रात का खूनी राज Rashmi Dwivedi द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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रात का खूनी राज

नमस्कार 🙏🏿मेरा नाम रश्मि द्विवेदी है। मैं आप लोगों के सामने अपनी पहली कहानी रख रही हूं। आपके प्यार और साथ की  उम्मीद करती हूं  जिससे मैं आप लोगों को आपके अनुसार आपकी पसंद की कहानी दे सकू ।ऐसा मेरा प्रयास रहेगा। 

 एक पुराना गाँव था। जिसका नाम श्मशान घाट के किनारे होने के कारण भूत नगर था।गांव में एक पुराना, टूटा-फूटा घर खड़ा था। दीवारों पर काई जमी थी, छत टपकती थी, और खिड़कियाँ हमेशा बंद रहती थीं।🍁

गाँव के लोग कहते थे—उस घर में कोई इंसान नहीं, बल्कि आत्मा रहती है।🌀🌀


बुज़ुर्गों की सख़्त हिदायत थी:
“उस घर की खिड़की कभी मत खोलना।”🚪🚪

लेकिन जैसे हर कहानी में जिज्ञासा होती है, वैसे ही इस गाँव में भी एक लड़का था—अंशुल। उसे भूत-प्रेत की बातों पर भरोसा नहीं था। उसने ठान लिया कि वो सच पता करेगा।


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🌙 रात का साहस _


एक अमावस्या की रात, हाथ में टॉर्च और मोबाइल लेकर अंशुल उस घर पहुँचा।🚶🚶
अंदर सन्नाटा था… बस टूटी छत से टपकते पानी की आवाज़।

अंशुल धीरे-धीरे कमरे में गया। वहाँ धूल, मकड़ी के जाले और टूटी कुर्सियाँ थीं।
लेकिन उसकी नज़र खिड़की पर पड़ी—वो खिड़की बिल्कुल नई लग रही थी, जैसे अभी-अभी रंगी हो।

उसके कानों में एक धीमी सिसकने की आवाज़ पड़ी।
आवाज़… उसी खिड़की के पीछे से आ रही थी।


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🚪 खिड़की का राज़

गाँव वालों की चेतावनी याद आई, लेकिन अंशुल हँसा—
“क्या बेवकूफ़ी है! खिड़की खोलने से भूत बाहर आ जाएगा?”

उसने जैसे ही खिड़की खोली… एक ठंडी हवा का झोंका अंदर आया।
अंधेरे से एक औरत का चेहरा बाहर झाँक रहा था—लंबे काले बाल, खाली आँखों के गड्ढे, और होंठों से टपकता काला खून।

उस औरत ने फुसफुसाकर कहा—
“तुमने दरवाज़ा खोला है… अब मैं आज़ाद हूँ।”


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🩸 खून और चीख़ें

अंशुल भागने लगा, लेकिन दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया।
खिड़की के बाहर वही औरत अंदर कूद गई—उसकी हड्डियों से चरमराहट की आवाज़ आ रही थी।

वो फर्श पर खून की लकीर छोड़ती हुई अंशुल के पास पहुँची।
उसने अंशुल के गले पर हाथ रखा—हाथ बर्फ़ की तरह ठंडा था।

अंशुल ने पूरी ताक़त से चिल्लाना चाहा… लेकिन उसकी आवाज़ गले में ही घुट गई।


---

👻 अंत

अगली सुबह गाँव वाले उस घर पहुँचे।
कमरे में न तो अंशुल था, न ही उसका मोबाइल।
बस खिड़की खुली हुई थी… और दीवार पर खून से लिखा था—

“अब हर वो इंसान मेरा है, जो इस खिड़की को खोलेगा।”

गाँव वाले डर के मारे उस घर को फिर से बंद कर आए।
आज भी अगर कोई नई आत्मा चाहिए होती है, तो वो खिड़की धीरे-धीरे खुद ही खुल जाती है…


आप सभी साथियों को मेरी प्रथम कहानी कैसी लगी कृपया करके जरूर मुझे बताए ताकि मैं अपने लेखन को सुधार सकू आप लोगों के अनुसार आपको कहानी दे सकू 

मैं इस वेबसाइट में भी पहली बार ही कहानी डाल रही हु एक तरह से ये पहली कहानी और पहली बार ही कही डाली गई हैं इसलिए इसमें बहुत तरह की कमियां भी हो सकती हैं । 
आप लोगों को अपने बारे में थोड़ा विस्तार से बताती हूं जैसे कि पहले ही मैने आपना नाम बताया कि मेरा नाम रश्मि द्विवेदी है मैं उत्तरप्रदेश के छोटे से गांव उन्नाव की रहने वाली हूं मेरी उम्र 28 वर्ष है लिखने का शौक रहा है पर कोई ऐसा मार्गदर्शन नहीं मिला इसीलिए जैसा भी बना आप लोगों के सामने प्रस्तुत किया है बाकी आगे आप सब के सहयोग की आशा रखती हूं।
नमस्कार 🙏🏿