसके पास बीस तीस घोड़े वह कुछ आदमी थे. जो सब के सब बेहाल थे. महाराज को यह बात पता चली की वाराई के राजा का कोई रिश्तेदार जो नवाब भी हे और व्यापारी भी. तो वह उनसे मिलने खुद उसके सामने पेश हुए.
कालिंदी के महाराज पल्ली, उसे देखकर दंग हो गए. वह काफी धुल मिट्टी से सना था. उसे सारी बाते पूछी. उसे सुनने के बाद उसकी मूर्खता देख वह मन ही मन हँसे भी होंगे. फिर भी उन्होंने अपने ज्ञानी पुरुषों से बात की. उन्होंने यह कह कर बात को टाल दिया की वह उम्र में बहुत छोटा हे. यदि हम इसका साथ दे तो कहीं हम बेवकूफ न बन जाए. किसी राज्य पर एक बालक जैसे की बात मान कर हमला करना मूर्खता ही होगी.
वह वज़न में थोड़े वज़नी और काले होंगे. पर चपल और तेज हे. तो, उन्होंने इस पर विचार किया. काफी गहरा विचार.
उन्होंने सोचा, लोग चाहे जो कहे. पर इस राज्य में आपसी लड़ाई चल रही हे. यदि उनकी मदद करने का नाटक करें तो उस राज्य को हथियाने में आसानी होगी. तो, फिलहाल उसकी मदद करना ठीक होगा. वैसे वहां सब मूर्ख ही लग रहे हे.
विचार विमर्श के बाद उन्होंने तय किया की वह मदद तो करेंगे. पर कुछ छानबीन के बाद. कहीं धोका तो नहीं होगा. धोके की बात सोच कर वह सावधानी से काम करने का निर्णय लेते हे.
मुंड को नहला कर अच्छा खाना खिला कर और अपने कुछ आदमी दे कर वह मुंड को अपने राज्य वापस भेजने का फैसला करता हे. उस हिसाब से उसकी राज्य में मेहमान नवाजी होती हे. अंत में उसे ऊँट, घोड़े जिससे जानवर दे कर अलविदा करते हे. और कहते हे. वह तय नहीं कर पा रहे पर यदि वह राज़ी होंगे तो कहलवायेंगे.
यहाँ निराशा मिली. इस लिए वह उड्डयन के पास जाने का फैसला लेता हे. वह अपने जनून में इतना पागल हो गया था की उसे परवाह नहीं थी किसी भी चीज की. वह अपने साथियों के साथ निकल जाता हे.
वह जब अपनी यात्रा खतम करके उड्डयन पहुंचता हे. वहां देखता हे. यह बर्फ की पहाड़ियां हे. जिसके बीचोबीच गाँव बसा हे. यहाँ न घोड़े काम आ सकते हे. न ऊँट, न कुछ. यहाँ खास भैंसे जिसे याक कहते हे. वह बरफ में यात्रा के लिए इस्तेमाल होते हे. पर अर्वांकुंडू जिद का इतना पक्का की उसने उन बातों पर ध्यान न देते हुए अपनी मनमानी की. और घोड़ों वह ऊँट के सहारे आगे बढ़ा और उसने उन पहाड़ियों में अपने आदमी खोए. वहां पहुँचाने के बाद उसको अहसास हुआ की बर्फ से बचने के लिए उसने कोई भी योजना नहीं बनाई थी इस वजह से उसके जो आदमी थे वह भी धीमे से मर रहे थे. और वह अपनी धुन में आगे बढ़ रहा था. अंत में वह अकेला ही बचा.
उड्डयन के महल में पहुंचा तब सैनिक पहचान नहीं पाए. वह अकेला था. उसके पोशाक भी फटे थे मैला कुचेला भिखारी जैसा दिख रहा था. उसको देख कर लगे की वह कई दिनों से नहाया भी नहीं होगा. उन्होंने उसे रोक दिया. उसने अपना नाम बताया और काम भी. उसने दिए परिचय पर सैनिक को भरोसा नहीं हुआ. उपर से वहां के महाराज को भी इस बात का शक हुआ की वह सच बोल रहा हे या नहीं?
महाराज येतांन खुद उसे देखने आये. उसे पहचान गए. उसको महल में रखा और उसकी देखभाल करवाई. जिसकी वजह से वह काफी स्वस्थ हो गया. फिर महाराज ने उसकी बात सुनी. उसकी बात सुनाने के बाद उसको लगा. ये हे मूर्ख. पर समय आने पर सोना दिलवा सकता हे. पर अभी सीधे हाँ कहना ठीक नहीं. ये सोच कर उसने मुंड को कहा की वह इस पर सोचेंगे. इस तरह अपने राज्य के खिलाफ दो राज्य कर दिए.
यह उसकी भूल थी की उसने मूर्खता दिखा कर राज्य को कमजोर दिखाया. जिससे दोनों महाराजा उसके साथ थे. पर उसको सिर्फ प्यादा समझते थे. दोनों एक दुसरे के मित्र राज्य हे. इस लिए वाराई के खिलाफ साठ में ही होंगे. दूसरी भूल उसने बुरे लोगों की सोहबत की.वह और कोई नहीं डोंग हे.. ये वही हे जिसने ब्रह्मांड सुरक्षा दल से वह ऐसा यंत्र चुरा कर भगा था. जो बड़ी से बड़ी चीज को छोटा कर सकता हे. जमीन से धातु निकाल सकता हे और खतरनाक हथियार भी हे. उसे “कोरेक्स” कहते हे. उसी के जरिये वह धरती को बेचना चाहता था. उसके लिए उसे चुराना पड़ता. उस के लिए सारे धरती के लोगों को मारना पड़ता. उसने देखा की मुंड बेवकूफ तो हे. पर सत्ता उसके पास हे. यदि उसको भड़काया जाए तो सब को मारने का काम आसन हो जाएगा.
उसने एक योजना बनायीं. उस योजना को उसने अपने मालिक डॉन टोरामोरा को सुनाई. दोनों ब्रह्मांड के सबसे बड़े गुनाहगार हे. दोनों को उसमें फायदा दिखा. क्यों की धरती की कीमती धातु के लिए ऊँची बोली लगाने वाले बहुत मिलेंगे. अब योजना को अमल में लाने का समय था
डोंग मुंड को एक सुझाव देते हे. वह सुझाव नहीं पर उनकी मैली योजना थी. वह उसे अपनी योजना के हिसाब से चलने भड़काने लगा.
उसने कहा, “अब तुम अपने सौतेले भाई को विशेष बीमारी दे दो. ताकि वह आधा मरा बन जाए. राजा तो वैसे ही टूट जाएगा. उससे पहले महाराजा का दिल जित कर उन्हें बीमारी दे दो. ताकि वह मजबूर हो जाए. और सत्ता तुम्हारे हाथ आये.”
मुंड ने कहा, “ठीक हे.”
डोंग बोला, “बस, अब तुम्हें महाराजा के पास जाकर उसका भरोसा जितना हे. उसके बाद तुम्हें महाराज को धीमे से बीमारी लगानी हे. उससे राज्य तुम्हारा. और इस राज्य को में उड़ा दूंगा. ”
उसकी बहन तो पहले से ही इस योजना में शामिल थी. और इस योजना की मुख्य करता धर्ता थी. उन्होंने सभा में जा के महाराज के सामने अपने आप को पेश कर दिया. वह नए तरीके से तैयार हुआ था. महाराज को दूसरे राजाओं से संदेशा मिला था. और उसमें साले की हरकतों की खबर लिखी थी. महाराज खफा थे. पर साले का नया अवतार देख शायद खुश हुए की उनका साला अब सुधर गया हे.
मुंड ने कहा, “महाराज अब तक मेरे कारण आपको काफी तकलीफ हुई. पर अब मैंने यहाँ रह कर व्यापार करने का सोचा हे. आप को बस, मुझे अपने पास रखना होगा.”
महाराज ने कहा, “ठीक हे. अगर तुम यहाँ आते हो और राज्य को फायदा मिलता हे. तो बेशक में चाहूँगा की तुम आओ.”
मुंड को जगह मिल गयी. डोंग की योजना कामयाब गयी. अब उसने अपनी आगे की योजना शुरू की. वह योजना थी कि महाराज को बीमार करना. ये सब योजना उन्होंने एक एसी जगह बनाई जिसके बारे में किसी को भी मालूम न था. वह था पुराना मंत्री का घर. उसके घर के भीतर तहखाना बनाया. और ये योजना बनाई.
महाराज को राजसी परिवार के षड्यंत्र के बारे में कुछ भी मालूम न था. और उस मंत्री के परिवार को मौत के घाट उतार कर उन्होंने अपनी बेरहमी का सबूत दे दिया. इस तरीके से मंत्री उससे काफी डरने लगा. और वह उनके इशारों की कठपुतली बन गया.
योजना के अनुसार उसने महाराज को प्रभावित किया. और उसी योजना के अनुसार मुंड ने उसे भड़काना शुरू किया भूत प्रेत से. दी हुई चीजों से महारानी इंदु अपने पति को बीमार कर रही थी.
मुंड भी शुरू हो गया. उसने महाराज को यह सिखाना शुरू किया कि वजन से महाराज का रुतबा बढ़ता हे. अगर वज़न न हो तो कुछ भी नहीं. महाराज भी मान गए. धीमे – धीमे वह चलाना भी छोड़ चुके. उनका वज़न हद से ज्यादा बढ़ गया.
महाराज भी शायद समझ गए की असल में बाजी उनके हाथ से चली गयी हे. और उनको छला गया हे. पर क्या करते? मुंड पूरा राज्य अब चला रहा था. महाराज को यह बात पसंद तो नहीं थी. पर बेबस थे.
योजना कामयाब गयी. अब उनकी एक समस्या बाकी थी. वह थी वह सौतेले बेटे. उनको बीमारी देना और सारा आरोप किसी पर मढ़ना. और वह कोई यानी ल्यूको शाऊ. यानी में. मेरी हाज़िरी से उनको ये फायदा था. हमें बालिका बकरा बनाने ही बुलाया गया था. पुराने मंत्री को जाल में फसाया गया. ताकि वह हमें जिस भ्रम में फ़साना चाहते थे. वह वास्तविक लगे.
अब वह पुराना मंत्री हमें मिलने आया था. हमें महाराज मुसीबत में हे. यह बात बताई थी. हम इस बात से अंजान थे की क्या हुआ. हम यहाँ आ गए. लेकिन हमारी नजर से मुंड बच नहीं पाया क्योंकि बाजार में उसे कुछ लोगों ने पहचान लिया. उससे हमें पता चला की ये मुंड हे. और यही मंत्री हे.
उसने हम पर नजर रखी. इतनी की हमारी हर चाल उसे पता चल जाती थी. हमें ये बात पता चली. इस में हमारे वैध भी शामिल थे. उन्होंने मिल कर हम पर नजर रखी थी. इसलिए हमें सावधानी रखनी थी. महारानी इंदु भी नजर रखने के काम में शामिल थी.
हमें ये पता चल गया की डोंग के मामले में कोई घोटाला जरूर हे. उन्होंने हमें गुमराह किया. अब समस्या हमें थी. उनकी योजना कामयाब गयी.
अब मुझे राजमहल तलाशना था. मैंने किया. उसमें मुंड के खंड से मुझे यांत्रिक कागज जिसमें डोंग के सारी योजना मौजूद थी. उससे पता चला की डोंग असल में न तो इस ग्रह का हे. न ही वह वैज्ञानिक हे. न ही जादूगर. अब हमें उसे पकड़ने के लिए ये दिखाना जरूरी समझा की हम कुछ भी नहीं जानते.
हम वह जगह भी गए जहाँ डोंग का आगमन होता. या हुआ था. वहां से पता चला की वह यान के जरिये आता रहता हे. डोंग लोगों के दिल में अच्छी जगह बनाने में कामयाब गया. इस वजह से लोग पसंद करने लगे. मुंड राजा को उसके खिलाफ भड़काने लगा. ताकि राजा उस पर और भी भरोसा करने लगे. उस बात पर कामयाबी मिली. महल से बहार नहीं निकालने वाले महाराजा इस बात पर यकीन करने लगे की लोग उसके खिलाफ हे. महाराज अब सम्पूर्ण स्वस्थ भी नहीं थे. वह इस पर निर्भर थे की मुंड सब कुछ ठीक कर दे.
इस बिच जब हम डोंग को खोजने में व्यस्त थे. तब खुद मुंड महाराज को युद्ध के लिए भड़काने लगा. दूसरी तरफ वह महाराज के अलावा बाकी के राज्य के भी महाराज को भड़का ने लगा. इस तरह युद्ध शुरू हो गया. ये उनकी योजना का ही एक हिस्सा था. उनकी योजना के मुताबिक़ युद्ध में महाराज को गायब करना था.
