रिश्तों की खरीदारी suhail ansari द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अदाकारा - 62

    *अदाकारा 62*     शर्मिलाने अपने दिमाग पर ज़ोर लगा...

  • Tere Ishq Mein - Explanation - Movie Review

    फिल्म की शुरुआत – एक intense Romanceफिल्म की शुरुआत एक छोटे...

  • Between Feelings - 1

    Author note :hiiiii dosto यह एक नोवल जैसे ही लिखी गई मेरे खु...

  • Mafiya Boss - 3

    in mannat गीता माँ- नेहा, रेशमा !!ये  तुमने क्या किया बेटा?...

  • छुपा हुआ इश्क - एपिसोड 23

    एपिसोड 23— छुपा हुआ इश्क़शीर्षक: अनंत पुल — प्रेम और आत्मा क...

श्रेणी
शेयर करे

रिश्तों की खरीदारी

🧑‍💼 मुख्य किरदार:आदित्य वर्मा – 35 साल, सफल सॉफ्टवेयर इंजीनियर, पर अकेला

समीरा – 30 साल, एक जानी-मानी "इमोशनल एसिस्टेंट ऑन रेंट"माहौल – एक भविष्य की दिल्ली, जहाँ "रिश्तों का किराया" भी चलन में है

💼 भाग 1: जब रिश्ते खरीदने लगे लोगआदित्य का जीवन सधा-संवरा था — पैसा था, गाड़ी थी, नाम था…बस कोई अपना नहीं था।ऑफिस से लौटने के बाद घर एकदम खामोश रहता

—तब उसने देखा एक ऑनलाइन ऐप का विज्ञापन:"Need Love? Hire a Partner — वीकेंड पर पत्नी, हफ्ते भर दोस्त।कोई बंधन नहीं, बस थोड़ी ख़ुशियाँ।"

सामान्य तौर पर आदित्य ऐसा कुछ न करता,पर उस दिन अकेलापन ज़्यादा तेज़ था।

उसने बुक किया — एक वीकेंड पैकेज:“Wife on Rent – नाम: समीरा”

👩 भाग 2: समीरा की एंट्रीसमीरा जब पहली बार घर आई, तो एकदम अलग ऊर्जा लाई —वो मुस्कराई, घर को फूलों से सजाया,

और आदित्य से बोली:“मैं तुम्हारी पत्नी नहीं,पर इन दो दिनों में तुम्हें वैसा ही अहसास दूंगी —देखना, दिल थोड़ा हल्का हो जाएगा।

”दोनों ने साथ खाना बनाया, पुराने गाने सुने, और रात को छत पर बैठकर बातें कीं।

आदित्य ने पूछा:“तुम ये काम क्यों करती हो?”समीरा बोली:“मैं भी अकेली हूँ।

किसी की जिंदगी में थोड़ी रोशनी देने से शायद मेरी अंधेरी रातें भी कट जाएँ।”

🎭 भाग 3: किराया तो था, पर एहसास असली निकलेहर वीकेंड अब आदित्य उसका इंतज़ार करने लगा।वो अब उसे किराए की नहीं, अपने जैसी लगने लगी थी।

धीरे-धीरे समीरा ने भी अपनी हँसी से परे की तकलीफ़ें साझा कीं

—एक टूटा रिश्ता, एक खोया सपना, और एक समाज जो "सेवा" और "इमोशनल हेल्प" को धंधा समझता था।एक रात समीरा बोली:“क्या तुम कभी मुझे यूँ देख सकते हो... बिना किराए के?”

💔 भाग 4: प्यार? या सौदा?आदित्य के सामने एक मुश्किल थी —क्या वो वाकई प्यार कर बैठा था?या बस उसकी आदत हो गई थी?समीरा ने कहा:“मैं यहाँ पैसों के लिए आई थी, पर तुमने मुझे इंसान बनाया।”

लेकिन उसी हफ्ते, समीरा का रजिस्ट्रेशन ऐप से हटा दिया गया —"पर्सनल अटेचमेंट" नहीं होना था…वो चली गई, बिना बताए।

📦 भाग 5: असली रिश्ता, बिना किराए केकई महीने बीते।आदित्य फिर से अकेला हो गया था —पर इस बार वो उस अकेलेपन से डरता नहीं था।

उसने एक चिट्ठी भेजी — उसी पुराने पते पर जहाँ समीरा रहती थी:"इस बार मैं तुम्हें किराए पर नहीं चाहता।अगर तुम आओ तो हमेशा के लिए…चाहे नाम कोई हो — पत्नी, दोस्त या बस हमसफर।ये रिश्ता अब दिल से होगा — बिना पैसे, बिना शर्त।”

और एक दिन दरवाज़ा खुला —सामने समीरा थी, हाथ में सिर्फ एक चाय का कप,और होंठों पर वही मुस्कान:“चलो... इस बार घर को घर बनाते हैं। बिना शर्त।”

दोनों ने एक दूसरे के साथ , रहने लगे कभी दोनों मै आपस में पुरानी बातों को ले कर , कोई बात नहीं हुई, कियू की ये रिश्ता दिल से निभाया जा रहा था ।दोनों के दिल साफ थे, की मेल ना था ।

💌 सीख:कभी-कभी रिश्तों की शुरुआत किराए से होती है,पर अगर दिल सच्चा हो —तो वो हमेशा के लिए बन सकते हैं।

कहानी कैसी लगी आप को इसके पार्ट भी बनाऊंगा अगर आप लोगो ने पसंद किया तो , मुझे कमेंट्स करके अपनी प्रतिक्रिया जरूर देना ।

सुहेल अंसारी। सनम

9899602770

suhail.ansari2030@gmail.com