बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 13 Maya Hanchate द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 13

रीकैप

पिछले चैप्टर में हमने यह पढ़ा की शिवाय घर आता है और उसका घर में सब अच्छे से वेलकम करते हैं लेकिन पालकी शिवाय से नाराज होती है दूसरी तरफ आरोही तरुण से नाराज होती है क्योंकि तरुण ने उसे 2 दिन से कॉल नहीं किया है ना ही मैसेज किया है।

तो अंकिता जी आरोही को समझाती है कि तरुण अपने काम में बिजी होगा इसलिए उसने कॉल नहीं किया है तुम भी तो कर सकती थी।

उसके बाद आरोही तरुण को कॉल करती है और उसे बातें करती है वह बातों बातों में बोलती है कि आज उनके शादी का अनाउंसमेंट है,काश वह दोनों साथ में होते कितना अच्छा होता था ।उसके बाद दोनों बातें करते हैं।

अब आगे 

तरुण से बात करने के बाद आरोही कॉल कट करती है और अपने म्यूजिक सिस्टम ऑन करके डांस करने लगती है( सॉन्ग मनवा लागे लागे रे सांवरे)

आरोही इतनी खुशी से डांस कर रही थी ,जैसे उसे दुनिया से कोई सुध बुद्धि नहीं है। 

तरुण कॉल कट करने के बाद अपने फोन के वॉलपेपर पर देखता है। जिस पर आरोही की तस्वीर है, उसे देखकर वह बोलता है जान अगर तुम चाहती हो कि मैं आज शाम तुम्हारे साथ रहूं तो मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगा तुम्हारी एक ख्वाहिश में पूरी करूंगा इस वक्त उस के चेहरे पर एक शांति भरी मुस्कान और डिटरमिनेशन है ।।

।।।कपाड़िया विला।।।

एक बड़े से हवेली में एक आदमी अपने हाल के सारी चीज गुस्से में तोड़ रहा था। वह सामान तोड़ते हुए चिल्लाते हुए बोलता  है. मैंने कितनी कोशिश की है कि कभी उन लोगों को खुश ना रहने दूं उन से सारी उन की खुशियां छीन लूं पर उन की खुशियां छीन लू। पर ना कामयाब रहता हूं ,ऐस क्यों होता रहें था है हमेशा मेरे साथ ।

लेकिन मैं कभी हार नहीं मानूंगा जब तक उन सब को बर्बाद नहीं कर देता तब तक मैं हार नहीं मानूंगा।

मैं उन सब से उनकी खुशियां , सुख ,चैन ,धन, दौलत तो सब कुछ चीन लूंगा, उन्हें सड़क पर लाकर रख दूंगा। उनकी हालत भिखारी से भी बतर कर दूंगा।

अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो मेरा नाम शेखर कपाड़िया नहीं ,ना ही में तेज कपड़े का बेटा। 

और हंसने लगता है इस वक्त वह बहुत ही डरावना और खूंखार लग रहा था। 

उसे इस तरह चिल्लाते हुए और गुस्से में देखकर वहां खड़े सारे लोग डर के मारे कांप रहे थे। 

उन लोगों को इस सब की आदत पहले से ही है पर फिर भी उनके माथे से पसीना निकल रहा है। 

।।‌ अब चलिए इन सबको जानते हैं ।।

तेज कपाड़िया अर्णव जी के बड़े भाई है 

कपाड़िया इंडस्ट्री की निव अर्णव कपाड़िया और तेज कपड़े के पिताजी ने रखा है जिनका नाम विक्रांत कपाड़िया है। 

विक्रांत कपाड़िया ने कपाड़िया इंडस्ट्रीज को अपने मेहनत से कामयाब बनाया है उसके बाद उन्होंने इस कंपनी का सीईओ अर्णव जी को बनाया है (तेज कपाड़िया को  क्यों नहीं बनाया है अब आगे के कहानी में जानेंगे।)

उसके बाद कपड़े इंडस्ट्रीज का सीईओ रमन कपाड़िया बने।

जिसकी वजह से तेज कपाड़िया के परिवार को अर्णव कपाड़िया के परिवार से नफरत हो गई)

जिसकी वजह से यह लोग अपने जीता ने से ज्यादा अहमियत  ,अर्णव कपाड़िया को हार ते हुए देखने में देते हैं।

डियर रीडर इनकी की फैमिली हिस्ट्री में बाद में आपको समझाऊंगी।

कहानी पर आते हैं 

शेखर जी अपने हाथों में इनविटेशन कार्ड को लेते हैं और उस कार्ड को फाड़ते  हुए‌  बोलते हैंजितने टुकड़े-टुकड़े इस इनविटेशन के हुए हैं ना उतने ही टुकड़े-टुकड़े में तुम लोगों की खुशियों का कर दूंगा । 

कपाड़िया मेंशन में 

कपाड़िया मेंशन में शिवाय अपनी बहन पालकी को मना रहा था पर पालकी मानने के लिए तैयार ही नहीं थी। 

शिवाय उसे बहुत बार सॉरी बोला बहुत सारे गिफ्ट्स ला कर दिए। 

फिर भी पालकी ने शिवाय को माफ नहीं किया ‌।

पालकी अपने कमरे में रोते हुए अपने आप से बोली क्या लगता उने की मैं इन गिफ्ट से मान जाऊंगी। नहीं मैं उन्हें उतना  ही परेशान करूंगी जितना उन्होंने मुझे किया है।
 उन्हें मेरा ख्याल एक बार भी नहीं आया लौट के आने के बाद भी उन्होंने मुझे मिले नहीं आए, इतनी आसानी से नहीं मानूंगी। 