अब ये भी बहुत सोची समझी योजना थी. मुंड महाराज बने और आवाम विरोध न करें इस बात पर ध्यान देने के लिए ही ये योजना थी. इस योजना में महाराज गायब हो जाते हे. जो खुद मुंड ही करेगा. जो किया. ये बात महाराज के अलावा किसी को भी मालूम ना थी. उसके बाद धमाके में पूरा नगर ही तबाह कर दिया. उन्होंने बदले की भावना से ये सब किया था. तो, उन्होंने महाराज को अपने फायदे के लिए ही जिंदा रखा. ताकि वक्त आने पर उसका इस्तेमाल कर सके.
अब उसने महाराजा को बंदी बना लिया. और ये देखा की उसमें हम और दोनों राजकुंवर मारे जाए. पर ऐसा नहीं हो पाया. वफादार सेनापति की वजह से सब को बचा लिया गया. राजसी परिवार ये नहीं जानते थे. इस वजह से वह अपनी योजना में आगे चले..
इस दौरान उनका एक मोहरा हमारे हाथ लग गया. वह था पुराना मंत्री. उसको राजसी परिवार के उस ख़ुफ़िया जगह पर जहाँ योजना बनाई गयी थी. वहां उसे कोई बीमारी दे कर छोड़ कर रखा था. ताकि आधा मरा रहे. और वक्त आने पर काम आये. हमने उसे खोज निकला. तब हमें योजना समझ आ गयी.
हाँ मुंड ने हमें परेशान जरूर किया. हम पर जासूसी भी करवाई. पर बहुत ही छोटे से सुराग छोड़ कर गलतीं करता गया और हमें उससे आसानी हुई. इस वजह से हम उस तक पहुँच पाए.
अब उस बात पर आते हे. की उसने तो हमें जेल भिजवा कर उसने पूरा नगर ख़त्म कर दिया. आरोप भी हम पर डाल दिया. ताकि विस्फोट के बाद कोई विरोध न करें. और वह खुद मजबूर हे. ये दिखा सके.
उन्होंने महाराज को कहीं भिजवा दिया. और हादसे में वह भी मर गए. ये दिखा दिया. सब लोग यह बात मान ली. पर अभी भी लोग शक तो मुंड पर ही कर रहे थे. लोगों को उसकी योजना के बारे में शक तो कब का हो चूका था.
वह खुद राजा बना और उसने पूरे नगर को बिना राजा का घोषित करवा दिया. वहां सिर्फ मिट्टी और राख बची थी. तो, वहां आने वाले व्यापारी से जबरन पैसा वसूल कर अपनी अगली चाल चली. जिससे वह इतना पैसा अपने पास न जमा कर पाए की वहां से जा सके. वहां रहना उनकी मजबूरी बन जाए.
उन्होंने फिर से कालिंदी के महाराज को भड़काया. विस्फोट से पहले राजसी परिवार कालिंदी और उड्डयन के महाराज को अपनी तरफ करने में कामयाब गए थे. तो. वह भी साथ देने को तैयार थे.
उसके बाद उसकी तरकीब. सब को यह कहकर की वे सब राज्य से रोज कुछ पैसा ले जाए. सब के लिए रकम तय कर दी. आये नए व्यापारी का धंधा इस उजड़े नगर में वैसे ही चल नहीं रहा था.
लोगों की इस बात का उसने फायदा उठाया. मुफ्त में पैसे मिलते ही सब लोग काम धंधा छोड़ कर घर बैठ गए. उस वजह से बाजार खाली हो गया. उसके बाद मौका मिलते ही उसने वह पैसा देना बाँध कर दिया. और नए नगर की घोषणा के समय सब को गुलाम बना दिया.
अब इस नगर के लोग बेघर और गुलाम बन गए. वह राज्य की या यूँ कह लो राजा की खिदमत करने पर मजबूर हो गए. इस की वजह से उनकी जिंदगी नरक बन गयी. उनको अपनी गलती का अहसास हुआ. पर अब इतनी देर हो गयी थी की न पूछो. खेर, उनकी ये हालात देख कर किसी को भी दया नहीं आई. क्यों की इससे उनको भी फायदा था. नया नगर काफी शानदार बना था.
हम विस्फोट के बाद इस राजसी परिवार की कथा को जानने के लिए सेनापति से मिले. उन्होंने बताया की असल में महारानी इंदु जिस कबीले से थी. वह कबीला असल में जंगली था. वहां उनके ही तौर तरीके थे. वहां मंत्र तंत्र और एसी चीजें होती थी.
ऐसे माहौल में पली बड़ी महारानी इंदु भी मंत्र तंत्र में विश्वास रखती हे. उनका कबीला अंध विश्वासी था. उनका नाम हमुला था. उसका सरदार हिरा अपने पुरखो के रिवाज के हिसाब से अपनी बेटी की परवरिश करता हे. उसको बचपन से ही काले जादू के बारे में बताता हे.
उनके काले जादू में कई तरह के इल्म होते हे. जिसे औषधि से बनाया जाता हे. जिसे उनके यहाँ होने वाली पूजा और त्यौहार में इस्तेमाल किया जाता. इसमें नशीली चीजें भी होती हे. जिस वजह से इंसान का दिमाग ख़राब होता हे.
इन सब के बिच बड़ी हुई महारानी इंदु जब ये देखती हे की उसके पिता को महाराज ने मार दिया. तो बौखला जाती हे. उसके जेहन में पहले से ही ये बात घर कर गयी थी की किसी को कोई मार दे तो उस मारने वाले का खून अगर मरने वाले को पिलाया जाए तो वह मरने वाला वापस जिंदा हो सकता हे.
वह राजमहल में मंत्र तंत्र करती थी. और नए - नए तरीके से अपने पिता को जीवित करने की कोशिश कराती थी. ये बात डोंग को पता चली तो, उसने इस जानकारी का वक्त आने पर इस्तेमाल करने का सोचा. जिससे योजना में कोई मुसीबत आये तो एसी जानकारी से खुद को बचाया जा सके.
महाराजा बने मुंड को ये सब देख के बहुत ही ख़ुशी होती थी. जबकि राज्य तो ऐसे चल रहा था. मानो इन्द्रराज का दरबार. उसने नया नगर बनाया भी वैसा ही था.
जब सब कुछ ही अपने मुताबिक़ लगाने लगा तो मुंड ने सोचा अब उससे भी बड़ी योजना बनाई जाये. उसने सोचा की क्यों ना हम लोग इंसानों का व्यापार शुरू करें? ब्रह्मांड में उसके अच्छे दाम मिलेंगे. उसकी योजना शुरू भी हो जाती. मगर उसके सामने डोंग वापस आ खड़ा हो उठा.
तब मुंड अपने महल के झरोखे में खड़ा हो कर फाल्जम पी रहा था. उसने डोंग को पीछे आते देखा. वह उसका स्वागत करता हे. उसके स्वागत के बाद वह उसे भी फाल्जम देता हे. दोनों ख़ुशी से उसे पीते हे. वह मजा लेते बात करने लगे.
डोंग ने कहा, “ तुम पहले ग्रह के बाकी के राज्य भी जित लो ताकि तुम्हें कोई दिक्कत न आये.”
मुंड बोला, “हाँ बात तो सही हे. इस बात पर कोई भी मीनमेख नहीं.”
डोंग बोला, “तो तुम क्यों न वह समुद्र के उस पार वाली योजना पर क्यों न काम करो?.”
मुंड खुश होते बोला, “अब मेरे दोस्त तुमने पते की बात की. में कल ही इसकी तैयारी शुरू करता हूँ.”
डोंग ने कहा,” मेरे दोस्त जल्दबाजी न करो. आराम से इसे करो. तुम चुनिंदा लोगों को पसंद करो जो ये काम अच्छी तरह से कर सके. उसके बाद मजबूत जहाज तैयार करवाओ. जब यह सब हो जाए तो आप उन्हें भेज सकते हे.
मुंड बोला, “ बात तो सही हे. में ध्यान रखूँगा.” उसकी बात सुनने के बाद मुंड सोच में पड़ जाता हे. उसे सोच में देख डोंग चला जाता हे.
उसके बाद एक नया अध्याय शुरू होता हे. वह हे समुद्री यात्रा. उसने बहुत सोचने पर एक योजना बनाई. जिसके तहत उसने वह व्यापारी जो बिना कर की जगह पर व्यापार करने आये थे. उन लोगों को अलग से बुलाता हे.
सब को कहता हे, “में समुद्र में जहाज के बेड़े भेजना चाहता हूँ. मुझे ढेर सारे कप्तान की जरूरत हे. तुम में से कौन समुद्र के बारे में जानता हे?”
एक नौजवान आगे आता हे. वह कहता हे, “में चका हूँ. में जनता हूँ की यहाँ से कुछ दूरी पर कुछ टापू हे. उस पर काफी माल सामान बेचा जा सकता हे. उस से भी बहु कुछ हम खरीद सकते हे.”
मुंड कहता हे, “बस हमें वही जाना हे”
एक दूसरा आदमी बोला, “पर उसके लिए मजबूत लकड़ी का जहाज चाहिए. वह काफी दूर होगा. उस तक पहुंच ने के लिए हमें जीतनी मजबूत लकड़ी चाहिए वह उड्डयन में पायी जायेगी.”
मुंड ने पूछा, “आपको कैसे पता चला? समुद्र के बारे में कोई नक़्शे अबतक नहीं बने.?”
कोई बोला, “आपके जीजाजी जो कई नाम से जाने जाते हे उनका एक नाम “नियन्ता” हे. जिसका मतलब “देवता” होता हे. क्योंकि उन्होंने इसी योजना बनाई जिससे सब का भला हो. उन्होंने साहसी लोगों को समुद्र यात्रा करने भेजना का फैसला लिया. जिसका खर्च राज्य उठाता इस तरीके से जो जगह की खोज हुई. वह जगह के नक़्शे बनाये गए हे.”
मुंड चौंक कर पूछता हे, “ये तो छुपा कर बनाया गया था. पर क्यों?”
कोई और बोला “महाराज पहले देखना चाहते थे की समुद्र कितना सुरक्षित हे? और क्या होगा? अगर वह जाने के लिए सुरक्षित न हो?.”
मुंड सोचता बोलता हे, “हाँ..अ...अ...अ...”
चका बोला, “महाराज आप सोचे नहीं. वहां समुद्र में काफी कीमती चीजें हो सकती हे. उन टापू परसे बहुत कुछ मिल सकता हे.”
वैद्य यह काम करवाता हे. वह अब मंत्री था. उसे लोग औषधि राजा पिसासु कहते थे. उसका नाम भले ही अलग हो पर लोग उसको पिसासु ही कहते हे. जिस का मतलब शैतानी होता हे. वह शैतान हे ऐसा सब यकीन करने लगे थे. वह उनका इस जगह से नाम ख़राब हो चूका था. पर वह साधु भी नहीं था. वह सच में शैतान था.
महाराज अपनी योजना में इतने व्यस्त थे की वह भूल ही गए की न्योता देने के लिए कोई तोहफा भी भिजवाना चाहिए. या उनको मालूम ही नहीं था. इस लिए जहाज में सामान रखा. जहाजी के लिए भी जरूरी चीजें राखी. पर तोहफे न थे.
सही समय आया तब उन्होंने समुद्री यात्रा शुरू की. उनको यह नहीं पता था की असल में चल क्या रहा हे. वह अपने में जहाज में सामान के साथ बैठ जाते हे. उन व्यापारियों का मुखिया चका हे. वह समुद्र का अनुभवी हे. उसे नक़्शे पता हे. वह पहले भी उस यात्रा में गया हे. समुद्री यात्रा कंडा नाम के जहाज से शुरू हुई.
शुरुआत में इक दूसरे के बारे में पता करने और जान पहचान बनाने का काम हुआ. इस लिए कोई मुसीबत नहीं आई. सब खुश थे. सारा काम समय पर कर भी रहे थे. सब शांत माहौल था. और चारों और पानी था. जिस पर जहाज सरक रहा था.
उनकी यात्रा शुरू होने के कुछ समय बाद जहाज में बगावत शुरू हो जाती हे. इस बगावत के बारे में कहा जाए तो जो खलासी हे. जो जहाज चलाते हे. वह नए थे. उनके लिए अनुभवी कप्तान के बजाये नया कप्तान और नए खलासी दिए गए थे. जो यह कहकर चिल्ला रहे थे की उनके आगे जाने की सीमा समाप्त हो गयी. वह उससे आगे नहीं जाएंगे.
उन्होंने यह बात तब बताई जब वह समुद्र में काफी आगे जा चुके थे. अब वापस मुड़ना मुमकिन न था. अब मुमकिन और ना मुमकिन बात जैसा कुछ रहा ही नहीं. उनकी मुसीबत यह थी की उनके चारों तरफ पानी था. उनको बचने के लिए इसे व्यक्ति की जरूरत थी. जो उनकी बात को समझ सके. और उनको बचाए.
यह काम चका ने अपने हाथ में लिया. वह अनुभवी और चालाक हे. और जहाज चलाने के बारे में काफी जनता हे. वह जहाज को आगे बढ़ता हे. अब सब कुछ सही होगा. खलासी भी चुप हो गए. कुछ पल के लिए आया तूफ़ान वापस रुक गया. अब सब शांत बन गए.
कुछ और दिन बीत गए. समुद्र में एक जबरदस्त तूफ़ान आया. उस तूफ़ान में जहाज फंस कर वह किसी अनजानी दिसा में आगे बढ़ने लगा. वह एक जगह आ कर रुक गया. वह एक अजीब जगह थी. वह एक टापू था.
उसमें जा के फंस गया. फंसने के बाद सब को उतरना आना पड़ा. सब देखते हे. की वह जमीन इस तरीके से हिल रही हे. जैसे जमीन पर करोड़ों जंतु रेंग रहे हो. काफी भयानक जगह थी. वहां दूर तक वही दिखाई दे रहा हे. वह लोग आसपास जा कर देखने का फैसला करते हे. वह लोग एक दिसा में जाते हे. वहां समुद्र तट हे. अभी तूफ़ान नहीं हे. वापस कब आएगा. कह नहीं सकते.
दूसरी तरफ जा कर देखते हे. वह काफी बड़ा टापू हे. उस तरफ चलते उनको एक गुफा दिखाई देती हे. उस गुफा में जाने के बाद उनको काफी चीजें देखने को मिलाती हे. उनमें से कुछ हथियार हे. कुछ सामान. यहाँ जहाज फंस जाते हे. उनको तोड़ कर उसमें से जरूरी सामान निकाल के कोई इकट्ठा कर रहा हे. इस पर से कहा जा सकता हे की यहाँ कोई हे. आस पास कोई दिखाई नहीं देता. पर दीवालों पर बनी आकृति पर से लगता हे की कोई अजीब जीव हे.
सब लोग खड़े ही थे की आसपास से कुछ जीव बहार आते हे. ये सर्प मानव हे. पर उनका शरीर काचिंडे की तरह आसपास के रंग की तरह बन जाता हे. जिस वजह से वह आसानी से छिप जाते हे. उनको देख सब लोग भागने के लिए आसपास देखते हे.
वह लोग उस गुफा में देखते हे की उस गुफा में सिर्फ यही नहीं हे पर कोई सुरंग जैसा भी हे. वह उससे आगे बढ़ते हे. वह रास्ता उनको टापू के दूसरी और ले के जाता हे. वहाँ. जमीन होती हे. वहां जहाज भी खड़े होते हे. वह लोग उस जहाज से वहां से निकल जाते हे. वह सर्प मानव सिर्फ किनारे तक पीछा करते हे. उसके बाद वापस चले जाते हे.
रास्ते में वह देखते हे की वह जहाज खजाने से भरा हे. सब लोग यह देख खुश हो जाते हे. अमीचंद और चका के जहाज का नाम था “रक्त फुल.” वह जहाज कीमती रत्न वह पत्थर से भरा हे. एक जहाज जो इतने कीमती चीजों से भरा हे की इससे पूरा राज्य मालामाल हो जाए.
वह जब वापस आये तब महाराज भी खुश हुए. वह अपने साथ जो तोहफे लाये थे वह इतने शानदार थे की उसको देखने में महाराज कुछ भी पूछना भूल गए. वह उन राजाओं के बारे में सोचने लगे. पर अब भी उनको जहाज के बारे में कुछ भी मालूम न था. वह जहाज अब भी सुरक्षित हे. पर महाराज, अब वह सबसे बड़ा राजा बनने का ख़्वाब देखने लगे. राजा बनने के बाद राजसी परिवार लालची बन गया था.
असल में बात यह थी की उन व्यापारी और पिसासु ने अमीचंद और चका के साथ उन टापुओं पर जा कर उन राजाओं से बात की. उन टापुओं में एटलानट्टीस, एटलानत्टोस और एटलानटतास थे. उसके अलावा ग्लेमोर, वासिहा और कलामासा. उसके साथ कुछ और भी टापू थे. उन से बात करते और उनकी मेहमान नवाजी का आनंद उठाते. उन्होंने तोहफे भी दिए जो उस लुटेरे से लुटा था उसमें से कुछ सोने का निकालकर भेंट किया था. वह शानदार तोहफे देख महाराज की नियत ख़राब हुई. वह जिन - जिन टापू पर जाते उनको तोहफा देते. वह टापुओं के महाराजा भी इस तोहफे को देख अपनी नियत बिगड़ते.
उन्होंने अपने - अपने तरीके से योजना बनाई की व्यापार के लिए उनसे मिलेंगे और उसके बाद बह सब कुछ पता करके हमला बोल कर उसे हथिया लेंगे. उनकी इस योजना का किसी को भी कानोंकान खबर तक लगाने न दिया. सब यही मान रहे थे की वह व्यापार के लिए आ रहे हे. वह व्यापारी मंडल के साथ आयेंगे.
सब योजना के मुताबिक़ हो रहा था. वह सब खूब तोहफे भेज कर सब कुछ अपना करना चाहते थे. ये सब उनकी योजना थी. और सारे राजा आक्रमण की फिराक में ही आ रहे थे.
अब महाराज उनके झांसे में आ गए उनकी चाल में फंसे और उन्हें नगर बुलाया. तब महाराज यानी मुंड का पतन शुरू हो चूका था. इक तरफ वह टापू वाले तो दूसरी तरफ कोई और भी था जो बरबादी का खेल खेलने वाला था.
वह कोई और नहीं खुद डोंग था. उसने तो अलग ही योजना शुरू की थी. उसकी योजना के मुताबिक उसको सब राजाओं को एक जगह पर इकट्ठा करना था. बस उसके बाद खेल ख़त्म.
यदि तमाम राज्य के राजा एक जगह पर लाया जाये तो उनके राज्य का कोई भी मालिक न होगा. इस सूरत में अगर उस पर हमला हो जाए तो वह रास्ते पर आ जाएंगे. उन सब को काबू करना आसन होगा.
खुद महाराजा मुंड भी योजना बना रहे थे. सारे राजाओं को मार कर उसकी जमीन खुद हथियाने की. जिससे वह सारे ग्रह का मालिक बने और वह सर्व शक्तिशाली बन जाए.
अब योजना सब की तैयार थी पर उस योजना को पूरा करने के लिए कोई मौका चाहिए था. वह भी मिला गया. मुंड ने यह दिया. मुंड अपने नए महल का समारोह करना चाहता था. वह और कुछ नहीं पर तमाम राजाओं को मौत के घाट उतरने की योजना थी.
हम मरे न थे. न ही वह पुराना मंत्री मरा था. बल्कि सब सही सलामत हे. यह बात महाराज को पता ही न थी. वह हमें मरा समझ रहे थे. हमने भी चाल चली. हम छुप गए. और मौके का इंतजार करने लगे. इसमें राजसी परिवार के पुत्र यदा ने साथ दिया और सारी बातें समझने में हमारी मदद की.
जब नया राज्य बन गया तो हमने बगावत की योजना बनाई. जब महाराज व्यस्त हो तब बगावत हो. बगावत होते ही महाराज बौखला गए. उन्होंने कालिंदी के महाराज को रखा था. की बगावत न हो. उसकी फ़ौज भी थी. तो, ये कैसे हुआ?
दरअसल हम वापस आते समय छुप कर कुछ हथियार भी लाये थे. पर उसके बारे में किसी को पता चलने नहीं दिया. एक बड़ा बक्सा जिसमें विशेष भेंट हे. कह कर हमने हथियार छुपा दिये. ताकि वक्त आने पर सब को वह हथियार बाँट कर बगावत शुरू करवाई जा सके.
महाराज की योजना काफी खूब सूरत थी पर हम शुरू से ही तैयार थे. अब यहाँ कुछ ऐसा घटा जो सब को चौका देगा. सारे राजाओं के राज्य पर डोंग के आका ने हमला कर दिया. अब तक सारे राज्य को ख़त्म हो जाना चाहिए.
पर आप सब जिंदा हे और कुछ भी नहीं हुआ. यह उस घटना की वजह से हे जो घटित हुई थी. वह थी डोंग के आका डॉन टोरामोरा के पीछे आया हुआ सुरक्षा दल. यह हे ब्रह्मांड सुरक्षा दल. उसके अलावा शूट. ये दोनों डॉन टोरामोरा को कारा ग्रह भिजवाना चाहते थे.
डॉन टोरामोरा के पकड़े जाने पर मुंड की हालत ख़राब हो गयी और वह बेहाल हो गया. उसके अलावा जब पता चला की असल में हम जिंदा हे तो उसके होश उड़ गए. बस हमने पुराने महाराज को खोज निकाला. उसको एक अँधेरे ग्रह में छुपा कर रखा था. जहाँ एक कैद खाना हे. और जहाँ शिकारी जीव हमेशा शिकार करते रहते हे. बाकी सब आपके सामने हे.”
एक राजा ने पूछा, “ अरे! ये बदले और लालच में इतना अंधा हो गया की अक्ल ही चलीं गयी.”
ल्यूको जवाब देता हे, “ ये सब उसके अकेले का न था. डोंग और उसका आका भी शामिल थे. जो सब को उलझा कर पूरा ग्रह हड़प लेना चाहते थे. उन्होंने ये सब कर शानदार नाटक रचाया ताकि सब को मार कर तमाम कीमती चीजें जो धरती से मिल सकती हे. उसे लुटा जा सके.”
एक और राजा सवाल पूछते हे, “ आखिर इनसे क्या मिला? ये तो पागलपन हे.”
ल्यूको मुसकुराता बोला, “बदला और लालच हे ही एसी चीज. महारानी इंदु को उनके पिता की मौत का बदला लेना था. जबकि मुंड को सबसे शक्तिशाली राजा बनाना था. इस लिए तो महारानी इंदु, जिसने महारानी बनने की हाँ कह दी थी. और मुंड साला बनने तैयार हुआ था.”
तभी तीसरा राजा पूछता हे, “उस छोटा करने वाले यन्त्र का क्या हुआ?”
ल्यूको बोला, “डॉन को जब पकड़ा गया. तब उससे जब्त किया गया. डोंग ने उसको दिया था.”
महाराज नियन्ता सवाल पूछते हे, “मेरे दोनों बेटों का क्या हुआ.”
ल्यूको बोला, “महाराज उसका भी बताता हूँ.
हमारी मुलाक़ात तब ब्रह्मांड सुरक्षा दल से हो चुकी थी. हमने उनसे सलाह मांगी. उन्होंने ही उपाय बताया. उन्होंने एक यंत्र दिया ताकि हम इसका इलाज खोज सके. हम उस यंत्र का प्रयोग करते हे. सामने नया नजारा होता हे. कहीं किसी दूसरी दुनिया में होते हे. ये जगह हे. निर्वाणा. यह जगह मोक्ष के लिए भी मशहूर हे. यहाँ लोग शांति एवं सुख के लिए आते हे. ये जीवित लोगों की जगह हे. पर यहाँ हर तरह की बीमारी का इलाज मिलाता हे.
कुछ देर चलने पर आश्रम देखने को मिलता हे.. उसके बाद दोनों अंदर प्रवेश करते हे. अंदर प्रवेश करने के बाद उनको आश्रम में खुला मैदान और बहुत लम्बा मकान जिसमें बहुत सारे कमरे थे, वह दिखता हे. सब खाली नजर आता हे.
ल्यूको और वल्ली आश्रम के दादरा पर बैठ कर सोचने लगे.
ल्यूको बोला, “ यहाँ कोई दिख नहीं रहा.”
वल्ली बोलता हे, “अरे! यहीं कहीं होंगे. अभी आ जाएंगे. लो आ गए.”
तभी सामने से गुरुजन आ रहे हे. दोनों खड़े हो जाते हे. उनको देख कर गुरुजन के चेहरे पर मुस्कान आ जाती हे. वह उनके पास आते हे.. वे लोग आराम से चौक पर बैठते हे और दोनों को सामने बैठने को कहते हे. वह कुछ तीन गुरुजन थे.
कुछ देर बाद आश्रम वासी भी आ जाते हे. जो भिन्न – भिन्न जीव हे वह अपने काम में लग जाते हे.
एक गुरुजन बोलता हे, “बालक तुम्हारा यहाँ आना कोई इत्तिफाक नहीं. तुम जिस प्रकार गंभीर लग रहे हो जरूर मामला बड़ा होना चाहिए. क्या में वह जान सकता हूँ?”
ल्यूको बोला, “जी, दरअसल हम यहाँ दवाई को खोजने आये हे.”
दूसरा गुरुजन बोला, “हाँ, पर किस प्रयोजन से आये हो? वह जानना भी आवश्यक हे. बिना कारण के पत्ता भी नहीं हिलाता. मकसद तो होगा ही. उसे जाने बगैर हम बात नहीं कर सकते, किसी भी तरह के दवाई या औषधि की.”
ल्यूको बोला, “में सत्य खोजी हूँ. सत्य की खोज करने वाला. दरअसल एसी बीमारी जिसमें इंसान का शरीर गल जाता हे सिर्फ मुंह और दिल ही बचता हे. उसके इलाज के लिए.”
पहला गुरुजन बोला, “आपके जवाब में दूंगा. असल में उनको एन्सेदोमेनिया फोलेकमेर की बीमारी लगी हे.”
ल्यूको पुछता हे, “वह क्या होता हे?”
