विज्ञान की कहानियाँ DR JAGDISH LACHHANI द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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विज्ञान की कहानियाँ

विज्ञान की कहानियाँ

डाॆ. जगदीश लछाणी


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अनुक्रमणिका

१.लोरी का जादू

२.सोने क े बिस्क ुट

३.कि स्सा रोबोट क ुमारी क ा

४.क म्प्यूटर क ी क रामात

५.एटमिक धमाक ा

६.क म्प्यूटर क ी भविष्यवाणी

७.ब्लैक बाक्स

८.महाप्रलय

१. लोरी क ा जादू

एक था राजा । नींद उससे क ोसों दूर भागती । वह सोने क ी बहुत क ोशिश क रता, लेकि न सब व्यर्थ । उसक ी आंखों में नींद क हाँ ! वह जागता रहता और सोचता रहता । निद्रा क ो जितना ही वह अपने पास बुलाने क ी क ोशिश क रता, वह उतना ही उससे दूर भागती । दिन क ो राजदरबार में क ार्य क रते समय, उसे झपकि याँ आती । राजदरबारी यह सब देखते, लेकि न वे क्या क र सक ते थे ।

राजा अपनी इस अनिद्रा क ी बीमारी से निजात पाना चाहता था । उसने राजवैद्य क ोअपने पास बुलाया और अपनी समस्या सामने रखी । राजवैद्य ने राजा क ा इलाज अनेकऔषधियों से कि या लेकि न राजा क ो क ोई फ ायदा नहीं हुआ । आसपास क े दूसरे बड़े बड़ेवैद्यों ने भी राजा क ी इस बीमारी क ा इलाज कि या लेकि न फि र भी राजा क ी बीमारी दूर नहीं हुई । नींद मानो राजा से रूठ गयी थी । राजमहल में सब चैन क ी नींद सोते रहते, लेकि न राजा जागता रहता । राजा ने राजवैद्य, हक ीमों एवं विशेषज्ञों क ी अनेक गोलियों एवंऔषधियों क ा सेवन कि या लेकि न फि र भी राजा क ी अनिद्रा क ी बीमारी दूर नहीं हुई । राजा बहुत सोच में पड़ गया । वह क्यार क रे ? क ुछ सोचक र राजा ने विचार विमर्श क े लिएमंत्रियों क ी एक सभा राजमहल में बुलाई । सब मंत्रीगण अपने अपने स्थान पर विराजमान हुए । राजा ने मंत्रियों क ो अपनी स्थिति से अवगत क राया । राजा ने क हा, ‘‘मुझे रात क ो नींद नहीं आती । सारी सारी रात जागता रहता हूँ । बताइए, मैं क्या क रुँ ?’’

मंत्रियों में विचार विमर्श होने लगा । बहुत सोच विचार क े बाद उन्होंने एक राय बनाई ।

मुख्यमंत्री ने आगे बढ़क र राजा क ा अभिवादन कि या और क हा, ‘‘राजन, हमारा विचार है कि सारे देश और आसपास क े इलाक ों में यह ढिंढ़ोरा पिटवाया जाय कि जो भी राजा क ीअनिद्रा क ी बीमारी दूर क रेगा उसे हीरों से भरा हुआ थाल इनाम में दिया जाएगा और साथ ही उसे राज्यदरबार में एक बड़ा पद भी प्राप्त होगा ।’’ हीरे और पद क ी लालच में आक र बहुतों ने क ोशिश क ी, किं तु सफ लता कि सी क ो नहीं मिली । लेकि न सफ लता मिली एकअत्यंत ही साधारम मोहन नाम क े व्यक्ति क ो, अपनी माँ क ी बदौलत ! मोहन क ी माँ थीतो अनपढ़, लेकि न बड़ी ुद्धिमान ! उसे मालूम था कि नींद क ैसे क राई जाती है । बचपनमें उसक ा लड़क ा मोहन बड़ा ही नटखटएवं शरारती था । वह रात क ो देर देर तक जागता रहता । मोहन क ी माँ उसे लोरियाँ सुना सुनाक र ही सुलाती थी । वह जानती थी कि लोरियों में ग़ज़ब क ी शक्ति होती है । उसने राजा क ो नींद क राने क े लिए उसने उसी तरक ीब क ा इस्तेमाल कि या । उसने बहुत ही मधुर मधुर लोरियाँ टेप रिक ार्डर पर टेप क रायी । मोहन रात्री क े समय वह टेप रिक ार्डर राजा क े सोने क े क मरे में गुप्त रुप से रख देता । मधुर मधुर लोरियों से राजा क ो नींद आने लगती और धीरे धीरे राजा क ो जो अनिद्रा क ी बीमारी थीवह दूर हो गई । अब राजा क ो नींद से क ोई शिक ायत नहीं थी । वह लोरियों क े मधुर स्वरमें चैन क ी नींद सोने लगा । मोहन क े तो अब पौ बार हो गये । राजा ने न क ेवल उसे क ीमती हीरों क ा थाल इनाम में दिया, बल्कि दरबार में एक अच्छी खासी नौक री भी दी ।

