स्वास्थ्य की ओर: एक साहसी यात्रा kanchan द्वारा स्वास्थ्य में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अभिनेता मुन्नन

    अपने छोटे नगर के छोटे मुहल्ले मेंजब मैं छोटा था तब की याद अभ...

  • तेरा लाल इश्क - 21

    ऐसे सुबह सुबह अचानक से अपने सामने उस सूटबूट पहने आदमी को देख...

  • वरदान - 1

    एक दिन उनके राज्य में एक भिखारी आ पहुँचा। उसके कपड़े फटे-पुर...

  • अधुरी खिताब - 44

    एपिसोड 44 — “कलम जो खुद लिखने लगी”(सीरीज़: अधूरी किताब)---1....

  • तेरे मेरे दरमियान - 36

    पूनम :- अच्छा ठिक है पर आज हम सब यही रुकने वाले है और कल खान...

श्रेणी
शेयर करे

स्वास्थ्य की ओर: एक साहसी यात्रा

मेरी सहेली का भगवान पर भरोसा, संघर्ष, पॉजिटिव एटीट्यूड और नया सवेरा—यह सब तो आपने सुना होगा। लेकिन जब कोई बड़ी बीमारी का नाम रिपोर्ट में आता है, तो लोग डर जाते हैं। उन्हें समझ नहीं आता कि डॉक्टर की दवा के अलावा और क्या करें। डर यह भी होता है, कि सही कर रहे हैं या नहीं, मन में हजारों सवाल और शंकाएँ उठती हैं।इसीलिए,  बस यह बताना चाहती हूँ कि मेरी सहेली ने उस 1 साल के इलाज के दौरान अपनी लाइफस्टाइल कैसी रखी । शायद किसीको मदद हो|  यह सब हर किसी के लिए परफेक्ट डाइट नहीं हो सकती, लेकिन  डॉक्टर से पूछकर इसे ट्राई कर सकते हैं। हर किसी का शरीर अलग होता है—ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल, हर व्यक्ति की पाचन शक्ति और स्वाद की पसंद अलग-अलग होती है | लेकिन इतना तो सुना है कि पपीते के पत्तों के ज्यूस से प्लेटलेट्स बढ़ सकते हैं, काले किशमिश या चुकंदर का रस या आलूबुखारे या कीवी से हीमोग्लोबिन बढ़ सकता है। और सबसे ज़रूरी बात—डॉक्टर की दवा और दुवा | कोई कोई केहता  है वेज खाना अच्छा होता है पर मेरी सहेली को बचपन से नॉनवेज  खाने  की आदत थी |मेरी सहेली हर सुबह तुलसी के पत्ते चबाकर गरम पानी पीती थी। नाश्ते में ओट्स पॉरिज, इडली , दोसा या घी लगी चपाती लेती। दो घंटे बाद कीवी,आलूबुखारा ,केला और / या भीगे हुए थोड़े काले किशमिश,  बादाम , अक्रोड, पिस्ता, अलसी के बीज  या मीठा आमला खाती थी। अस्पताल जाने से पहले सुबह 11 बजे नारियल पानी या गन्ने का रस जरूर पीती। दोपहर में ज्वार की रोटी या कभी एक  दिन रागी  रोटी, बिना मिर्च की उबली हरी सब्जियाँ और सिर्फ नमक हल्दी लगी मछली  पका के खाती। रात में कभी उबला हुआ चिकन,  तो कभी मछली लेती। पूरा इलाज होने के बाद दो घुट चाय शुरू की जिसमें एक चुटकी सोंठ (शुंठी) और एक चुटकी अश्वगंधा पाउडर डालकर पीती थी। कभी चुकंदर का रस, कभी सॉरसोप  के दो पत्ते उबालकर पानी पीती कभी  इलेक्ट्रॉल पाउडर , कभी दही, कभी सप्पनवुड का पानी, कभी जीरा पानी, तो कभी ब्राह्मी शरबत , हर दिन कोई न कोई नया घरेलू उपाय आजमाती, ताकि इलाज के साथ यह चीजें भी असर करें। लेकिन बहुत कम मात्रा मे हर दिन इनमें से कोई एक हर्बल  चीज़ आजमाती थी जिस दिन डॉक्टर की दवा लेनी नहीं होती थी बस उसी दिन |  रोज़ 2 चुटकी हल्दी मुँह में 5 मिनट रखती और फिर गरम पानी पीती, ताकि इलाज के कारण मुँह में होने वाली तकलीफ से बच सके। अगर मीठा खाने का मन होता, तो चीनी की बजाय गुड़ वाली मिठाइयाँ खाती—जैसे गेहूँ के अनारसे, मूंगफली की चिक्की, या गुड़ की रोटी ,या गुड़ और नारियल मिल्क वाली खीर. कभी डर सा लगे तो भगवानों के  मंत्र और सुकून भरे गाने सुनाती थी | अच्छी हवा में घुमने जाती ताकि मन से बीमारी का नाम तक भूल जाये|  यदि संभव होता, तो वह प्राणायाम और शाम की सैर भी करती थी। हमेशा अपने बारे मे अच्छा सोचती थी | शायद यही वजह थी कि मेरी सहेली ने अपनी बीमारी से जीत हासिल की।