राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 3 Soni shakya द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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राधे ..... प्रेम की अंगुठी दास्तां - 3

राधा तुरंत ही बिस्तर छोड़ कर नहाने चली गई।
अपने आप से बातें करती __
कितनी देर हो गई आज मुझे तो लाली से मिलने जाना था।
हे भगवान लाली कहीं बाहर तो नहीं चली गई  होगी।
आज उसे अपने मन की बात बता दुंगी  उसके अलावा है ही कौन जो मेरी बात को समझेगा।
एक लाली ही तो है जिसने सबसे पहले जान लिया था कि __मेरे  अन्दर प्यार पनप रहा है 
...... देव के लिए 
राधा भगवान को प्रणाम कर जैसे ही लाली के घर जाने को निकलती है  तो,  देखती है कि लाली खुद ही आ रही थी उससे मिलने।
राधा दरवाजे पर ही रूक गई और जैसे ही लाली आई उसे गले लगाते हुए बोली __आज तो भगवान से ‌कुछ और भी ‌मागती तो वो भी मिल जाता शायद।
पर मैंने तो तुझसे मिलने की ही प्रार्थना की थी  बस।
क्या बात है राधा रानी,,,,,मिजाज कुछ बदले -, बदले नजर आ रहे हैं।

तुम अन्दर तो चलो लाली कहते हुए राधा उसका हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले आई।

अब कहो मेरी जान क्या हुआ है जो इतनी बेताब हुई जा रही हो।
लाली..... मुझे प्यार हो गया है.... देव से !!
क्या  ???
क्या कहां तुमने  ? उछलते हुए बोली __लाली
प्यार हो गया है तुम्हें ?
देव से ।
हां,,, लाली  वो भी पुरे दिलो-दिमाग से।

सोच लो राधा । बहुत कठिन है डगर _प्रेम‌ की 

अब कुछ सोचने को नहीं बचा है लाली,
मुझे तो बस प्यार हो गया है।
झुमते हुए बोली राधा।

लाली.क्या मैं देव को बता दु कितना खुश हो जाएगा वो भी।
 
ठहरो राधा इतनी जल्दी क्या है।
पहले देव का मन भी तो जान लो।
अगर उसे पसंद नहीं आई तुम्हारी बात तो ?
अगर देव कहे कि वो तुम्हें सिर्फ दोस्त मानता है तो फिर,.. क्या करोगी। ?

ऐसा नहीं होगा लाली __
मैंने देखा है देव की आंखों में प्यार...मेरे लिए 
अगर प्यार ना होता तो वो इतना क्यों मनाता है मुझे।
क्यों करता है मेरी इतनी खुशामद ।
कुछ तो उसके मन मे भी होगा न लाली।

अगर उसे प्यार होता तो तुमसे कहता नहीं इतना इंतजार क्यों करता?

हो सकता है लाली  उसे समझ‌ नहीं आ रहा‌ हो कि कैसे कहै?
अरे मेरी भोली राधारानी लड़के इतना नहीं सोचते वह तो फटाक से कह देते हैं।
अंजाम की परवाह किए बिना।

नहीं लाली देव ऐसा नहीं है वह सबसे अलग है ।

अच्छा  तो ठीक है फिर...
जब तुमने मन बना ही लिया ‌है तो कह भी दो
मैं कोन होती हुं समझाने वाली ।

नहीं लाली, तुम तो मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो 
इसलिए तो सबसे पहले तुम्हें बताया ।

इतने में सविता चाय लेकर आती है। आते ही बोली क्या खुसूर फुसूर चल रही है दोनों में।
क्या खास बात है मुझे भी बताओ। राधा एकदम चुप हो जाती है।
लाली सविता के हाथ से चाय लेते हुए बात को संभालती है कुछ नहीं भाभी हम तो बस यूं ही बात कर रहे थे।
सविता संदेह भरी नजर से दोनों को देखती हैं फिर चाय रख कर चली जाती है।
राधा दिल पर हाथ रखते हुए गहरी सांस लेती है और फिर कहती हैं __बच गए आज तो। 

अभी से डर गई राधा रानी ये तो बस शुरुआत है
आगे आगे देख होता है क्या?

मैं किसी से नहीं डरती और मैं क्यों डरूं 
चोरी थोड़ी की है । मैंने तो प्यार किया है,,,,

अच्छा !!तो चल फिर बता दें घर में सब को

समय आने पर बता दूंगी सबको पहले देव को तो बता दु मुस्कुराते हुए बोली राधा। 

जैसी तेरी मर्जी राधा अब मुझे घर जाना है बाद में मिलती हूं । लाली चली जाती है।

राधा अपने कमरे में बैठी थी कि तभी सविता ने आवाज लगाई --राधा देव आया है। 
   सुनते ही राधा खुशी से उछल गई और भागते हुए देव के पास जा पहुंची।

कब आए देव ,कैसे हो? 
राधा की बात सुनते ही देव को बड़ा आश्चर्य हुआ उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वही राधा है जो आते से मुंह फुला लेती थी।
आज उसकी वाणी में इतनी कोमलता कयो है।
कुछ तो है ..!
जरूर कुछ अलग हुआ है। 
क्या हुआ है राधा  देव ने पूछा__