रात की चादर से लिपट रही हूँ,
अंधेरे से खुद को छुपा रही हूँ।
खुशियों की राहें अब गुम हो गईं,
मेरे दिल की धड़कनें धीमी हो गईं।सपने जो कभी रंगीन थे मेरी नजरों में, अब धुंधले हो गए,
वो हँसी के पल भी अब दर्द में खो गए हैं।
आँखों के हर आँसू में एक कहानी छुपी है,
एक उदासी की दुनिया, जो अब सवेरा नहीं देखी है।मेरी हर ख्वाब में अब एक अँधेरा सा था वो,
रात की चुप्पी में ये दिल बेकरार सा हुआ था।
उदासी की इस घड़ी में, मैं अकेली हूँ,
कहीं खोई सी, बस तन्हाई से लिपटी हूँ।
कभी-कभी ये दिल तन्हा हो जाता है,
आंसुओं का समंदर आँखों में ठहर जाता है।
भूल जाती हूँ मैं वो हंसी-खुशी के पल,
जब दर्द की चादर मेरी राहों में बिछा जाता है।रात की चुप्पी में, ये दिल कराहता है,
चाँदनी की चाँदनी भी अब सिसकता है।
सपनों के झील में अब लहरें ही नहीं,
सिर्फ सूनी यादें बचे हैं, जो सिसकते रहते हैं।अगर कोई आए, तो पूछे ये दिल की बात,
नज़दीकियों के रास्ते, अब रह गए हैं ।
कभी-कभी ये दिल तन्हा हो जाता है,
पर यादों की धुंध में खो कर रूठ जाता है।
सुनसान राहों पर, खामोशी का राज है,
दिल की धड़कनें, अब बस एक आवाज है।
सपनों के संसार में, अंधेरे का बसेरा है,
हर खुशी अब एक काली छाया में खोया है।पलकों पर बसी थी कभी हँसी की चादर,
अब सूनी आँखों में, बस है दर्द की आवाज़।
कभी जो राहें रोशन थीं, अब वो ही उदास हैं,
मुझे लगता है जैसे ज़िन्दगी भी अब पराया सा है।खो गए हैं हम, उन बीते दिनों में,
जहाँ प्रेम की बातें, अब हैं बस चिथड़े।
सुनसान राहों में, हम खुद को ढूंढते हैं,
पर दर्द की ठोकरों में, खुद को खोते हैं।
तेरे बिना ये दुनिया अधूरी लगती है,
तेरे बिना मेरी हर खुशी गुम सी लगती है।
वो सपने जो हमने साथ देखे थे,
अब सिर्फ यादों की धूल में खो गए हैं।तू जब चला गया, दिल को तन्हा छोड़ गया,
हर एक गली, हर एक रास्ता, अब दिल को रुला गया।
सपनों के झरोखे अब धुंधले हो गए,
तेरे बिना ये दिल हर रोज़ सूना हो गया।तेरे बिना हर पल अब काला सा है,
तेरे बिना हर हँसी अब फीका सा है।
तुझसे बिछड़ना जैसे एक दर्द की किताब,
जिसे हर दिन पढ़ते हैं, पर समझ नहीं आती उसका सबक।
चुप्पी की ये रातें, कितनी तन्हा कर देती हैं,
हर एक खामोशी, दिल को चीर देती है।
बिना तेरे बिताए पल, अब जैसे यथार्थ हो गए,
तेरे बिना ये ज़िन्दगी, केवल सपने हो गए।तेरे साथ बिताए लम्हे, अब बस यादें बन गए,
तेरे बिना हर दिन, बस ग़म में डूब गए।
आँखों की नमी अब हकीकत की तरह है,
तेरे बिना ये दिल, दर्द से घिरा हुआ सा है।चुप्पी की इन रातों में, दर्द की कहानी बुनती हूँ,
तेरे बिना इस दिल की धड़कन को सुनती हूँ।
तू चला गया, पर तेरे बिना का दर्द, हर पल जीती हूँ,
इन यादों के सागर में, खोई हुई रहती हूँ।
तेरे बिना ये दिल अधूरा सा लगता है,
जैसे सवेरा बिना सूरज के सूना सा लगता है।
हमारे साथ बिताए पल, अब सिर्फ यादों में हैं,
तेरे बिना हर खुशी, अब गुमनाम सी लगती है।रात की चुप्पी में, तेरी कमी बहुत महसूस होती है,
तेरे बिना ये जिंदगी जैसे एक खाली किताब सी होती है।
हर एक लम्हा अब सुना, हर एक खुशी अब फीकी,
तेरे बिना ये दिल, बस एक पुरानी तस्वीर सी है।तेरे बिना के दर्द को शब्दों में बाँधना मुश्किल है,
तेरे बिना की खामोशी अब हर सवेरा गहरा करता है।
खोई हुई धड़कनें, जैसे एक अधूरी कहानी हो,
तेरे बिना ये दिल, बस एक गुमशुदा निशानी हो।