पहला गुरुजन बोला, “ऐसा जीव जो इतना छोटा हे की दिखाई न दे. शरीर के अंदर प्रवेश कर वह नुकसान पहुँचाए. उसने उसके शरीर को गल कर ख़त्म कर दिया. अब दिल और मस्तक ही बचा हे.”
ल्यूको पुछता हे, “उसके साथ ये सब कैसे हुआ?”
दूसरा गुरुजन बोलता हे, “यह किसी सिरिंज या किसी खाने में मिला कर दिया जाता हे.”
तीसरा गुरुजन बोला, “स्पिरिट पर जा कर ओषधि खोजो. तुम्हारी समस्या का जवाब भी मिल जाएगा.”
ल्यूको बोला, “जैसी आपकी आज्ञा.”
पहला गुरुजन बोला, “तथास्तु.”
ल्यूको और वल्ली वहां से निकलते हे. ल्यूको अपने यंत्र में स्पिरिट का रास्ता चुनता हे. और यंत्र उन्हें वहां से ले चलता हे. वह दोनों वहां से गायब हो जाते हे. तीनों गुरुजन आराम से बैठे हे. उनके चेहरे पर अभी भी मुस्कान हे.
ल्यूको और वल्ली जब आँख खोलते हे. तो सामने नया ग्रह होता हे. यह ग्रह असामान्य एवं अति भयानक हे. जमीन पर कुछ भी उग सके वैसा नहीं हे. पर जमीन पर बड़े - बड़े खड्डे गिरे हे. जमीन असल में फटी हुई हे.
ल्यूको और वल्ली आसपास नजर डालते हे. वहां सब कुछ भयानक होता हे. तभी ल्यूको को वह यंत्र याद आता हे. वह यंत्र निकाल कर उमसे उँगली करने लगता हे. ऐसा करने पर यकायक प्रकाश फ़ैल जाता हे. उसमें चूहा दिखाई देता हे.
वह चूहा बोलता हे, “नमस्ते दोस्तों. मेरा नाम मुशु हे. में इस घड़ी में रहने वाला यांत्रिक जीव हूँ. आपने मुझे बुलाया, तो, बताए में क्या कर सकता हूँ?”
ल्यूको बोला, “हमें यह ग्रह के बारे में बताओ.”
मुशु बोलता हे, “यह ग्रह स्पिरिट हे. यहाँ की आबोहवा ख़राब हे. यह ग्रह मर रहा हे. इस ग्रह निचले हिस्से में जीवन हे. निचले हिस्से में मनुष्य जैसे दिखने वाले जीव. उसे वोम्बा कहते हे. उसके अलावा यहाँ कीमती पत्थर “आलिव” मिलाता हे. यह पत्थर काफी कीमती हे. वह गायब हुए शरीर के अंग जो कट गया हो, या बेकार हो गए हो उसे वापस लाने में मदद करता हे.
वल्ली पूछता हे, “पर यह पत्थर हे कहाँ?”
मुशु बोला, “वोम्बा के कब्जे में हे.”
ल्यूको बोला, “हमें वहां तक पहुँचाने का रास्ता बताओ.”
मुशु रास्ता बताने लगता हे. ल्यूको वल्ली जमीन के अंदर उतरने के बाद वह देखने लगते हे. अंदर सुरंग जैसा हे. वह लावा के कारण बनी हे. उसी की वजह से लावा जब भी फव्वारे के रूप में उड़ता वह सुरंग बनता हे. वह दोनों सुरंग के रास्ते आगे बढ़ते हे.
वह दोनों अपने आप को सँभालते हुए आगे बढ़ने लगते हे. वह दोनों सुरंग के किनारे पहुँच जाते हे. तभी वोम्बा आ जाते हे. वे लोग काफी गुस्से में हे. वोम्बा उनको घेर लेते हे. चिल्लाने लगते हे. यह देखकर ल्यूको गुस्सा हो जाता हे.
वह चिल्लाता हे, “शांत हो जाइए. या मरिये.”
वोम्बा सरदार बोलता हे, “हम तुम्हाले ग्ला आ सकते हे? हमला ग्ला ख़त्म हो रहा हे. हम मलना नहीं चाते. “
ल्यूको वल्ली वहां से उस यंत्र के जरिये सब को निर्वाणा वापस ले के आते हे. सब लोग खुश हो जाते हे.
पहला गुरुजन बोलता हे, “स्वागतम. निर्वाण में आपका स्वागत हे..”
समस्त गुरुजन उन जीवों का स्वागत करते हे. उसके बाद सब लोग जश्न मानते हे.
ल्यूको उनको पुछता हे: “तुमको को क्या हुआ?”
वल्ली कहता हे: “वह पत्थर असल में स्पिरिट पर रह गया.”
तभी वोम्बा का सरदार एक पत्थर उनको देते हे. यह देखकर डोंग खुश हो जाते हे. वह उस पत्थर को गुरुजन को दे देता हे. उस पत्थर को संभलकर रख देते हे. उसके बाद वे लोग जश्न का आनंद लेने लगे. उस दिन पूरा समय जश्न चला. रात को सब सो गए.
सुबह को ल्यूको और वल्ली तैयार हो कर आश्रम के भोजन गृह पहुँचते हे. सुबह का नाश्ता खत्म होने के बाद सब लोग बहार आश्रम के मैदान में बैठ गए. वहां वे लोग क़तार बना कर बैठे थे. ल्यूको वल्ली भी उनके साथ बैठ गए. उन्होंने देखा की बहुत बड़ी किताब जो गुरुजन उठा के ले के आये थे. उन्हें खोल कर उसे पढ़ रहे हे. उनको पढ़ते वक्त वह कुछ बात कर रहे हे.
अंत में बातचीत ख़त्म करके प्रथम गुरुजन ने कहा, “इस प्रक्रिया को संपन्न करने हेतु तुम्हें अभी एक और काम करना होगा. तुम्हें सिर्किट ग्रह के अंदर मिलाने वाला युरून जीव लाना होगा. इस जीव से निकालने वाली किरण उस पत्थर को नए पदार्थ में परिवर्तित करेगा. उसके लिए हमें ब्रह्मांड की सब से मजबूत धातु जेसाद की जरूरत पड़ेगी. यह मिल गया तो हमारा काम हो जाएगा. उस के होम्फोड़ जाना होगा. वहां यह धातु मिलेगी.”
ल्यूको पुछता हे, “प्रथम कहाँ जाना होगा?”
दूसरे गुरुजन कहते हे, “आप एक काम कीजिए युरून को ले आये.”
ल्यूको बोला, “जी, जैसी आपकी मरजी.”
तीनों गुरुजन बोले:, “तथास्तु.”
ल्यूको वल्ली वहां से हाथ में बंधे यंत्र के सहारे सिर्किट ग्रह की और प्रस्थान करते हे. उनके जाने के बाद डोंग को उद्देश्य के गुरुजन बोलते हे.
ल्यूको वल्ली उस ग्रह पर पहुँच गए जहाँ वह जीव मिलने वाला हे. वे लोग देखते हे वहां पूरी तरह बर्फ जमी हे. भयानक जाडा हे. चारों तरफ बर्फीला तूफान चल रहा हे.
वल्ली पूछता हे, “हम पता कैसे करेंगे की वह जीव कौन सा हे?”
ल्यूको बोला: “हमारे इस यंत्र से पुछते हे. यही सही तरीका होगा. अभी मुझे दूसरा तरीका नहीं मिल रहा.”
वल्ली बोला, “तो ठीक हे. वही करते हे.”
ल्यूको ने अपनी कलाई पर बंधे यंत्र को निकला. उस यंत्र में उन्होंने जानकारी निकाली. मुशु आ के उन्हें जानकारी देने खोजबीन करने लगा.
उनकी खोजबीन के बाद उसने बताया, “इस ग्रह का नाम सिर्किट हे. इस ग्रह पर सिर्फ बर्फ मिलेगी. यहाँ कई जीव हे. उन जीवों के मुंह से विविध रोशनी निकलती हे. उस रोशनी के आधार पर जीवों को पहचाना जा सकता हे. लाल रंग जिस के मुंह से निकलता हे वही वह जीव हे.”
अब उनको वह जीव खोजना हे. वह लोग वहां देखने की कोशिश करते हे. तूफ़ान की वजह से उनको कुछ दिखाई नहीं देता. वह लोग आगे बढ़ने लगते हे. तभी उनको रोशनी दिखाई देने लगाती हे वे लोग उसका पीछा करते हे. तूफ़ान बढ़ रहा होता हे.
उनको दो बर्फ की पहाड़ी दिखाई पड़ती हे. उन के बिच में पतला रास्ता हे. वह उसे पार करके आगे बढ़ते हे. आगे बढ़ते ही उनको दूसरी बाजू दिखाई देती हे. जहाँ उनको लकड़ी के घर दिखाई देते हे. वह देखते हे वह छोटे जीव हे. वह मनुष्य की तरह आदिवासी जीवन बिताते हे.
वह दिखने में एकदम छोटे और अजीब हे. उनका मुंह गिलहरी जैसा. शरीर चूहे जैसा और पूछ लंबी मगर पतली होती हे. उनको दो पंख भी होते हे. वह लोग बातचीत भी कर सकते हे. और समझदार भी लगते हे. वह उनसे बातचीत करने की सोचते हे.
जब वह उनके सामने जाते हे तो, वह लोग उन्हें आसमान के देवता समझते हे. वह लोग उनके सामने झुक जाते हे. वह लोग उनको रिझाने की कोशिश करते हे. उनको अपने साथ ले के जाते हे. वहां उनके चौक के बिच में कदा करके वहां उनके लिए धूप करते हे जिसका धुआँ हर तरफ फ़ैल जाता हे. उसके बाद आग लगते हे. उसके बाद वे लोग खाना ले के आते हे. वह फल और कुछ वनस्पति होती हे. वह काफी दोस्ताना थे.
ल्यूको उनको समझाता हे. उनको उनकी मदद की जरूरत हे. उनको ल्यूको की बात समझ में आ जाती हे. वे लोग उनकी बात सुनकर सहमति सुनते हे. उसे ले के वापस चलाना था. वे लोग उनमें से एक जीव को ले के वापस अपने यंत्र का चांप दबाकर वापस चलते हे.
आश्रम में वापस आते हे. वहां वे लोग यज्ञ की तैयारी कर रहे होते हे. पिंजरा तैयार होता हे. अब बस धातु की जरूरत होती हे. अपना आखिरी काम पूरा करने वह लोग निकलते हे. वह होम्फोड़ के लिए निकलते हे.
वहां पहुँचाने के बाद उनको समझ में आता हे की होम्फोड़ चट्टानों वह टेकरी से बना ग्रह हे जिस पर एक हजार तरह की धातु मिलाती हे. ये जानकारी मुशु देता हे. उसके मुताबिक़ जो धातु सफ़ेद रंग से चमकती हो वह जेसाद हे. इस ग्रह पर चलाना मुश्किल हे क्योंकि इस ग्रह पर हर तरफ चट्टानें हे. वे लोग अपने आपको संभाल कर आगे चलते हे.
वे लोग कुछ दूरी पर चलकर देखते हे वहां हर जगह विविध धातु हे. जो कई तरह के रंगों से निखरी हे. पर उनको जो धातु चाहिए वह कहीं दिखाई नहीं दे रही. वह लोग दूर तक नजर डालते हे. उन्हें कुछ दिखाई नहीं देता. तभी उनकी नजर दूर एक रोशनी पर जाती हे. वह रोशनी सफ़ेद होती हे पर बहुत दूर होती हे.
वह देखने मुशु से कह कर दूरबीन निकालते हे. उससे वह लोग देखते हे. वहां दूर एक समुद्र हे. उसके अंदर एक टापू हे. वहां से वह रोशनी आती हे. वे लोग उस तरफ चलने लगे.
वहां पहुँचने के बाद उन्हें पता चलता हे की समुद्र भयानक हे. समुद्र में भी बड़ी चट्टानें हे. उन चट्टानों की वजह से वहां कोई भी नहीं जा सकता. अँधेरे ने पानी पर भी असर डाला था. उस वजह से पानी काला होने लगता हे.
कोई यान वहां आता हे. उसमें से एक विशाल हरे रंग का मनुष्य जो पंद्रह फिट ऊँचा होगा वह बहार निकलता हे. वह आराम से चलता आगे बढ़ता हे. उसके चलने से चट्टानें टूटने लगती हे. वह वहां से वह कीमती धातु मुठ्ठी भर के ले के जाता हे. उसके हाथ से एक दो गिर भी जाते हे. जो ल्यूको वल्ली के पास गिरते हे.
वह दोनों हैरत से देखने लगते हे. उसके जाने के बाद ल्यूको और वल्ली वह धातु उठा लेते हे. उसे अपने पास रख लेते हे. दोनों यंत्र के सहारे वापस आते वह धातु उनके पास से आश्रम वासी ले कर गुरुजन के पास जाता हे.