अब माँ बेटे दोनों ही खुश थे । दोनों क ा समय आनंद और खुशी से बीतने लगा ।

२. सोने क े बिस्क ुट

एक था मछुआ । उसक ा नाम रामगोपाल था । वह मुंबई क े उपनगर में निवास क रता था । मछलियाँ पक ड़ना और उन्हें बेचना उसक ा व्यवसाय था । यही उसक ी आजीविक ा भी थी । क ई बार ऐसा भी होता कि समुद्र में जाल फ ेंक ने पर भी क ोई मछली उसक े हाथ न लगती । वह निराश होक र घर लौटता ।

मछलियाँ पक ड़ में न आने पर क ई बार रामगोपाल और उसक ी पत्नी क ो भूखे पेटसोना पड़ता । उनक ो एक बेटा था । उसक ा नाम हरि था । रामगोपाल खुद भूखा रहता, लेकि न अपने बेटे क ी शिक्षा क ा पूरा पूरा ध्यान रखता । हरि मुंबई क े एक क ाॆलेज में विज्ञान क ा छात्र था । वह बड़ा ही होनहार एवं परिश्रमी था । होशियार और बुद्धिमान भी ! उसने विज्ञान में नए नए आविष्क ार क र सबक ो आश्चर्यचकि त क र दिया था । क ाॆलेज क े प्राचार्यउससे बहुत ही प्रसन्न थे और उसक े क ार्यो क ी खुलक र प्रशंसा कि या क रते थे । हरिने एक रोबोट बनाया जो जीवित प्राणियों क ी भाँति क ार्य क रता । क ाॆलेज क े अधिक ारी गण हरि क े इस आविष्क ार से बहुत ही खुश थे । हरि क ो उन्होंने प्रोत्साहन देने क े लिए उसे क ाॆलेज क े वार्षिक उत्सव क े अवसर पर सोने क ा एक रोबोट प्रदान कि या ।

हरि क े पिता भी प्रसन्न थे । हरि ने पिता क ो बताया कि रोबोट उन्हें समुद्र मेंमछलियाँ पक ड़ने में भी मदद क रेगा । समुद्र क े भीतर जाक र, वहाँ क ी मछलियों क ी हमे ंजानक ारी देगा । हम उसे रिमोट क ंट्रोल से चला पाऐंगे और उसक ी बात भी सुन सक ेंगे । रामगोपाल अपने बेटे हरि क ी ये बातें सुनक र बहुत ही प्रसन्न हुआ ।

रामगोपाल अब चिंता मुक्त हो गया । वह आराम से समुद्र क े कि नारे जा बैठता और रोबोट क ो समुद्र में उतार देता । रोबोट से मछलियाँ पक ड़ने में उसे बड़ी मदद मिलने लगी ।

उसक ी पत्नी भी प्रसन्न थी । धीरे धीरे रामगोपाल क ा क ारोबार बढ़ने लगा और अच्छीखासी आमदनी भी होने लगी । दूसरे मछुए राम गोपाल क े भाग्य से अब ईर्ष्या क रने लगे । क ाॆलेज बंद थे । हरि छुट्टियाँ बिताने अपने घर आया हुआ था । बेक ार बैठना उसे कतईपसंद न था । वह भी पिताजी क े साथ मछलियाँ पक ड़ने क े लिए समुद्र क े तट पर जानेलगा । वह पिताजी क ी मदद क रने में बड़े आनंद क ा अनुभव क रता । आनंद क ा आनंद और रोज़गार क ा रोज़गार !

एक दिन हरि और उसक े पिताजी समुद्र क े कि नारे आए । उन्होंने रोबोट क ो गहरे पानी में उतार दिया । क ुछ समय क े बाद रोबोट ने सूचना दी कि वह मगरमच्छ क े पेड में पहुँच गया है । और उसक पेट में हजारो सोने क े बिस्क ुट मौजूद हैं ।

रामगोपाल रोबोट क ी बात सुनक र आश्चर्यचकि त हो गया । उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था । वह सोचने लगा - ‘अब तो मैं क रोड़पति हो जाऊँ गा ।’ वह खुशी क े मारे नाचने लगा !

हरि ने अपने पिताजी क ो समझाते हुए क हा, ‘‘पिताजी, आपक ो मालूम होना चाहिए कि घर में सोने क े विस्क ुट रखना एक क ानूनि अपराध है । अगर कि सी क े घर सें एक लाखसे अधिक बिस्क ुट पाए जाते है तो उस पर क ानूनी क ार्यवाही क ी जाती है । उसे सज़ा भी हो सक ती है ।’’

हरि क ुछ देर रूक ा फि र बोला, ‘‘अगर हम सोने क े बिस्क ुटों क ी जानक ारी सरक ार क ो देते हैं, तो सरक ार हमें सोने क ी क ीमत क ा बीस प्रतिशत पुरस्क ार स्वरूप प्रदान क रेगी ।’’ फि र क्या था हरि ने रोबोट क ो आज्ञा दी कि वह मगरमच्छ क ो विद्युत क ा क रंट देक रसमुद्र क े तट पर ले आए । और रोबोट ने वैसा ही कि या !

