एक सौम्य व्यक्तित्व:डॉ शैलेन्द्र सिंह तोमर Dr. R. B. Bhandarkar द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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एक सौम्य व्यक्तित्व:डॉ शैलेन्द्र सिंह तोमर

    *एक सौम्य व्यक्तित्व:डॉ शैलेन्द्र सिंह तोमर*

(सेवा निवृत्ति 31 अगस्त 25 के अवसर पर विशेष)   

                                  - डॉ आर बी भण्डारकर

अपनी लगभग 43 साल की गौरव पूर्ण सेवाओं के बाद डॉ शैलेन्द्र सिंह तोमर आज 31 अगस्त 2025 को सेवा निवृत्त हो रहे है।


आज के शुभ अवसर पर मैं भूगोल विषय के वरिष्ठतम प्राध्यापक डॉ शैलेन्द्र सिंह तोमर का हार्दिक अभिनंदन, वंदन करता हूँ।


डॉ शैलेन्द्र सिंह तोमर से मेरा प्रारंभिक परिचय सन 1978 से 1982 के दौरान हुआ।इसलिए मैं कह सकता हूँ कि मैं इन्हें इनके बचपन से जानता हूँ।

डॉ तोमर का जन्म ही ऐसे परिवार में हुआ, जहां सच्चे अर्थों में शिक्षा के साथ साथ शालीनता है,विनम्रता है,सद संस्कार हैं।जिस परिवार में  परहित का भाव एक आदत है,कर्तव्य निष्ठा पूजा है।

हमारे यहां एक कहावत है - "बाढ़ै पूत पिता के धर्मा।खेती उपजै अपने कर्मा।"

प्रो शैलेन्द्र के पिता और मेरे गुरुदेव परम् श्रद्धेय डॉ शंकर सिंह तोमर सुलझे हुए प्राध्यापक,प्रखर चिंतक,निष्णात भाषा विद, सुधी समीक्षक और सहृदय शोध निर्देशक हैं। सम सामयिक इतिहास पर उनकी अच्छी पकड़ है।वे सामाजिक जीवन में भी और साहित्य में भी अपनी साफ,निष्कपट और निरपेक्ष छवि के लिए जाने जाते हैं।मैं अत्यंत गर्व से कहना चाहूंगा कि यह सबके सब गुण द्विगुणित होकर प्रो शैलेन्द्र में आए हैं।


प्रो शैलेन्द जी अत्यंत सहज है, सरल हैं।उनकी मिलनसारिता तारीफ ए काबिल है।कितनी ही विकट परिस्थिति हो इनके चेहरे पर हमेशा एक स्मिति विद्यमान रहती है।यह आज के वातावरण में बहुत बड़ी बात है।वे मेधावी भी हैं और परिश्रमी अध्येता भी हैं।उनमें सदैव कुछ नया सीखने की उत्कंठा रहती है।

आज महाविद्यालयीन कक्षाओं में अनुशासन बनाए रखना बहुत बड़ी चुनौती कही जाती है पर मैने स्वयं देखा है कि इनकी कक्षाओं में पूर्ण अनुशासन रहा है।मैं इसे इनके आत्मानुशासन का अनुशासन मानता हूँ।

भूगोल  विषय के लगभग प्रत्येक क्षेत्र  में प्रो शैलेन्द्र की गहरी पकड़ है।इनके निर्देशन में अब तक दर्जनों शोधार्थी पीएच.डी.उपाधि प्राप्त कर चुके हैं।

जल संरक्षण एवं प्रबंधन आज की ज्वलंत समस्या है बड़े हर्ष का विषय है  कि शिक्षण के दौरान ही डॉ शैलेन्द्र के संपादकत्व में इस विषय पर एक शोध ग्रंथ "जल संरक्षण एवं प्रबंधन" प्रकाशित हुआ है,जो भूगोल में अच्छा योगदान तो है ही,जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वालों के लिए प्रेरणा स्रोत है।


आज का एक और चिंतनीय विषय है जलवायु परिवर्तन और बढ़ता तापमान।डॉ शैलेन्द्र ने इस विषय पर स्वयं कार्य किया और अपने शोधार्थियों को भी इस विषय पर कार्य करने के लिए प्रेरित किया।डॉ भगवत सहाय शासकीय महाविद्यालय ग्वालियर से एक शोध ग्रंथ "जलवायु परिवर्तन:बढ़ते तापमान की समस्या एवं निदान " प्रकाशित हुआ।इस ग्रंथ के संपादक मंडल में रहते हुए प्रो शैलेन्द्र ने इसे अधिकाधिक उपयोगी बनाने में महती भूमिका अदा की।


कृषि यद्यपि एक स्वतंत्र विषय है पर भूगोल में भी प्रमुखता से कृषि और इससे जुड़े विषयों का अध्ययन किया जाता है।डॉ शैलेन्द्र तोमर और डॉ अभिषेक सारस्वत द्वारा प्रणीत शोध ग्रंथ "औषधीय कृषि एवं कृषि विकास "विद्यार्थियों और कृषकों के लिए अत्यंत उपयोगी ग्रन्थ है।


डॉ शैलेन्द्र सिंह तोमर आज की स्थिति में भूगोल विषय के सबसे वरिष्ठ प्राध्यापकों में शुमार है।तदनुसार उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों आदि के पाठ्यक्रम निर्माण में भी अपना योगदान किया है।


आज ,मैं उनके सेवा निवृत्ति के बाद के स्वस्थ व यशस्वी जीवन की कामना करता हूँ।

Dr. R. B. Bhandarkar, D. Litt.

Indian Broadcasting service

Deputy Director General, Doordarshan (Rtd.)

Sr. Journalist