डॉक्टर को आभास हुआ कोई उनकी और मिश्रा जी की बातें सुन रहा है तो उन्होंने कहा " कौन है ? कौन है वहां पर्दे के पीछे दरवाजे के तरफ देखते हुए बोले ।
पर्दा सामने से हटा एक लड़का करीब उसकी उम्र 23 से 24 के बीच रही होगी ।
अंकल मैं अमित आपने ही तो मुझे बुलाया था ।
मिश्रा जी : हां अमित बेटा मैंने ही आपको बुलाया था .... आपसे मुझे कुछ जरुरी बात करनी थी धीरे से बोले ।
अमित मिश्रा जी के दोस्त अमेंद्र वर्मा का बेटा था जो अभी अपने पिता का कारोबार संभालता था । पिता के जाने के बाद परिवार का सारी जिम्मेदारी अमित के कंधों पर आ गया था ।
उसका छोटा सा परिवार था जिसमें उसकी मां कौशल्या जी और उसकी छोटी बहन आरुषि थी जो अभी 12th क्लास में पढ़ रही थी । आरुषि मुंगेर के हॉस्टल में रह कर पढ़ती थी । कौशल्या जी एक एनजीओ से जुड़ी हुई थी । महिलाओं को आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती थी । अमित को अकसर घर और अपनी मां से दूर रहना पड़ता था काम के सिलसिला में ।
अमेंद्र वर्मा जी के जाने के बाद बड़ा परिवार टुकड़ों में बंट चुका था ।
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अमित मिश्रा जी के पास आकर उनके पास बेड पर बैठ जाता है। तब तक डॉक्टर खुराना कहते हैं " अच्छा मिश्रा जी अब मैं चलता हूं लेकिन आप मेरी बातों पर गौर फरमाइएगा । "
अमित : चलिए अंकल आपको मैं बाहर तक छोड़ देता हूं ।।।
जैसे ही डॉक्टर खुराना के साथ अमित बहार आता है वैसे ही रूचि अपने पापा के कमरे में आती है ।
रूचि : पापा आप ठीक तो है न मिश्रा जी के तरफ देखते हुए पूछती है ।।
मिश्रा जी : ठीक हूं बेटा .....
मिश्रा जी रूचि के मदद से bed पर टेक कर बैठ जाते है।
आपको कितनी बार कहा है पापा आप अपना ख्याल रखा कीजिए ..... आप जानते हैं न आपको बीमार देख कर मुझे रोना आता है।
मिश्रा जी : कल को मेरी सांसे थम गई तो .... तुम्हारा क्या होगा बेटा ? यह सोच कर मेरा दिल बैठ जाता है।
रूचि : बस पापा ... अब एक और शब्द नही ।
आपको और आपकी सांसों को कुछ नहीं होगा मेरे रहते हुए समझे प्यार दिखाते हुए बोली ।
मिश्रा जी : बेटा तुम तो जानती हो आजकल जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है , इसीलिए मैं तुम्हारी शादी करवाना चाहता हूं ।
रूचि : प्लीज पापा .... फिर से आप मेरी शादी की बात बीच में मत लाइए । मैं अभी शादी नहीं करना चाहती हूं ।
अभी मेरी उम्र ही क्या है ?? 20 वर्ष होने को है और आप मेरी शादी करवाना चाहते हैं।
मिश्रा जी : काश ! मैं तुम्हे बता पाता बेटा मैं क्यों तुम्हारी शादी जल्दी करवाने की सोच रहा हूं । कब मेरी सांसे मुझे धोखा दे दे ये तो मुझे भी नही पता है ।
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रूचि : मैं आपके लिए जूस लेकर आती हूं पापा लेकिन जाने से पहले अपने दोनो हाथों से अपने कान को पकड़ लेती है , बिल्कुल छोटी बच्ची की जैसी लग रही थी ।
" I am really sorry papa "
शायद आपकी तबियत मेरी वजह से खराब हुआ है ।
मिश्रा जी : अरे नही री बिटिया ऐसी मत सोचो और अपने कान को छोड़ो वरना इतनी जोड़ से पकड़ोगी तो वो दोनो तुम्हारे हाथ में आ जाएंगे हंसते हुए बोले ।
रूचि : अपने पापा को खुश देख कर मुस्कुरा देती है , झटके में पीछे मुड़ी और दरवाजे के तरफ बढ़ गई अमित पर्दे के पीछे था ,से टकरा जाती है ।
रूचि गिरने वाली ही होती है तब तक अमित उसे बचाने के लिए हाथ पकड़ अपनी ओर खींचा जिससे रूचि अमित के बिल्कुल करीब हो गई लेकिन दोनों के बीच अभी भी पर्दा था।
रूचि को अंजान व्यक्ति का आहट महसूस हुआ जिससे वो पर्दे से खुद को दूर की " कौन है पर्दे के पीछे ?"
और आपकी हिम्मत कैसे हुई अंदर आने की कड़क स्वभाव से बोली ।।
अमित : जी .... जी .... कर के हकला रहा था ।
क्योंकि अमित सिर्फ जानता था मिश्रा जी की एक बेटी है लेकिन कभी उसे देखा नही था ।
तब तक मिश्रा जी बोल पड़ते हैं " अरे रूचि बेटा उसे आने दो वो कोई चोर उच्चका नही है उसे मैने ही बुलाया है ।
फिर रूचि साइड से निकल जाती है उससे पहले की अमित की नजरे रूचि पर पड़ती।
रूचि किचेन के तरफ बढ़ जाती है मिश्रा जी के लिए जूस जो लेना था । फिर उसके दिमाग में एक बात आया , कही ये वही तो लड़का नहीं है जिससे पापा मुझसे मिलवाने वाले थे ।
बेटा आज तो तुम गए .....