जिन का साया Rupesh Kumar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जिन का साया



👻 डरावनी कहानी: “जिन का साया”
रात के लगभग बारह बज रहे थे। गाँव के बाहर सुनसान रास्ते पर बस एक पुराना पीपल का पेड़ खड़ा था। कहा जाता था कि उस पेड़ के नीचे कोई भी रात को रुक जाए, तो सुबह ज़िंदा वापस नहीं लौटता। गाँव के बुज़ुर्ग अक्सर बच्चों को उस रास्ते से दूर रहने की सलाह देते थे, लेकिन शहर से आया नवीन इन सब बातों को अंधविश्वास समझता था।

नवीन एक कॉलेज स्टूडेंट था, जो अपने प्रोजेक्ट के लिए गाँव की पुरानी हवेली में रिसर्च करने आया था। गाँव वालों ने मना किया, मगर उसने हँसते हुए कहा—
“अरे, ये सब दकियानूसी बातें हैं। भूत-प्रेत जैसी कोई चीज़ नहीं होती।”

उस रात नवीन अपने कैमरे और नोटबुक के साथ हवेली पहुँचा। हवेली बिल्कुल सुनसान थी—टूटे दरवाज़े, जंग लगे खिड़की के जाल और अंदर चारों तरफ़ धूल। मगर हवेली में दाख़िल होते ही उसे अजीब ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ।

धीरे-धीरे उसने टॉर्च जलाकर कमरे देखना शुरू किया। अचानक उसकी नज़र दीवार पर बने पुराने चित्र पर पड़ी। उस चित्र में एक अजीब-सी औरत थी—लाल आँखें, लम्बे खुले बाल और माथे पर तिलक। नवीन के रोंगटे खड़े हो गए।

टॉर्च की रोशनी जैसे ही उस चित्र पर पड़ी, उसे लगा कि औरत की आँखें हल्की-सी हिलीं।
“शायद मुझे भ्रम हो रहा है…” उसने खुद से कहा और कैमरा ऑन कर दिया।

लेकिन तभी… हवेली के अंदर से भारी कदमों की आहट आने लगी।
“ठक… ठक… ठक…”

नवीन का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। उसने पीछे मुड़कर देखा—कोई नहीं था। अचानक खिड़की अपने आप खुल गई और ठंडी हवा का झोंका आया। उसकी नोटबुक ज़मीन पर गिर पड़ी।

नवीन उसे उठाने झुका ही था कि उसके कान में धीमी आवाज़ आई—
“क्यों आए हो… यहाँ…?”

उसकी रूह काँप गई। उसने टॉर्च का फोकस उस दिशा में किया, और देखा कि हवेली के कोने में वही चित्र वाली औरत खड़ी थी। उसका चेहरा बिल्कुल सड़ा-गला, आँखें जलती हुई लाल, और बाल जमीन तक फैले हुए।

नवीन घबराकर दरवाज़े की तरफ़ भागा, लेकिन दरवाज़ा अपने आप बंद हो चुका था।
औरत धीरे-धीरे उसकी तरफ़ बढ़ने लगी…

“यह मेरी जगह है… यहाँ से कोई ज़िंदा नहीं जाता…” उसने खौफनाक आवाज़ में कहा।नवीन पूरी ताक़त से दरवाज़ा पीटने लगा। उसका कैमरा नीचे गिर गया और अपने आप रिकॉर्डिंग शुरू हो गई। आख़िरी बार कैमरे में बस यही दिखा—लाल आँखों वाली औरत ने नवीन की गर्दन पकड़कर उसे अंधेरे में खींच लिया।

अगली सुबह गाँव वाले हवेली पहुँचे तो उन्हें बस टूटा कैमरा मिला। उसमें आख़िरी वीडियो क्लिप थी—
“ठक… ठक… ठक…” की आवाज़ और किसी के चीखने की गूंज…

उस दिन के बाद से कोई भी उस हवेली के पास नहीं गया। और कहा जाता है, जो भी उस वीडियो को रात में अकेले देखता है… उसके पीछे अचानक किसी के भारी कदमों की आहट सुनाई देती है।





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17 August 2025