धरती की पुकार Dayanand Jadhav द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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धरती की पुकार

(एक मज़ेदार और शिक्षाप्रद नाटक बच्चों के लिए, पर्यावरण संरक्षण पर आधारित)

पात्र:

नीलू – एक चतुर और नटखट बच्चा

मीरा – उसकी समझदार दोस्त

प्रोफेसर इको – एक अनोखा वैज्ञानिक, जो प्रकृति से बात कर सकता है

कूड़ा किंग – गंदगी और प्रदूषण का मालिक, जो कूड़ा फैलाने में मज़ा लेता है

धुआँ देव – हवा को जहरीला बनाने वाला विलेन

धरती माता – जो बच्चों को चेतावनी देती हैं

जानवर और पेड़ – जंगल के जीव, जो संकट में हैं

अंक 1: धरती माता की चेतावनी

(दृश्य: एक जंगल, जहाँ कचरा फैला हुआ है। पेड़ मुरझाए हुए हैं और जानवर परेशान दिख रहे हैं। बच्चों के खेलने की जगह भी गंदी हो चुकी है।)

नीलू: (नाक पकड़कर) उफ्फ! ये कैसी बदबू है? यहाँ तो सांस भी नहीं ली जा रही!

मीरा: देखो नीलू, यह नदी कितनी गंदी हो गई है, और ये बेचारे पक्षी प्यासे हैं!

(तभी बादलों में हलचल होती है और एक गूँजती हुई आवाज़ सुनाई देती है। धरती माता मंच पर आती हैं। उनके कपड़े पेड़ों और पत्तों जैसे दिखते हैं।)

धरती माता: बच्चों, मेरी हालत देखो! मैं बीमार हो गई हूँ। अगर तुमने मेरी मदद नहीं की, तो मैं हमेशा के लिए मर जाऊँगी।

नीलू: अरे! आप कौन हैं?

धरती माता: मैं हूँ धरती माता, जो सबको जीवन देती हूँ। लेकिन लोग मेरी परवाह नहीं कर रहे। कोई कूड़ा फैला रहा है, तो कोई हवा जहरीली बना रहा है।

मीरा: ये तो बहुत बुरा है! हमें कुछ करना होगा।

धरती माता: मैं तुम्हें प्रोफेसर इको के पास भेजती हूँ। वो तुम्हें बचाने का तरीका बताएंगे।

(आसमान में चमकती रोशनी होती है, और प्रोफेसर इको मंच पर प्रवेश करते हैं। उनके हाथ में एक बड़ा मैग्निफाइंग ग्लास और रिसाइक्लिंग बैग है।)

प्रोफेसर इको: (हंसते हुए) हा हा हा! मैं हूँ प्रोफेसर इको! मैं पर्यावरण की भाषा समझ सकता हूँ। और मुझे पता है कि संकट कहाँ से आ रहा है!

मीरा: जल्दी बताइए! हमें क्या करना होगा?

प्रोफेसर इको: तुम्हें तीन बुरे लोगों को हराना होगा – कूड़ा किंग, धुआँ देव और प्लास्टिक पिशाच!

अंक 2: तीन खलनायकों से मुकाबला

चुनौती 1: कूड़ा किंग से युद्ध

(दृश्य: एक कूड़े से भरा मैदान। यहाँ कूड़ा किंग का राज चलता है। वह मंच पर एक बड़ा थैला लिए प्रवेश करता है और कचरा इधर-उधर फेंकता जाता है।)

कूड़ा किंग: हा हा हा! मुझे कूड़ा फैलाना बहुत पसंद है! अगर हर जगह कचरा होगा, तो मेरी ताकत बढ़ेगी!

नीलू: नहीं! हम तुम्हें और गंदगी नहीं फैलाने देंगे!

मीरा: हम रिसाइक्लिंग और साफ-सफाई करेंगे!