इस बीच क स्टम क े बड़े अधिक ारी हरि क ी सूचना मिलने पर गाड़ियों क े साथ समुद्र क े तट पर आ पहुँचे । रोबोट ने अपनी बिजली क ी तारों से मगरमच्छ क ो मार गिराया था ।

मगरमच्छ क ा पेट क ाटा गया । मगरमच्छ क े पेट से हज़ारों क ी तादात में सोने क े बिस्क ुट बाहर आ गिरे । क स्टम-अधिक ारी इतना सारा सोना सामने देख हैरान हो गये लेकि न वेसमझ गये क ी इतने सारे बिस्क ुट मगरमच्छ क े पेट में क ैसे गए होंगे । चोरी क ा धधा क रनेवालों ने बिस्क ुट बोरियों में डाल समुद्र में छिपा दिए होंगे । यह सोचक र कि अवसर मिलने पर सोना बाहर निक ाल बाज़ार में बेचेंगे । परन्तु मगरमच्छ उन बोरियों क ो भोजन समझक र निगल गया होगा । खैर ! सोने क ो सरक ारी खज़ाने में जमा कि या गया । और सोने क ी क ीमता का बीस प्रतिशत हरि और रामगोपाल क ो सरक ार की ओर से पुरस्क ार स्वरूप प्राप्त हुआ ।

अब रामगोपाल और हरि क ी ईमानदारी क े चर्चे होने लगे ।

३. कि स्सा रोबोट क ुमारी क ा

एक था राजा । नेक , सज्जन और ज्ञानी । धन-दौलत क ी उसे क ोई क मी नहीं थी ।

उसे एक बेटा था । राजा जब बूढ़ा हुआ तो उसे यह चिंता सताने लगी कि उसक े मरने क े बाद राज्य क ा क्या होगा ? राज्य क े नियमानुसार विवाहित राजक ुमार ही राजा बन सक ता था । राजक ुमार शादी क े लिए तैयार नहीं था । उसने बहुत सी राजक ुमारियाँ देखी, लेकि न क ोई भी उसे पसंद नहीं आई । राजा इसलिए अत्यंत दुःखी था । उसे अपनी मृत्यु अपनेसामने नज़र आ रही थी । एक दिन राजक ुमार राज उद्यान में टहल रहा था तो उसने वहाँ एकअत्यंत ही सुंदर युवती क ो देखा । राजक ुमार उस पर मोहित हो गया । राजक ुमार क े जासूसों ने उस खूबसूरत क ुमारी क ा पता लगाया । वह सुंदर क ुमारी उसक े ही राज्य क े प्रसिद्धवैज्ञानिक एक्स-वाई क ी बेटी थी । उसक ा नाम जे़ड था ।

राजा यह समाचार सुनक र बहुत ही प्रसन्न हुआ । उसने वैज्ञानिक एक्स-वाइ क े दरबारमें बुलाया । राजा ने भूमिक ा बांदे बिन एक्स-वाइ क ो क हा, ‘‘मिस्टर, एक्स-वाइ, हमारा राजक ुमार तुम्हारी लड़क ी जे़ड से शादी क रना चाहता है, इसलिए जाओ और शादी क ीतैयारियाँ क रो । मैं चाहता हूँ कि यह विवाह शीघ्र ही सम्पन्न हो ।’’ मिस्टर एक्स-वाइ परमानो बिजली गिर गई । वह अत्यंत ही घबरा गया । हाथ जोड़ वह राजा से अनुनय - विनय क रने लगा ‘‘महाराज ! यह संभव नहीं है ।’’

राजा आग बबूला हो गया । उसने घोषणा क र दी क ी आज शाम क ो राजक ुमार क ा विवाह जे़ड से होगा । और सचमुच राजक ुमार क ा विवाह एक्स-वाई क ी लड़क ी ज़ेड क ेसाथ बड़े धूमधाम क े साथ सम्पन्न हुआ । राजा ने उसी शाम राजक ुमार क ो राज मुक ुट भी पहना दिया । चारों ओर राजक ुमार क ी जय जय क ार होने लगी ।

रात हुई । राजक ुमारने (अब राजा) अपने ख्वाबों क ी मल्लिक ा ज़ेड क े साथ सुहागरातमनाने क े लिए महल में प्रवेश कि या । जैसे ही राजक ुमार ने ज़ेड क ा स्पर्श कि या तो वह उसे बफर् क ी नाई सर्द सी प्रतीत हुई । वह असमंजस में पड़ गया । ठीक उसी समय कि सी ने दरवाज़े पर दस्तक दी । राजक ुमार ने आगे बढ़क र दरवाज़ा खोला तो उसे अपना ससुरमिस्टर एक्स-वाइ दिखाई दिया । उसक े साथ जे़ड से मिलती-जुलती एक अत्यंत सुंदर सी क न्या भी थी । एक्स-वाइ ने राजक ुमार से क हा, ‘‘राजक ुमार, जिस लड़क ी से तुम्हारा विवाह हुआ है, वह सच्ची जेड़ नहीं है । वह तो रोबोट क ुमारी है । मैंने वैज्ञानिक अन्वेषण क र रोबोटक ुमारी क ा आविष्क ार कि या था जो एक जीवित प्राणी क ी भाँति व्यवहार क रती है ।

