हवेली की चुड़ैल Rakesh द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

हवेली की चुड़ैल

### **"हवेली की चुड़ैल"**  

गांव से थोड़ा दूर, एक पुरानी, उजड़ी हुई हवेली थी। हवेली के बारे में कई भयानक कहानियां प्रचलित थीं। कहते थे कि वहां रात के समय एक चुड़ैल घूमती है, जिसकी लाल चमकती आँखें और उलझे बालों को जिसने भी देखा, वह या तो पागल हो गया या फिर गायब हो गया।  

गांव वालों ने उस हवेली के पास जाना भी बंद कर दिया था, लेकिन युवा और जिज्ञासु मन अक्सर कहानियों को सच मानने से पहले खुद उनकी जांच करना चाहता है।  

### **रात की चुनौती**  

रवि, अमित, और रोहन—तीनों दोस्त गांव के सबसे निडर लड़कों में गिने जाते थे। उन्होंने तय किया कि वे हवेली की सच्चाई जानकर ही रहेंगे। एक रात, जब पूरा गांव सो रहा था, वे तीनों हाथ में टॉर्च और लाठी लेकर हवेली की ओर बढ़े।  

हवेली के गेट पर पहुंचते ही ठंडी हवा का झोंका आया। दरवाजे की कड़ी जर्जर हो चुकी थी और हल्के से धक्का देते ही दरवाजा चरमराता हुआ खुल गया। अंदर अंधेरा था, दीवारों पर मकड़ियों के जाले थे और हर चीज़ पर धूल जमी हुई थी।  

अमित ने हल्के से कहा, "यहां तो सच में कोई नहीं रहता।"  

रवि ने हंसकर जवाब दिया, "हां, लेकिन हमें ऊपर के कमरे भी देखने चाहिए।"  

वे सीढ़ियों की ओर बढ़े। लकड़ी की सीढ़ियां हर कदम पर चरमरा रही थीं। तभी अचानक हवा में किसी के रोने की आवाज़ आई।  

### **डर का एहसास**  

तीनों ठिठक गए। रोने की आवाज़ धीरे-धीरे तेज होने लगी। अमित ने टॉर्च जलाकर चारों ओर देखा। कुछ नहीं था। लेकिन तभी छत से जाले झड़ने लगे और हवा में सरसराहट गूंजने लगी, जैसे कोई तेजी से घूम रहा हो।  

रवि ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "क... कौन है वहां?"  

एक तीखी हंसी हवा में गूंज उठी। अचानक एक दरवाजा खुद-ब-खुद खुल गया। दरवाजे के अंदर अंधेरा था, लेकिन उनमें से एक छायामूर्ति उभर रही थी। एक औरत का आकार, लंबे उलझे बाल, सफेद लहराता कपड़ा, और लाल चमकती आंखें...  

रोहन ने डर के मारे अमित का हाथ पकड़ लिया, "हमें यहां से भागना चाहिए!"  

लेकिन भागना अब आसान नहीं था। दरवाजा अपने आप बंद हो गया। हवेली के अंदर हवा तेजी से चलने लगी, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने सबको घेर लिया हो।  

### **चुड़ैल का रहस्य**  

चुड़ैल धीरे-धीरे उनकी ओर बढ़ रही थी। उसने दर्द भरी आवाज़ में कहा, **"तुम लोग यहां क्यों आए हो?"**  

रवि ने कांपते हुए कहा, "ह...हम बस देखना चाहते थे कि इस हवेली में सच में कुछ है या नहीं।"  

चुड़ैल हंसी। "मुझे इस हवेली में कैद हुए सौ साल हो गए हैं... कोई मेरी कहानी सुनने तक नहीं आया।"  

अमित ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "क्या हुआ था आपके साथ?"  

चुड़ैल ने एक लंबी सांस ली। "मेरा नाम सुरभि था। मैं इस हवेली के मालिक की बेटी थी। लेकिन मेरे सौतेले भाई ने मुझे इस हवेली में जिंदा दफना दिया। जब तक किसी ने मेरी मदद की, तब तक मेरी आत्मा इस हवेली से बंध चुकी थी।"  

चुड़ैल की आवाज़ में दर्द था। "अब हर रात मैं उन लोगों को डराती हूं जो इस हवेली को मेरा मानने से इनकार करते हैं।"  

रोहन कांपते हुए बोला, "क्या हम... आपकी कोई मदद कर सकते हैं?"  

चुड़ैल की लाल आँखों में अचानक नरमी आ गई। "अगर तुम मेरी कब्र से मेरी हड्डियां निकालकर नदी में बहा दोगे, तो मैं इस श्राप से मुक्त हो जाऊंगी।"  

### **आत्मा की मुक्ति**  

तीनों दोस्तों ने हिम्मत जुटाई और हवेली के पिछले हिस्से में गए। वहां एक पुरानी ईंटों से बनी दीवार थी, जिसके पीछे सुरभि की कब्र थी। उन्होंने कब्र को थोड़ा खोदा, वहां एक कंकाल पड़ा था। उन्होंने कंकाल को बाहर निकाला और जल्दी से पास की नदी में बहा दिया।  

जैसे ही हड्डियां पानी में गईं, एक हल्की रोशनी आसमान में फैल गई। हवेली में गूंजती चीखें शांत हो गईं।  

सुरभि की आत्मा सामने प्रकट हुई, अब उसकी आँखों में शांति थी। उसने मुस्कुराकर कहा, "तुमने मुझे मुक्त कर दिया। धन्यवाद!"  

इतना कहकर वह रोशनी में समा गई और हवेली फिर से शांत हो गई।  

अगले दिन गांववालों ने सुना कि हवेली अब पूरी तरह सामान्य हो चुकी थी। कोई चीख, कोई परछाई, कोई डरावनी आहट... कुछ नहीं बचा था।  

तीनों दोस्तों ने यह कहानी किसी को नहीं बताई, लेकिन उन्होंने एक बड़ी सीख ली—कभी भी बिना सोचे-समझे किसी जगह पर कदम नहीं रखना चाहिए, क्योंकि हर कहानी के पीछे कोई न कोई सच्चाई जरूर होती है।  

**- समाप्त -**