(प्रोफेसर इको बच्चों को तीन डिब्बे देते हैं – हरा, नीला और पीला। बच्चे झाड़ू लेकर सफाई करने लगते हैं और कचरे को सही डिब्बों में डालते हैं।)

प्रोफेसर इको: ग्रीन गार्डियंस बनो! सही कचरा सही जगह डालो!

(जैसे ही कचरा सही डिब्बों में चला जाता है, कूड़ा किंग कमजोर होने लगता है और ज़मीन पर गिर जाता है।)

कूड़ा किंग: अरे नहीं! मेरी शक्ति खत्म हो रही है!

(कूड़ा किंग गायब हो जाता है। बच्चे तालियाँ बजाते हैं।)

चुनौती 2: धुआँ देव की हार

(दृश्य: एक फैक्ट्री, जहाँ धुआँ फैला हुआ है। धुआँ देव मंच पर प्रवेश करता है और बड़े-बड़े धुएँ के गुब्बारे फेंकता है।)

धुआँ देव: हा हा हा! मैं धुआँ फैलाकर सबको बीमार कर दूँगा! कोई भी शुद्ध हवा में सांस नहीं ले पाएगा!

मीरा: नहीं! हम तुम्हें रोकेंगे!

(बच्चे नकली पेड़ लगाने लगते हैं और हवा को साफ करने के लिए पंखे चलाते हैं। प्रोफेसर इको सौर ऊर्जा का पैनल दिखाते हैं और बताते हैं कि इसे इस्तेमाल करने से प्रदूषण कम होगा।)

नीलू: देखो! हवा साफ़ हो रही है! पेड़ हमें ऑक्सीजन देते हैं!

(जैसे ही हवा साफ़ होती है, धुआँ देव ज़मीन पर गिर जाता है और गायब हो जाता है।)

चुनौती 3: प्लास्टिक पिशाच से टक्कर

(दृश्य: समुद्र का किनारा, जहाँ प्लास्टिक कचरे से समुद्री जीव मर रहे हैं। प्लास्टिक पिशाच मंच पर प्रवेश करता है और बच्चों को डराने की कोशिश करता है।)

प्लास्टिक पिशाच: मैं अमर हूँ! कोई मुझे नष्ट नहीं कर सकता! प्लास्टिक कभी नहीं गलता! हा हा हा!

नीलू: लेकिन हम तुम्हारा उपयोग बंद कर देंगे!

मीरा: हम कागज और कपड़े के थैले इस्तेमाल करेंगे!

(बच्चे मंच पर प्लास्टिक की जगह कपड़े के थैले, बांस के स्ट्रॉ और स्टील की बोतलें दिखाते हैं। प्लास्टिक पिशाच धीरे-धीरे सिकुड़ने लगता है और अंत में गायब हो जाता है।)

अंक 3: जीत और जश्न

(दृश्य: साफ़-सुथरी धरती, हरे-भरे पेड़, और खुशी से खेलते हुए जानवर। धरती माता फिर से स्वस्थ नज़र आती हैं।)

धरती माता: वाह! तुमने मेरी रक्षा की। अब मैं फिर से हरी-भरी और स्वस्थ हूँ!

प्रोफेसर इको: अब से याद रखना—"कम कचरा, ज़्यादा हरियाली!"

नीलू: हाँ! हम हर दिन एक छोटा कदम उठाएँगे!

मीरा: और दूसरों को भी प्रेरित करेंगे!

(सभी मिलकर एक गीत गाते हैं।)

गीत: "धरती है हमारी माँ"

सभी मिलकर गाते हैं:

"धरती है हमारी माँ,

इसका रखेंगे ध्यान!

पानी बचाएँगे, पेड़ लगाएँगे,

हरियाली का बढ़ाएँगे मान!"

(दर्शकों को भी साथ में गाने के लिए आमंत्रित किया जाता है।)

धरती माता: याद रखो, बच्चे! यदि तुमने प्रकृति से प्यार किया, तो वह तुम्हें ढेर सारा आशीर्वाद देगी!

(पर्दा गिरता है। तालियों की गड़गड़ाहट!)