अधुरी खिताब - 8 kajal jha द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अधुरी खिताब - 8


🌙 एपिसोड 8 : "अधूरी किताब का नया अध्याय"


⏳ अनसुलझे सवाल और अनजानी राहें


रीया शर्मा, काव्या मिश्रा, और राहुल वर्मा अब हवेली से बाहर आ चुके थे। हवेली की रहस्यमयी परछाई ने जैसे उन्हें एक नए सच की ओर इशारा किया था। लेकिन अधूरी किताब का सच अभी भी पूरी तरह उजागर नहीं हुआ था।

रीया के मन में अनगिनत सवाल उठ रहे थे। हर कदम पर उसके भीतर एक अजीब सी बेचैनी सी फैल रही थी।

“क्या हमने सचमुच उस आत्मा को मुक्त कर दिया?” रीया ने खुद से फुसफुसाया।


काव्या ने गंभीर स्वर में उत्तर दिया –

“हां, परंतु यह केवल एक अध्याय था। अधूरी किताब में अब भी कई रहस्य छुपे हैं, जिन्हें हमें उजागर करना है।”


🚶‍♂️ नए सुराग की तलाश


तीनों ने निर्णय लिया कि वे उस लोहे के बक्से को सुरक्षित स्थान पर रखेंगे। परंतु रीया के मन में एक अज्ञात प्रेरणा जाग उठी थी –

“मैं उस किताब के हर पन्ने को ध्यान से पढ़ूंगी। संभवतः जो रहस्य अधूरा रह गया था, वह कहीं छुपा हो।”


रीया ने अपने कमरे में बक्सा खोल कर किताब के पन्नों को बार-बार छुआ। उसकी उंगलियाँ जैसे उन पन्नों से जुड़ गई थीं।

तभी अचानक, एक नयी चमक उसके सामने प्रकट हुई। किताब के एक पन्ने पर हल्की सी रोशनी झलकने लगी।


रीया की आवाज़ कांप उठी –

“यह… यह पन्ना… जो पहले नहीं चमका था।”


📜 नया पन्ना: पुरानी चेतावनी


उस पन्ने पर लिखा था –


> “जो भी इस पन्ने की गहराई में उतरता है, उसे अपने अतीत का सामना करना पड़ेगा। परंतु सावधान रहो… क्योंकि कुछ रहस्य खोलने के बाद स्वयं पर पछतावा छा जाएगा।”




रीया ने साहस जुटाया और पन्ना पलटा।

उस पर एक चित्र उभर आया – एक छाया जैसी आकृति, जिसकी आँखें अधेरे में चमक रही थीं।

वह चित्र अचानक जीवित हो उठा। परछाई के स्वर में फुसफुसाहट गूँजी –

“अतीत की भूलें तुम्हें आज़माएंगी। क्या तुम तैयार हो उस गलती से मिलने के लिए?”


🌫️ अतीत की परछाई


रीया ने खुद से कहा –

“हां… मैं तैयार हूं।”


पल भर में, उसके मस्तिष्क में पुरानी स्मृतियाँ लौटने लगीं।

– स्कूल में उस दिन की घटना, जब उसने पहली बार किताब छुआ था।

– अरविंद देव की अनजानी बातें, जो उसे तब समझ नहीं आई थीं।

– और एक अजीब मंत्र, जो अचानक उसके होठों से खुद-ब-खुद निकल गया था।


वह सब कुछ जैसे एक फ़िल्म की तरह उसके सामने चलने लगा।

काव्या और राहुल ने चुपचाप उसे सहारा दिया।

“रीया, जो भी सामने आएगा, हमें मिलकर सामना करना होगा।” राहुल ने साहस भरा स्वर दिया।

काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा – “हम तुम्हारे साथ हैं।”


👁️ अंधकार का साक्षात्कार


रीया ने गहरी सांस ली और उस पन्ने को ध्यान से पढ़ना शुरू किया –


> “जो अपनी भूल से डरता है, वह आगे नहीं बढ़ सकता। केवल वही जो अपने अतीत को गले लगाएगा, नई रोशनी देख सकेगा।”




तभी अचानक कमरे की चारों दीवारें हल्की-हल्की धुंध से ढकने लगीं। उसके चारों ओर अतीत की परछाइयाँ प्रकट हो रही थीं।

एक परछाई में उसने स्वयं को देखा – एक छोटी बच्ची रीया, जिसके हाथ में किताब थी।

वह पलों में फेड होने लगी, पर उसकी आँखें जैसे रीया के मन को झकझोर रही थीं।


“तुमने हमें छोड़ दिया था… उस दिन… जब तुमने मुझसे दूर जाने की कोशिश की थी।” परछाई फुसफुसाई।


रीया की आँखें भर आईं –

“मुझे माफ कर दो… मैं उस दिन क्या कर रही थी, मैं नहीं जानती थी।”


🌠 आत्मा का सत्य


परछाई की आवाज़ थोड़ी नरम हुई –

“सच का सामना करो… और तुम मुक्त हो जाओगी।”


रीया ने गहरी नज़रें किताब के पन्नों में डालीं और मंत्र पढ़ना शुरू किया –


> “अतीत की गलती अब प्रकाश बन जाएगी। मैं उसे स्वीकार करती हूं, और आगे बढ़ूंगी।”




जैसे ही उसने यह शब्द कहे, अंधेरे की परछाई धीरे-धीरे विलीन हो गई। कमरे की दीवारें सामान्य हो गईं। पन्ना अपनी चमक खो चुका था।

रीया की आँखों में अब एक नया आत्मविश्वास था।


🚀 नयी राह का आरंभ


काव्या ने मुस्कान के साथ कहा –

“अब अधूरी किताब का अगला अध्याय लिखने का समय है।”


राहुल ने गंभीरता से कहा –

“यह कहानी खत्म नहीं हुई। यह तो बस शुरुआत है।”


रीया ने दृढ़ निश्चय के साथ कहा –

“मैं तैयार हूं अपने अतीत को साक्षात्कार करने के लिए। और हर रहस्य की परत खोलने के लिए।”


🌅 भविष्य की ओर संकेत


तीनों ने किताब को फिर से सील किया, पर इस बार उसके साथ एक नई उम्मीद थी।

रीया के मन में विश्वास था –

“जो अधूरा था, वह पूरा होगा। क्योंकि सच की राह अंधेरे में भी रोशनी बनकर चमकती है।”


🔔 अधूरी किताब का अगला अध्याय जल्द ही…

👉 कौन सी नई गुत्थी उभरने वाली है?

👉 क्या री

या का अतीत उसे और उसके दोस्तों को नयी मुसीबत में फँसाएगा?


🌫️ अधूरी किताब – एक नई शुरुआत की ओर…