गुरुजन तब तक हवन की तैयारी कर चुके थे. उस धातु के मिलने के बाद गुरुजन के आदेश पर उस धातु को पिघलाकर उससे लंबी नली बनाने का काम शुरू किया गया. उस धातु को पिघलवाना कोई मामूली काम नहीं था. वह सबसे मजबूत धातु होती हे
कुछ देर बाद यह काम पूरा हुआ उसके बाद प्रयोग और हवन दोनों शुरू हुए. एक लंबी नली के एक छोर पर पिंजरे में कद वह जीव युरून और दूसरे छोर पर वह पत्थर रखा गया. उसके बाद उस पर मंत्र से उसे जगाने का काम शुरू हुआ. उस काम को बढ़ावा देने हेतु डोंग और ल्यूको वल्ली भी शामिल हुए.
मंत्रों की शक्ति से कम बन गया. युरून की रोशनी पत्थर पर पड़ते ही वह जाग जाता हे. वह पिली रोशनी से चमक उठता हे. वह धातु का टुकड़ा ले लेते हे. उस जीव को उसके ग्रह भेज वापस आते हे.
दोनों राजकुमार को उसी से ठीक करते हे. वह अब सम्पूर्ण स्वस्थ हे. और वह भी कुछ देर में इस सभा में पहुँच जाएंगे.”
महाराज बोले, “में कभी ये नहीं सोचा था की यह इतना सब कर सकता हे. उन्हें दंड मिलाना चाहिए.”
ल्यूको बोला, “आप सही कह रहे हे. उन्होंने जो किया उसे शायद सम्पूर्ण बदलना ना मुमकिन हे.”
महाराज बोले, “सही हे. उन्हें किसी बीमारी का शिकार बनाया जाए ताकि उन्हें एहसास हो की आखिर क्या दुःख होता हे उन्हें जिन्हें उसने कष्ट दिया.” सब मुसकुराने लगे.
यह सब देख कर महल के अन्दर काफी खुशहाली फैल गयी. महाराज ने महारानी इंदु और षड्यंत्रकारी राजसी परिवार को कैदखाने में डलवा दिया. उनके असल महाराज वापस आये थे. और महाराज के साथ वापस पुराना माहौल भी वापस आया था. अब कोई बुरे लोग न थे. महाराज ने वहाँ खड़े तमाम राजाओं और जनता के लिए जश्न का एलान किया.
जश्न का एलान करने के बाद महाराज मेहमान और नगर वासियों के लिए उत्तम भोजन एवं जाम की व्यवस्था करने का हुक्म दिया. ये महाराज के स्वस्थ होने की ख़ुशी में था.
सब लोग काफी प्रसन्न थे. सब एक दूसरे के साथ हुई घटना के बारे में बात कर रहे थे. उनके लिए ये बहुत बड़ी बात थी. उतना सब कुछ हो जाना.
महाराज आते हे. वह जाम उठाकर सब को धन्यवाद करते हुए अपनी बात करते हे.
“मेरे प्यारे नगर वासियों और यहाँ आये तमाम लोग जो दूर देश से यहाँ तक आये हे. आप सब का स्वागत हे. आप तमाम लोगों को यहाँ इस जगह पर देख मुझे काफी प्रसन्नता हुई. आप लोग सोच रहे होंगे की अब क्या होगा. राज्य क्या उन लोगों को इनसाफ़ देगा? और यहाँ आये मेहमानों का क्या? तो, मेरे प्यारे नगर वासियों आपको आपका अधिकार मिलेगा. और अब राज्य को और भी बेहतर बनाया जाएगा. ताकि ये फिर न हो. पर फिर हाल आप लोग भोजन के साथ आज की शाम का आनंद उठाये. और नए समय को आने दे.”
उसकी बात सुन कर सब लोग काफी प्रसन्न हो गए. उन्होंने तालियों से उनकी बात को सराहा. उसके बाद सब भोजन की मेज तक पहुँच जाते हे.. सब भोजन में व्यस्त होने लगते हे.
तभी अचानक कुछ आवाज आने लगती हे. ये आवाज थी किसकी? सब का ध्यान दरवाजे के और जाता हे. दरवाजे से पहरेदार आते हे. वह सलाम करते हे. वह आते ही महाराज को कहते हे.
“महाराज आपको मिलने के लिए कोई ब्रह्मांड सुरक्षा दल के मुखिया आये हे. वे आपसे इजाजत चाहते हे. आप का क्या हुक्म हे?”
महाराज कहते हे, “उनको भीतर आने दो. वह हमारे खास मेहमान हे.”
पहरेदार बोला, “जी हुजूर, आपकी आज्ञा.”
वह चले जाते हे. उनके जाने के बाद महाराज खुद दरवाजे पास आते हे. सामने से वही टकला एक आँख वाला ब्लैक आ रहा होता हे. महाराज बांह फैला कर उनका स्वागत करते हे. वह दोनों गले मिलते हे.
ब्लैक कहता हे, “यह ख़ुशी मनाने का नहीं पर चिंतित होने का समय हे. डॉन टोरामोरा फरार हो गया. वह अपने ग्रह तक पहुँच गया. अब वह सबसे बड़ी फ़ौज भेज रहा हे.”
महाराज बोले, “अरे! ये तो बहुत बुरी खबर हे. हमें उसका सामना करना पड़ेगा. हमें बहुत ही तैयारी करनी पड़ेगी.”
ब्लैक बोला, “महाराज आप जल्दबाजी न करें. उनके पास हवाई वाहन हे. आप के पास घोड़े हे. उनकी रोशनी हथियार आपको कुछ पल में ख़त्म कर देंगे.” यह सुनकर महाराज चिंतित हो उठे.
ब्लैक उनके सामने देख रहे होते हे. उनको सब समझ में आ जाता हे. वह कहते हे, “महाराज आप व्यथित न हो. मेरे पास योजना हे. में आप को अपनी योजना समझाता हूँ. असल में उसको इस ग्रह की कीमती चीजें चाहिए. अब वह भड़का भी हे.
उसकी एक कमजोरी भी हे. वह ज्यादा गुस्सा होता हे तो अपने ग्रह पर जाकर वह पूरी फ़ौज भेज देता हे. उसकी कम फ़ौज उसके ग्रह पर होती हे. हम उसके ग्रह पर जाकर उसे पकड़ सकते हे.”
महाराज बोले, “ये योजना ठीक हे.”
उस योजना को बनाने के लिए विशेष वाहन की जरूरत पड़ती. ब्लैक उसी में उलझ गया. उसने जोरो की मदद मांगी. जोरो ने एक यान भेजा. काफी विशाल हे. उसमें महाराजा भी आ जा सकते हे. सब अस में बैठ गए.
सब लोग यान में बैठ कर निकल लिए. यान आसमान में गया. महाराजाओं के लिए ये बहुत बड़ी बात थी. आज तक आसमान से देवता आने की बात सुनी थी. प्रथम बार वह आसमान में जा रहे हे.
यान ब्रह्मांड में तेजी से आगे बढ़ रहा हे. कुछ समय बाद वह किसी इसी जगह आ गए जहाँ तीन ग्रह एक क़तार में होते हे. उसमें प्रथम ग्रह दिख रहा था. दूसरे दो नहीं दिख रहे थे. वह उनके पीछे अँधेरे में थे. उसके अलावा वहां एक सूरज हे. वहां कोई भी चाँद नहीं हे.
वे लोग बराबर बिच वाले ग्रह के अन्दर जाते हे. वहां अन्दर जब यान उतरता हे.
ब्लैक सबको कहता हे, “इस जगह यानी ग्रह पर तीन टुकड़ियाँ हे. पहली टुकड़ी जो कमांडर की हे. उसके बाद जनरल की और उसके बाद कप्तान की. हमें उनसे सावधान रहना हे.”
यहाँ तीनों में बड़ा कोई भी नहीं सब अपनी स्वतंत्र फ़ौज रखते हे. सबसे बड़ी फ़ौज कमांडर की हे. उसके बाद जनरल और उसके बाद कप्तान की हे. ये लोग प्रथम कप्तान को हमले के लिए भेजते हे. उसके बाद जनरल आएगा. उसके बाद कमांडर. हमें छुप कर रहना होगा.
पर असल में हमें डॉन टोरामोरा के हवाई महल को खोजना हे. वह जिस जगह होगा वहां से जमीन तक एक प्रति गुरुत्वाकर्षण उद्वहन यंत्र होगा. वह उसके हवाई महल तक ले के जाएगी. जो उपर होगा. वह जमीन तक इस लिए आता हे क्यों की यहाँ खाना वह उगा सराहा हे. खाना पाने के लिए उसे निचले हिस्से तक आना पड़ता हे.
वह हफ्ते में एक बार आता हे. और अपने लिए अच्छा खाना खुद पसंद करता हे. वह हर बार आये जरूरी नहीं. पर उसका कमांडर ये काम करता हे. तो, जब वह जमीन पर आएगा. हमें चुपके से ऊपर जा कर उस पर हमला करना हे. जैसे ही उसके नियंत्रण कक्ष पर कब्जा कर लिया. समझो वह हमारे काबू में आ गया.
वहां आसमान में काला गोल दरवाजा दिख रहा हे. वह आकाशी दरवाजा असल में दो दुनिया के बिच का दरवाजा हे. अभी भी उसमें एकाध यान जा रहे हे. उसे देख कर सब समझ जाते हे. धरती पर क्या आफत आयी होगी.
ब्लैक ने आदेश देना शुरू किया. सब उस तरफ ध्यान देने लगे. उसकी आवाज स्पष्ट और वजनदार थी. वह कुछ आदेश देता हे.
आदेश के अनुसार, “आप सब को चार दिसा में फैलना होगा. सबसे पहले मुकाबला शिकारियों से होगा. यह बेहद शक्तिशाली हे. उनके शरीर के कवच कोई भी हमला नाकाम कर सकता हे. उस लिए हमला उनके गले पर करने का. उससे वह मर सकते हे. उसके बाद प्रति गुरुत्वाकर्षण यंत्र से महल में प्रवेश करना होगा.
महल में प्रवेश करने के बाद सब को एक कमरे में रुकना होगा. सब लोग फिर एक - एक करके फैलेंगे और सबसे पहले उन सावधान करने बाले यंत्रों को ना कामयाब करेंगे. उसके बाद एक साथ हमला करेंगे. जिससे वह लोग ख़त्म हो जाएंगे. इस के लिए हमें जामर की जरूरत पड़ेगी. जो जाम कर दे सारे यंत्रों को. उससे शायद समस्या हो पर वहां पर उसका दूसरा उपाय होगा.
उसे चालू रखने के लिए यदि ऊर्जा कार्यरत न रहे तो ऊर्जा के लिए दूसरी प्रणाली होगी. तो जब तक वह चालू होगी तब तक हमला करके सब को काबू में कर लेंगे. उसके बाद आता हे दूसरी मंजिल. जहाँ सब लुटेरों का जमघट हे. वहां हम कुछ कर नहीं सकते क्यों की इतने सारे खतरनाक लुटेरों को हराने बहुत बड़ी फ़ौज चाहिए. तो, हम फ़ौज नहीं ला सकते. क्योंकि फ़ौज लाने के लिए अनुमति चाहिए. जो मिलेगी नहीं. यह संधि के खिलाफ होगा. इस लिए हमें वहां उन में शामिल हो जाना हे. महल काफी फैला हुआ हे. वहां स्नानघर हे और बहुत तरीके के संसाधन के खंड वहां मौजूद हे. तो, वहां इतने सारे लोग होंगे और काफी विशाल जगह हे की हम कही खड़े रहे या छुप जाए तब भी न हमें कोई पूछेगा न शक करेगा. हम कौन हे ये पूछने भी कोई नहीं आएगा. हमें उनके जैसे कपडे पहन कर तीसरे मंजिल पर जाना होगा ताकि हम किसी के हाथ न लगे. उनके वह बंध कमरे पर कब्जा करके नियंत्रण कक्ष पर कब्जा कर सके. पर तीसरी मंजिल सबसे खतरनाक जगह हे. यहाँ विशेष सुरक्षा यंत्र मौजूद हे. पर इसे वह हर बार बदलता हे. तो, हमें उसकी इस बार की प्रणाली के बारे में मालूम नहीं हे. तो सावधान रहना.”
योजना सब तय हो गयी. उन लोगों को अब हथियार और तकनीक तैयार करनी थी. सब लोग तैयार हो गए. ल्यूको शाऊ के हाथ में भी बंदूक थमा दी गयी. वह लोग वहां से निकले. उन्होंने सुरक्षा कवच धारण किया था. वे सब जंगल की तरफ आगे बढ़े. वहां उन्होंने पेड़ की आड़ में छुपना पसंद किया. वह घास के भीतर छुप गए थे.
उन्होंने गरमी पकड़ने वाले यंत्र से उन शिकारी जीवों के शरीर की गर्मी को पकड़ा. अब उनको मालूम था की वह कहाँ खड़े हे. वह यंत्र में दिख रहे हे. उन्होंने हथियार सज्ज किए और दूर से ही उन को मार गिराया. अब बारी आगे बढ़ ने की हे.
जैसे ही वह लोग आगे बढ़ते हे उनके सामने शिकारी की फ़ौज होती हे. वह कही से भी आ जाते हे. शायद छुप कर बैठे थे. वह काफी गुस्से में दिखाई दे रहे थे. उनमें से एक ने लाश तक खड़े ही जीभ लंबाकर उसको छूआ. अचानक वह चौक जाता हे. वह ब्लैक की तरफ देखने लगता हे.
