अधूरी चाहत और मरता परिवार - भाग 4 Abhishek Chaturvedi द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अधूरी चाहत और मरता परिवार - भाग 4

वह चाहती थी कि शायद किसी और की ज़िंदगी उसकी तरह बर्बाद न हो। और फ़िर उसने दूसरों को अपनी कहानी सुनाकर यह समझाने की कोशिश की कि ग़लतियों का ख़ामियाजा कितना भारी हो सकता है। 

 अन्तिम स्वीकृति

जेल में बिताए गए कई सालों बाद, अनामिका ने एक दिन ख़ुद से सच्चाई स्वीकार कर ली। उसने समझ लिया था कि उसने अपने प्यार और इच्छाओं के चक्कर में अपनी पूरी जिंदगी खो दी। लेकिन अब उसके पास कोई विकल्प नहीं था, सिवाय इसके कि वह अपने शेष जीवन को एक प्रायश्चित के रूप में जीए। 

आख़िरी दिनों में, अनामिका की तबीयत काफ़ी ख़राब हो गई। वह धीरे-धीरे एक गंभीर बीमारी से घिर गई और अस्पताल में भर्ती हो गई। वहां, उसने अंतिम सांस लेते समय अपने बेटे आरव और पति रोहित की तस्वीर को अपने दिल से लगाया। उसकी आंखों में आंसू थे, और उसने धीमे से कहा, "मुझे माफ कर दो।" 

और फ़िर, उसने अपनी अन्तिम सॉंस ली, एक भारी मन और पछतावे के साथ। उसका जीवन एक कड़वी सीख बन गया—एक ऐसी कहानी जो दूसरों को यह बताती है कि इंसान की इच्छाऍं और ग़लत फ़ैसले कैसे उसके पूरे जीवन को नष्ट कर सकते हैं। 

अनामिका की कहानी का अंत उसके जीवन के सबसे बड़े पछतावे के साथ हुआ, लेकिन यह पछतावा हमेशा के लिए उसकी आत्मा पर एक गहरा दाग बनकर रह गया।


अनामिका की कहानी के बाद की गूंज

अनामिका की मौत के बाद जेल के बाकी कैदी और स्टाफ उसे एक रहस्यमय महिला के रूप में याद करने लगे। उसकी डायरी, जिसमें उसने अपने जीवन की कहानी और अपने पछतावे को लिखा था, उसकी मौत के बाद जेल प्रशासन के हाथ लगी। यह डायरी जल्द ही एक सबूत बन गई कि कैसे एक सफल और खूबसूरत महिला अपनी इच्छाओं और गलत फैसलों के कारण बर्बादी के रास्ते पर चली गई थी। 

जेल में अनामिका की डायरी को पढ़ने वालों में से कुछ ने महसूस किया कि उसकी कहानी सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि यह उन सभी की चेतावनी भी है, जो अपने जीवन में सही और गलत के बीच उलझ जाते हैं। कुछ कैदियों ने उसकी कहानी से प्रेरित होकर अपने जीवन में सुधार लाने का फैसला किया।

 रोहित की नयी उम्मींद

वहीं, दूसरी ओर रोहित अपने नए शहर में धीरे-धीरे अपनी जिंदगी को फिर से पटरी पर लाने में कामयाब हो रहा था। उसने खुद को पूरी तरह से काम में व्यस्त कर लिया था, लेकिन अनामिका और आरव की यादें उसे कभी भी पूरी तरह से छोड़ नहीं पाईं। 

वह अनामिका की मौत की खबर सुनकर कुछ पलों के लिए स्तब्ध रह गया, लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ कि यह उसके जीवन के उस अध्याय का अंत था, जिसने उसे पूरी तरह बदल दिया था। रोहित ने अपने आप से वादा किया कि वह अब अपने भविष्य के लिए काम करेगा और उस दर्द से बाहर निकलेगा जो सालों से उसके दिल में छाया हुआ था।

कुछ समय बाद, रोहित ने एक NGO की स्थापना की, जो परिवार और रिश्तों में आई दरारों को भरने में मदद करता था। 
वह दूसरों को यह सिखाने की कोशिश कर रहा था कि कैसे संवाद की कमी और विश्वासघात के कारण रिश्ते टूट सकते हैं, और कैसे इन्हें सही समय पर सुधारा जा सकता है।