दशहरी हिंदुस्तान Anami Sharan Babal द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दशहरी हिंदुस्तान

अनामी रिपोर्ट 4

सबसे मशहूर है देश में दशहरा मनाने की 7 बेहतरीन जगहें

दिल्ली का दशहरा

देश की राजधानी दिल्ली में दशहरा काफी धूमधाम से मनाया जाता है। रामलीला मैदान में तो रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए ही जाते हैं। शहर भर के गली-मोहल्लों में भी करीब 300 से भी ज्यादा रामलीलाओं का आयोजन होता है। करीब एक दर्जन रामलीला ती दूम रहती है. सैकड़ों जगह पर रावण जलाने का भी कार्यक्रम होता है। साथ ही दशहरे वाले दिन शहर में होने वाली आतिशबाजी भी पर्यावरण की सेहत को बीमार बनाने के लिए काफी होती है।

कोलकात्ता का दशहरा

  • पश्चिम बंगाल और खासकर कोलकाता में दुर्गा पूजा की धूम 10 दिनों तक रहती है। हर गली-मोहल्ले में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। बड़े-बड़े पंडाल बनते हैं और रौशनी और रौनक तो देखने लायक होती है। दुर्गा पूजा के दसवें दिन यानी दशहरे वाले दिन मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाता है।
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    मैसूर

    मैसूर- यहां दिखता है दशहरे का 400 साल पुराना इतिहास। यहां भी दशहरे का त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है। मैसूर पैलेस की रौशनी और चकाचौंध, सजे धजे हाथियों का काफिला और राजशाही अंदाज। ये सब मैसूर के दशहरे की झांकी है. भव्यता और सांस्कृतिक चेतना के बीच मैसूर के दशहरा की चमक दमक के प्रति लोगों में दिलचस्पी बढ़ती ही जा रही है.

    देवताओं को मेहमान बनाने की परम्परा

    कुल्लू- हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी 7 दिनों तक दशहरे का केन्द्र रहती है। यहां दशहरा में भगवान रघुनाथ की पूजा होती है और ये त्योहार कुछ अलग अंदाज में मनाया जाता है। हर साल सैकड़ों देवताओं को निमंत्रण भेजकर इस मौके पर बुलाया जाता है। स्थानीय देवी-देवताओं की मूर्तियों को पालकी में रखकर धूमधाम से जुलूस निकाला जाता है। जिसमें जारों की तादाद में लोग शामिल होते हैं।

    बस्तर(छत्तीसगढ़)- यहां दशहरे का पर्व 2 दिन, 4 दिन, या 10 दिन नहीं बल्कि पूरे 75 दिनों तक मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी लोग नवरात्रि के दौरान स्थानीय देवी की पूजा करते हैं। खास आकर्षण का केन्द्र होता है वो रथ जिसपर देवी की मूर्ति रखकर धूमधाम से जुलूस यात्रा निकाली जाती है।

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    रामनगर की भव्यत्ता

    - नवरात्रि के दौरान बनारस देशभर में अगर किसी चीज के लिए मशहूर है तो वो है यहां की रामलीला...10 दिनों तक यहां हर दिन रामलीला का मंचन होता है। और 10वें दिन यानी दशहरे वाले दिन रावण जलाया जाता है। इसके अलावा बनारस से 15 किमी दूर रामनगर में होने वाला भरत मिलाप का कार्यक्रम भी काफी मशहूर है। चार किलोमीटर के क्षेत्र में फैले इस रामलीला में दर्शक भी रामलीला के पात्र से होते है। स्थायी नाट्य सेट के कारण ज्यादातरपात्र सभी जातियों के हैं तो इसकी साजसज्जा के तमाम कारीगर मुस्लिम है। इस लीला की भव्यता को देखकर यूनेस्को ने इसे अपनी सूची में शामिल किया है।

    गुजरात में दशहरा

    गुजरात- गुजरातियों के लिए नवरात्रि का मतलब है डांडिया और गरबा। नवरात्रि के 9 दिनों तक गुजरात के सभी शहरों में लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर डांडिया और गरबा करते देखे जा सकते हैं। इस दौरान पूरा गुजरात रंग और रौशनी में डूबा रहता है।

    यहां होली में जलता है रावण का पुतला

    उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के बामनपुरी कस्बे में रंग और गुलाल के त्योहार होली के मौके पर रावण का पुतला जलाकर आतिशबाजी की जाती है। होली पर दशहरा और दीवाली के नजारे की यह परंपरा 60 साल पुरानी है, जिसे स्थानीय लोगों ने ही शुरू किया था। होली के हुल्लड़बाजी की जगह आध्यात्मिकता को तरजीह देने के लिए ही
    होली की पूर्व संध्या पर 18 दिवसीय रामलीला का समापन आतिशबाजी और पुतलों को जलाने के साथ किया जाता है। होली के दिन कस्बे में भगवान राम की बारात निकलती है। इसमें एक सजे.धजे रथ पर भगवान राम, देवी सीता और अन्य देवताओं की विशाल मूर्तियां रखी जाती हैं, जिसे लोग हाथों से खींचते हैं। इस रथयात्रा में हजारों श्रद्धालु गाजे.बाजे के साथ शामिल होते हैं। बरेली और आसपास के दूसरे जिलों में भी इस अनोखी होली दशहरा में शामिल होने के लिए यहां आते हैं।

    समय से पहले मनाया जाता है दशहरा

    अपनी अनोखी लोक संस्कृति और परंपराओं के लिए विख्यात छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गांव भी है, जहां के लोग अपने ग्राम देवता की प्रसन्नता के लिए चार प्रमुख त्योहार हफ्ते भर पहले ही मना लेते हैं। यह गांव है धमतरी जिले का सेमरा (सी)। इस गांव में सिर्फ दशहरा ही नियत तिथि को मनाया जाता है, बाकी दिवाली, होली जैसे कई बड़े त्योहार सप्ताहभर पहले ही मनाए जाते हैं।
    इस वर्ष भी जब पूरे देश के लोग दिवाली 11-12 नवंबर को मनाएंगे तो सेमरा (सी) में दिवाली के लिए 5 नवंबर की तारीख तय की गई है। वहीं 22 अक्टूबर को दसहरा मनाने की बजाय 15 अक्टूबर को ही रावण का दहन कर दिया गया। 200 की आबादी वाले सेमरा (सी) में मतभेद और मनभेद की भावना से परे हटकर सैकड़ों वर्षो से इस अनोखी परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं।