शायद मेरी आख़िरी नाराज़गी होगी... Manshi K द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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शायद मेरी आख़िरी नाराज़गी होगी...

शायद मेरी आख़िरी नाराज़गी होगी ..
फिर कभी न गुस्सा करूंगी 
और न उसके बाद कोई हक होगा मेरा ....


किसी ने सच ही कहा है किसी की आदत न लगाओ तुम
जिस इंसान को खुद से ज्यादा चाहो एक दिन आपको छोड़ ही देगा ।
जिसका मैसेज आने से आपको खुशी मिलती है बाद में वही इंसान बहुत रुलायेगा।
शुरुआत में आधी आधी रात तक बातें होगी फिर बाद में वो शख्स एक एक बात के लिए तड़पा देगा ।

जिसे मानने लगते हैं हमदर्द , पता है बाद में दर्द देकर वहीं बहुत रुलायेगा।।।

उम्मीद से ज्यादा जुड़ गई थी मैं उससे ,शायद इसीलिए खुद से मुस्कुराने की लड़ाई हो रही है।
पता है मुझे भी यकीन नहीं होता था ऐसा भी होता है 
पहले आपसे इतने बातें करेंगे कि आपको उनकी आदत लग जाएगी....
जब आदत लग जाएगी तो पता है न आपको अकेला उसी मोड़ पर छोड़ जायेंगे।
जिस मोड पर आप उनका हाथ पकड़ कर साथ चलना शुरू किया था।

हो सकता है मैं गलत हूं....
सब एक जैसे नहीं होते हैं .... ये बात सच भी है।
पर मुझसे भी गलती यही हुई थी उसे सबसे अलग समझ लिया ।
बेरहम दुनियां में उसे अपना हमदर्द समझ लिया ।
पर हुआ क्या ?? आंखों को मिला सावन और दिल को दर्द ।
जिसे चाहा मैने उसने कुछ गलत नहीं किया मेरे साथ 
गुनहगार तो मैं खुद बन गई खुद की नजरों में...

खैर छोड़िए!!!

यही होता है जब आप किसी को दिल से चाहो, सबसे अलग समझो और बेइंतेहा प्यार करो ....
तब खुद की गलती का एहसास होता है ।


अक्सर सुना जाता है और मैने भी कई लड़कों से सुना है 
लड़कियां बेवफा होती हैं।
बहुत चाहने के बाद भी वो धोखा देती है....
पर असलियत तो कुछ और ही होता है ....
शुरुआत में आपको स्पेशल फील करवाते हैं, जब आप उनसे प्यार करने लग जाती है तब वो आपको इस तरह ट्रीट करने लग जाते हैं जिससे आप खुद ही उनसे दूरियां बढ़ाने की सोचने लग जाती हैं।
पर दिल में बस वही एक इंसान रहता है..... शुरुआत में आपको वक्त मिलेगा पर धीरे धीरे बहाने बनाने लग जाएंगे।
मैं इस काम में हूं ,ये कर रहा हूं वो कर रहा हूं 
बस इसके बाद आप खुद ही ख़ामोशी की जंजीर में बंध जाएंगी।
जो आपको जागीर समझ कर ये सोचता है आप उसे छोड़ कर कही नहीं जाएंगी।
आपकी खामोशी उसको जवाब दे देती है।
तब आप उस इंसान के नजरों में धोखेबाज बन जाती है।
पर वो इंसान इसका जिम्मेदार खुद ही होता है।

जब दो लोगों के बीच रिश्ते की शुरुआत होती है
तब मैं क्या कहूं अब .....???

दिल के रिश्ते के लिए अब कुछ कहने का मन नहीं होता मेरा।
समझ लिया था मैने भी किसी को भीड़ से अलग 
जो अब वो मेरा न रहा ।।।

सक तो कभी किया नहीं था मैने भरोसा इस कदर था 
पर शायद किस्मत ही खराब निकली मेरी ।
कहते हैं जिनको गुस्सा आता है वो लोग सच्चे होते हैं पर मैं कहां गलत बन गई मुझे खुद समझ नहीं आया।

खैर छोड़िए!!!

उसे खुदा हमेशा मुस्कुराते हुए रखे ..... हमेशा उसे अपनों का साथ मिले .....

" जिंदगी छोटी नहीं थी मेरी 
अब मैने मान लिया है 
उम्मीद तो थी उससे 
अब मैने उम्मीद करना भी छोड़ दिया है"



Thanks for reading