क ोई इस बात क ो नहीं जानता कि यह रोबोट क ुमरी है । राजक ुमार, मैं सच्ची ज़ेड क ोभी अपने साथ लाया हूँ, जो मेरी बेटी है । यह विज्ञान क ी उच्च शिक्षा प्राप्त क रने क े लिए विदेश गयी थी । विशेष विमान द्वारा उसे वहाँ से वापस बुलाया गया है । आप उसे देखसक ते हैं । राजक ुमार ने मुड़क र उसक ी ओर देखा । वह उसे रोबोट क ुमारी से भी अधिकखूबसूरत दिखाई दी । मिस्टर एक्स-वाइ अपने साथ एक पंडित भी विवाह विधि सम्पन्न क राने क े लिए लाए थे । राजक ुमार क ा अब नये सिरे से उस क ुमारी क े साथ विधिवत्‌ विवाह हुआ । उस बात क ा ज्ञान अंत तक कि सी क ो नहीं हुआ कि रोबोट क ुमारी क ी अदला-बदलीएक जीवित क ुमारी से हुई है । राजक ुमार बहुत ही प्रसन्न थे । उसे सपनों क ी रानी जो प्राप्त हुई थी !

४. क म्प्यूटर क ी क रामात

रविवार क ा दिन था । पाठशालाएँ बंद थी । बच्चों क ी एक वानर सेना टहलते टहलतें बग़ीचे में आ पहुँची । बग़ीचे में उन्होंने क ईं आम क े पेड़ देखे । आमों क ो देखक र, उनक ेमुँह में पानी आ गया । बच्चों ने आमों क ो पत्थर मारना शुरु कि या । क ईं आम आक र जमीन पर गिरे । उन्होंने आम खाए और कुहराम मचाया । अचानक रमेश नामक एक लड़क े क ी निगाह पेड़ क े घोंसलों पर जा पड़ी । घोंसलों में छोटे छोटे सफ ेद अंडे साफ दिखाई देते थे । उसे शरारत सूझी । उसने ज़मीन से पत्थर उठाए और घोंसलों क ो मारना प्रारंभ कि या । अन्य लड़क े भी रमेश क ी देखा-देखी में ऐसा ही क रने लगे । रमेश तो पेड़ पर भी चढ़ गया । पत्थर लगने से घोसलों क े अंडे टूटक र जमीन पर गिर गये और उनमें समाए हुए जीव, जन्म लेने से पहले ही मृत्यु क ो प्राप्त हुए । पेडों पर बैठे अनेक क ौओं ने यह दृश्य देखा । उन्होंने एक साथ मिलक र ‘क ाँ’ ‘क ाँ’ क रना शुरु कि या । ऐसा लगता था कि वे घोंसले उन क ौओं क े थे और वे अपने बच्चों क ी असमय मृत्यु पर दुःखी होक र ‘क ाँ’ ‘क ाँ’ क र रहे थे ।

अचानक वहाँ से एक अध्यापक गुज़रा । उसक े हाथों में एक क म्प्यूटर था । उस क म्प्यूटर क ी यह विशेषता थी कि वह कि सी भी पक्षी या जानवर क ी भाषा क ा रुपांतर हिंदी या अंग्रेजी भाषा में क र सक ता था । क म्प्यूटर ने क ौओं क ी भाषा क ा हिंदी में अनुवाद क रते हुए क हा : ‘ये क ौए क ह रहे हैं कि ये घोंसले, जो शरारती बच्चों ने नष्ट कि ए हैं, उनक े नहीं थे । वे तो अपने अंडो क ो सदैव दूसरों क े घोसलों में ही रखते हैं । और उन्हीं घोंसलो क े अंडो से बच्चे पक्षी बन, हमारे पास उड़क र चले आते हैं ।

५. एटमिक धमाक ा

पड़ोसी देश शत्रुता क े क ारण भूमिगत एटमिक प्रयोग क र रहा था । उसक े व्यवहार से लगता था कि वह क भी भी मारे देश पर बम गिरा सक ता है । लेकि न हमारा शांति प्रिय देशएटमिक एवं हैड्रोजन बम विस्फ ोट क े पक्ष में नहीं है ।

देश क ी जनता पड़ोसी देश क े बम विस्फ ोट से बेहद ही डर गयी थी । वह चाहती थी कि हमारा देश भी पड़ोसी देश क े दहशतनाक क ारनामों क े मुँहतोड जवाब दे ताकि हमारे गैस और पेट्रोल क े क ारखाने, जो बीच समुद्र में क ार्यरत हैं, उनक ी रक्षा हो । लेकि न सरक ारयह मानने क ो तैयार नहीं थी । उसक ी नीति युद्ध विरोधी और शांति क े पक्ष में थी । विदेशीमुद्रा क ा अभाव भी उसक ा एक क ारम हो सक ता है । अचानक पड़ोसी शत्रु ने, सरहद (रु.ह्र.ष्ट.) क े पास भी एटमिक प्रयोग शुरू क र दिए । सरहद क े पास रहने वाले लोग डर क े मारे शहरों क ी ओर भागने लगे । सरहद क े क ुछ दूर, एक सुनसान मंदिर था । क ुछ लोगों ने उस मंदिर में जाक र शरण ली ।