ब्लैक कहता हे. उनको पता चल गया हे. हम कहाँ हे. अब हमें सावधानी रखनी होगी. सब लोग सावधान हो कर वहां से पीछे हट करते हे. और वापस कुछ कदम आते हे. वह शिकारी गुस्से में वहां आते हे. वह धीमे से आ रहे हे. और हर तरफ देख रहे हे.
अचानक ब्लैक हमले का इशारा करता हे. सब बंदूकें एक साथ चलती हे. और वहां खड़े शिकारी मौत के घात उतर जाते हे. वह लोग आगे बढ़ाते हे. अब अपने हथियार बदलते हे. वह अलग हथियार निकालते हे.
वह रोशनी फेंक ने वाला हथियार हे. उस हथियार से वह लोग निशाना लगाते हे. अभी भी उस गुफा के पास शिकारी तैनात हे. ब्लैक के इशारे पर सब हमला करते हे. जैसे ही हमला करने जाते हे. शिकारी गायब हो जाते हे. अब पूरी फ़ौज उन शिकारी के चंगुल के अन्दर होती हे.
ल्यूको बोलता हे, “हमें शतरंज की तरह खेलाना होगा.”
ब्लैक कहता हे, “पर उसमें तो दुश्मन दिखाई भी देता हे. यहाँ तो पता ही नहीं हे की वह कहाँ हे?”
ल्यूको बोला, “एक रास्ता हे. हम सब जमीन पर लेट जाते हे. शायद उससे कुछ हो.
ब्लैक बोला, “ठीक हे”
सब को जमीन लेट जाने का इशारा किया गया. सब वैसा ही करते हे. वह देखते हे. सारे दुश्मन एक साथ वापस दिखाई देने लगे. ये देख सब चौक जाते हे.
ल्यूको बोलता हे, “मुझे लगता हे की ये लोगों की आंखें बाज की तरह हे. उनको खाली शिकारी के शरीर की गर्मी दिखाई देती हे. इस लिए वह लाल और हरा रंग ही देख पाते हे.”
ब्लैक बोला, “में समझ गया. सब यहाँ लेटे ही गोलियां चलाओ.”
सब वैसा ही करते हे. ऐसा करने पर शिकारी का शिकार आसन हो गया. अब वह आसानी से मरने लगे परन्तु कुछ सावधान हो गए उन्होंने भी सामने हमला किया. हमला अब दो तरफ हो गया. इससे ब्लैक के कुछ सैनिक भी मारे गए.
अंत में शिकारी हार जाते हे. उनको हराने के बाद वह लोग आगे बढ़ते हे. उस गुफा के भीतर जाते हे. वहां सब खाली हे. कोई भी वहां नहीं होता. वह रास्ता भी बंद होता हे. जो प्रति गुरुत्वाकर्षण यंत्र के तौर पर जाना जाता हे.
वह लोग छुप जाते हे. रास्ता फिर से खुलता हे. वहां दो पांडा जैसा दो गोलमटोल जानवर आते हे. उनके आते ही परिस्थिति बदल जाती हे. वह अपनी आँखों से गोले फेंक कर धमाके करते हे. ब्लैक उनकी आँखों पर निशाना लगा कर गोली चलता हे. उनकी आँखें फुट जाती हे. उनके हमले में कुछ सैनिक घायल भी होते हे.
पर उन जानवर के मरने के बाद ऊपर जाना आसन हो गया. वह प्रति गुरुत्वाकर्षण यंत्र के जारी ऊपर महल के अन्दर प्रवेश करने में कामयाब जाते हे. जैसे ही उपर जाते हे. उनको काफी दरवाजे दिखाई देते हे. उनको एक दरवाजे के अन्दर जाना होता हे. ल्यूको एक दरवाजे की तरफ इशारा करता हे. वह दरवाजा बाकी दरवाजे की तरह बंद होता हे. सैनिक वापस उस गर्मी मापक तंत्र का सहारा लेते हे. वह देखते हे. दरवाजे के पीछे पूरी फ़ौज हे. जो हमला करने को बेताब हे.
यह देख ब्लैक इशारा करता हे. उसके इशारे पर वह सैनिकों में से एक सैनिक विस्फोटक लगता हे. उसके बाद सब दूर चले जाते हे. धमाका होते ही दरवाजे के चिथड़े उड़ाते हे. और बहार खड़े दुश्मन भी मारे जाते हे. उसके साथ ही अन्दर जाकर सारे यंत्र जामर की मदद से रोक लेते हे. जिससे ऊर्जा भी रुक जाती हे. महल गिरने लगता हे. पर बचाव ऊर्जा प्रणाली उन्हें बचा लेती हे.
वापस ऊर्जा आने पर सारे यंत्र खुद-ब-खुद शुरू होने की कोशिश करते हे. यह काम टेढ़ा हे. पर वह एक बुद्धिशाली यंत्र के जरिये संचालित था. उनको फौरन वापस शुरू कुछ ही पल में कर देता हे. इस लिए सारे सैनिक अति शीघ्र वहां से निकल कर आगे बढ़ाते हे.
वह लोग अपने ऊपर साथ लाये विशेष पोषक पहन लेते हे. जिससे वह उन लुटेरे की तरह लगे. वह दूसरे मंजिल की तरफ आगे बढ़ते हे. आगे बढ़ते समय वह देखते हे की प्रयोग शाला के सारे जैविक जीव बहार आ गये हे. जिस वजह से वह धमाका कर रहे हे.
चारों तरफ आग लगी हे जिस वजह से वहां भाग दौड़ मची हे. भाग दौड़ की वजह से आग और भी बढ़ रही हे. वह दूसरी मंजिल तक पहुँच गयी हे. वहां सब चिल्ला रहे थे. उनको चिल्लाता देख सैनिक दूसरी मंजिल तरफ भागे. उस वजह से दूसरी मंजिल की आग की भयानकता का अहसास हुआ.
तुरंत बचाव काम गिरी शुरु हुई. कुछ समय बाद सब को बचा लिया गया. उनकी सार वार शुरू हुई. उसके बाद उनको एक जहाज में ठीक करने भेजा गया.
वह लोग वापस तीसरे मंजिल की तरफ जाते हे. तीसरे मंजिल पर जाकर देखते हे की यहाँ आग पहुंची नहीं हे. यह एक विशाल भाग हे. इतना ही नहीं यह तमाम आधुनिक सुविधाओं से सज्ज हे. यहाँ देखते हे की चारों तरफ हथियार दीवारों में तैनात हे. वह पास से पसार होने वाले लोगों पर हमला कर देते हे. उसके अलावा वहाँ जमीं पर विस्फोटक भी लगाये गए हे. ये यांत्रिक हे. उसे किसी यन्त्र से संचालित किया जा सकता हे. जिस वजह से यहाँ हमला करना मुश्किल हे. यह भी एक चक्रव्यूह जैसा हे. उसमें कोई भी फंस सकता हे. यहाँ तमाम दरवाजे बंध हे. और उनको खोलने के लिए तकनीक भी उन्हीं दीवालों में लगाईं गयी हे.
वे लोग जैसे ही कदम तीसरी मंजिल पर रखते हे. हमला हो जाता हे. बहुत सारे सैनिक मारे जाते हे. बाकी के वापस निचले हिस्से में आते हे. ब्लैक को इस तकनीक के बारे में पता हे. वह फौरन एक गोली निकालता हे. उसे फेंकता हे. उसके जमीं पर चुने से पहले एक रोशनी निकलती हे. उसकी वजह से सारे यन्त्र नाकामयाब हो जाते हे.
अब बारी उस दरवाजों की थी. वह उसे सुलझाने की कोशिश करने लगता हे. वह देखता हे वहां दरवाजे के चित्र वही दीवाल में हे. इसे लगभग पान सौ होंगे. हर दरवाजे के ऊपर एक वाक्य हे. जो किसी और भाषा में लिखा गया हे. सब लोग वहां बैठ कर उसे देखा रहे हे.
ब्लैक अपने जेब से एक यन्त्र निकालता हे. उस यंत्र को उस दरवाजे के सामने रख कर कोई चांप दबाता हे. जिस वजह से उसमें कुछ दिखाई देता हे. वह उस यन्त्र को मुख्य दरवाजे पर लगता हे. जैसे ही वह ऐसा करता हे. कुछ आवाज होती हे. आवाज के साथ दीवाल पर के चित्र बदल ने लगते हे.
दीवार पर के चित्र बदल जाते हे. लिखे शब्द भी बदल जाते हे. कुछ नयी तरह से दिखाई देने लगता हे. उसके बाद जोरदार आवाज होती हे. एक एक करके वह दरवाजे गायब होने लगते हे. वहां सिर्फ तीन दरवाजे रह जाते हे.
उन तीन दरवाजे पर लिखा होता हे. वह वापस से बदलता हे. उसमें से दो दरवाजे बिचके दरवाजे के ऊपर उलटा चिपकते हे. आखिर में बड़े अक्षरों में कुछ लिखा आता हे.
कुछ देर बाद एक झटके के साथ दरवाजा खुलता हे. सामने एक खंड दिखाई देता हे. उसके बिच में एक पिरामिड हे. उसके उपर के सिरे पर एक सिंहासन हे. उस पर डॉन टोरामोरा बैठा हुआ हे.
वह काफी गुस्से में दिखाई देता हे. उसे गुस्से में देख कर सब दंग हो जाते हे. वह सिंहासन में लगे बटन दबाता हे. उस पिरामिड के तीन दरवाजे खुलते हे. उस दरवाजे के खुलने पर तीन यंत्र बहार आते हे. वह यांत्रिक जीव हे. धातु के बने ये यांत्रिक जीव काफी खतरनाक हे. वह चलते हे तो धरती हिलती हे. वह सब हथियारों से भरे हे. उसे देख कर लगता हे. ये विनाशक हे. वह सांप हे. उसके हाथ पैर भी हे. वह जैसे तैसे नहीं बल्कि विनाश के शैतान हे.
जैसे ही वह बहार आते हे. वह हमले के लिए तैयार हो जाते हे. कुछ पल में चेतावनी की ध्वनि बजने लगाती हे. और महल को चारों तरफ से घेर लिया जाता हे. वह डॉन टोरामोरा के तीन मुखिया हे. यह तीन मुखिया अपनी फ़ौज के साथ वहां आते हे. और एक दीवार बनाते हे. ताकि कोई भी भागने न पाए. यह एक बहुत ही सोची समझी चाल थी. जिसमें सब फंस गए.
ब्लैक सोच में गिर जाता हे. की क्या करें? कोई इसी योजना बनानी होगी. जिससे बच सके. तभी उसके दिमाग एक विचार जन्म लेता हे जो सभी विचार अंत हे. वह जोरों को संकेत भेजता हे. कुछ पल में उसकी फ़ौज आ के हमला करती हे. आसमान में भीषण लड़ाई शुरू हो जाती हे. उस वजह से आसमान में जैसे आग लगी हो वैसा माहौल बन जाता हे.
उन में से कुछ महल के ऊपर भी गिरते हे. उन वाहन की वजह से यांत्रिक खामी आती हे. और आग अब इस मंजिल तक भी पहुँच जाती हे. वह यांत्रिक जीव अब भी हमला कर रहे हे. उस वजह से और भी नुकसान हो रहा हे. डॉन टोरामोरा जोर - जोर से हंस रहा हे. जैसे उसे यह सब मजाक लग रहा हे.
दूसरी तरफ उन यंत्र की वजह से ब्लैक के योद्धा मारे जा रहे हे. ब्लैक ल्यूको, शाऊ और वह सैनिक अपने हथियारों से जबरदस्त हमला करते हे. जिस वजह से उन यंत्रों को भी क्षति होती हे. वह यंत्र और भी जोर से हमला करते हे. वह धमाके करते हे. उस वजह से चारों तरफ दीवार और दूसरी चीजों के चिथड़े उड़ ने लगते हे.
तभी एक घटना घटती हे. वहां डोंग कहीं छुपा होता हे और अचानक बहार आता हे. जैसे ही बहार आता हे कोई विस्फोटक उसे टकराता हे. विस्फोट में वह चिथड़ों में तबदील हो जाता हे. वह मर जाता हे. पर जोरों आ के सब कुछ काबू कर लेता हे.
उन यंत्रों को नष्ट करने जोरो अपने असली रूप में आता हे. वह चींटे जैसा दिखता हे अपने असली रूप में. वह भी विशालकाय. वह और वह यंत्र आमने - सामने आते हे. वह इतने करीब होते हे की अभी कोई भी हमला कर देगा. जोरो इनसानी रूप में वैसे ही रहता था. यह उसका असली रूप था. काफी भयानक हे.
उनके बिच युद्ध शुरू होता हे. जोरो काफी शक्तिशाली होता हे. वह कुछ पल में तीनों यंत्रों को अपनी बाजू में उठा के इतनी जोर से पटकता हे की वह सब टूट जाते हे. जोरो उसे पकड़ कर दोनों हाथों से फाड़ डालता हे. अंत में जोरो जित जाता हे. डॉन टोरामोरा कोई बटन दबाता हे. और उसकी कुर्सी हवा में उड़ कर आसमान में चली जाती हे. वह सिंहासन असल में एक यान ही था. बहुत छोटा.
