राधा बनी डायन - बदले की डरावनी कहानी - 1 radhikatomar द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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राधा बनी डायन - बदले की डरावनी कहानी - 1

कहानी है "चंदनगढ़" गाँव की — जहाँ बेटियाँ बचपन में ही दुल्हन बना दी जाती थीं।
गाँव के बुज़ुर्ग कहते थे,

> “अगर कोई लड़की जवान हो गई और उसकी शादी न हुई… तो गाँव पर अभिशाप टूट पड़ेगा।”



कितनी ही मासूम लड़कियाँ इस अंधविश्वास की आग में जलकर मिटा दी गईं, पर चंदनगढ़ के लोग अपने रीति-रिवाज बदलने को तैयार नहीं थे।

इसी गाँव में जन्मी थी राधा — एक ऐसी बच्ची जो जैसे कोई वरदान बनकर आई थी। जन्म से ही उसमें कुछ रहस्यमयी शक्तियाँ थीं। राधा अब 12 साल की हो चुकी थी — पूरे गाँव की लाडली। गरीब किसान माता-पिता ने उसे कभी किसी चीज़ की कमी नहीं होने दी।

गाँव वाले कहते,

> "जब से राधा आई है, चंदनगढ़ में जैसे खुशियाँ लौट आईं। फसल अच्छी, बारिश समय पर और कोई बीमारी नहीं।"



लेकिन जैसे कहा जाता है — "नदी और बेटी कब बड़ी हो जाए, पता नहीं चलता।" राधा कब 15 साल की हो गई, किसी को खबर ही नहीं हुई। अब माँ-बाप को उसकी शादी की चिंता सताने लगी।


---

एक दिन राधा खेत से घर लौट रही थी। तभी उसने देखा—गाँव का मुखिया धनीराम, उस पुरानी झोपड़ी की ओर जा रहा था।
उसे ताज्जुब हुआ—इतनी बड़ी हवेली वाला इंसान वहाँ क्यों?

छिपकर झोपड़ी के पास पहुँची तो अंदर से किसी स्त्री के रोने की आवाज़ आई। राधा ने साहस करके पीछे की जाली से झाँका। अंदर गाँव की ही रोमा भाभी थीं — रोती हुई, गिड़गिड़ाती हुई।

मुखिया ने कहा:

> "मैंने कहा था, आज तेरा नंबर है। किसी भी हालत में तुझे मुझे खुश करना ही होगा।"



रोमा डर से काँप रही थी। राधा की आँखों में गुस्सा और डर भर आया। वह जो देख रही थी — वह किसी नर्क से कम न था। धनीराम जैसे हैवान लोग चंदनगढ़ की परंपरा के नाम पर महिलाओं को शिकार बना रहे थे।

रोमा खुद को बचाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मुखिया ने उसकी साड़ी खींच ली और....राधा की आँखें नम हो गईं। वह खुद को रोक नहीं सकी — एक चीख उसके हलक में अटक गई। लेकिन तभी उसकी साँसें तेज़ चलने लगीं और वह बेहोश होकर वहीं गिर पड़ी।

जैसे ही राधा ज़मीन पर गिरी, झोपड़ी के अंदर अचानक कुछ हलचल हुई।

मुखिया चौक गया और गुस्से में दहाड़ा:

> “रामू! कालू! कहाँ मर गए सब? बाहर कौन है देखो ज़रा! आवाज़ आई है कुछ!”
“जल्दी जाओ, देखो! नहीं तो सबको बताऊँगा! नालायकों, कुछ काम भी कर लिया करो!”


मुखिया के आदमी झोपड़ी से बाहर निकलने ही वाले थे कि...

उसी पल झाड़ियों के पीछे से कोई रहस्यमयी परछाई निकली।

साँसों की आवाज़, ज़मीन पर तेज़ कदमों की थाप...
किसी ने राधा को उठाया और अंधेरे में गायब हो गया।

मुखिया के आदमी बाहर पहुँचे, लेकिन वहाँ कोई नहीं था—सिर्फ राधा की चप्पलें और एक टूटी हुई चूड़ी मिट्टी में पड़ी थी।

आख़िर कौन था वो?
क्या राधा को बचाया गया… या वो भी किसी शिकारी के जाल में फँस गई?
राधा अब कहाँ है? और क्या वह कभी वापस आएगी राधा बेहोसी मे रोमा भाभी बोल रही थी और साया राधा के पास बैठा था

सच जानकर आपके होश उड़ जाएँगे...!

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