त्रिशा... - 7 vrinda द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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त्रिशा... - 7

"त्रिशा!!!!! आंखे खोल और देख कर बता कि कोई कमी तो नहीं है ना। देख मैनें तेरे कहे मुताबिक चेहरे पर  लाईट लाईट मैकअप कर‌ दिया है। जिससे यह सब ज्यादा ओवर भी नहीं लगेगा। और लाईट ही है तो किसी को ज्यादा फर्क भी नहीं पड़ेगा।" महक ने अपने हाथ से एक कान की झुमकी मेरे कानों में पहनाते हुए कहा। 

उसकी आवाज ने मेरे कानों में जाते ही मुझे‌ मेरे ख्यालों से जगाया और‌ मैनें धीरे से अपनी आंखें खोल कर खुद को सामने लगे बड़े से आइने में निहारा।   


मैनें पलकों को धीरे धीरे ऊपर की ओर उठा कर खुद का अक्ष आइने में देखा और अपना अक्ष आइने में देखकर मैं तो दंग ही रह गई। 

हां माना मेरा रंग गोरा ही है पर आज मेरे चेहरे पर‌ पता  नहीं महक ने कौन सा जादू किया है कि मेरी काली आंखें आज कुछ ज्यादा ही सुंदर लग रही है। मेरे गाल आज कुछ अलग अलग से लग रहे है। हल्की हल्की सी  लाली मेरे गोरे और गोले गोल  गालों पर है और मेरे होंठ भी आज कुछ ज्यादा ही गुलाबी लग रहे है और साथ में इनकी चमक भी बहुत सुंदर लग रही है। 

मेरे होठों पर लगी हल्की गुलाबी सी लिपस्टिक से मेरे होंठ के ठीक ऊपर मौजूद छोटा सा  काला तिल आज  और भी सुंदर और आकर्षक लग रहा है। 

मेरे बाल जो आज तक हमेशा बंधे ही रहते थे आज मेरे कुछ कंधों पर झूल रहे है और बाकी पीछे मेरी कमर तक लहर रहे है। एक छोटी सी लट मेरे बालों की मेरे कानों के पास आकर नाच रहीं है लग रहा है मानों मेरी कानी में पड़ी उन छोटी छोटी सुनहरी झुमकियो से कुछ गुफ्तगू करने की कोशिश कर रही है। 


"क्यों??? अब बोल  कैसी लगी मेरी कलाकारी??" महक ने मेरी चुन्नी को सही से सेट करते हुए बोला। 

मैं जो खुद को देख कर स्तब्ध हूं, उसे देख कर मुस्कुराई। इसके बाद वह फिर अपने काम में लग गई और मैं एक बार फिर से सामने अपने प्रतिबिंब को देखने लग गई। 

ऐसे तो मेरे गोरे रंग के कारण मुझ पर हर रंग ही फब्बता है लेकिन आज इस दिन के लिए मेरे पापा ने खास ने यह हल्के गाजरी  रंग का सूट मंगवाया है। इस सूट को मैनें आज के फैशन के हिसाब से लंबी कुर्ती और पैंट के रुप में सिलवाया है। 


इस सूट का रंग तो मुझे देखते ही पसंद आ गया था पर इसके रंग के अलावा इसमें किया सुनहरे धागे का काम भी बहुत ही सुंदर है। इसकी चुन्नी भी गाजरी रंग की ही है और सूट की तरह उसपर भी धागे की कढ़ाई हो रखी है। 

मैनें जब इसे देखा तो मुझे पता था कि यह मुझ पर अच्छा लगेगा। पर अब जब मैं इसे पहन कर खुद को देख रही हूं तो यह मेरी उम्मीद से भी ज्यादा सुंदर दिख रहा है। "आज मैं सच में सुंदर दिख रही हूं।" मैं धीमे से बुदबुदाई। 

"कुछ कहा तुमने??" उसने सेफ्टी पिन से मेरी चुन्नी सही करते हुए पूछा। 

"नहीं कुछ नहीं।" मैनें जवाब दिया और फिर खुद को देखने लगी। 

अब मैं लगभग तैयार ही थी। सूट और चेहरा तो ठीक हो ही चुका था और अब इस सूट का दुप्पटा भी बहुत बार इधर उधर होने के बाद अपनी जगह पहुंच चुका है। 

महक पिछले आधे घंटे से इस दुप्पटे से जंग लड़ रहीं है। कभी दुप्पटे की प्लेट बना कर तो कभी खोला छोड़कर कभी एक तरफ डालकर तो कभी दोनों कंधों पर उन्हें खुला छोड़ कर, हर तरीके से उसे रखकर देखने के बाद उसने अंत में उस दुप्पटे को मेरे एक कंधे पर  ही पिन से सेट कर दिया। 

जहां एक ओर मेरे एक कंधे पर यह दुप्पटा झूल रहा है वहीं दूसरी ओर मेरे दूसरे कंधे पर मेरे बाल आकर मेरे श्रृंगार को पूर्ण कर रहे है। 

"बस अब सब हो गया!!!!!!"  मुझे पूरा तैयार देखकर महक ने खुशी से छोटे बच्चों की तरह ताली बजाते हुए कहा। 

उसने एक नजर मुझे ऊपर से नीचे की ओर देखा और फिर खुद ही आपने कंधे को थपथपाते हुए खुद को शाबाशी देते हुए बोली, " वैल डन महक देसाई। वैरी वैल डन। " 

उसकी इस बच्चों वाली हरकत को देख मुझे भी हसी आ गई और हम दोनों हसने लगे। फिर वह मुझसे पूछते हुए बोली, 
" अब बताओ मुझे, यह सब अचानक कैसे हुआ? मतलब तुमने तो कल रात मुझ पर एकदम से बंब फोड़ दिया, यह बोल के कि तुम्हे देखने लड़के वाले आ रहे है। मैं फोन पर तो पूछ नहीं पाई पर अभी समय है नीचे जाने में तो, तुम मुझे अभी बता दो। सबके जाने का इंतजार मुझसे ना हो सकेगा।" 

जहां तक मैं महक को जानती हूं, मुझे पता था कि काम खत्म होने के बाद फुरसत मिलते ही वह मुझसे यह सवाल जरुर करेगी