पड़ोसी शत्रु ने जैसे ही सरहद क े पास शक्ति शाली हैड्रोजन बमों क ा विस्फ ोट कि यातो धरती में दरार आ गयी और मज़े क ी बात देखिए उस दरार से तेल निक लने लगा । साथ ही जिस जीर्ण मंदिर में गाँववालों ने जाक र पनाह ली थी, वहाँ पडी एक पुरानी भगवान क ीमूर्ति दो टुक डों में बंट गई और मूर्ति से क ीमती हीरे-जवाहर और पुरानी स्वर्ण मुद्राएँ निक लने लगी । यह दृश्य देखने योग्य था ।

हमारा देश देखते देखते अमीर हो गया । पड़ोसी देश भी शांत हो गया । पहले जो हमारे शत्रु थे, वे अब हमारी हर बात मानने लगे ।

६. क म्प्यूटर क ी भविष्यवाणी

हाल ही में धूमक ेतु गुरु ग्रह से टक राया था । इक टक राव से जो नुक सान हुआ,उसक ी जानक ारी समाचार-पत्रों, रेडियो और टेलिविझन ने लोगों क ो दी । टेलीवीझन परऐसे टक राव क े उनक े दृश्य एवं तस्वीरें भी दिखाई गयी । इस दुर्घटना क ी भविष्यवाणीभारतीय वैज्ञानिक बहुत पहले क र चुक े थे । वे बता चुक े थे कि अमुक दिन धूमक ेतु गुरु ग्रहसे टक राएगा और यह दहशतनाक दृश्य क ुछ समय तक चलेगा । और ऐसा ही हुआ । आज क े समाचार पत्रों में फि र एक सनसनीखेज़ खबर आई है । रेडियो एवं टेलीवीज़न ने भी इससमाचार क ी पुष्टि क ी है ।

हमारे वैज्ञानिक ों ने फि र एक भविष्यवाणी क ी है कि आज से पूरे पच्चीस दिन बादएक धूमक ेतु पृथ्वी पर गिरने वाला है । धूमक ेतु अग्नि क ा बड़ा गोला बन ताँडव नृत्य क रता हुआ, धरती से आ टक राएगा । धूमक ेतु क े धरती पर गिरने से भयंक र विनाश क ी स्थितिउत्पन्न होगी ।

वैज्ञानिक ों ने लोगों क ो सचेत कि या कि वे इस स्थिति से खुद क ो बचाने क ी क ोशिश क रें । लेकि न यह निश्चि तौर पर नहीं क हा जा सक ता कि वे खुद क ो बचा पाएंगे या नहीं । वैज्ञानिक ों ने यह बी क हा कि अगर लोग बफर् ीले पहाड़ों क ी शिखाओं पर जाक र शरण ले तो उनक े बचने क ी संभावना है । उन्होंने चेतावनी देते हुए क हा कि लोगों क ो चाहिए किवे नदियों एवं सागर से खुद क ोदूर रखें । धूमक ेतु में इतनी उष्णता होगी कि वह सबक ो

जलाक र भस्म क र सक ता है ।

इस भविष्यवाणी से लोग अत्यंत भयभीत हो गये । लोगों क ा आखिरी सहारा भगवान होता है । उन्होंने जाक र भगवान क ी शरण ली । मंदिरों में पूजा-पाठ होने लगा । हवन आदि प्रारंभ हो गए । रात होती तो लोग दूरबीन से आक ाशक ी ओर देखने लगते । अगर क भी क भार आसमान से बिजली गिरती तो लोग भय क े मारे क ांप उठते और उन्हें वैज्ञानिक ों क ीभविष्यवाणी सत्य दिखाई देती ।

लोगों ने डर क े मारे खाना-पीना छोड़ दिया । उनक ी आँखों क े सामने सदैव मृत्यु ही नाचती रहती । बच्चों में भी डर बैठ गया था । वे भी खेलना क ूदना भूल गये । स्त्रियों ने श्रृंगार क रना छोड़ दिया । सारी पृथ्वी क ो जैसे साँप सूंघ गया हो । लोगों ने आपस में झगड़ना तक छोड़ दिया । मिलें और क ारखाने भी बंद हो गए । लोगों क ा जैसे माया सेमोह ही निक ल गया था । आठ-दस दिनों क े बाद समाचार पत्रों, रेडियो एवं टेलीवीझन परयह सूचना आई क ी वैज्ञानिक ों ने जो महाप्रलय क ी भविष्यवाणी क ी थी, वह एक क म्प्यूटर क े आधार पर क ी थी । जाँच-पडताल एवं सूक्ष्म निरीक्षण क े उपरांत यह ज्ञा हुआ है कि यह क म्प्यूटर क ी गलती थी । धूमक ेतु पृथ्वी क े दायरे में प्रवेश क रने में और हजारों साल लगनेवाले हैं । यह समाचार सुनक र लोगों क े चेहरे खिल उठे और उन्होंने चैन क ी सांस ली ।

७. ब्लैक बाक्स

ए.बी.सी. क म्पनी क े विमान चालक ने एयर पोर्ट क े क ंट्रोल रूम क ो सूचना दी किवे मुंबई महासागर से एक सौ मील क ी दूरी पर, समुद्र क े उपर से उडान भर रहे हैं । उसनेसूचना दी, ‘‘हमारे विमान में दो सौ यात्री और पंद्रह विमान क र्मचारी हैं । दुबई से उडानभरते समय विमान क ी दोनों इंजनें बराबर क ाम क र रही थी । उनमें क ोई खराबी नहीं थी ।

