आत्मा की खोज - तीसरी आँख से परे - 1 Puneet Katariya द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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आत्मा की खोज - तीसरी आँख से परे - 1

भूमिका:

यह पुस्तक आत्म-अन्वेषण, आध्यात्मिक जागरण और गूढ़ रहस्यों की खोज पर आधारित है। इसमें एक ऐसे पात्र की यात्रा को दर्शाया गया है, जो अपनी आंतरिक शक्ति और आत्मा के गहरे रहस्यों को समझने के लिए एक असाधारण सफर पर निकलता है। और उसको ध्यान की वह  पद्दती मिलती है  प्राचीन काल मे सिद्धार्थ  को मिली थी जिसने उन्हे भगवान बुद्ध बनाया ।  

 

अध्याय एक: खोया हुआ जीवन

अध्याय दो: अजनबी से मुलाकात

अध्याय तीन: ब्रह्मांड का रहस्य

अध्याय चार: अवचेतन मन की शक्ति

अध्याय पाँच: ध्यान की ओर पहला कदम

अध्याय  छ: विपासना की पहली अनुभूति

अध्याय  सा: मौन के दस दिन

अध्याय  आठ: शुद्धि की पीड़ा

अध्याय  नो:  नई दृष्टि, नया जीवन

अध्याय  दस: आत्मा की खोज पूर्ण नहीं, प्रारंभ है

 

 

              अध्याय एक: खोया हुआ जीवन

आरव एक अत्यंत सफल व्यवसायी था। उसकी गिनती देश के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में होती थी। चमकती दुनिया में वह एक सितारे की तरह था—जिसके पास सब कुछ था: आलीशान बंगलों की श्रृंखला, विश्वभर में फैली कंपनियाँ, निजी विमान, महंगी गाड़ियाँ और एक शक्तिशाली नेटवर्क। वह जहाँ जाता, वहां उसका स्वागत रेड कारपेट से होता।

लेकिन इस चकाचौंध भरी दुनिया के पीछे एक ऐसी कहानी छिपी थी, जो केवल आरव जानता था।

                                                   बचपन में ही उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी। एक छोटे से कस्बे में पले-बढ़े आरव को बहुत कम उम्र में जीवन की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसने दूसरों के घरों में ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी की। कॉलेज के दिनों में वह दिन में काम करता और रात में पढ़ाई करता।

                                    यही संघर्ष उसकी जिजीविषा बन गया। उसका सपना था—सफलता की ऊँचाइयों को छूना, वह सब कुछ पाना जो बचपन में छूट गया था। और उसने वह कर दिखाया। लेकिन जैसे-जैसे वह ऊँचाई की सीढ़ियाँ चढ़ता गया, भीतर एक गहराता हुआ खालीपन भी साथ चलता गया।

                                     हर दिन की शुरुआत मीटिंग्स और रणनीतियों से होती, और रात किसी होटल के कमरे या फ्लाइट में समाप्त होती। पैसा, प्रसिद्धि और ताकत, उसकी दुनिया के केंद्र में थे। वह भाग रहा था, लगातार, लेकिन उसे यह नहीं पता था कि वह किस मंज़िल की ओर दौड़ रहा है।

                                    वह खुद को एक ऐसे जाल में फँसा पाता जिसे उसने ही बुना था—मीटिंग्स, समझौते, प्रतियोगिताएँ और लक्ष्यों की अनंत सूची। कभी-कभी जब वह अपनी ऊँची इमारत की बालकनी से शहर की रोशनी को निहारता, तो मन के किसी कोने से एक फुसफुसाहट आती, “क्या यही है सब कुछ?”

“जो मुझे दिख रहा है, क्या उसमें कोई सच्चाई है? या मैं बस कोई सपना देख रहा हूँ, जो एक दिन टूट जाएगा?”

                                   उसकी आँखें गीली हो जातीं, और सामने दिखता दृश्य धुंधला पड़ जाता। अब दिन की शुरुआत नए लक्ष्य के साथ होती, लेकिन अंत होता एक सन्नाटे में—एक अहसास के साथ कि शायद उसने सब कुछ पाने की दौड़ में खुद को ही खो दिया।

           उसके पास सब कुछ था—लेकिन उस "सब कुछ" में उसकी आत्मा कहीं गुम हो चुकी थी।

 

भाग्य की करवट:एक अनजान यात्रा

                              एक दिन, उसे एक महत्वपूर्ण बिजनेस डील के लिए विदेश जाना पड़ा। यह सौदा उसके करियर का सबसे बड़ा सौदा था। यह डील उसके साम्राज्य को नई ऊँचाइयाँ दे सकती थी।

वह अपनी निजी जेट में बैठा, रणनीति पर विचार कर रहा था। हर सुख-सुविधा मौजूद थी, लेकिन अब वो इन चीज़ों से अछूता हो गया था। उसके भीतर जैसे कुछ बदल रहा था।

लेकिन नियति के पास उसके लिए कुछ और ही योजना थी।

 

हवाई दुर्घटना:जब जीवन ने करवट ली

                           विमान रात के अंधेरे में हिमालय की चोटियों के ऊपर से उड़ रहा था। तभी एक जोरदार झटका लगा। चेतावनी संकेत बजने लगे। पायलट ने नियंत्रण पाने की कोशिश की, लेकिन सब कुछ फेल हो गया।

“इमरजेंसी लैंडिंग के लिए तैयार हो जाइए!” पायलट की आवाज गूँजी।

आरव ने खिड़की से बाहर झाँका—सफेद, बर्फ से ढकी ऊँचाइयाँ और एक अनजाना अंधकार।

विमान तेजी से नीचे गिरा और एक ज़ोरदार धमाके के साथ सब कुछ शांत हो गया।

                   जीवन और मृत्यु के बीच जब आरव की आँखें खुलीं, तो चारों ओर केवल बर्फ थी। ठंडी हवाओं और बर्फ की चादर में घिरी वीरान घाटियाँ, और एक भयानक शांति। वह अकेला था—शरीर घायल, लेकिन जीवित।

          उसके सिर में तेज़ दर्द हो रहा था। उसका शरीर ठंड से जकड़ गया था। उसने धीरे-धीरे अपने आसपास देखा—कुछ दूरी पर विमान का जलता हुआ मलबा था। वह एकमात्र जीवित व्यक्ति था।

उसने अपनी जेब टटोली—मोबाइल बर्फ में जम चुका था, कोई सिग्नल नहीं था। न खाने के लिए कुछ, न किसी से संपर्क करने का तरीका।

वह चीखा, लेकिन उसकी आवाज़ बर्फीली हवाओं में खो गई।

अब उसे अहसास हुआ कि जीवन कितना अनिश्चित और अस्थायी है। जो आदमी कुछ घंटे पहले करोड़ों की डील करने जा रहा था, वह अब एक जंगली, सुनसान बर्फीली दुनिया में फंसा हुआ था।

                   अब वह उस दुनिया से कट चुका था, जहाँ दौड़, प्रतियोगिता और लक्ष्य थे। यहाँ सिर्फ अस्तित्व था। और यहीं से उसकी असली यात्रा शुरू होती है......

             

               आरव के साथ अब आगे क्या होगा ? क्या उसको वो मिलने वाला है जिसकी तलास उसकी अंतरआत्मा को थी ?