पर जैसे ही आसमान में पहुँचता हे की उसका ये यान वापस आने लगता हे. उसे देख कर सब आश्चर्य हो जाते हे. पर ब्लैक के चेहरे पर मुस्कान थी. ये उसकी करामात थी की उसने उस यंत्र को बिगाड़ा था. डॉन टोरामोरा गुस्से में पागल हो जाता हे. और यान से बहार आ जाता हे.
ल्यूको के ध्यान में आता हे की वह भले ही शक्तिशाली लग रहा हे. पर उसकी पूछ उसकी कमजोरी हे. वह घायल हो चुकी हे. वह जोरो के साथ युद्ध में उतरा. जोरो भी घायल हो चूका था. ब्लैक भी आगे आता हे. उसे आगे आते देख वल्ली भी आगे आता हे.
सब एक साथ डॉन टोरामोरा पर हमला करते हे. डॉन टोरामोरा पक्का योद्धा और बहुत ही चालाक हे. वह दिखने में सांप जैसा हे. वह सांप ही हे. बस उसको हाथ - पैर हे. उसका मुंह दांतों से भरा हे. वह दिखने में काफी खतरनाक लग रहा हे. जब युद्ध शुरू होता हे. सब अपने तरीके से हमला करते हे. उस वक्त का फायदा उठा कर ल्यूको उसकी पूंछ पर पैर रख देता हे. वह फंस जाता हे. वह दुःख रही होती हे. उसका ध्यान हटता हे. ये देख ब्लैक उसके ऊपर टूट पड़ता हे. उसे मुक्के पर मुक्के मार रहा होता हे. तभी जोरो उस पर तलवार से हमला करता हे.
हमला होता देख सब कुछ भूल कर डॉन उसका जवाब देता हे. तभी ल्यूको उसे पीछे से पकड़ता हे. ब्लैक उसके पेट पर जोरदार घुसा मार देता हे. तभी जोरो की तलवार उससे टकराती हे. और वह टूट जाती हे. ये देख जोरो बौखला जाता हे. कुछ समाज में नहीं आता. ब्लैक और ल्यूको का भी ध्यान हटता हे. तभी डॉन जोर से धक्का दे कर भागने की कोशिश करता हे.
ये देख वल्ली भागता हे. वह उसके यंत्र सैनिक से विस्फोटक फेंकने वाला यंत्र निकाल कर विस्फोटक भागते डॉन पर फेंकता हे. ऐसा करने पर वह सीधा डॉन पर जा कर टकराता हे. उसके चिथड़े उड़ जाते हे. आखिर डॉन टोरामोरा हार जाता हे. सब लोग काफी खुश हो जाते हे.
पर समय ख़ुशी मनाने का नहीं था. जो घायल हुए हे. उसका इलाज करने का था. सब उसी कम में जुड़ गए. आसपास के मलबे से सबको बहार निकाल कर उनको यान में बिठाया जाता हे. यान में उनकी इलाज शुरू होता हे. उसमें जोरो भी शामिल था. तब आग बढ़ जाती हे. सब उस यान से अपने यान में घायल को बिठा चुके थे. वह लुटेरे शायद भाग गए थे. वह दिखाई नहीं दे रहे थे.
उससे पहले की आग की लपटे इतनी बढ़ जाए की विस्फोट करें सब वहाँ से निकल जाते हे. वह लोग अपने यान में आपस धरती की तरफ बढ़ते हे. इस लड़ाई में काफी लोग मारे गए. पर शैतान हार गये. और मारे भी गए. राजाओं ने लड़ाई और इलाज दोनों में मदद की थी. पर अर्वांकुंडू अपने हिसाब से अलग रहे. शायद नए तरह के हथियार से उन्हें डर लगा होगा. यान में उसी की चर्चा हो रही थी.
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वापस जब धरती पर आते हे. चारों तरफ खुशहाली फ़ैल जाती हे. सब को खुशी का माहौल होता हे. राजा के सहित सब उनको मिलने आते हे. उनको सारी बाते बताई जाती हे. डोंग और डॉन टोरामोरा और डोंग कैसे मरे? वहां ल्यूको शाऊ के माँ बाप भी होते हे. और कनु चाचा भी. जिन्हें अपने गाव में ल्यूको शाऊ ने छिपाया था.
महाराज सब को संबोधन करते कहते हे, “हमारे लिए गर्व की बात हे की हमारे पास ल्यूको शाऊ और उसका सहायक वल्ली हे. देश के आम दुश्मन से लड़ना बहादुरी का काम हे. पर हम जिस पर भरोसा करें वह हमारे अपने राजसी परिवार और दूसरी दुनिया के जीव से लड़ना सबसे मुश्किल काम हे. तो, वह हे सत्य खोजी. सर्व शक्तिशाली.” यह सुन कर सब लोग ताली बजा कर बात पर अपनी ख़ुशी जहर करते हे.
राजा आगे कहता हे, “ में ल्यूको की बहादुरी के लिए और उसके बुद्धिमत्ता के लिए उसे अपना मंत्री वह जासूस चुनता हूँ. वह उसको शहर का सबसे आलीशान वह महंगा घर तोहफे में देता हूँ.
अब में उस व्यक्ति का नाम घोषित करूँगा. जिसने खुद के लोगों से बगावत करके अपने लोगों को बचाया और सन्मान का हकदार बना वह हे, यदा. जिसने अपनी माँ के बदले पिता का साथ दे कर अन्याय का साथ नहीं दिया. और खुशहाली लेन में मदद की. उनकी इच्छा अनुसार में गुलामी प्रथा नाबुत करता हूँ. अब हमारे राज्य में कोई भी गुलाम न होगा.”
सब के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. महाराज ने ल्यूको को काफी तोहफे दिए. साथ में यदा को भी. उसके साथ जोरो वह ब्लैक को अपने महल का मेहमान बनाया. पुराना मंत्री, उसे वापस महल में बुला कर उनको भी उच्च पद से सम्मानित करते हे. महाराजा ल्यूको और उसके परिवार को अपने महल में मेहमान बना कर उनको काफी सन्मान देते हे.
राज्य के प्रति वफादारी को देख कर महाराजा व्यापारियों के लिए अलग बाजार और सब को कर मुक्त व्यापार का एलान करते हे. चका को उसका मुखिया बनाते हे.
महाराज सब को बताते हे की उनके राज्य के लोगों को उनके घर वापस दिए जाएंगे. उनको भी काफी तोहफे से सम्मानित किया जाता हे. लोगों को अपना पुराना घर मिल गया लोग काफी खुश हो गए. ये नया घर काफी सुन्दर हे. उसकी कोई भी तुलना नहीं हो सकती.
महाराज ने राज्य में मेले का आयोजन किया. मेले के दिन तक सब महल में रहे. डॉन टोरामोरा की फ़ौज जो आई थी. उसने काफी नुकसान पहुंचाया था. पर जैसे ही डॉन टोरामोरा हार गया. सारे यान नाकामयाब हो कर शहर पर ही आ गिरे थे. उन सब को हटा कर शहर की मरम्मत भी करनी थी. उसके बाद मेला आयोजित हुआ.
मेले के दिन मैदान काफी सजाया गया था. उसमें सबसे पहले पूजा रखी गयी हे. जिसमें पंडित मंत्रों के जरिये सब को पवित्र करते हे. पवित्र करने के बाद उसमें देवता को प्रस्थापित करते हे. रिवाज के मुताबिक़ बिना देवता को याद किए कोई भी काम नहीं होता.
पूजा के ख़त्म होने के बाद सब को प्रसाद दिया गया. उस प्रसाद में छप्पन भोग लगे हे. तो कई तरह की वानगी उनको प्रसाद में चखने को मिली. उसके बाद राजा जी ने मेले को शुरू करने की आज्ञा दी.
शाम को जो आयोजन हुआ. उसमें तरह - तरह के लोग मनोरंजन के किए आये थे. भिन्न लोग जो अपने नाटक के जरिये अपनी भावना दिखाना चाहते थे. उसमें नाटक के जरिये युद्ध और वीर लोगों की गाथाओं को बताया गया. उस नाटकों में लोगों के जीवन एवं राज्य के प्रति अपनी भावना एवं कर्तव्य के बारे में और राज्य की भव्यता के बारे में अपने विचार प्रदर्शित किए. उसके साथ तलवार और औजार की प्रदर्शनी, रंगोली नृत्य भरत गुथनी की प्रदर्शनी भी हुई.
चारों तरफ आनंद का माहौल था. उस माहौल में सब लोग घुल मिल जाते हे. अब ल्यूको और उसकी मम्मी पापा भी आनंद ले रहे थे. राजाजी खुद सब को मेला दिखा रहे थे. उसके अलावा अपने राज्य की विशेषता भी बता रहे थे.
पर विदाई लेने का समय आया. महाराज खुद विदाई देने आये. पूरा राज्य वहां आया हे. सारे राजा जो महाराजा के द्वारा दिए गए घोड़े पर बिराजमान थे. उन्हें ये सफ़र समुद्र तट तक करनी हे. जहाँ उनके लिए जहाज पहले से खड़ा हे. उसमें सब का सामान पहले से रख दिया गया हे. सब राजा महाराज को गले मिले. वहां ल्यूको भी मौजूद हे. सारे राजा उसको भी गले मिलते हे. महाराज जाते समय भी सब को काफी तोहफे दिए. सब हंसी ख़ुशी वापस जाने लगे. अब ल्यूको कोई मामूली नहीं पर महान मंत्री ल्यूको हे.
इस तरीके से एक मामूली ल्यूको जो गाँव में छोटे से काम करता था. महान बना. इस तमाम घटना के बाद राज्य वापस हँसी ख़ुशी चलने लगा. ल्यूको जिसे अब लोग ल्यूको शाऊ के नाम से जानते हे. अब उसी की देख रेख में पूरा राज्य शांति से चलता हे. उसकी सत्य खोजी होने की वजह से वह कुछ भी गलत हो. तो, तुरंत पकड़ लेता.
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एक दिन एक खबरी ने आ के बताया उन टापू वाले राजाओं ने हमला कर दिया हे. समुद्र तट पर उनके जहाज का पूरा काफिला खड़ा हे. महाराज चौंक गए. वह तुरंत अपने सेनापति को बुलाते हे.
सेनापति आ के सलाम करता हे.
महाराज बोले, “सेनापति ये हम पर हुए हमले के बारे में क्या खबर हे?”
सेनापति बोले, “महाराज हम पर हमला? पर उस सेना के मुखिया तो खुद राजसी परिवार ही हे. महारानी इंदु और राजकुमार. हमें लगा की आपने उनको हुक्म दिया होगा.”
महाराज बोले, “पर वह तो केद खाने में हे.”
तभी एक सैनिक आता हे.
वह कहता हे. “महाराज केद खाने से राजसी परिवार भाग गया.”
महाराज बौखला जाते हे. तभी सेनापति उपाय के तौर पर ल्यूको शाऊ को बुलाने को कहते हे. महाराज जोर से दहाड़ लगते हे. “ल्यूको...........................”
उस समय समुद्र तट जहाजों के काफिले से भरा हे. उसके अलावा समुद्री लुटेरे की फ़ौज पानी में गुमराह रही हे. वह अवकाश के दरवाजे से आये हे. पूरा समुद्र अगणित फ़ौज से भर गया.
राजसी परिवार हाथ में तलवार लिए गुस्से में खड़े होते हे. वह लोग इस फ़ौज के मुखिया हे. साथ में कालिंदी की फ़ौज भी हे. तभी महारानी इंदु ललकारती हे. “आज हम अपने पूर्वजो का बदला ले के रहेंगे”
फ़ौज चिल्लाती हे, “हाउ”
मुंड बोलता हे, “महाराज और उस ल्यूको शाऊ का सर्वनाश करना हे.”
फौज चिल्लाती हे, “हाउ...”
महारानी इंदु बोलती हे, “हमला..., बहा दो खून. सींच दो इस धरती को रक्त से.”
एक साथ फ़ौज का काफिला हमला करने को बेताब हे. उनके हाथ तलवार पर जोर से तने हे. छाती चौड़ी हे. और उनकी आँखों में खून उभर आता हे. वह जोर से चिल्लाते हे. भयानक आवाज निकाल कर वह अपनी सहमति देते हे.
तब समुद्र भर चूका हे. अँधेरा घिर चूका हे. समुद्र की आवाज और चिल्लाते लोगों की आवाज. वातावरण आवाजों से भर चूका हे. आने वाला पल इंतज़ार में हे की कब वह आये. अँधेरे में आ रही आवाज अँधेरा घना होते ही कम हो रही होती हे.
महाराज के सामने ल्यूको आता हे. महाराज काफी गंभीर अवस्था में आसपास देख रहे हे. उन्हें इस तरीके से घुमाता देख कर ल्यूको कुछ व्यथित होता हे.
