अधूरी चाहत और मरता परिवार - भाग 3 Abhishek Chaturvedi द्वारा क्राइम कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अधूरी चाहत और मरता परिवार - भाग 3

पछतावे का बोझ

जेल की सलाख़ों के पीछे अनामिका के लिए समय रुक सा गया था। वह दिन-रात आरव के बारे में सोचती, उसकी मासूम हंसी और उसकी आवाज़ उसके कानों में गूंजती रहती। हर गुजरते दिन के साथ उसका पछतावा बढ़ता गया। उसे अब एहसास हो रहा था कि उसने क्या खो दिया है और उसकी गलतियों की कीमत कितनी बड़ी थी। 

जेल के छोटे से क़मरे में वह अकेलेपन से जूझती रही। वहां की ठंडी दीवारें उसकी गवाह थीं, जहां वह खुद से सवाल करती—क्या वह वाकई प्यार की तलाश में थी या यह महज उसके अहंकार की भूख थी? उसने जो किया, उसकी वजह से अब उसकी पहचान एक खूबसूरत डॉक्टर से बदलकर एक हत्यारी औरत की हो गई थी।

रोहित की नई शुरुआत

दूसरी ओर, रोहित धीरे-धीरे अपने दर्द से बाहर आने की कोशिश कर रहा था। आरव की मौत ने उसे भीतर से तोड़ दिया था, लेकिन उसने इस दुख को अपने भीतर समेट लिया था। उसने शहर छोड़ने का फैसला किया, क्योंकि इस जगह की हर चीज उसे अनामिका और आरव की याद दिलाती थी। 

वह एक नए शहर में चला गया, जहां उसने अपने जीवन को फिर से शुरू करने का प्रयास किया। वह खुद को काम में डूबा देने लगा, ताकि वह उस दर्द से दूर भाग सके जो हर पल उसे तड़पाता था। लेकिन जितना वह अपने अतीत से भागने की कोशिश करता, उतनी ही अनामिका और आरव की यादें उसका पीछा करतीं। 

: जेल में अन्धकार 

अनामिका की हालत अब जेल में दिन-ब-दिन बिगड़ने लगी थी। उसका मानसिक संतुलन डगमगा रहा था। उसे रातों को नींद नहीं आती, और जब भी वह सोने की कोशिश करती, उसे आरव की छवि दिखाई देती—उसकी मासूम आंखें, उसकी हंसी, और वह दर्दनाक पल जब उसने अपने ही बेटे की जान ली थी।

वह ख़ुद को हर पल कोसती। वह चाहती थी कि किसी तरह वह समय को पीछे ले जा सके और अपने फैसले बदल सके, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। उसकी सुंदरता और सफलता अब उसकी कोई मदद नहीं कर सकती थीं। उसके लिए जेल की चारदीवारी एक ऐसी सज़ा बन गई थी, जो उसे जीवन भर के लिए मिला था।

 आत्मस्वीकृति

एक दिन, अनामिका ने खुद से सवाल किया, "क्या यह सब वास्तव में मेरी खुशियों की तलाश थी, या मैं अपनी महत्वाकांक्षाओं और अहंकार के पीछे भाग रही थी?" उसे समझ में आ गया था कि उसकी गलतियों ने सिर्फ़ उसकी ज़िंदगी नहीं, बल्कि कई और ज़िंदगियों को भी बर्बाद कर दिया था। 

उसने जेल में रहते हुए लिखना शुरू किया, अपनी गलतियों और पछतावे को शब्दों में ढालने की कोशिश की। वह रोज़ डायरी लिखती, जिसमें वह अपनी भावनाओं को व्यक्त करती—कैसे उसने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण रिश्ते को खो दिया, और कैसे उसकी आत्मा अब हर दिन मर रही थी। 

अंतहीन प्रायश्चित
अनामिका ने अपने जीवन का हर दिन प्रायश्चित में बिताया। वह चाहती थी कि उसे एक मौका मिले, जिससे वह अपने किए का प्रायश्चित कर सके, लेकिन उसे पता था कि समय कभी पीछे नहीं लौटता। 

जेल के अंदर, उसने अपनी मदद के लिए आने वाले अन्य कैदियों को सांत्वना देना शुरू किया। वो चाहती...........