इंजनो में आवश्यक फ्युल (स्नह्वद्गद्य) भी डाला गया था । अब दोनों इंजनें लाल बत्ती दिखा रही है, जिसक ा मतलब है उनमें फ्यूल बिलक ुल ही नहीं है । एक इंजन ने तो क ाम क रना ही बंद क र दिया है और दूसरी इंजन फ्यूल न मिलने क ा संक ेत बराबर क र रही है । अब हमवापस लौट रहे हैं । शीघ्र ही अपने एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग क रनेवाले हैं ।’’ और फि र विमान क ा क ंट्रोल रूम से सम्पकर् ही टूट गया । दो घंटे बीत गए लेकि न ए.बी.सी. विमान न जाने क हाँ गायब हो गया । एयरपोर्ट क े अधिक ारी चिंता मग्न हो गये । विमान क ा पता लगाने क े लिए उन्हों ने दूसरे विमानों क ो आक ाश में भेजा, लेकि न विमान नही मिला ।

इसी बीच उन्हें जल अधिक ारियों द्वारा सूचना प्राप्त हुई कि एक विमान क्षतिग्रस्त होक र समुद्र में गिरा है । उन्होंने यह भी बताया कि जहाज़ कि स स्थल पर धराशाही हुआ है । अब जहाज़ क ो पानी से बाहर निक ालने क ी क ोशिशें होने लगी । होशियार गोताखोरों क ो समुद्र क े भीतर भेजा गया । अन्ततः वे पानी में गिरे विमान क ो ढूँढने में तो सफ ल हुए लेकि न क ोई भी प्राणी जीवित नहीं था । गोताखोर गहरे पानी से यात्रियों और विमान क र्मचारीयों क े शवों क ो बाहर निक ाल लाए ।

लेकि न ब्लेक बाक्स क ा क हीं पता नहीं था । ब्लैक बाक्स हर विमान में रहता है । इस क ी विशेषता यह है कि विमान चालक या विमान क र्मचारी जो वार्तालाप क रते हैं, वह ब्लैक बाक्स में रिक ार्ड होता जाता है । ब्लैक बाक्स पर अग्नि, वायू आदि क ा क ोई प्रभाव नहीं पड़ता । ब्लैक बाक्स से ही पता लगता है कि एयरपोर्ट क े क ंट्रोल रृम से सम्पकर् टूटनेसे पहले विमान चालक क ी क ंट्रो रूम अधिक ारीयों से क्या बातचीत हुई थी । क ंट्रोल रुमसे सम्पकर् टूटने पर यात्री भय और आतंक में आक र आपस में जो बातें क रते हैं, वह भी ब्लैक बाक्स अपने रिक ार्डर में रिक ार्ड क रता रहता है ।

गोताखोरों ने ब्लैक बाक्स क ो ढूँढने क ी बहुत क ोशिश क ी, लेकि न सब व्यर्थ !

क भी क भार ऐसा भी होता है कि विमान क्षतिग्रस्त होक र शहरों और गाँवो क े मक ानों पर जा गिरता है ।और वे सब मक ान, क ारखाने एवं उद्योगस्थल अग्नि में जल क र स्वाहा होजाते हैं । इस प्रक ार क ी घटनाएँ और वारदातें आए दिन हम अखबारों में पढ़ते हैं और दूरदर्शन पर भी देखते हैं । विज्ञान क ी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्क ी से हम सभी परिचित हैं । इस ए.बी.सी. क म्पनी क े विमान क े ब्लैक बाक्स क ो होशियार गोताखोर तो ढूँढ नहीं पाए लेकि न उसे एक रोबोट ने ढूँढ निक ाला । वह ब्लैक -बाक्स ऐसी जगह था, जहाँ गोताखोरों क ा पहुँचना बड़ा ही मुश्कि ल था ।

ब्लैक -बाक्स क े प्राप्त होते ही विमान क ी दुर्घटना क े क ारणों क ा पता लग गया । ब्लैक -बाक्स क े टेप रिक ार्डर क े द्वारा उस वार्तालाप क ी जानक ारी प्राप्त हुई, जो मृत्यु से पहले विमान चालक एवं अन्य क र्मचारियों क े बीच हुई थी । उसक ा अर्थ यह था कि विमानमें फ्यूल था । दबोई से रवाना होने पर विमान क ी दोनों इंजने बराबर क ाम क र रही थी, लेकि न फि र भी इंजनों क ो फ्यूल नहीं मिला । क ारण यह था कि जिन तारों क े द्वारा फ्यूल क ी प्राप्ति इंजनों क ो होती है, उनक ो चूहों ने अपने तेज़ दाँतो से क ाट दिया था । परिणाम स्वरूप ए.बी.सी. क म्पनी क ा विमान फ्यूल न मिलने क े क ारण समुद्र में जा गिरा ।