वैसे ही रोते हुए खुद में बड़बड़ा रही थी शिवाय दरवाजे पर ठहरकर  उसकी सारी बातें सुन रहा था। 

शिवाय धीरे से उसके कमरे में आता है। उसे अपने सीने से लगाया है। जब पलकी को एहसास होता है कि शिवाय उसे गले लगाया गया है ,तो पालकी खुद को छुड़वाने की बहुत कोशिश करती है पर शिवाय उसे छोड़ता नहीं है ।शिवाय को छोड़ते ना देखकर पालकी ,पालकी गुस्से में आ गए उसने अपने हाथों से शिवाय को जोर-जोर से मरने लगती है और बोली अब बहुत-बहुत बुरे हो भाई आपसे ज्यादा बुरा कोई भी नहीं है। आप मुझे ऐसे ही छोड़ कर गए जब वापस आए गए थे एक बार भी मुझसे नहीं मिले यू डॉन'टी लव मी भाई यू डॉन'टी लव मी। 

वैसे बोलती हुए शिवाय के सीने पर सर रख कर रोती जा रही थी।

शिवाय भी उसे रोने से नहीं रोकता है। उसे रोने देता है ।क्योंकि वह जानता है, कि पालकी interword टाइप की लड़की है ,वह ज्यादातर अपनी बातें किसी को नहीं बताती है। 

शिवाय ,पालकी के सर पर हाथ रख कर बोला सॉरी आई एम वेरी सॉरी बट तू समझ ना की मैं सिचुएशन ही ऐसा था कि मैं सब कुछ छोड़ कर चला गया और जब आया था तब मेरे पास करने के लिए बहुत कुछ था बड़े पापा का ख्याल रखना बच्चों का ख्याल रखना और ऑफिस में भाई का साथ देना अब तू बता इसमें कि मैं तुझे कैसे मिलता। 

और हां आइंदा मत कहना कि आई डोंट लव यू । जिस तरह मेरे लिए कैरव सन्नवी और आर्य है वैसे ही तुम भी हो यू नो ना आई डॉन'टी लाइक टियर्स इन योर आइज।

रो, रो के देखो अपना हाल कैसे बना लिया है अगर तुम्हें कोई इस हालत में देख लेगा तो हंस हंस कर मर जाएगा पूरा का पूरा लाल बंदर बन चुकी हो। 

जो पालकी शिवाय के सीने पर सर रखकर रोते हुए उसकी बातें सुन रही थी अब उसकी आखिरी बातें सुनकर वह चिड़ जाती है वह शिवाय से अलग होती है और अपने बेड पर पिलो रखे पिल्लों को उठाकर शिवाय को मरने लगती है और बोली क्या कहा आपने में बंदरिया लगती हूं इतना बोलकर शिवाय को पीलो से मरने लगती है।

शिवाय उसकी मार से बचते हुए नीचे हॉल में आता है, पालकी भी के पीछे पीछे भागते हुए आती है रुकिए भाई आपको अभी बताती हो उन दोनों किस तरह भागते देखकर हाल में बैठकर बातें करते सभी लोग मुस्कुराते हैं क्योंकि शिवाय के जाने की वजह से जो पालकी पहले से ही खामोशी रहती थी और भी ज्यादा खामोश हो गई थी। 

आज फिर से इस तरह देखकर वहां पर खड़े सभी लोगों की आंखों में पानी आ गया था पर चेहरे पर मुस्कान भी थी। 

वनराज बोला क्या हुआ है ऐसे भाग क्यों रहे हो तुम दोनों, पालकी बोली भाई अब भाई को पकड़ो इन्होंने मुझे बंदरिया कहा है आज मैं नहीं छोडूंगी। 

शिवाय वनराज के पीछे आते हुए बोला नहीं भाई मैंने इसे सिर्फ बंदरिया नहीं कहा, बल्कि लाल बंदरिया कहां है। 

शिवाय की बात सुनकर घर के सभी लोग हंस रहे थे क्योंकि पालकी सच में लाल हो चुकी थी एक्चुअली पालकी का स्कीन इतना सेंसिटिव है कि वह जब भी ओवर इमोशनल होती है चाहे वह खुशी में हो या दर्द में उसका पूरा शरीर लाल होने लगता है। 

अरनव जी और खुशी जी अपने बच्चों को फिर से हंसते खेलते हुए देखकर बहुत खुश होते हैं।

बच्चे जब यह सब देखते हैं। तो उन्हें समझ नहीं आ रहा होता कि यह सब हो क्या रहा है सन्नवी अपना दिमाग लगाते हुए बोले आई थिंक भाई पिलो फाइट हो रहा है चलो हम भी करते हैं इतना बोलकर वह सब भी सोफे से तकिया लेकर एक दूसरे पर मरते हैं। 

इस वक्त कपाड़िया हाउस में इतनी खुशियां आई है कि  इशिता जी अपने मन में बोली नजर ना लगे मेरे परिवार को ऐसी ही खुशियों भरा  रहे। (लेकिन वह नहीं जानती थी की खुशियां बस कुछ समय के मेहमान होती है)



क्या होगा पार्टी में। 

क्या बरकरार रहेगी कपाड़िया हाउस की खुशियां या कोई आएगा ग्रहण लगाएं ने।

 आखिर क्यों करते हैं शिकार कपाड़िया अपने ही परिवार से इतनी नफरत।

जानने के लिए पढ़ीए है 
नेक्स्ट चैप्टर।

स्पॉयलर अलर्ट 

शादी की तैयारी और आर्य और संन्नवि की मां का सच।