वह कहता हे, “महाराज, आप निश्चिंत रहे. युद्ध की तैयारियां हो चुकी हे. समुद्र तट पर हमारी फ़ौज बस पहुँचती होगी. इस बार उनकी हार निश्चिंत हे.”
महाराज बोले, “उनको में खुद अपने हाथों से मारना चाहता हूँ. इस लिए में खुद जाऊंगा.”
तभी ब्लैक आते हे. वह कहता हे, “महाराज आप निश्चिंत रहिए. इस काम के लिए हमारे पास विशेष तकनीक मौजूद हे. आप इसके इस्तेमाल से युद्ध जित सकते हे.”
ब्लैक तकनीक दिखता हे. वह आँखों पर पहनना होता हे. उससे कुछ रोशनी निकलती हे. महाराजा कुछ समय सोच में गिर जाते हे. पर उसके बाद’ वह उसको पहने के लिए राज़ी हो जाते हे.
ब्लैक कहता हे “ ये न सिर्फ आपको कवच का काम देगा. बल्कि आपको अभेद बनाएगा.”
उसके बाद ब्लैक एक हथियार निकालता हे. उसके बारे में वह बताता हे की वह फेंकने से सामने के सैनिक मारे जाएंगे. और एक तलवार देते हे. जो बंदूक और तीर कमान के तौर पर भी काम आये. उससे निकलती रोशनी फेंकने के लिए इस्तेमाल होता हे.
ल्यूको कहता हे, “महाराज में भी आपके साथ चलूँगा.”
महाराज कहते हे, “मुझे तकनीक से ज्यादा तुझ पर भरोसा हे. तेरे बगैर में युद्ध में नहीं जा सकता.”
ब्लैक उनको लड़ने यंत्र मानव की फ़ौज देता हे. वह युद्ध के लिए निकल जाते हे. ल्यूको ने भी महाराजा वाला कवच पहना हे. उसके पास भी वाही हथियार हे. वे लोग समुद्र तट पर पहुँच कर देखते हे की वहां फ़ौज बहुत ज्यादा हे. वह हमला कर देते हे.
वहां युद्ध छिड़ जाता हे. दुश्मन फ़ौज में कालिंदी और उड्डयन के महाराजा भी शामिल हे. हमला होने ही वाला होता हे की यंत्रमानव की फ़ौज उन पर टूट पड़ती हे. इस वजह से सामने की फ़ौज में भगदड़ मच जाती हे. उसी भगदड़ के बिच महाराज गद्दार पुत्रों को मौत के घाट उतार देते हे. इस वजह से दुश्मन की फ़ौज के हक्के बक्के उड़ जाते हे. वह यंत्र मनाव की फ़ौज हार नहीं मान रही. वह टूटती हे. वापस अपने आप जुड़ जाती हे. जिस वजह से दुश्मन सैनिक थकने लगे.
एक दिन के अन्दर दुश्मन की आधी फ़ौज ख़त्म हो गयी. पर अब समस्या हे कालिंदी और उड्डयन. कालिंदी के लोग जादू टोना जानते हे. वह जादू के सहारे युद्ध जितना चाहते हे. और उड्डयन अपने साथ बर्फ के शैतान ले के आये हे. इस वजह से उनके सामने युद्ध लड़ना मुश्किल होगा.
ल्यूको को अचानक से पता चलता हे. कालिंदी के लोग अपने साथ अजीब जानवर भी ले के आये हे. कालिंदी में काफी रहस्यमय दुनिया हे. पर इस तरीके के अजीब जानवर भी हे. ये बात उनको पता न थी. महाराज और ल्यूको अपनी फ़ौज दो भाग में विभाजित करते हे. दुश्मन को ये बात का जरा भी अंदाजा न था की ऐसा होगा. उनको योजना बनाने का समय न मिला.
ब्लैक के विशेष हथियार की वजह से वह अजीब जानवर भी मारे जाने लगे. जो काफी विशालकाय और भयानक थे. कुछ जानवर के मारे जाने के बाद बाकी के भाग खड़े हुए. जिससे दुश्मन सेना कमजोर होने लगी. वह उस वजह से नई योजना की बात करने लगे.
जब हमला हुआ तब असावधानी की वजह से दुश्मन फ़ौज मारी जाने लगी. तभी महारानी एक यंत्र निकालती हे. वह यंत्र देख कुछ लोगों के होश उड़ जाते हे. यह यंत्र और कुछ नहीं पर वही यन्त्र हे जिसे चुराया गया था. उसे डोंग ने चुराया था. पर इनके पास कैसे? ल्यूको शाऊ सोच ही रहा था की उसके सामने ब्लैक आता हे.
वह उसे और महाराजा को रोकते हुए कहता हे, “रुको महाराज, महारानी के पास जो यंत्र हे वह धातु खिंच सकता हे. इस वजह से आपको नुकसान भी हो सकता हे.”
महाराज बोले, “वैसे मैंने सुना हे. वह यंत्र अब शूट के पास हे. तो, इस के पास क्या कर रहा हे?”
ब्लैक बोला, “महाराज डोंग ने उसकी इक नकल बना ली थी. जो शायद महारानी को दी थी. ये काफी खतरनाक हे.”
महाराज अपने घोड़े से उतर कर जमीन पर आते हे. वह दूर तक देखते हे. फिर जोर की साँस लेते हे.
वह कहते हे, “मैंने महारानी को सब कुछ दिया. पर शायद में अपनी की गलती को सुधार नहीं पाया.”
महाराज घुटनों के बल बैठ जाते हे. और जोर - जोर से रोने लगते हे. उसको रोता देख महारानी के आँख में आंसू आ जाते हे. बड़ी से बड़ी लड़ाई जितने वाले महाराजा भी आखिर अन्दर से कमजोर और भावना शील हे. ये देख महारानी युद्ध छोड़ कर उनके पास आती हे. ल्यूको उनको फिर से एक होने को कहता हे. वह एक हो भी जाते हे. पर ये सब देख कर मुंड बौखला जाता हे.
वह जोर से चिल्लाता हे, “महारानी जी, और मेरी प्यारी बहाना. तू भले ही भूल जाए पर मुझे दुनिया पर राज करना हे. तो सबसे पहले महाराजा को मरना ही पड़ेगा. उसके बाद ही हम दुनिया के तमाम राज्य को जित सकते हे.”
महारानी उदासीनता के साथ महाराज को कहती हे, “महाराज ये मेरी ही गलती का परिणाम हे.”
महाराज बोले, “शायद हम दोनों की. यदि हम समझदार होते. तो, ये नोबत ही न आती.”
ब्लैक बोला, “अभी दुःखी होने का समय नहीं हे. मुंड के पास वह यंत्र हे. इसे ल्यूको शाऊ ही सुलझेगा.”
ल्यूको आश्चर्य करता हे, “में, पर कैसे?”
ब्लैक कहता हे, “याद हे. तुम्हें दी वह ताकत जो महाराज को खोजने में इस्तेमाल की थी. बस वही हमारी मदद करेगी.”
ल्यूको बोला, “ठीक हे. वह अपनी ताकत का इस्तेमाल करता हे. वह काफी तेज हो जाता हे. तब ब्लैक उसे कोई गोली खाने को देता हे. वह उस गोली को निगलने के बाद कुछ अजीब महसूस करता हे.”
वह आगे बढ़ता हे. वह पहुँच जाता हे सीधे मुंड के पास. तब वह यंत्र में कुछ कर रहा हे. वह बहुत ही जल्दी उसमें बदलाव करता हे. उसी बदलाव का परिणाम आता हे की वह धातु को सिकुड़ कर उस यंत्र में संग्रहीत करने लगता हे. ये काम उसमें से निकलने वाली रोशनी करती हे. ल्यूको उसके हाथ से छीन कर वापस आ जाता हे. उसकी रफ्तार समय में होने की वजह से जब वह मुंड के हाथ से उसे छिनता हे. मुंड अपने आपको संभाल नहीं पाता. ल्यूको वह यंत्र ब्लैक को देता हे. ब्लैक मुंड को इक ही वर में समाप्त कर देता हे.
मुंड या राजसी परिवार की हार से कुछ नहीं होता. असली मुद्दा वह राजा हे. जिन्हें अभी हराना बाकी हे. कुछ पल के लिए ल्यूको कुछ सोच में गिर जाता हे. वह और ब्लैक कुछ बात करते हे. तब ल्यूको जमीन पर अपने पैर गड़ता हे. और जोर से गति करता गायब हो जाता हे. वह इस समय के भीतर हे. अपनी ताकत को उन राजाओं की तरफ लगता हे.
ल्यूको की ताकत जिसे वह बढ़ा रहा हे. ऐसा करते ही उसमें बदलाव आते हे. वह अब उन दुश्मन की मन की आवाजों को सुन भी रहा हे. उसे जो आवाजें सुने दे रही हे. वह काफी अस्पष्ट और तेज हे. ऐसा लगता हे. कोई उन आवाजों को रोक रहा हे. तभी उसके सामने उसे उस उन राजाओं का सरदार दिखाई देता हे. वह भी वही ताकत का इस्तेमाल कर रहा हे. जो ल्यूको शाऊ इस्तेमाल कर रहा हे.
दोनों आमने सामने आ जाते हे. राजाओं का सरदार कहता हे, “कुल्लुब्बा मुक्नाननाणब्बी बानजेल्लाराल्लातात्बी तातेल्लि आलौसरौल्लीढेल्ली. मुक्केल्लीलेमोल्लीबिट्टा कोंणल्ली”
ल्यूको अब अपनी ताकत के जोर पर हे. वह भाषा नियंत्रण कर सकता हे. वह भाषा को पहचान जाता हे. वह इन. वह उसका मतलब भी समझ जाता हे. उसका मतलब ये हे की उस सरदार ने वह औषधि जिससे अन्दर की ताकत चार गुना हो जाये. या बढ़ जाये. उसने अपने वैध से बनवाई हे.. दोनों अपनी ताकत के सबसे बड़े मोड़ पर खड़े हे. उनकी ताकत दुनिया पर भी असर कर रही हे.
दूसरी तरफ राजा रानी दूर रोशनी का गोला देखते हे. जो आसपास की तमाम चीजों को हवा में बदल कर ख़त्म कर रहा हे. इतनी ताकत देख कर ब्लैक भी सहम जाता हे. तभी वह एक यंत्र निकल कर उसमें चांप दबाता हे. उस वजह से सब कुछ रुक जाता हे. वह चल कर वहां जाता हे. वहां जाने के बाद वह तमाम लुटेरों की ताकत को ताला लगता हे. जिस वजह से अब लुटेरे अपनी ताकत इस्तेमाल नहीं कर सकते ब्लैक वापस आ कर सब कुछ पहले जैसा कर देता हे.
अचानक अपनी ताकत को खोया देख वह सरदार बौखला जाता हे. अपनी पूरी ताकत से एक ऊर्जा घेरा बनाकर उसमें लुटेरों को कैद कर देता हे. ब्लैक उनको समय में बाँध देता हे. जिससे वह मुर्दे की तरह पड़े रहे. जब तक की कोई उसे जगा न दे.
युद्ध समाप्त हो गया. महारानी ने कसम खाई की वह कभी बैर नहीं रखेंगी. पर इस बिच जो नदिया बही वह खून की नदिया थी. उसमें तीनों राजकुमार और मुंड का खून भी शामिल था . उसे अब कोई भी वापस नहीं ला सकता. शायद यही महारानी की सज़ा थी.
ल्यूको शाऊ और ब्लैक दोनों उन राजाओं को सूर्य के अन्दर ऊर्जा घेरे में रख दिया. कभी भागने की कोशिश की तो सूर्य की गरमी ही उसे मार दे.
इस तरफ महाराज और महारानी ल्यूको शाऊ के इंतजार करते हे. वल्ली भी महाराज के साथ हे. सब वापस राजमहल जाते हे. वहां सब का फूलों से स्वागत किया जाता हे. पूरे नगर के साथ राजमहल भी जगमगाया हे.
महाराज बोलते हे, “अरे! अब कोई हमला नहीं करेगा ना? जब भी राज महल को सजाया जाता हे. तब कोई न कोई हमला करता हे.”
महारानी बोलती हे. “महाराज, जीवन बहते पानी की तरह हे. आगे क्या होगा ये तो कोई भी नहीं जानता. पर इतना बता दूँ की आगे जो भी होगा. राजसी परिवार और ल्यूको शाऊ साथ में होंगे.” सब तालियों से ख़ुशी जाहिर करते हे.
पूरा राजसी परिवार ल्यूको शाऊ के परिवार के साथ राजसी भोजन का आस्वाद लेने में व्यस्त हो जाते हे. हाँ वल्ली का परिवार भी हे यहाँ. वहां विस्फोट के बाद कही चली गयी रीबी भी अपने काम पर वापस आ कर सेवा दे रही हे.
वह वृद्ध किताब को अंत में लिखता हे. वह पल यादगार था. उसे शायद कभी भुलाया नहीं जा सकता. फिर अपना नाम ल्यूको शाऊ लिख कर बंध करता बोलता हे. “बस आज इतना ही. आगे लिखने फिर कुछ खाना होगा.” वह चला जाता हे.
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