८. महाप्रलय

आप कि सी भी नगर या महानगर क ी ओर देखिए - आपक ो पेट्रोल और डीज़ल पर चलने वाली बेशुमार क ारें, ट्रक ें एवं ओटो-रिक्शाएँ दिखाई देंगी । इन गाड़ियों से निक लने वाला धुआँ वातावरण क ो बेहद दूषित बना देताहै । और यह दूषित धुआँ मानव जाति क े लिए कि तना हानिक ारक है, यह हम सभी जानते हैं । आए दिन अखारों एवं टेलीवीझन पर यह समाचार सुनने क ो मिलता है कि अमुक क ारखाने क े विषैले धुँए ने न क ेवल असंख्य लोक ों क ो अस्पताल पहुँचाया, बल्कि लोगों क ी जानें भी लीं ।

आज इन्सान ही इन्सान क ा शत्रु हो गया है । जंगलों क ी ओर देखिए - पेड़ों क ो क ाटा जा रहा है । वे पेड़, जो इन्सानों क े लिए वरदान हैं । जिस हवा में हम साँस लेते हैं, वह आक्सीजन है । वही हमें जीवित रखती हैं । हमें चंगा भला और स्वस्थ बनाती है । पेड़ों क े क टने से वह आक्सीजन, वह जीवन-दायी वस्तु, क म होती जा रही है ।

दुनिया क ी बड़ी शक्ति याँ, अपनी ताक त बढ़ाने क े लिए,जमीन क े अंदर न्यूक्लीयर बमों क े प्रयोग क र रही हैं ताकि वे दुश्मन-देशों क ा विनाश क र सक ें । ऐसी खबरें भी समाचार पत्रों एवं टेलीवीजन पर रोज़ाना टेलीक ास्ट होती रहती है । इन्सान खुद अपने विनाश क ा साधन जुटा रहा है । मिसाईल्स क ा जो आविष्क ार हुआ है, वह हज़ारों मीलों क ी दूरी पर, आक्र मण क रक े, कि सी क ा भी विनाश क रने क ी क्षमता रखता है । अतः प्रक ृति से नाखुश है । उसक ा क ोप मानव जाति पर मंडरा रहा है । पृथ्वी क े भीतर बमों क े प्रयोगों ने धरती क ो एक ज्वालामुखी में परिवर्तीत क र दिया है ।

एक दिन ऐसा भी आया, जब दुनिया क ो तीसरे महायुद्ध क ा सामना क रना पड़ा । हैड्रोजन बमों क े धमाक ों ने देश क े देश तबाह क र दिए । परिणाम यह हुआ कि प्रक ृति क ा क ोप खुल्लम-खुल्ला अभिशाप बन, मानव जाति क े संहार में लग गया । धरती क ा ज्वालामुखी फ ूट पड़ा । उसमें इतना ताप था कि बड़े बड़े पर्वतों पर वर्षो से जमी बफर् पिघने लगी । वह पिघलते पिघलते पानी क ा रूप धारण क र, शहरों में घुस आई । अब लोग क हाँ जाते !

भयंक र बाढ़ में लोग तिनक ों क ी तरह बहने लगे । भयंक र तबाई क ा वातावरण था । हर जगह बाढ़ ही बाढ़ ! सम्पूर्ण मानव जाति क ा विनाश हो गया ।

सम्पूर्ण भूमि पानी क े भीतर थी । पानी क ी इतनी बाढ़ आ गयी कि दुनिया क ा सबसे बड़ा पर्वत हिमालय भी पानी में डूब गया । एवरेस्ट-शिखर क ा नामोनिशान तक नहीं था ।

जहाँ वहाँ पानी ही पानी !

प्रक ृति मुस्क रा रही थी । उसने लोगों क ो क रनी क ा दंड दिया था । उन्होंने प्रक ृति से टक्क र जो ली थी । धीरे धीरे प्रक ृति स्वभाविक हो गयी । उसक ा क्र ोध ठंडा हो गया । लेकि न अब धरती पर मानव जाति क ा नामोनिशान तक नहीं था । पहाड़ ही पहाड़ बफर् आच्छादित शिखरें !!

वे ही नदियाँ !!!

पेड़ भी पैदा हो गये थे । लेकि न पेड़ों पर पक्षी नदारद ! जंगल उग आए, लेकि न उनमें जंगल क ा राजा शेर नहीं था । बाघ नहीं ते । एक दिन एक उड़न तश्तरी (.स्न.ह्र.) क ी आक ाश से उड़ते उड़ते धरती पर निगाह गयी । सुंदर धरती क ो देखक र वह आश्चर्य चकि त हो गयी । लेकि न वहाँ क ोई प्राणी नहीं था । फि र क्या था, उन्होंने अपने ग्रह से आदमी, स्त्रियाँ-पुरुष, पक्षी-जानवर एवं दूसरे अन्य प्राणी पृथ्वी पर भेजने प्रारंभ क र दिए । अब पेडो पर पक्षी चहक ने लगे । जंगल शेर, बाघ और अन्य जानवरों से भर गया । प्राणियों क ा आना जाना शुरू हो गया । बच्चे खेलते और झगड़े दिखाई देने लगे । और फि र धरती नये सिरे से सुंदर एवं आक र्षक बन गई ।

