इश्क और अश्क - 5 Aradhana द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क और अश्क - 5

असिस्टेंट: सर पार्टी की सारी तैयारी भी हो गई है। एवी: ओके... Let everyone informed.

दूसरी तरफ... रात्रि अभी भी परेशान है और अपने केबिन में बैठी है।

रात्रि (खुद से): ये सब क्या हो रहा है?

फोन बजता है।

रात्रि: हेलो… राबिया: सुन, मुझे एक और जगह के बारे में पता चला है। बता, कब चलना है? रात्रि: नहीं यार... अब नहीं। मैं अब उसमें और अंदर नहीं जाना चाहती। जो होगा, देख लूंगी। राबिया: तू श्योर है? रात्रि: हम्म्म्म… राबिया: अच्छा फैसला लिया है तूने।

कॉल कट होता है। तभी डोर नॉक होती है।

रात्रि: येस, कॉम इन। नेहा: मैम, शाम की पार्टी के लिए निकलना है। रात्रि: हम्म... मैं रेडी होकर वहीं मिलती हूं।

🌑 “पहली मुलाक़ात – जब नफ़रत में भी मोहब्बत की ख़ुशबू थी…” 🌑


---

हाईवे पर... रात के 9 बजे

रात्रि की कार अचानक रुक गई।
गाड़ी से निकलते हुए उसने झुंझलाकर कहा:

रात्रि:
“अरे यार... अब यही बाकी था!”

कार बोनट खोलकर देखती है, मगर कुछ समझ नहीं आता।
नेहा को कॉल करके गाड़ी भेजने को कहती है।

वो सुनसान हाईवे... चारों तरफ सन्नाटा... और अब तक कोई लिफ्ट नहीं मिली।

तभी पीछे से बाइक की आवाज़ और दो लड़कों के कदमों की आहट...

लड़का 1:
“मैडम, हेल्प चाहिए क्या?”

रात्रि (डर और घबराहट में):
“नहीं! मुझे कुछ नहीं चाहिए… दूर रहो!”

लड़का 2:
“अरे डरिए मत, बस मदद ही करनी है…”

वो दोनों अब रात्रि के बेहद करीब आ चुके हैं।
रात्रि का चेहरा पसीने से भीगने लगता है।

तभी... एक गाड़ी का ब्रेक... और एक भारी, गूंजती हुई आवाज़:

???:
“बेबी… इतनी नाराज़ होकर अकेले ही निकल आई?”

रात्रि (सन्न):
"बेबी??"

लड़के रुक गए।
गाड़ियों की लाइट में एक लंबा, चौड़ा, हैंडसम शख्स दिखाई देता है —
गहरा गेहुआं रंग, पैनी काली आंखें, ब्लैक सूट, हाथ में घड़ी, चाल में रॉयल ठाठ।

उसने तेज़ी से आते हुए लड़कों को घूरा:
“Problem?”

लड़के एक-दूसरे की तरफ देख कर थोड़ा पीछे हटते हैं।

वो शख्स रात्रि के पास आकर धीमी मुस्कान के साथ बोला:
“अच्छा ठीक है, अब नहीं करूंगा ऐसी गलती… चलो?”
(उसका हाथ पकड़ लेता है)

रात्रि कुछ सेकंड के लिए उसके करीब आने से जैसे बेहोश सी हो जाती है।
उसकी खुशबू, उसकी आंखें, और उसकी आवाज़ जैसे कुछ पुराना सा जगा देती हैं…
लेकिन तभी…

रात्रि झटके से हाथ छुड़ाती है:
“कौन हो तुम? और ये सब क्या था?”

वो थोड़ी देर उसे बिना पलक झपकाए देखता है और मुस्कराता है:
“तुम्हारी जान बचाई है, तुम्हे शायद थैंक यू कहना चाहिए 

रात्रि (तेज़ी से):
“मैंने मांगी थी तुमसे मदद?”

वो (आंखों में तीखापन लाकर):
“नहीं, और मुझे भी शौक नहीं है रात के अंधेरे में रोमियो बनने का। पर अगर मैं ना आता… तो तुम कल जरूर न्यूज पेपर फ्रंट पेज पर आ जाती।

रात्रि:
“तुम्हें क्या लगता है, मैं कमज़ोर हूं?
रात्रि ने उसे घूरा।


तभी वो लड़का एक कदम और करीब आता है —
“कमज़ोर........? नहीं… तुम तो आग हो। पर आग अकेले जल जाए, ये ज़रूरी नहीं होता…”

रात्रि की सांसें रुक सी जाती हैं। वो उसके और करीब है।
उसकी आंखों में जैसे कोई राज दफ़्न हो।

वो फिर हल्का झुक कर मुस्कराता है:
“अब बताओ — लिफ्ट लोगी, या उन दो को फिर से बुलाऊं?”

रात्रि (गुस्से में):
“जाओ... नहीं चाहिए तुम्हारी ये घमंडी मदद! मैं पुलिस को बुला रही हूं।”

वो थोड़ा चौंकता है, फिर बेहद शांत लहजे में कहता है:
“पुलिस को आने में एक घंटा लगेगा… तब तक मैं चाहूं तो...”

वो एकदम पास आ जाता है —
रात्रि के बाल हवा में उड़ते हैं, सांसें फंस जाती हैं, एक टकराहट... एक केमिस्ट्री...

तभी वो अचानक खुद पीछे हटता है, रात्रि को एक हल्के धक्के से अलग करता है... और गाड़ी की ओर बढ़ता है।

गाड़ी में बैठते हुए:
“You know what... you’re not worth it.”

आवाज़ में आहत अहंकार और छिपी हुई तकलीफ थी।

वो तेज़ रफ्तार में निकल जाता है।

आगे जाकर, गाड़ी रोककर, उन लड़कों से कहता है:
“Take her. मेरा उससे कोई रिश्ता नहीं है।”


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रात्रि सन्न खड़ी रह जाती है।
उसी वक़्त — हॉर्न की आवाज़।

एवी की कार।

वो भागकर रात्रि के पास आता है।

एवी:
“रात्रि! क्या तुम ठीक हो? सब ठीक है?”

रात्रि (धीमी आवाज़ में):
“ठीक हूं… लेकिन वो आदमी… उसे मैं नहीं छोड़ूंगी।”

एवी:
“ऐसा क्या हुआ?”

रात्रि:
“कुछ नहीं… चलो पार्टी में देर हो रही है।”


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🎉 पार्टी वेन्यू...

पर रात्रि का दिमाग उसी आदमी की तरफ भटका है।
"कौन था वो...? और क्यों उसकी आंखों में कुछ जाना-पहचाना सा था...?"



🔥 To Be Continued... 🔥

क्या रात्रि और उस लड़के की ये पहली तकरार, पहली शुरुआत भी है?
क्या ये वही है जिसे रात्रि बरसों से सिर्फ अपने सपनों में सुनती आई थी...?