८. महाप्रलय

आप कि सी भी नगर या महानगर क ी ओर देखिए - आपक ो पेट्रोल और डीज़ल पर चलने वाली बेशुमार क ारें, ट्रक ें एवं ओटो-रिक्शाएँ दिखाई देंगी । इन गाड़ियों से निक लने वाला धुआँ वातावरण क ो बेहद दूषित बना देताहै । और यह दूषित धुआँ मानव जाति क े लिए कि तना हानिक ारक है, यह हम सभी जानते हैं । आए दिन अखारों एवं टेलीवीझन पर यह समाचार सुनने क ो मिलता है कि अमुक क ारखाने क े विषैले धुँए ने न क ेवल असंख्य लोक ों क ो अस्पताल पहुँचाया, बल्कि लोगों क ी जानें भी लीं ।

आज इन्सान ही इन्सान क ा शत्रु हो गया है । जंगलों क ी ओर देखिए - पेड़ों क ो क ाटा जा रहा है । वे पेड़, जो इन्सानों क े लिए वरदान हैं । जिस हवा में हम साँस लेते हैं, वह आक्सीजन है । वही हमें जीवित रखती हैं । हमें चंगा भला और स्वस्थ बनाती है । पेड़ों क े क टने से वह आक्सीजन, वह जीवन-दायी वस्तु, क म होती जा रही है ।

दुनिया क ी बड़ी शक्ति याँ, अपनी ताक त बढ़ाने क े लिए,जमीन क े अंदर न्यूक्लीयर बमों क े प्रयोग क र रही हैं ताकि वे दुश्मन-देशों क ा विनाश क र सक ें । ऐसी खबरें भी समाचार पत्रों एवं टेलीवीजन पर रोज़ाना टेलीक ास्ट होती रहती है । इन्सान खुद अपने विनाश क ा साधन जुटा रहा है । मिसाईल्स क ा जो आविष्क ार हुआ है, वह हज़ारों मीलों क ी दूरी पर, आक्र मण क रक े, कि सी क ा भी विनाश क रने क ी क्षमता रखता है । अतः प्रक ृति से नाखुश है । उसक ा क ोप मानव जाति पर मंडरा रहा है । पृथ्वी क े भीतर बमों क े प्रयोगों ने धरती क ो एक ज्वालामुखी में परिवर्तीत क र दिया है ।

एक दिन ऐसा भी आया, जब दुनिया क ो तीसरे महायुद्ध क ा सामना क रना पड़ा । हैड्रोजन बमों क े धमाक ों ने देश क े देश तबाह क र दिए । परिणाम यह हुआ कि प्रक ृति क ा क ोप खुल्लम-खुल्ला अभिशाप बन, मानव जाति क े संहार में लग गया । धरती क ा ज्वालामुखी फ ूट पड़ा । उसमें इतना ताप था कि बड़े बड़े पर्वतों पर वर्षो से जमी बफर् पिघने लगी । वह पिघलते पिघलते पानी क ा रूप धारण क र, शहरों में घुस आई । अब लोग क हाँ जाते !

भयंक र बाढ़ में लोग तिनक ों क ी तरह बहने लगे । भयंक र तबाई क ा वातावरण था । हर जगह बाढ़ ही बाढ़ ! सम्पूर्ण मानव जाति क ा विनाश हो गया ।

सम्पूर्ण भूमि पानी क े भीतर थी । पानी क ी इतनी बाढ़ आ गयी कि दुनिया क ा सबसे बड़ा पर्वत हिमालय भी पानी में डूब गया । एवरेस्ट-शिखर क ा नामोनिशान तक नहीं था ।

जहाँ वहाँ पानी ही पानी !

प्रक ृति मुस्क रा रही थी । उसने लोगों क ो क रनी क ा दंड दिया था । उन्होंने प्रक ृति से टक्क र जो ली थी । धीरे धीरे प्रक ृति स्वभाविक हो गयी । उसक ा क्र ोध ठंडा हो गया । लेकि न अब धरती पर मानव जाति क ा नामोनिशान तक नहीं था । पहाड़ ही पहाड़ बफर् आच्छादित शिखरें !!

वे ही नदियाँ !!!

पेड़ भी पैदा हो गये थे । लेकि न पेड़ों पर पक्षी नदारद ! जंगल उग आए, लेकि न उनमें जंगल क ा राजा शेर नहीं था । बाघ नहीं ते । एक दिन एक उड़न तश्तरी (.स्न.ह्र.) क ी आक ाश से उड़ते उड़ते धरती पर निगाह गयी । सुंदर धरती क ो देखक र वह आश्चर्य चकि त हो गयी । लेकि न वहाँ क ोई प्राणी नहीं था । फि र क्या था, उन्होंने अपने ग्रह से आदमी, स्त्रियाँ-पुरुष, पक्षी-जानवर एवं दूसरे अन्य प्राणी पृथ्वी पर भेजने प्रारंभ क र दिए । अब पेडो पर पक्षी चहक ने लगे । जंगल शेर, बाघ और अन्य जानवरों से भर गया । प्राणियों क ा आना जाना शुरू हो गया । बच्चे खेलते और झगड़े दिखाई देने लगे । और फि र धरती नये सिरे से सुंदर एवं आक र्षक बन गई ।